Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang  Sutra Suyagado Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Nathmalmuni
Publisher: Jain Vishva Bharati

View full book text
Previous | Next

Page 356
________________ एत्थ णं गोदासगणे नामं गणे निग्गए, तस्स ण इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिज्जंति, तं जहातामलित्तिया कोडीवरिसिया पोंडवद्धणिया दासी खब्बडिया ॥२०७॥ थेरस्स णं अज्जसंभूयविजयम्स माढरसगोत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, तं जहा--- नंदणभद्दे उवनंदभद्द तह तीसभद्द जसभद्दे । थेरे य सुमिणभद्दे मणिभद्दे य पुन्नभद्दे य ॥११॥ थेरे य थूलभद्दे उज्जुमती जबुनामधेज्जे य । थेरे य दीहभद्दे थेरे तह पंडुभद्दे य ॥२॥ थेरस्स णं अज्जसंभूइविजयस्स माढरस गोत्तस्स इमाओ सत्त अंतेवासिणीओ अहावच्चाओ अभिन्नाताओ होत्था, तं जहा जक्खा य जक्खदिन्ना भूया तह होइ भूयदिन्ना य । सेणा वेणा रणा भगिणीओ थूलभद्दस्स ॥१॥ ॥२०८।। थेरस्स णं अज्जथूलभहस्स गोयगोत्तस्स इमे दो थेरा अहावच्चा अभिन्नाया होत्था, तं जहाथेरे अज्जमहागिरी एलावच्छसगात्ते, थेरे अज्जसुहत्थी वासिट्टसगोत्ते । थेरस्स णं अज्जमहागिरिस्स एलावच्छसगोत्तस्स इमे अट्ट थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिन्नाया होत्या, तं०-थेरे उत्तरे थेरे बलिस्सहे थेरे धण थेरे सिरिड थेरे कोडिन्ने थेरे नागे थेरे नागमित्त थेरे छलुए रोहगुत्ते कोसिए गोत्तेणं। थेरेहितो गं छलुएहितो रोहगुत्तेहिंतो कोसियगोत्तेहितो तत्थ णं तेरासिया निग्गया। थेरेहिंतो णं उत्तरबलिस्सहेहितो तत्थ गं उत्तरबलिस्सहगणे नाम गणे निग्गए। तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिज्जति, तं जहा- कोसंबिया सोतित्तिया कोडवाणी चंदनागरी ।।२०६॥ थेरस्स णं अज्जसुहत्थिस्स वासिट्टसगोत्तस्स इमे दुवालस थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिन्नाया होत्था, तं जहा-- थेरे स्थ अज्जरोहण भद्दज से मेहगणी य कामिड्ढी। सुट्ठियसुप्पडिबुद्धे रक्खिय तह रोहगुत्ते य ॥१॥ इसिगुत्ते सिरिगुत्ते गणी य बंभे गणी य तह सोमे । दस दो य गणहा खलु एए सीसा सुहत्थिस्स ॥२॥ ॥२१॥ थेरेहितो णं अज्जरोहणेहितो कासयतेहितो तत्थ णं उद्देहगणे नामं गणे निग्गए। तस्सिमाओ चत्तारि साहाओ निग्गयाओ छच्च कुलाइएवमाहिज्जति । से कि तं साहाओ? एवमाहिज्जंति --उदंबरिज्जिया मासपूरिया मतिपत्तिया सुवन्नपत्तिया, से तं सहाओ से किं तं कुलाइ ? एवमाहिज्जति, तं जहा पढमं च नागभूयं बीयं पुण सोमभूइयं होइ । अह उल्लगच्छ तइयं चउत्थयं हथिलिज्ज तु ॥१॥ पंचमगं नंदिज्जं छ8 पुण पारिहासियं होइ । उद्देहगणस्सेते छच्च कुला होति नायव्वा ॥२॥ ॥२११॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365