Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 126
________________ ४ 19 ६ وال ८ ९ १० ठाणांग सुत्तं छहिं ठाणेहिं संपण्णे अणगारे अरिहइ गणं धारित्तए, तं जहा- सड्ढी पुरिसजाए, सच्चे पुरिसजाए, मेहावी पुरिसजाए, बहुस्सुए पुरिसजाए, सत्तिमं, अप्पाधिकरणे । छहिं ठाणेहिं णिग्गंथे णिग्गंथिं गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णाइक्कमइ, तं जहाखित्तचित्तं, दित्तचित्तं, जक्खाइट्ठे, उम्मायपत्तं, उवसग्गपत्तं, साहिगरणं । छहिं ठाणेहिं णिग्गंथा णिग्गंथीओ य साहम्मियं कालगयं समायरमाणा णाइक्कमंति, तं जहाअंतोहिंतो वा बाहिं णीणेमाणा, बाहीहिंतो वा णिब्बाहिं णीणेमाणा, उवेहेमाणा वा, उवासमाणा वा, अणुण्णवेमाणा वा, तुसिणीए वा संपव्वयमाणा । छ ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणइ ण पासइ, तं जहा- धम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकाय, आगासं, जीवमसरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सद्दं । एयाणि चेव उप्पण्ण- णाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइ पासइ, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आगासं, जीवमसरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सद्दं । छहिं ठाणेहिं सव्वजीवाणं णत्थि इड्ढीइ वा जुईइ वा जसेइ वा बलेइ वा वीरिएड् वा पुरिसक्कार-परक्कमेइ वा, तं जहा- जीवं वा अजीवं करणयाए । अजीवं वा जीवं करणयाए। एगसमए णं वा दो भासाओ भासित्तए । सयं कडं वा कम्मं वेएमि वा मा वा वेएमि । परमाणुपोग्गलं वा छिंदित्तए वा भिंदित्तए अगणि- काएणं वा समादहित्तए । बहिया वा लोगंते गमणयाए । छज्जीवणिकाया पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइया, आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, तसकाइया । छ तारग्गहा पण्णत्ता, तं जहा - सुक्के, बुहे, बहस्सइ, अंगारए, सणिच्छरे केऊ । छव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइया, आउकाइया, तेउकाइया, वाउकाइया, वणस्सइकाइया, तसकाइया । पुढविकाइया छगइया छआगइया पण्णत्ता, तं जहा- पुढविकाइए पुढविकाइ- एसु उववज्जमाणे पुढविकाइएहिंतो वा जाव तसकाइएहिंतो वा उववज्जेज्जा । से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा, जाव तसकाइयत्ताए वा गच्छेज्जा । आउकाइया छगइया, छआगइया एवं चेव जाव तसकाइया वि छगइया छआगइया । छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा- आभिणिबोहियणाणी जाव केवलणाणी, अण्णाणी | अहवा- छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा- एगिंदिया जाव पंचिंदिया, अणिदिया । अहवा छव्विहा सव्वजीवा पण्णत्ता, तं जहा- ओरालियसरीरी, वेउव्वियसरीरी, आहारगसरीरी, तेयगसरीरी, कम्मगसरीरी, असरीरी । 121

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