Book Title: Adinath Charitra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 436
________________ (४३५) ऋषिममलवृत्ति-पूर्वाई. तीश्री महा जयंकर एवो ते दैत्य पोताना करवत समान दांतोने वारंवार पी सतो, मुखमां जीनने फेरवतो, वीजा राक्षसोने लोन पमामतो अने नान प्रकारना महा जयंकर अहाटहास करतो जेटलामां नीमसेननी पासे श्रा व्यो. तेटलामां चतुर अने नयंकर आकृतिवालो नीमसेन पण तुरत लोढार्न गदाने हापमा धारण करतो तो कोपथी शेष नागनी पेठे ननो थयो. पी मनुष्योने भक्षण करवाश्री बहु पापवाला ते दैत्यने नीमसेने तिरस्कार पूर्वव कां के, "अरे पुष्ट ! तुं त्हारा देवने स्मरण करय. कारण के, हुं हवणां तने निश्चे मारी नाखीश."नीमसेननां आवां तिरस्कार वचनथी नाश पामेला धैर्यवालो ते दैत्य तुरत क्रोधधी पोतानो दंम उचो करीने बीजा अनेक दैत्यो सहित पुर्जय एवा नीमसेनने मारवा माटे दोमयो.आ अवसरे परस्पर युइ करता एवा नीमसेन अने दैत्यना पग प्रहारथी पृथ्वीने विषे चारे तरफ दोन थवा लाग्यो अने तेथी समुश्री नचलवा लागेला जलो जाणे फुवारा बुटेला दोयनी ? एम देखावा लाग्या. पी युध्ने विषे श्रम जीतनारा नीमसेने यु.६ करतां महा बलवमे गदाना प्रहारथी ते दैत्यर्नु मस्तक जाणे माटीनो घमो होयनी ? एम फोमी नाख्यु. श्रावा महा प्रहारथी ते दैत्याधिपतिये नूमि नपर पमता पमता चारे तरफ अनेक वृदोने पामी नाखवा पूर्वक सर्व पृ. थ्वीने कंपावी. आ वखते देवतानए नीमसेननां मस्तक नपर पुष्पनो वर्षाद वर्षावी जयजय शब्द कस्यो, प्रजा सहित राजाए पण देवतानना शब्द सांनलीने दर्पश्री नीमसेनने वधाव्यो. त्यार पठी तेणे नीमसेनना पुरुषार्थथी अने जानीनी वाणीथी " पांमवो ठे" एम जाणीने पांमवोने प्रगट कस्या अने नाना प्रकारना उत्सवोनी सर्व लोक समक्ष तेमन पूजन करयुं. अत्यंत गरिष्ट एवो ते दैत्य नीमसेनथी नाश पाम्यो एटले नगरवासी सर्वे लोका सर्व जिन मंदिरोमा प्रस्तुनुं पूजन अने स्तवन करवा लाग्या. पठी अति दृढ प्रतिज्ञावाला पांझवो शत्रुना जयश्री रात्रीने विपे ते नगरने तुरत त्यजी दश्ने कैत बनमां गया. त्यां तेन कुंपनी वांधीने गुप्त रीते रद्या. दवे अदि ऽर्योधने नीमसेनश्री राकसनो नाश तथा पांवोनुं तवन अन्य जवान वृत्तांत सांजल्यु, तेथी ते मनमा वहु खेद पामतो तो नपरी ... बाद हर्ष ग्यामना लाग्यो. पठी विरे ज्योधननो पांमवोने नाश करवानो वि.

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