Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri Gyanmandir | तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव से तं सन्निवाइए भावे । सेवं भंते! सेवं भंते! त्ति (५९४ ॥ ० १७३० १ ॥ से नूणं भंते! संयतविरत्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे धम्मे ठिए अस्संजय अविश्य अपडिहय अपच्चक्खायपावकम्मे अधम्मे ठिते संजया संजय धम्माधम्मे ठिते?, हंता गोयमा ! संजयविरय जाव धम्माधम्मे ठिए, एएसिं णं भंते! धम्मंसि वा अहम्मंसि वा धम्माधम्मंसि वा चक्किया केइ आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए वा?, गोयमा ! णो तिणट्टे समट्टे, से केणं खाई अद्वेणं भंते! एवं वच्चइ जाव धम्माधम्मे ठिते?, गोंयमा! संजयविरयजावपावकम्मे धम्मे ठिते धम्मं चेव उवसंपजित्ताणं विहरति असंयतजावपावकम्मे अधम्मे ठिए अधम्मं चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरड़ संजयासंजए धम्माधम्मे ठिते धम्माधम्मं चेव उवसंपजित्ताणं विहरति, से तेणट्टेणं जाव ठिए, जीवा णं भंते! किं धम्मे ठिया अधम्मे ठिया धम्माधम्मे ठिया?, गोयमा ! जीवा धम्मेऽवि ठिता अधम्मेऽवि ठिता धम्माधम्मेऽवि ठिता, नेरइ० ५०?, गोयमा ! णेरड्या णो धम्मे ठिता अधम्मे ठिता णो धम्माधम्मेठिता, एवं जाव चउरिदियाणं, पंचिंदियतिरिक्खजो० पुच्छा, गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणि नो धम्मे ठिता अधम्मेठिया धम्माधम्मेऽवि ठिया, मणुस्सा जहा जीवा, वाणमंतर जोइसियवेमाणिया जहा ने२० | ५९५ । अनउत्थिया णं भंते! एवमाइक्खति जाव परूवेंति एवं खलु समणा पंडिया समणोवासया बालपंडिया जस्स णं एगपाणाएऽवि दंडे अणिक्खित्ते से णं एगंतबालेत्ति वत्तव्वं सिया, से कहमेयं भंते! एवं?, गोयमा ! जण्णं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति जाव वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि एवं खलु समणा पंडिया ॥ श्रीभगवती सूत्रं ॥ ४ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 212