Book Title: Adinath Charitra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

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Page 447
________________ पांमव चरित्र. (४४३) थी शत्रुना सैन्यने जिननिन्न करी नाख्यु. नीमसेने गदाना प्रहारथी पमता हस्तियोवालुं अने नासी जता सुलटोवालु करमु. प्रसरी रहेला महा संग्रामना रसवाला युधिष्ठिर पण दायमां खन धारण करीने उंची करेली फणावाला क्रोधवंत काल सर्पनी पेठे देखावा लाग्या.अस्खलित एवा नकुल अने सहदेव पण असंख्य बाणोनो वर्षाद वरसावता अने सैन्यमां क्रोधथी चारे तरफ फरता बहु उःसह देखाता हता. अर्जुनना बाण अने नीमसेननी गदाना प्रहारथी बहु दीन बनेली सेना तुरत चारे तरफ नासी गइ. पी कणदृष्टनावनी पेठे सेना नासी ग एवामां त्यां जाणे बीजी कृत्या होयनी ? एवी तृषा (तरस), तालवाने तथा होग्ने सुकवी देती पांमवोने बहु पीमा करवा लागी. तरसथी आकुल व्याकुल अयेला पांडवो जलनी शोध माटे वनमा फरता हता तेवामां तेमणे कमलोथी सुशोनित मध्यन्नागवालुं एक तलाव दी. जे टलामां पांडवोए ते तलावमांथी पाणी पीधुं तेटलामां तेन जाणे मूळ पा. म्या होयनी ? एम संसारी जीवनी पेठे अकस्मात् पृथ्वी नपर आलोटवा लाग्या. कर्वा डे के, आ लोकमां बलवंत एवाय परा संसारी जीवोर्नु पूर्वनव निर्मित कुकर्म नोगव्या विना क्यारे पण बुटतुं नश्री. शैपदी पण नमती उ. ती त्यां प्रावी पहोची अने ते पोताना पतियोने पुःखथी पृथ्वी नपर आलोटता जोश बहु खेद पामीने चारे तरफ जोवा लागी. आ वखते वननी वेलथी बांध्या के पोतानां मायानां केशे जेणे एवी तथा सुंदर वटकल वस्त्रने धारण करनारी को वनचर स्त्री (नील स्त्री) त्यां नचिंती श्रावी. पठी जरा धिरज पामेली झेपदी जेटलामां ते नील स्त्री पासे आवीने कांइ कहेवा जाय ने तेटलामां जाणे धूमामानो समूह होयनी ? एवी दावानलसमान पीला केश समूहने धारण करनारी, हाश्रमांकपालवाली, नयंकर नेत्र अने मुखवाली, म्होटा ललाटवाली अने महा अट्टाट हास्यश्री अति नयंकर एवी कृत्या नामनी राक्षसी, त्रण लोकने दोन पमामती श्राकाश मार्गेयी त्यां प्रावी प. होची. पोतानुं कार्य करवा माटे के वांधीने तैयार थ रहेली अने मुखकमलमां चारे तरफ चंचल जीनने फेरवती ते कृत्या, पृथ्वी नपर वहु आलोटता एवा पांझवोने जोक्ने तेमनी चारे तरफ नमवा लागी: पठी तेने देखवा मात्रश्री वहु नयने लीधे आकुल व्याकुल श्रयेली शेपदीने तुरत पोतान' ...

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