Book Title: Adinath Charitra
Author(s):
Publisher: ZZZ Unknown
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कनि, कृपा सौबल,
पोताना
चारित्रन
(४५६) ऋषिममलरत्ति-पूर्वाई.
हवे अहिं हस्तिनापुरमा कर्णादि नरेशेए प्रेरेला जुर्योधन राजाए रणसं. ग्रामनी बाथी क्षणमात्रमा दूत मोकलीने पोतानी पढ़ना बहु राजानने बोलाव्या. अर्योधनना सैन्यने विषे पण नूरिश्रवा, नगदत्त, शल्य, अंगदेशनो राजा शकुनि, कृपाचार्य, नीष्मगुरु, तटिनानो पुत्र बाल्हीक, सोमदत्त, वृ.! षासन, कृतवर्मा, धर्म, सौबल, हलपाणी अने नलूकादि अनेक राजान आवी मल्या. महात्मा अने ज्ञानी एवा विधुर पोताना गोत्रनुं कदर्थन जाणीने वैराग्यना रंगश्री श्री जिनेश्वर प्रन्नुए निरुपण करेला चारित्रने अंगीकार करी तुरत वनमां चाटया गया. कुंतीये कर्णने पोताना पुत्रपणानी खबर आपीने पांमवो तरफ आववानुं कर्वा एटले तेणे एम कडं के, “हे मात! में आम्हारा प्राणो प्रश्रमश्रीज र्योधनने आपेला, तो हवे हुँ तेने त्यजी द बीजा राजानो आश्रय करूं तो तेथी आजे आपने लड़ा पामवा जेवू थाय अने लोकमां म्हारो अपवाद थाय." कर्णनां आवां वचन सांजली बहु पीमा पामेली कुंती, कर्णने विषे बहु प्रेम धरती बती तेनो जय इबवा लागी. कर्वा डे केनिरंतर मनुष्योने पोतानी माता खरेखरी हितकारी होय .
परी प्रचंम तुज पराक्रमथी नहत एवो दुर्योधन क्रोधथी म्होटी सेना सहित शीघ्र प्रयाणवी महा विस्तारवाला प्रसिः कुरुक्षेत्रमा गयो. हाथीयोरूप पर्वत, पायदलरूप जल अने अन्यमनुष्योरूप तरंगोथी सुशोनित एवो ते । सेनारूप समु अगीयार अदौहिणि सेनारूप नदीयोए करीने बहु शोलतो हतो. पठी सुर्योधने हर्पथी प्रसिह नुजबलवाला श्रीनीष्मपिताने प्रणाम करी तेमने अति आदरपूर्वक कोटिवीरने मथन करनारुं पोतान सेनापति पद आप्यु. गर्ववंत पांमवो पण पोताना सैन्यन्नारथी पृथ्वीने कंपावता उता शीघ्र प्रयागथी सात अक्षौहिणि सेनासहित कुरुक्षेत्रमा गया. त्यां पांमवोए सर्वे वीर पुरुषोने वहाला एवा पदराजाना पुत्र वलिष्ट एवा धृष्टद्युम्नने सेनापतिपणु अने सर्व कार्यमां मुख्यपणुं आप्यु. पीत्रण उपायथी निर्णय कस्यो ने यु. हना दिवसनो जेमणे एवा पांझवनी सेनाना वीर पुरुषोए हर्षपूर्वक पोताना क्षेत्रदेवतानुं अने पोतानां आयुधोनुं पूजन करयु. जाणे पोताना पतियोने महा विजय अने यश प्रापवाने नुद्यमवंत अयेलांज होयनी ? एम सुगंधवाला प्रफुलित पुप्पोन्ग्री पूजन करेलां आयुधो शोन्नतां हता. त्यां वागतां एवा संग्राम

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