Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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ज्ञाताधर्मकथा
तए णं तीसे धारिणीए देवीए दोसु मासेसु वीइक्कंतेसु तइए मासे वट्टमाणे तस्स गब्भस्स दोहलकालसमयंसि अयमेयारूवे अकालमेहेसु दोहले पाउब्भवित्था
धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, सपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, एवं कयपुण्णाओ कयलक्खणाओ, कयविहवाओ, सुलद्धे णं तासिं माणुस जम्मजीवियफले, जाओ णं मेहेसु अब्भुग्गएसु अब्भुज्जुएस अब्भुण्णएस अब्भुट्ठिए सगज्जिएसु सविज्जुएसु सफुसिएस सथणिएसु
धंतधोयरुप्पपट्ट-अंक-संख-चंद - कुंद-सालिपिट्ठरासिसमप्पभेसु; चिउर-हरियाल-भेय- चंपग- सणकोरंट-सरिसय-पउमरय-समप्पभेसु, लक्खारस- सरस-रत्तकिंसुय- जासुमण-रत्तबंधु- जीवगजातिहिंगुलय-सरस-कुंकुम - उरब्भ-ससरुहिर-इंदगोवग-समप्पभेसु, बहिण- णीलगुलियणवसद्दलसमप्पभेसु,
सुगचासपिच्छ-भिंगपत्त-सासग-णीलुप्पलणियर-णवसिरीस-कुसुम
जच्चंजण- भिंगभेय-रिट्ठग-भमरावलि - गवल - गुलिय- कज्जल - समप्पभेसु, फुरंत - विज्जुयसज्जि वायवस-विपुलगगणचवलपरिसक्किसु णिम्मलवर-वारिधारापगलियपयंडमारुयसमाहय-समोत्थरंत उवरि उवरि तुरियवासं पवासिएसु, धारा- पहकर-णिवायणिव्वाविय मेइणितले हरियगणकंचुए पल्लविय पायवगणेसु, वल्लिवियाणेसु पसरिएसु उण्णएसु सोभग्गमुवागएसु, णगेसु णएसु वा वेभारगिरिप्पवाय- तड- कडगविमुक्के उज्झरेसु, तुरियपहाविय- पलोट्टफेणाउलं सकलसं जलं वहंतीसु गिरिणदीसु ।
सज्जज्जुण
णीव - कुड कंदल सिलिंध कलिएसु उववणेसु, मेहरसियहट्ठतुट्ठचिट्ठिय- हरिसवसपमुक्ककंठकेकारवं मुयंतेसु बरहिणेसु उउ-वस-मय -जणियतरुणसहयरि- पणच्चिएसु णवसुरभिसिलिंध-कुडयकंदल- कलंबगंधद्धुणिं मुयंतेसु उववणेसु । परहुयरुयरिभियसंकुलेसु उद्दाइंत-रत्तइंदगोवय-थोवय - कारुण्णविलविएस ओणयतण- मंडि दद्दुरपयंपिएसु संपिंडिय-दरिय- भमर-महुयकरिपहकर - परिलिंत-मत्त- छप्पय- कुसुमासवलोलमहुर-गुंजंतदेसभा सु उववणेसु ।
परिसामिय-चंद-सूर-गहगण-पणट्ठणक्खत्ततारगपहे इंदाउह-बद्ध-चिंधपट्टंसि अंबरतले उड्डीणबलागपंति-सोभंतमेहविंदे कारंडग-चक्कवाय- कलहंस-उस्सुयकरे संपत्ते पाउसम्मि काले, ण्हायाओ जाव विभूसियाओ किं ते ? वरपायपत्तणेउर मणिमेहल हार रइय-ओवियकडग खुड्डय विचित्तवर-वलयथंभिय- भुयाओ, कुंडल-उज्जोवियाणणाओ रयणभूसियंगीओ। णासा-णीसासवाय वोज्झं चक्खुहरं वण्णफरिससंजुत्तं हयलालापेलवाइरेयं धवलकणयखचियंतकम्मं आगासफलिह-सरिसप्पभं अंसुयं पवर-परिहियाओ, दुगुल्लसुकुमाल
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