Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati
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३७२
नायाधम्मक हाओ
दारिया होत्था - वड्डा वहुकुमारी जुण्णा जुष्णकुमारी पडियपुयत्थणी' निव्विण्णवरा वरंगपरिवज्जिया' वि होत्था |
कालीए पव्वज्जा-पदं
१६. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे' "तित्थगरे सहसंबुद्धे पुरिसोत्तमे पुरिससोहे पुरिसवरपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अभयद चक्खुद मग्गदए सरणदए जीवदए दीवो ताणं सरणं गई पट्ठा धम्मवरचाउरंत चक्क वट्टी ग्रप्पडिय वरताणदंसणधरे वियदृच्छउ मे अरहा जिणे केवली जिणे जाणए तिष्णे तारए मुत्ते मोयए बुद्धे वोहर सव्वण्णू सव्वदरिसी नवत्थुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जग्सिहनारायसंघयणे जल्लमल्लकलंक सेय रहियसरीरे सिवमयल मख्यमणंत मक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तगं सिद्धिगणामधेज्जं ठाणं संपाविउकामे सोलसहि समणसाहस्सीहि प्रवृत्तीसाए अज्जिया साहस्सीहिं सद्धि संपरिवडे पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्माणे सुहं सुहेणं विहरमाणे आमलकप्पाए नयरीए बहिया • अंबसालवणे समोसढे | परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ |
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२०. तए णं सा काली दारिया इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्टु तु चित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस विसप्पमाण हियया जेणेव सम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल परिग्महिय दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासी एवं खलु अम्मयाओ ! पासे अरहा पुरिसादाणीए आइगरे "तित्थगरे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इह चेव ग्रामलकप्पाए नयरीए ग्रंवसालवणे ग्रहापडिरूवं ग्रोग्गहं योगिव्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं इच्छामि णं ग्रम्मयाओ ! तुभेहि भगुणाया समाणी पासस्स णं अरहस्रो पुरिसादाणीयस्स पायवंदिया गमित्तए ।
०
हासुहं देवाप्पिए ! मा पडिबंधं करेहि ॥
२१. तए णं सा काली दारिया ग्रम्मापिईहिं प्रब्भणुण्णाया समाणी हट्ट तुट्ठ-चित्तमाणंदिया पीड्मणा परमसोमणस्सिया हरिसवस विसप्पमाण हियया व्हाया कवलिकम्मा कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगललाई बत्थाई
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१. पुतत्थणी ( ग ) 1
२. वरपरिवज्जिया (घ ) ; वरवज्जिया (वृ) ।
३. सं० पा०--जहा वद्धमाणसामी नवरं नवहत्थुस्सेहे ० ( क, ख, ग, घ ) 1
४. पू०-- ओ० सू० १६
५. ओ० सू० ५२ ।
६. सं० पा० -
हदुजाव हियया ।
७. सं० पा०- कयल जाव एवं
८. सं० पा०-- आइगरे जाव विहरइ ।
६. सं० पा० - हट्ठ जान हियया ।
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