Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 17
________________ सतं-१, वग्गो- ,सतंसतं- , उद्देसो-४ [५०] एस णं भंते! पोग्गले तीतमणंतं सासायं समयं भुवि इति वत्तव्वं सिया? हंता, गोयमा! एस णं पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं भुवि इति वत्तव्वं सिया। एस णं भंते! पोग्गले पइप्पन्नं सासयं समयं 'भवति' इति वत्तव्वं सिया? हंता, गोयमा! तं चेव उच्चारेतव्वं। ___ एस णं भंते! पोग्गले अणागतमणंतं सासतं समयं भविस्सति' इति वत्तव्वं सिया? हंता, गोयमा! तं चेव उच्चारेतव्वं।। एवं खंधेण वि तिण्णि आलावगा। एवं जीवेण वि तिण्णि आलावगा भाणिंतव्वा। [५१] छठमत्थे णं भंते! मणूसे तीतमणंतं सासतं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमाताहिं सिज्झिंसु बुज्झिंसु जाव सव्वदुक्खाणमंतं करिंसु? गोतमा! नो इणठे समठे। से केणढेणं भंते! एवं वुच्चइ तं चेव जाव अंतं करेंसु? गोतमा! जे केइ अंतकरा वा, अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा सव्वे ते उप्पन्ननाण-दंसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता ततो पच्छा सिज्झंति बुज्झंति मुच्चंति परिनिव्वायंति सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा, से तेणठेणं गोतमा! जाव सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु। पडुप्पन्ने वि एवं चेव, नवरं ' सिझंति' भाणितव्वं। अणागते वि एवं चेव, नवरं 'सिज्झिस्संति' भाणियव्वं।। जहा छउमत्थो तधा आधोहिओ वि, तहा परमाहोहिओ वि। तिण्णि आलावगा भाणियव्वा। केवली णं भंते! मणूसे तीतमणंतं सासयं समयं जाव अंतं करेंसु? हंता, सिज्झिंसु जाव अंतं करेंसु। एते तिण्णि आलावगा भाणियव्वा छउमत्थस्स जधा, नवरं सिज्झिंसु, सिज्झंति, सिज्झिस्संति। से नूणं भंते! तीतमणंतं सासयं समयं, पडुप्पन्नं वा सासयं समयं, अणागतमणंतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा सव्वे ते उप्पन्ननाण-दंसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता तओ पच्छा सिज्झंति जाव अंतं करेस्संति वा? हंता, गोयमा! तीतमणंतं सासतं समयं जाव अंतं करेस्संति वा? हंता, गोयमा! तीतमणंतं सासतं समयं जाव अंतं करेस्संति वा। से नूणं भंते! उप्पन्ननाण-दंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु' त्ति वत्तव्वं सिया? हंता, गोयमा! उप्पन्ननाण-दंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु ति वत्तव्वं सिया। सेवं भंते! सेवं भंते! ति.। * पढमे सते चउत्थो उद्देसो समतो * 0-पंचमो उद्देसो-० [५२] कति णं भंते! पुढवीओ पण्णत्ताओ? गोयमा! सत्त पुढवीओ पण्णताओ। तं जहारयणप्पभा जाव तमतमा। इमीसे णं भंते! रतणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पण्णता? गोतमा! तीसं [दीपरत्नसागर संशोधितः] [16] [५-भगवई]

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