Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Mool Sthanakvasi
Author(s): Sudharmaswami, Devardhigani Kshamashaman
Publisher: Global Jain Agam Mission

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Page 120
________________ ठाणांग सुत्तं णाइकम्मइ | आयरिय-उवज्झाए बाहिं उवस्सयस्स एगरायं यं वा एगओ वसमाणे णाइक्कमइ । पंचहिं ठाणेहिं आयरिय-उवज्झायस्स गणावक्कमणे पण्णत्ते, तं जहाआयरिय-उवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा णो सम्मं पउंजित्ता भवइ | आयरिय-उवज्झाए गणंसि अहारायणियाए किइकम्मं वेणइयं णो सम्म पउंजित्ता भवइ | आयरिय-उवज्झाए गणंसि जे सुयपज्जवजाए धारेइ, ते काले-काले णो सम्ममणुपवादेत्ता भवइ । आयरियउवज्झाए गणंसि सगणियाए वा परगणियाए वा णिग्गंथीए बहिल्लेसे भवइ । मित्ते णाइगणे वा से गणाओ अवक्कमेज्जा, तेसिं संगहोवग्गहट्ठयाए गणावक्कमणे पण्णत्ते । पंचविहा इढिमंता मणुस्सा पण्णत्ता, तं जहा- अरहंता, चक्कवट्टी, बलदेवा, वासुदेवा, भावियप्पाणो अणगारा। || बीओ उद्देसो समत्तो || तइओ उद्देसो पंच अत्थिकाया पण्णत्ता, तं जहा- धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए, आगास-त्थिकाए, जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए । धम्मत्थिकाए अवण्णे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे | से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वओ, खेत्तओ, कालओ, भावओ, गुणओ | दव्वओ णं धम्मत्थिकाए एगं दव्वं । खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते । कालओ ण कयाइ णासी, ण कयाइ ण भवइ, ण कयाइ ण भविस्सइ; भुविं च भवइ य भविस्सइ य, धुवे णिइए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए णिच्चे | भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे | गुणओ गमणगुणे | अधम्मत्थिकाए एवं चेव, णवरं गुणओ ठाणगुणे । आगासत्थिकाए एवं चेव णवरं खेत्तओ लोगालोग-पमाणमित्ते, गुणओ अवगाहणागुणे सेसं तं चेव । जीवत्थिकाए णं एवं चेव, णवरं-दव्वओ णं जीवत्थिकाए अणंताइ दव्वाइं, गुणओ उवओगगुणे। पोग्गलत्थिकाए पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे जाव दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दव्वाइं । खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते, कालओ ण कयाइ णासि जाव भावओ वण्णमंते गंधमंते रसमंते फासमंते । गुणओ गहणगुणे । पंच गईओ पण्णत्ताओ, तं जहा- णिरयगई, तिरियगई, मणुयगई, देवगई, सिद्धिगई । ७ 115

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