Book Title: Adinath Charitra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 469
________________ पांमव चरित्र. (४६३) अने, कर्ण बन्ने सुन्नटो जाणे प्रलयकाले नत्पन्न श्रयेला सूर्यज होयनी? एम तीक्ष्ण धारोवाला बागोवमे परस्पर युः६ करवा लाग्या. प्रथमथी कोपवमे कंपी 'रदेला पवनपुत्र नीमसेने वीर एवा उःशासनने अटकावी राखीने पृथ्वी नपर पामी नाख्यो. त्यारबाद तेना बन्ने हाथ कापी नाख्या. पोताना देहथी निकलता रुधिरवमे बहु पृथ्वीने राता वर्णनी करता एवा दुःशासनने जो सूर्ये पण आकाशने राता वर्णनुं करता उता पश्चिम दिशानो आश्रय करयो. पगे बीजे दिवस सवारे अर्जुनना वधनी चा करनारो कर्ण, शल्यने पोतानो सारथी बनावी बहु गर्जना पूर्वक शंखनो शब्द करतो तो दन्नथी युनूमि प्रत्ये आव्यो. महा पराक्रमवंत अर्जुन अने कर्णना पृथ्वीने विषे, दिशानमां, आकाशमां अने शत्रुनना समूहने विषे चारे तरफ पमता एवा बाणोना समूहो जाणे वरसादनी धारान होयनी ? एम देखता हता. सर्पास्त्रना बागथी कर्णे मूकेला अनेक सर्पसमूहोने अर्जुने गरुमास्त्र मूकी दूर करचा. आ प्रमाणे सुमंत्रना जाग एवा ते बन्ने वीरो एक वीजा नपर बहु शस्त्रो फेंकता हता. देवट अर्जुने कर्णने सूर्यास्त वखते बोलावीने शेष. राजे आपेली शक्तिवमे प्रहार करयो, तेथी ते मृत्यु पाम्यो. आ अवसरे देवतानए बहु हर्षश्री पुष्पवृष्टी करी. हवे बीजे दिवस सवारे, मृत्यु पामवायी वाकी रहेला - कौरवो नत्साह रहित श्रया उता शटयने सेनापति पद आपी युनूमि प्रत्ये आव्या. शत्रुनना चित्तने विषे शल्य (बाण) रूप शब्य राजाए अनेक बायो - । फेंके बते युःक्ष्मां फक्त पुण्यना समूहयी नत्कृष्ट एवा युधिष्ठिरज स्थिर नन्ना रह्या. कोपाकुल अयेला सहदेव वीरे क्रोधातुर एवा शकुनि राजानी सामा अश् बाणना मंगलथी आकाशने पूरी देता उता तेने रोकी राख्यो. युधिष्ठिरे मनमां नत्तराकुमारना नाशना वैरने स्मरण करता बता सफल कोपथी पोताना सैन्यने शख्यरूप शल्यराजाने अमोघ शक्तिवझे मारी नाख्यो. सूर्य अस्त पाम्ये ते कर्मनी खजाना वशथी अति विकण एवो सेनापति र्योधन पण त्यांथी नासीने तत्काल एक सरोवरमां संता पेगे. पाउल तेने शोधता एवा कृपाचार्य, महाराजा कृतवर्मा अने अश्वस्थामादि पगले पगले त्यां आवीने जेटलामा र्योधनने कांश कहेवा जायठे तेटलामांएक अकौहिणी सैना सहित पाउल आवता एवा पांमवोए ते सरोवरने घेरो घाली र्योधनने कां के, "हे.

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