Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission
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ठाणांग सुत्तं
गणंसि गिलाणसेहवेयावच्चं णो सम्ममब्भुट्ठित्ता भवइ । आयरियउवज्झाए णं गणंसि अणापुच्छियचारी यावि हवइ, णो आपुच्छियचारी ।
आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंच अवग्गहट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा- आयरियउवज्झाए णं गणंसि आणं वा धारणं वा सम्मं परंजित्ता भवइ । आयरिय उवज्झाए णं गणंसि आहाराइणियाए सम्मं किइकम्मं परंजित्ता भवइ । आयरिय-उवज्झाए णं गणंसि जे सुत्तपज्जवजाए धारेइ, ते काले-काले सम्मं अणुपवाइत्ता भवइ । आयरियउवज्झाए णं गणंसि गिलाणसेहवेयावच्चं सम्मं अब्भुट्ठित्ता भवइ । आयरियउवज्झाए णं गणंसि आपुच्छियचारी यावि भवइ, णो अणापुच्छियचारी |
पंच णिसिज्जाओ पण्णत्ताओ, तं जहा - उक्कुडुया, गोदोहिया, समपायपुता, पलियंका, अद्धपलियंका |
पंच अज्जवट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा- साहुअज्जवं साहुमद्दवं, साहुलाघवं, साहुखंती साहुमुत्ती ।
पंच विहा जोइसिया पण्णत्ता, तं जहा- चंदा, सूरा, गहा, णक्खत्ता, ताराओ ।
पंचविहा देवा पण्णत्ता, तं जहा- भवियदव्वदेवा, णरदेवा, धम्मदेवा, देवाहिदेवा भावदेवा ।
पंचविहा परिचारणा पण्णत्ता, तं जहा- कायपरिचारणा, फासपरिचारणा, रूवपरिचारणा, सद्दपरिचारणा, मणपरिचारणा ।
चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो पंच अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा- काली, राई, रयणी, विज्जू, मेहा ।
बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो पंच अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा- सुंभा, णिसुंभा, रंभा, णिरंभा, मदणा ।
चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमारण्णो पंच संगामिया अणिया, पंच संगामिया अणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा- पायत्ताणिए, पीढाणिए, कुंजराणिए, महिसाणिए, रहाणिए ।
दुमे पायत्ताणियाहिवई, सोदामे आसराया पीढाणियाहिवई, कुंथू हत्थिराया कुंजराणियाहिवई, लोहियक्खे महिसाणियाहिवई, किण्णरे रहाणियाहिवई ।
बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो पंच संगामिया अणिया, पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा- पायत्ताणिए पीढाणिए, कुंजराणिए महिसाणिए रहाणिए ।
महद्दुमे पायत्ताणयाहिवई, महासोदामे आसराया पीढाणियाहिवई, मालंकारे हत्थिराया कुंजराणियाहिवई, महालोहियक्खे महिसाणियाहिवई, किंपुरिसे रहाणियाहिवई ।
धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स णागकुमाररणो पंच संगामिया अणिया, पंच संगामियाणियाहिवई पण्णत्ता, तं जहा- पायत्ताणिए पीढाणिए, कुंजराणिए महिसाणिए रहाणि ।
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