Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 04 Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Dadar Aradhana Bhavan Jain Poshadhshala Trust View full book textPage 7
________________ संपादकीय निवेदन आ चोथो भाग १६ मा शतकथी आरंभी ४१ मा शतक सुधीमां पूरो प्रकाशित थाय छे. आ चोथा भागना अन्ते नीचेना मुदाओ संबंध कहेवानुं छे. १ संशोधन अने प्रतिओनो उपयोग २ अनुवाद ३ परिशिष्टो. १ संशोधन अने प्रतिओनो उपयोग आ सूत्रना संशोधनमां क, ख, ग, घ अनेक ए पांच प्रतिश्रोनो उपयोग करवामां आव्यो छे. अने ते सिवाय एक ताडपत्रनी प्रतिनो पण उपयोग करेलो छे से बची प्रतिभोना पाठान्तर न लेतां रोमां जे पाठ शुद्ध जणायो से मुकवामां आग्यो छे. आगमोनां पाठान्तर सहित शुद्ध संस्करणनी अनिवार्य आवश्यकता छे. परन्तु ते कार्यमां प्राचीन हस्तलिखित पुष्कळ प्रतिओनी तथा समय वगेरे साधनोनी जरुर होवाथी अने हाल ते बधी सामग्रीनो अभाव होवाथी पाठान्तरो आप्या सिवाय शुद्ध पाठ आपी संतोष मानवो पच्यो छे. प्रतिओनो सामान्य परिचय श्रीजा भागना निवेदनमां आप्पो छे तेथी अहीं आपयामां आव्यो नधी. २ अनुवाद. भगवतीसूत्रनो अनुवाद मूळ पाठने अनुसरीने करवामां आल्यो छे अने विषयने स्पष्ट करवा माटे बधारानां शब्दो [ ] आवा कोष्टकम आप्या छे. ते सिवाय कठण विषय समजानचा आवश्यक टिप्पणो आपवामां आग्या छे. वाचकनी सुगमता खातर दरेक उदेशके प्रश्नवार सूत्रमो विभाग करी अने अनुक्रमे आंकडा मूकी तेनी नीचे तेज सूत्रना आकडामा अनुवाद आपनाम आव्यो छे. अवान्तर प्रश्नने जुदा सूत्र तरीके न गणतां मूळ प्रश्नना सूत्रमांज तेनी गणना करी छे. ते सिवाय ज्यां प्रश्न नथी परन्तु चरित्र के वर्णनात्मक भाग छेयां पण जुदी हुदी कंडिका प्रमाणे खुर्दा कुर्दा सूत्र गणवामां आव्यां हे पृष्ठना प्रान्ते विषय सूचन पण करे छे. ३ परिशिष्ट, अहीं वाचकोने उपयोगी थाप ते माटे ख़ुदा जुदा सात परिशिष्टो आपवामां आव्यां छे. (१) पहेला परिशिष्टम भंगवतीसूत्रमां आवेला पारिभाषिक शब्दोनो कोश आपवामां आव्यो छे अने जे स्थळे ते शब्द वापरवामां आव्यो छे तेनो पृष्टांक आपेल छे. (२) बीजा परिशिष्टमां देश, नगरी अने पर्वतादिनां नामो छे. (३) जीजा परिशिष्टमां चैा अने उद्याननां नामो छे. (४) चोथा परिशिष्टम अन्यतीर्थिक अने तापसोनां नामो छे. (५) पांचमा परिशिष्टमां साधु साध्वीनां नामो, (६) छट्टा परिशिष्टमां श्रावक-श्राविकानां नाम (७) अने सातमा परिशिष्टमां साक्षीरूपे जे जे ग्रन्थोनो निर्देश कर्या छे ते ते ग्रन्थोनों नामो आध्या छे. आ अनुवाद करवामां भाइश्री बेचरदासे करेला भगवतीसूत्रनी अनुवादनी कोपीनो पण उपयोग करवामां आव्यो छे माटे तेनी कृतज्ञतापूर्वक नोंध लउं छं. आ अनुवाद करवामां अने तेना प्रकाशनमां काळजी राखवा छतां रही गयेला दोषोने माटे वाचको दरगुजर करशे अने सूचन करशे वी आशा राखी विरमुं हुं. Jain Education International For Private & Personal Use Only भगवानदास दोशी www.jainelibrary.org/Page Navigation
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