Book Title: Agam 08 Ang 08 Anantkrut Dashang Sutra Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Divyaprabhashreeji, Devendramuni, Ratanmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 12
________________ प्रागमसम्पादन का यह ऐतिहासिक कार्य पूज्य गुरुदेव की पुण्य-स्मृति में आयोजित किया गया है। आज उनका पुण्यस्मरण मेरे मन को उल्लसित कर रहा है। साथ ही मेरे वन्दनीय गुरुभ्राता पूज्य स्वामी श्री हजारीमल जी महाराज की प्रेरणाएँ उनकी आगमभक्ति तथा आगम सम्बन्धी तलस्पर्शी ज्ञान, प्राचीन धारणाएँ, मेरा सम्बल बनी हैं / अत: मैं उन दोनों स्वर्गीय प्रात्माग्री की पुण्यस्मृति में विभोर हूं। शासनसेवी स्वामीजी श्री ब्रजलाल जी महाराज का मार्गदर्शन, उत्साहसंबद्धन, सेवाभावी शिष्यमुनि बिनयकुमार व महेन्द्र मुनि का साहचर्य-बल, सेवासहयोग तथा महासती श्री कानकुवर जी, महासती श्री झरणकार कुवरजी, परमविदुषी साध्वी श्री उमरावकुबर जी 'अर्चना' की विनम्र प्रेरणाएँ मुझे सदा प्रोत्साहित तथा कार्यनिष्ठ बनाये रखने में सहायक रही हैं। मुझे दृढ विश्वास है कि प्रागमवाणी के सम्पादन का यह सुदीर्घ प्रयत्नसाध्य कार्य सम्पन्न करने में मुझे सभी सहयोगियों, श्रावकों व विद्वानों का पूर्ण सहकार मिलता रहेगा और मैं अपने लक्ष्य तक पहुँचने में गतिशील बना रहूंगा। इसी आशा के साथ......" -~~मुनि मिश्रीमल 'मधुकर' [11] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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