Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 117
________________ | १७८ १७९ ज्ञाताधर्मकथा तए णं जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो धम्मं सोच्चा णिसम्म एवं वयासी- आलित्ते णं भत्ते जाव पव्वइया । चोद्दसपुव्विणो, अनंते केवले, सिद्धा । १८३ तए णं मल्ली अरहा सहसंबवणाओ उज्जाणाओ णिक्खमइ, णिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । १८० मल्लिस णं अरहओ भिसग पामोक्खा अट्ठावीसं गणा, अट्ठावीसं गणहरा होत्था । मल्लिस णं अरहओ भिसग पामोक्खा चत्तालीसं समणसाहस्सीओ उक्कोसियाओ समण संपया होत्था, बंधुमईपामोक्खाओ पणपण्णं अज्जियासाहस्सीओ उक्कोसिया अज्जिया संपया होत्था । एवं सावयाणं एगा सयसाहस्सीओ चुलसीइं च सहस्सा, सावियाणं तिण्णि सयसाहस्सीओ पण्णट्ठि च सहस्सा, छस्सया चोद्दसपुव्वीणं, वीससया ओहिणाणीणं, बत्तीसं सया केवलणाणीणं, पणतीसं सया वेउव्वियाणं, अट्ठसया मणपज्जवणाणीणं, चोद्दससया वाईणं, वीसं सया अणुत्तरोववाइयाणं संपया होत्था । १८१ मल्लिस्स अरहओ दुविहा अंतगडभूमी होत्था । तंजहा-जुगंतकरभूमी, परियायंतकर- भूमी य। जाव वीसइमाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी, दुवासपरियाए अंतमकासी । १८२ मल्ली णं अरहा पणुवीसं धणूणि उड्ढं उच्चत्तेणं, वण्णेणं पियंगुसमे, समचउरंससंठाणे, वज्जरिसभणाराचसंघयणे, मज्झदेसे सुहं सुहेणं विहरित्ता जेणेव सम्मेए पव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सम्मेयसेलसिहरे पाओवगमणमणुववण्णे । मल्ली णं एगं वाससयं आगारवासं मज्झे पणपण्णं वाससहस्साइं वाससयऊणाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता, पणपण्णं वाससहस्साइं सव्वाउयं पालइत्ता जे से गिम्हाणं पढमे मासे दोच्चे पक्खे चेत्तसुद्धे, तस्स णं चेतसुद्धस्स चउत्थीए पक्खेणं भरणीए णक्खत्तेणं अद्धरत्तकालसमयंसि पंचहिं अज्जियासएहिं अब्भिंतरियाए परिसाए पंचहिं अणगारसएहिं बाहिरियाए परिसाए, मासिएणं भत्तेणं अपाणएणं, वग्घारियपाणी, खीणे वेयणिज्जे आउए णामे गोए सिद्धे । एवं परिणिव्वाणमहिमा भाणियव्वा जहा जंबुद्दीवपण्णत्तीए, णंदीसरे अट्ठाहियाओ, पडिगयाओ । १८४ एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठमस्स णायज्झयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते । ॥ त्ति बेमि ॥ ॥ अट्ठमं अज्झयणं समत्तं ॥ 111

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