Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सतं-१, वग्गो - ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-५
निरयावाससयसहस्सा पण्णता।
[५३] तीसा य पण्णवीसा पण्णरस दसेव या सयसहस्सा।
तिण्णेगं पंचूणं पंचेव अणुत्तरा निरया ।। [५४] केवतिया णं भंते! असुरकुमारावाससतसहस्सा पण्णता? एवं[५५] चोयट्ठी असुराणं, चउरासीती य होति नागाणं।
बावत्तरी सुवण्णाण, वाउकुमाराण छण्णउती ।। [५६] दीवदिसाउदहीणं विज्जुकुमारिंदथणियमग्गीणं।
छण्हं पि जुयलगाणं छावत्तरिमो सतसहस्सा ।। [५७]केवतिया णं भंते! पुढविक्काइयावाससतसहस्सा पण्णत्ता? गोयमा! असंखेज्जा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णता जाव असंखिज्जा जोदिसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता
सोहम्मे णं भंते! कप्पे कति विमाणावाससतसहस्सा पण्णता? गोयमा! बत्तीसं विमाणावाससतसहस्सा पण्णता। एवं
[५८] बत्तीसऽट्ठावीसा बारस अट्ठ चउरो सतसहस्सा।
पण्णा चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ।। [५९] आणय-पाणयकप्पे चत्तारि सताऽऽरण-ऽच्चुए तिण्णि।
सत्त विमाणसताई चठसु वि एएसु कप्पेसुं ।। [६०] एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमेसु सत्तुतरं च मज्झिमए।
सतमेगं उवरिमए पंचेव अणुत्तरविमाणा ।। [६१] पुढवि ट्ठिति ओगाहण सरीर संघयणमेव संठाणे ।
लेसा दिट्ठी णाणे जोगुवओगे य दस ठाणा ।। [१२] इमीसे णं भंते! रतणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससतसहस्सेसु एगमेगंसि निरयावासंसि नेरतियाणं केवतिया ठितिठाणा पण्णता? गोयमा! असंखेज्जा ठितिठाणा पण्णता। तं जहाजहन्निया ठिती, समयाहिया जहन्निया ठिई, दुसमयाहिया जहन्निया ठिती जाव असंखेज्जसमयाहिया जहन्निया ठिती, तप्पाउग्गक्कोसिया ठिती।
इमीसे णं भंते! रतणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससतसहस्सेसु एगमेगंसि निरायवासंसि जहन्नियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं कोधोवउत्ता, माणोवउत्ता, मायोवउत्ता, लोभोवउत्ता? गोयमा! सव्वे वि ताव होज्जा कोहोवळत्ता १, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवठत्ते य २, अहवा कोहोवउत्ता य माणोवत्ता य ३, अहवा कोहोवठत्ता य मायोवठत्ते य ४, अहवा कोहोवळत्ता य मायोवठत्ता य ५ अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवठत्ते य ६, अहवा कोहोवउत्ता य लोभोवउत्ता य ७। अहवा कोहोवठत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य १, कोहोवउत्ता य माणोवठत्ते य मायोवठत्ता य २, कोहोवउत्ता य माणोवठत्ता य मायोवउत्ते य ३, कोहोवउत्ता य माणोवत्ता य मायाउवठत्ता य ४। एवं कोह-माण-लोभेण वि चठ ४। एवं कोह-माया-लोभेण वि चठ ४, एवं १२। पच्छा माणेण मायाए लोभेण य कोहो भइयव्वो, ते कोहं अमुंचता ८| एवं सत्तावीसं भंगा णेयव्वा।
इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस् एगमेगंसि निरया
[दीपरत्नसागर संशोधितः]
[17]
[५-भगवई
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