Book Title: Agam 05 Bhagavai Panchamam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ सतं-१, वग्गो- ,सत्तंसत्तं- , उद्देसो-२ संजता ते दुविहा पण्णता, तं जहा-पमत्तसंजता य अपमत्तसंजता य। तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजता तेसि णं एगा मायावत्तिया किरिया कज्जति। तत्थ णं जे ते पमत्तसंजता तेसि णं दो किरियाओ कज्जति, तं.आरंभिया य मायावत्तिया य । तत्थ णं जे ते संजतासंजता तेसि णं आइल्लाओ तिन्नि किरियाओ कज्जंति। अस्संजताणं चत्तारि किरियाओ कज्जंति-आरं० मिच्छादिट्ठीणं पंच। सम्मामिच्छादिट्ठीणं पंच| वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । नवरं वेयणाए नाणतं मायिमिच्छादिट्ठीउववन्नगा य अप्पवेदणतरा, अमायिसम्मद्दिट्ठीउव्वन्नगा य महावेयणतरागा भाणियव्वा जोतिस-वेमाणिया सलेसा णं भंते! नेरइया सव्वे समाहारगा? ओहियाणं, सलेसाणं, सुक्कलेसाणं, एएसि णं तिण्हं एक्को गमो। कण्हलेस-नीललेसाणं पि एक्को गमो, नवरं वेदणाए-मायिमिच्छादिट्ठीउववन्नगा य, अमायिसम्मद्दिट्ठीउववण्णगा य भाणियव्वा। मणुस्सा किरियासु सराग-वीयराग-पमत्तापमत्ता ण भाणियव्वा। काउलेसाण वि एसेव गमो, नवरं नेरइए जहा ओहिए दंडए तहा भाणियव्वा। तेउलेसा पम्हलेसा जस्स अत्थि जहा ओहिओ दंडओ तहा भाणियव्वा, नवरं मणुस्सा सरागा वीयरागा य न भाणियव्वा। [२८] दुक्खाSSउए उदिण्णे, आहारे, कम्म-वण्ण-लेसा य । समवेदण समकिरिया समाउए चेव बोद्धव्वा ।। [२९] कति णं भंते! लेसाओ पण्णताओ? गोयमा छल्लेसाओ पण्णताओ। तं जहा-लेसाणं बीओ उद्देसओ भाणियव्वो जाव इड्ढी। [३०] जीवस्स णं भंते! तीतद्धाए आदिट्ठस्स कइविहे संसारसंचिट्ठणकाले पण्णते? गोयमा! चठविहे संसारसंचिट्ठणकाले पण्णते। तं जहा-णेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले, तिरिक्खजोणिय संसार संचिठ्ठणकाले, मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले, देवसंसारसंचिट्ठणकाले य पण्णत्ते। नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले णं भंते! कतिविहे पण्णते? गोयमा! तिविहे पण्णते। तं जहासुन्नकाले, असुन्नकाले, मिस्सकाले। तिरिक्खजोणियसंसारसंचिट्ठणकाले पुच्छा। गोयमा! दुविहे पण्णते। तं जहा-असुन्नकाले य मिस्सकाले य। मणुस्साण य, देवाण य जहा नेरइयाणं। एयस्स णं भंते! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स सुन्नकालस्स असुन्नकालस्स मीसकालस्स य कयरे कयरेहिंतो अप्पे वा, बहुए वा, तुल्ले वा, विसेसाहिए वा? गोयमा! सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणंतगुणे, सुन्नकाले अणंतगुणे। तिरिक्खजोणियाणं सव्वथोवे असुन्नकाले मिस्सकाले अणंतगुणे। मणुस्स-देवाण य जहा नेरइयाणं। एयस्स णं भंते! नेरइयसंसारसंचिठणकालस्स जाव देवसंसारसंचिठण जाव विसेसाधिए वा? गोयमा! सव्वत्थोवे मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले, नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेज्जगुणे, देवसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियसंसारसंचिट्ठणकाले अणंतगुणे। [३१] जीवे णं भंते! अंतकिरियं करेज्जा? गोयमा! अत्थेगतिए करेज्जा, अत्थेगतिए नो करेज्जा। अंतकिरियापदं नेयव्वं। दीपरत्नसागर संशोधितः] [11] [५-भगवई

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