Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 729
________________ आचारागसूत्रे छाया" ....ततः पश्चात् गौतम ! सलिङ्गो मुखपत्रीं मुखेन साई बध्नीयात् । मुखपत्री खलु भदन्त ! किंप्रमाणा ?, गौतम ! मुखप्रमाणा मुखपत्री । मुखपत्री खलु भदन्त ! केन वस्त्रेण कृता ?, गौतम ! एकस्यापि श्वेतवस्त्रस्याष्टपुटकां मुखपत्री कुर्यात् ॥ २॥ कस्मै अर्थाय भदन्त ! मुखपत्री खलु अष्टपुटका ?, गौतम ! अष्टकर्मदहनार्थम् । मुखपत्री भदन्त ! कथं बध्नीयात् ?, गौतम ? एककर्णेन द्वितीयकर्ण "....गौतम ! तत्पश्चात् स्वलिंगी साधु मुख के साथ मुखपत्ती बाँधे ॥१॥ प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती का क्या प्रमाण है ? उत्तर-गौतम ! मुँह के बराबर मुँहपत्ती होती है । प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती किस वस्त्र की होती हैं ? उत्तर-गौतम ! एक सफेद वस्त्र की आठ पुटकी मुँहपत्ती होती है ॥२॥ प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती आठ पुटकी क्यों होनी चाहिए ? उत्तर-गौतम ! आठ कर्मों को भस्म करने के लिए। प्रश्न-भगवान् ! मुँहपत्ती किस तरह बाधनी चाहिये ? उत्तर-गौतम ! एक कान से दूसरे कान तक लम्बे डोरे के साथ मुँहपत्ती मुख पर बौद्धनी चाहिए। "....गौतम! तत्पश्चात् स्वलिंगी साधु भुम साथै भुभपत्ति मांधे. (१) प्रश्न-मगवान् ! मुंडपत्तीनु शु प्रभाए छ ? उत्तर-गौतम! भुमनी १२।१२ भुंडपत्ती डाय छे. પ્રશ્ન–ભગવન્! મુંહપત્તી કયા વસ્ત્રની બને છે? उत्तर-गौतम! ४ सई पनी मा ५४नी मुंडपत्ती डाय छे. (२) પ્રશ્ન–ભગવન્! મુંહપત્તી આઠ પડની શા માટે હેવી જોઈએ? ઉત્તર–ગૌતમ! આઠ કર્મોને ભસ્મ કરવા માટે. પ્રશ્ન–ભગવન્! મુંહપત્તી કેવી રીતે બાંધવી જોઈએ ? ઉત્તર–ગૌતમ! એક કાનથી બીજા કાન સુધી લાંબા દોરાની સાથે મુંહપત્તી મુખ પર બાંધવી જોઈએ. શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૧

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