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सचित्र आगम प्रकाशन के क्षेत्र में गुरुदेवश्री के आशीर्वाद तथा उपप्रवर्तकश्री की सबल प्रेरणा एवं प्रोत्साहन से प्रसिद्ध विद्वान् श्रीचन्द जी सुराना इस शास्त्र-सेवा के कार्य में निष्ठापूर्वक संलग्न हैं और उनके सत्प्रयासों से यह कार्य सुचारु रूप से आगे बढ़ रहा है।
शास्त्र-सेवा के इस बहुत ही खर्चीले कार्य में गुरुदेवश्री के अनेक श्रद्धालु भक्तजनों ने अपनी अन्तःकरण की प्रेरणा से उदारतापूर्वक सहयोग किया है और कर रहे हैं। अनेक विदुषी श्रमणियों ने भी इस कार्य में सद्गृहस्थों को प्रेरणा प्रदान कर सहयोग का हाथ-बढ़ाया है और हमारी योजना को बल प्रदान किया है। हम आप सभी के सहयोग, सद्भाव का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि भविष्य में भी इसी प्रकार सहयोग मिलता रहेगा।
हम अपने पाठकों से भी अपेक्षा करते हैं कि वे स्वयं इन शास्त्रों को पढ़ें, दूसरों को पढ़ने की प्रेरणा देवें तथा विभिन्न ज्ञान भण्डारों, पुस्तकालयों आदि में भेंट करें ताकि अन्य लोग भी लाभ उठा सकें। विदेशों में बसे अपने प्रिय मित्रों को भी अमूल्य उपहार रूप में भेंट भेजें। इसी शुभ भावना के साथ
महेन्द्रकुमार जैन अध्यक्ष, पद्म प्रकाशन
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