Book Title: Agam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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ज्ञाताधर्मकथा
तए णं सा अम्मधाई तह त्ति पडिसुणेइ, पडिसुणित्ता अंतेउरस्स अवद्दारेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव तेयलिपुत्तस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! पउमावई देवी सद्दावेइ ।। तए णं तेयलिपुत्ते अम्मधाईए अंतियं एयमढे सोच्चा णिसम्म हट्ठ-तुट्टे; अम्मधाईए सद्धिं साओ गिहाओ णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता अंतेउरस्स अवद्दारेणं रहस्सिययं चेव अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! जं मए कायव्वं । तए णं पउमावई देवी तेयलिपुत्तं एवं वयासी- एवं खलु कणगरहे जाव वियंगेइ । अहं च णं देवाणुप्पिया ! दारगं पयाया । तं तुमं णं देवाणुप्पिया ! एयं दारगं गिण्हाहि जाव तव मम य भिक्खाभायणे भविस्सइ त्ति कट्ट तेयलिपुत्तस्स हत्थे दलयइ । तए णं तेयलिपुत्ते पउमावईए हत्थाओ दारगं गेण्हइ, उत्तरिज्जेणं पिहेइ, पिहित्ता अंतेउरस्स रहस्सिययं अवदारेणं णिग्गच्छड, णिग्गच्छित्ता जेणेव सए गिहे जेणेव पोट्टिला भारिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोट्टिलं एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! कणगरहे राया जाव पुत्ते वियंगेइ । अयं च णं दारए कणगरहस्स पुत्ते पउमावईए अत्तए | तण्णं तुम देवाणुप्पिया ! इमं दारगं कणगरहस्स रहस्सियं चेव अणुपुव्वेणं सारक्खाहि य, संगोवेहि य, संवड्ढेहि य । तए णं एस दारए उम्मुक्कबालभावे तव य मम य पउमावईए य आहारे भविस्सइ त्ति कट्ट पोट्टिलाए पासे णिक्खिवइ, णिक्खिवित्ता पोट्टिलाए पासाओ तं विणिहायमावणियं दारियं गेण्हइ, गेण्हित्ता उत्तरिज्जेणं पिहेइ, पिहित्ता, अंतेउरस्स अवद्दारेणं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता जेणेव पउमावई देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पठमावईए देवीए पासे ठावेइ जाव पडिणिग्गए । तए णं तीसे पउमावईए अंगपडियारियाओ पउमावई देविं विणिहायमावणियं च दारियं पयायं पासंति, पासित्ता जेणेव कणगरहे राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल जाव एवं वयासी- एवं खलु सामी ! पउमावई देवी मएल्लियं दारियं पयाया । तए णं कणगरहे राया तीसे मएल्लियाए दारियाए णीहरणं करेइ, बहूणि लोइयाई मयकिच्चाई करेड़, कालेणं विगयसोए जाए | तए णं तेयलिपुत्ते कल्लं कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावित्ता एवं वयासी- खिप्पामेव चारगसोहणं करेह जाव ठिइवडियं दसदेवसियं करेह, कारवेह य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह। जम्हा णं अम्हं एस दारए कणगरहस्स रज्जे जाए, तं होउ णं दारए णामेणं कणगज्झए जाव अलं भोगसमत्थे जाए ।
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