Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Nayadhammakahao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 424
________________ ३७६ नायाधम्मकहानी ३६. तए णं सा काली अज्जा पुप्फचूलाए अज्जाए एयमटुं नो पाढाई 'नो परिया णाइ° तुसिणीया संचिट्ठइ ।। ३७. तए णं तानो पुप्फलामो अज्जामो कालिं अज्ज अभिक्खणं-अभिक्खणं हीलेंति __ निंदंति खिसंति गरहंति अवमन्नंति अभिक्खणं-अभिक्खणं एयमटुं निवारेति ।। कालीए पुढोविहार-पदं ३८. तए णं तीसे कालीए अज्जाए समणीहिं निग्गंथीहिं अभिक्खणं-अभिक्खणं हीलिज्जमाणीए जाव' निवारिज्जमाणीए इमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-जया णं अहं अगारमझे वसित्था तया णं अहं सयवसा, जप्पभिई च णं अहं मुडा भवित्ता अगारामो अणगारियं पव्वइया तप्पभियं च णं अहं परवासा' जाया । तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पाडिक्कयं' उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पाडिक्क उवस्सयं गेण्हइ ! तत्थ णं अणिवारिया अणोहट्टिया सच्छंदमई अभिक्खणं - अभिक्खणं हत्थे धोवेइ', 'पाए धोवेइ, सीसं धोवेइ, मुहं धोवेइ, थणंतराणि धोवेइ, कक्खंतराणि धोवेइ, गुज्झतराणि धोवेइ, जत्थजत्थ वि य गं ठाणं वा सेज्ज वा निसीहियं वा चेएइ, तं पुवामेव अभुक्खित्ता तनो पच्छा ° आसयइ वा सयइ वा ।। कालीए मच्चु-पदं ३६. तए णं सा काली अज्जा पासस्था पासत्थविहारी ओसन्ना ओसन्तविहारी कुसीला कुसीलविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी संसत्ता संसत्तविहारी बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसे इ, असेत्ता तीसं भत्ताई अणसणाए छेएइ, छेएत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कता कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए कालिवडिसए भवणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स 'असंखेज्जाए भागमेत्ताए" प्रोगाहणाए कालीदेवित्ताए उववण्णा ।। १. सं० पा०-आढाइ जाव तुसिणीया। एक्कयं (घ)। २. ना० २।११३७ । ६. पू०-ना० १२१०२४ । ३. सं० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था। ६. सं० पा०--धोवेइ जाव आसयइ । ४. अगारवास ° (ख, ग, घ) । १०. अपडिकंता (ख)। ५. परवसा (क, ख, घ)। ११. असंखेज्जए.(ख); असंखेज्जए भागमेत्तए ६. पू०-ना० १११।२४। (ग); असंखेज्जइ° (घ)। ७. पाडिक्क (क); पडिक्कयं (ख, ग); पाडि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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