Book Title: Agam 08 Antgaddasao Attham Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ सव्वकामगुणियं पारेइ. चोद्दसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, दसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ, बारसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ दसमं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ छटुं करेइ करेत्ता सव्वकामगुणियं पारेइ अट्ठमं करेइ करेत्ता सव्वकामणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेत्ता सव्वकामणियं पारेइ छटुं करेइ करेत्ता सव्वकामगणियं पारेइ चउत्थं करेइ करेत्ता सव्वकामगणियं पारेइ तहेव चत्तारि परिवाडीओ, एक्काए परिवाडीए छम्मासा सत्त य दिवसा चउण्हं दो वरिसा अट्ठावीसा य दिवसा जाव सिद्धा । • अहमे वग्गे तइअं अज्झयणं समत्तं . ॥ चउत्थं अज्झयण-कण्हा । [५३] एवं-कण्हा वि नवरं-महालयं सीहणिक्कीलियं तवोकम्मं जहेव खुड्डागं नवरंचोत्तीसइमं जाव नेयव्वं तहेव ओसारेयव्वं, एक्काए वरिसं छम्मासा अट्ठारस य दिवसा चउण्हं छव्वरिसा दोमासा बारस य अहोरत्ता, सेसं जहा- कालीए जाव सिद्धा । • अहमे वग्गे चउत्थं अज्झयणं समत्तं . [] पंचमं अज्झयणं-सुकण्हा । [१४] एवं-स्कण्हा वि नवरं-सत्तसत्तमियं भिक्खपडिम उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, पढमे सत्तए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणयस्स, दोच्चे सत्तए दो-दो भोयणस्स दो-दो पाणयस्स पडिगाहेइ, तच्चे सत्तए तिण्णि-तिण्णि दत्तीओ भोयणस्स तिण्णि-तिण्णि दत्तीओ पाणयस्स, चउत्थे पंचमे वग्गो-८, अज्झयणं-५ छढे सत्तमे सत्तए सत्त-सत्त दत्तीओ भोयणस्स सत्त-सत्त दत्तीओ पाणयस्स पडिगाहेइ, एवं खलु एयं सत्तस-त्तमियं भिक्खुपडिमं एगणपन्नाए रातिदिएहिं एगेणं य छन्नउएण भिक्खासएणं अहासत्तं जाव आराहेत्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया उवागच्छित्ता उज्जचंदणं अज्जं वंदइ नमसइ वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी इच्छामि णं अज्जाओ तुब्भेहिं अब्भणण्णाया समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरेत्तए, अहासुहं० तए णं सा सकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अब्भण्ण्णाया समाणी अहमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ, पढमे अट्ठए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणयस्स जाव अट्ठमे अट्ठए अट्ठट्ठ भोयणस्स पडिगाहेइ अट्ठट्ठ पाणयस्स, एवं खलु एयं अट्ठहमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए रातिदिएहिं दोहि य अट्ठासीएहिं भिक्खासएहिं अहासत्तं आराहेत्ता जाव नवनवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ- पढमे नवए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणयस्स जाव नवमे नवए नव-नव दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेइ नव-नव पाणयस्स, ___एवं खल एयं नवनवमियं भिक्खुपडिमं एक्कासीतिए राइंदिएहिं चउहिं य पंचत्तरेहिं भिक्खा-सएहिं अहासत्तं आराहेत्ता जाव दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ-पढमे दसए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणयस्स जाव दसमे दसए दस-दस दत्तीओ भोयणस्सपडिगाहेइ दस-दस पाणयस्स एवं खल एयं दस दसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइंदियसएणं अद्धछडेहिं य भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहेइ आराहेत्ता बहूहिं चउत्थ जाव मासद्धमासखमणेहिं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [26] [८-अंतगडदसाओ]

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31