Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-१, वग्गो- ,सतंसतं- , उद्देसो-१
नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति।
* पढमे सते पढमो उडेसो समत्तो
0 बितिओ उद्देसो [२६] रायगिहे नगरे समोसरणं| परिसा निग्गता जाव एवं वदासी
जीवे णं भंते! सयंकडं दुक्खं वेदेति? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं नो वेदेति। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ-अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं नो वेदेति? गोयमा! उदिण्णं वेदेति, अणुदिण्णं नो वेदेति, से तेणठेणं एवं वुच्चति-अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं नो वेदति। एवं चउव्वीसदंडएणं जाव वेमाणिए।
जीवा णं भंते सयंकडं दुक्खं वेदेति? गोयमा! अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं णो वेदेति। से केणठेणं? गोयमा! उदिण्णं वेदेति, नो अणुदिण्णं वेदेति, से तेणठेणं। एवं जाव वेमाणिया।
जीवे णं भंते! सयंकडं आउयं वेदेति? गोयमा! अत्थगेइयं वेदेति. जधा दुक्खेणं दो दंडगा तहा आठएण वि दो दंडगा एगत्त-पोहत्तिया; एगत्तेणं जाव वेमाणिया, पुहत्तेण वि तहेव।
[२७] नेरइया णं भंते! सव्वे समाहारा, सव्वे समसरीरा, सव्वे समुस्सास-नीसासा? गोयमा! नो इणढे समढें। से केणठेणं भंते! एवं वुच्चति-नेरइया नो सव्वे समाहारा, नो सव्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सास-निस्सासा? गोयमा! नेरइया दुविहा पण्णता। तं जहा-महासरीरा य अप्पसरीरा य। तत्थ णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारेंति, बहुतराए पोग्गले परिणामेंति, बहुतराए पोग्गले उस्ससंति, बहतराए पोग्गले नीससंति, अभिक्खणं आहारेंति, अभिक्खणं परिणामेंति, अभिक्खणं ऊससंति, अभिक्खणं निस्ससंति। तत्थ णं जे ते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पुग्गले आहारेंति, अप्पतराए पुग्गले परिणामेंति, अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति, अप्पतराए पोग्गले नीससंति, आहच्च आहारेंति, आहच्च परिणामेंति, आहच्च उस्ससंति, आहच्च नीससंति। से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समाहारा जाव नो सव्वे समुस्सास-निस्सासा |
नेरइया णं भंते! सव्वे समकम्मा? गोयमा! णो इणठे समठे। से केणठेणं? गोयमा! नेरइया दुविहा पण्णत्ता। तं जहा-पुव्वोववन्नगा य पच्छोववन्नगा य। तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा। तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा। से तेणठेणं गोयमा!०|
नेरइया णं भंते! सव्वे समवण्णा? गोयमा! नो इणठे समठे। से केणट्ठएणं तह चेव? गोयमा! जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं विसुद्धवण्णतरागा तहेव से तेणढेणं .।
नेरइया णं भंते! सव्वे समलेसा? गोयमा! नो इणठे समठे। से केणठेणं जाव नो सव्वे समलेसा? गोयमा! नेरइया दुविहा पण्णत्ता। तं जहापुव्वोववन्नगा य पच्छोववन्नगा य। तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं विसुद्धलेसतरागा, तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धलेसतरागा। से तेणठेणं।
नेरइया णं भंते! सव्वे समवेदणा? गोयमा! नो इणढे समठे। से केणठेणं? गोयमा! नेरइया दुविहा पण्णता। तं जहा-सण्णिभूया य असण्णिभूया य। तत्थ णं जे ते सण्णिभूया ते णं महावेयणा, तत्थ णं जे ते असण्णिभूया ते णं अप्पवेयणतरागा। से तेणठेणं गोयमा!०|
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
19]
[५-भगवई
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