Book Title: Agam 08 Antgaddasao Attham Angsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 8
________________ तए णं सा देवई देवी अरहओ अरिट्ठनेमिस्स अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म जाव-हियया अरहं अरिहनेमि वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव ते छ अणगारा तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता वग्गो-३, अज्झयणं-८ छप्पि अणगारा वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता आगयपण्हया पप्फुयलोयणा कंचयपरक्खित्तया दरियवलय-बाहा धाराहय-कलंब-प्प्फगं विव समूससिय-रोमकूवा ते छप्पि अणगारे अणिमिसाए दिट्ठीए पेहमाणी-पेहमाणी सुचिरं निरिक्खड़ निरिक्खित्ता वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव अरहा अरिट्ठनेमी तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता अरहं अरिट्ठनेमिं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ जाव नमंसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ दुहित्ता जेणेव बारवई नयरी तेणेव उवागच्छद उवागच्छित्ता बारवई नयरिं अनप्पविसइ अनप्पविसित्ता जेणेव सए गिहे बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागया धम्मयाओ जाणप्प-वराओ पच्चोरूहइ पच्चोरूहित्ता जेणेव सए वासधरे जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागया सयंसि सय-णिज्जंसि निसीयइ । तए णं तीसे देवईए देवीए अयं अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे सम्प्पन्ने-एवं खल अहं सरिसए जाव नलकूबर-समाणे सत्त पत्ते पयाय, नो चेव णं मए एगस्स वि बालत्तणए समणुब्भूए, एस वि य णं कण्हे बालसुदेवे छह-छह मासाणं ममं अंतियं पायवंदए हव्वमागच्छइ, तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ० जासिं मण्णे नियग-कृच्छि-संभूतयाई थणदुद्ध-लुद्धयाई महर-समुल्लावयाई मम्मण-पंजपियाई थण मूल कक्खदेसभागं अभिसरमाणाई मुद्धयाई पुणो य कोमल-कमललोवमेहिं हत्थेहि गिहिऊण उच्छंग निवेसियाई देंति समुल्लावए सुमहरे पुणो-पुणो मंजुलप्पमणिए, अहं णं अधण्णा अपुण्णा अकयपन्ना अकयलक्खणा एत्तो एक्कतरमवि न पत्ता, ओहय जाव झियायइ । इमं च णं कण्हे वासुदेवे ण्हाए जाव विभूसिए, देवईए देवीए पायवंदए हव्वमागच्छइ । तए णं से कण्हे वासुदेवे देवई देविं पासइ पासित्ता देवईए देवीए पायग्गहणं करेइ करेत्ता देवि एवं वयासी-अण्णया णं अम्मो! तब्भे ममं पासेत्ता हद्वतुट्ठा जाव भवह, किण्णं अम्मो! अज्ज तब्भे ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह?, तए णं सा देवई देवी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी-एवं खल अहं पत्ता! सरिसए जाव नलकूबर-समाणे सत्त पुत्ते पयाया नो चेव णं मए एगस्स वि बालत्तणे अनुब्भूए तुम पि य णं पुत्ता! छह-छहं मासाणं ममं अंतियं पायवंदए हव्वामागच्छसि तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव झियामि तए णं से कण्हे वासुदेवे देवई देविं एवं वयासी-मा णं तुब्भे अम्मो! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह अहण्णं तहा घईस्सामि जहा- णं ममं सहोदरे कणीयसे भाउए भविस्सति त्ति कट्ट देवइ देविं ताहिं इट्ठाहिं वग्गूहिं समासासेइ तओ पडिणिक्खमइ पडिणिक्खमित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छड़ उवागच्छित्ता जहा- अभओ नवरं हरिणेगमेसिस्स अट्ठम भत्तं पगेण्हइ जाव अंजलिं कट्ट एवं वयासी इच्छामि णं देवाणुप्पिया! सहोदरं कणीयसं भाउयं विदिण्णं, तए णं से हरिनेगमेसी कण्हं वासुदेवं एवं वयासी- होहिइ णं देवाणप्पिया तव देवलोयचए सहोदरे कणीयसे भाउए से णं उम्मक्क जाव अणप्पत्ते अरहओ अरिहनेमिस्स अंतियं मुंडे जाव पव्वइस्सइ, कण्हं वासुदेवं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वदइ वदित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए । [दीपरत्नसागर संशोधितः] [7] [८-अंतगडदसाओ]Page Navigation
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