Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

View full book text
Previous | Next

Page 142
________________ ५४ ५५ ५६ ५७ ५८ ५९ Eo ६१ ६२ ६३ ६४ ६५ ठाणांगतं धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त महाणईओ पुरत्थाभिमुहीओ कालोयसमुद्दं समप्पेंति, तं जहागंगा जाव रत्ता । धायइसंडदीवपुरत्थिमद्धे णं सत्त महाणईओ पच्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्दं समप्पेंति, तं जहासिंधु जाव रत्तावई। धायइसंडदीवे पच्चत्थिमद्धे णं सत्त वासा एवं चेव, णवरं पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुद्द समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीओ कालोदं । सेसं तं चेव । पुक्खरवरदीवड्ढपुरत्थिमद्धे णं सत्त वासा तहेव, णवरं पुरत्थाभिमुहीओ पुक्ख- रोदं समुद्दं समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीओ कालोदं समुद्दं समप्पेंति । सेसं तं चेव । एवं पच्चत्थिमद्धे वि णवरं पुरत्थाभिमुहीओ कालोदं समुद्दं समप्पेंति, पच्चत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समप्पेंति । सवत्थ वासा वासहरपव्वया णईओ य भाणियव्वाणि । जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तीयाए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा होत्था, तं जहामित्तदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपभे । विमलघोसे सुघोसे य, महाघोसे य सत्तमे ॥१॥ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सत्त कुलकरा होत्थापढमित्थ विमलवाहण, चक्खुम जसमं चउत्थमभिचंदे | ततो य पसेणइए, मरुदेवे चेव णाभी य ॥१॥ एएसि णं सत्तण्हं कुलकराणं सत्त भारियाओ हुत्था, तं जहा चंदयसा चंदकंता, सुरूव पडिरूव चक्खुकंता य । सिरिकंता मरुदेवी, कुलकरइत्थीण णामाई ॥१॥ जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलकरा भविस्संति मित्तवाहण सुभोमे य, सुप्पभे य सयंपभे । दत्ते सुहुमे सुबंधू य, आगमेस्सिण होक्खइ ॥१॥ विमलवाहणे णं कुलकरे सत्तविहा रुक्खा उवभोगत्ताए हव्वमागच्छिंसु, तं जहामतंगया य भिंगा, चित्तंगा चेव होंति चित्तरसा । मणियंगा य अणियणा, सत्तमगा कप्परुक्खा य ॥१॥ सत्तविहा दंडणीइ पण्णत्ता, तं जहा- हक्कारे, मक्कारे, धिक्कारे, परिभासे, मंडलबंधे, चारए, छविच्छेए । एगमेगस्स णं रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स सत्त एगिंदियरयणा पण्णत्ता, तं जहा- चक्करयणे, छत्तरयणे, चम्मरयणे, दंडरयणे, असिरयणे, मणिरयणे, काकणि- रयणे । 137

Loading...

Page Navigation
1 ... 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189