Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 11 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 5
________________ भगवानुं पशु : श्री अ. ली. वे स्थानम्वासी જૈનશાસ્ત્રોદ્ધાર સમિતિ, है. गरेडिया वा रोड, रानडेंट (सौराष्ट्र ). ये नाम केचिदिह नः प्रथयन्त्यवज्ञ, जानन्ति ते किमपि तान् प्रति नैष यत्नः । उत्पत्स्यतेऽस्ति मम कोऽपि समानधर्मा, कालो ह्ययं निरवधिर्विपुला च पृथ्वी ॥ १ ॥ 5 हरिगीत च्छन्दः लिये । करते अवज्ञा जो हमारी यत्न ना उनके जो जानते हैं तत्व कुछ फिर यत्न ना उनके जनमेगा मुझसा व्यक्ति कोई तत्व इससे पायगा । लिये ॥ है काल निरवधि विपुलपृथ्वी ध्यान में यह लायगा ॥ १ ॥ 品 પ્રથમ આવૃત્તિ પ્રત ૧૨૦૦ વીર સંવત્ ૨૪૯૪ વિક્રમ સંવત ૨૦૨૪ ઇસવીસન ૧૯૬૮ Published by : Shri Akhil Bharat S. S. Jain Shastroddhara Samiti, Garedia Kuva Road, RAJKOT, (Saurashtra), W. Ry, India. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૧ भूयः ३. ३५=00 : भुद्र : મણિલાલ છગનલાલ શાહ નવપ્રભાત પ્રિન્ટીંગ પ્રેસ, घीअंटा रोड, अभहावाह

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