Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 16
________________ ठाणांग सुत्तं BP विग्गहगइसमावण्णगाणं णेरइयाणं दो सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा- तेयए चेव, कम्मए चेव । णिरंतरं जाव वेमाणियाणं । णेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया, तं जहा- रागेण चेव, दोसेण चेव जाव वेमाणियाणं। णेरइयाणं दुट्ठाणणिव्वत्तिए सरीरगे पण्णत्ते, तं जहा- रागणिव्वत्तिए चेव, दोसणिव्वत्तिए चेव जाव वेमाणियाणं । दो काया पण्णत्ता, तं जहा- तसकाए चेव, थावरकाए चेव । तसकाए दुविहे पण्णत्ते, तं जहाभवसिद्धिए चेव, अभवसिद्धिए चेव । थावरकाए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- भवसिद्धिए चेव, अभवसिद्धिए चेव । दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पइ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा पव्वावित्तए- पाईणं चेव, उदीणं चेव । एवं मुंडावित्तए, सिक्खावित्तए, उवट्ठावित्तए, संभंजित्तए संवासित्तए, सज्झायमुद्दिसित्तए, सज्झायं समुद्दिसित्तए, सज्झाय- मणुजाणित्तए, आलोइत्तए, पडिक्कमित्तए, जिंदित्तए, गरहित्तए, विउट्टित्तए, विसोहित्तए, अकरणयाए अब्भुद्वित्तए अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जित्तए । दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पड़ णिग्गंथाण वा णिग्गंथीण अपच्छिम- मारणंतिय संलेहणाझूसणा झूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खियाणं पाओवगयाणं कालं अणवकंख- माणाणं विहरित्तए, तं जहा- पाईणं चेव, उदीणं चेव। || पढमो उद्देसो समत्तो || बीओ उद्देसो जे देवा उडढोववण्णगा कप्पोववण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णगा चारद्विइया गइरइया गइसमावण्णगा, तेसि णं देवाणं सया समियं जे पावे कम्मे कज्जइ, तत्थगयावि एगइया वेयणं वेदेति, अण्णत्थगयावि एगइया वेयणं वेदेति । णेरइयाणं सया समियं जे पावे कम्मे कज्जइ, तत्थगयावि एगइया वेयणं वेदेति, अण्णत्थगयावि एगइया वेदणं वेदेति जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं | मणुस्साणं सया समियं जे पावे कम्मे कज्जइ, इहगयावि एगइया वेयणं वेदेति, अण्णत्थगयावि एगइया वेयणं वेदेति । मणुस्सवज्जा सेसा एक्कगमा | णेरइया दुगइया दुआगइया पण्णत्ता, तं जहा- णेरइए णेरइएसु उववज्जमाणे मणुस्सेहिंतो वा पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वा उववज्जेज्जा । से चेव णं से णेरइए णेरइयत्तं विप्पजहमाणे मणस्सत्ताए वा पंचिंदियतिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेज्जा । 11

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