Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Pragnapti Sutra Part 03 Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए तलफले निव्वत्तिए तेऽविणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, अहे णं भंते! से तालफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे जाई तत्थ पाणाई जाव जीवियाओ ववरोवेति तओ गंभंते! से पुरिसे कतिकिरिए?, गोयमा! जावं चणं से पुरिसे तलपले अपणो गरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चाहिं किरियाहिं पुढे, जेसिंपिणंजीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए तेऽविणं जीवा काइयाए जाव चाहिं किरियाहिं पुढा, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो तालफ्ले निव्वत्तिए तेऽवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढा, जेऽविय से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटुंति तेऽविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढा, पुरिसे णं भंते! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए?, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्स्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेऽविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा, अहे गं भंते! से मूले अपणो गरुयत्ताए जाव जीवियाओ ववरोवेइ तओ णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए? गोयमा! जावं च णं से मूले अपणो जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चाहिं किरियाहिं पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो कंदे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेऽिवणं जीवा चाहिं पुठ्ठा, जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए तेञ्विणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, जेविय णं से जीवा अहे वीससाए पया० वा पच्चोवयमाणस्स वा ॥श्रीभगवती सूत्रं ॥
पू. सागरजी म. संशोधित
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