Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang  Sutra Suyagado Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 286
________________ ४६२ ६. गोसाarta अक्खेव पदं ७. सीओदगं सेवउ बीयकार्य एतचारिसिह अम्ह धम्मे, य महम्वए पंच अणुब्वए विर इह स्सामणियम्म पणे अद्दगस्स उत्तर-पदं सीओदगं वा* तह बीयकार्य एयाई जाणे पडिसेवमाणा सिया य बीयोदगइत्थियाओ अगारिणो वि' समणा भवंतु १०. जे यावि बीओदगभोइ भिक्ख ते 'णाइसंजोगमविहाय " ८. ६. गोसालगस्स अक्खेव पदं ११. इमं वयं तु तुम पाउकुब्वं पावाइणो" पुढो किट्टयंता अगस्स उत्तर-पदं १२. ते अण्णमण्णस्स उ" गरहमाणा सतो य अत्थी असतो य णत्थी १३. ण किंचि रुवेणऽभिघारयामो मग्गे इमे किट्टिए आरिएहि १. व्या० वि० - विभक्तिरहितपदम् - पंचासवे । २. पुणे (वृ); पण्णे (वृपा ) 1 ३. आहार (क ) | ४. च (क, ख ) । ५. जाणं ( क ) 1 ६. वी (क्व ) । Jain Education International तहेव पंचासव' संवरे य । लवावसक्की समणे त्ति बेमि ॥ सूयगड २ आहायकम्म तह इत्थियाओ । तवसिणो णाभिसमेइ पावं ॥ आहायकम्मं तह इत्थियाओ । अगारिणो अस्समणा भवंति ॥ डिसेवमाणा समणा भवंतु । सेवंति उ ते वि तहप्पारं ॥ भिक्खं विहं जायइ जीवियट्ठी । काओवगा तकरा भवंति ॥ पावाइणो गरहसि सव्व एव । सयं सयं दिट्टि" करेंति पाउं" ॥ अक्खति ऊ समणा माहणा य । हामी दिट्ठण गरहामो किंचि ॥ सदिट्टिमग्गं तु करेमो " पाउं । अणुत्तरे सप्पुरिसेहि अंजू ॥ ७. जं (क्व) । ८. व्या०वि० - विभक्तिरहितपदम् — बीयोदग- १५. करेमु (क्व ) । भोई । ६. ० संजोग य विप्पजहाय ( क ) | १०. गरिहसि ( ख ) । ११. पावाइणो उ ( क ) 1 १२. पदिट्ठि (क्व ) ; व्या० वि० - विभक्तिरहितपदम् — दिट्ठि | १३. पावं (क, ख ) अशुद्धमेतत् । १४. वि ( ख ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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