Book Title: Adinath Charitra
Author(s): 
Publisher: ZZZ Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 456
________________ (४५५) ऋषिमंमलत्ति-पूर्वार्ध. थवाना नयथी अस्त थ गयो, आ वखते चारे तरफ अंधकार फेलाइ गयु. वट दयाथी निंजा गयेला चित्तवाला अर्जुने, कोटि वीरपुरुषोनो नाश जो सर्व मनुष्योने निज्ञ आपनासं संमोहन नामे अस्त्र फेंक्युं. फक्त नीष्म अने शेण गुरु विना बीजा सर्वे गाढ निज्ञ पामे उते अर्जुने नत्तराकुमारने कयं. “हे राजपुत्र ! अर्योधन राजाना लीलां, कर्णना पीलां अने बीजानां वि. चित्र वस्त्रो लश तुं फट अहिं आव." नत्तराकुमार, ते प्रमाणे सर्वेनां वस्त्र ल आव्यो एटले अर्जुन, ते सर्व वस्त्रोने लइ तथा पितामह (नीष्म)ने प्रणाम पूर्वक शत्रुनना दलने मथन करी पागे नगर प्रत्ये आव्यो. हवे अहिं अर्जुनना पहेलो विजयवंत विराटराजा पोताना नगर प्रत्ये आव्यो हतो! तेथी ते पोताना माणसो पातेथी पोताना पुत्रनुं शत्रुननी पाउल जq सांजली कांक मनमां खेद पामवा लाग्यो. पी जेटलामां ते नूपति पोतानां सैन्य सहित पुत्रनी पाउल जवानी तैयारी करे , तेटलामा कुमारना अनुचरोए तुरत आवीने हर्षथी राजाने कुमारना विजयनी वात निवेदन करी. आवी वधामणीथी बहु संतोष पामेला राजाए कंकगुरु सहित हर्षथी नगरमां नत्सव कराव्यो अने पोते पण सन्नामां कंकगुरु साथे पासावमे क्रीमा करवा लायो. पनी पुत्रना विजयनो प्रशंसा का रता एवा विराट नूपतिने कंकगुरुए (युधिष्ठिरे) कडं के, “हे नरें ! जेना' सारथी वृहन्नट (अर्जुन) थयो तेने शुं विजय सुलन्न नथी ? अर्थात् तेवा पुरुषने विजय मेलववो बहु सुखकारक ." विराटराजा अने कंकगुरु आ प्र: माणे वातो करता हता एवामां पोताना रथथी नीचे नतरी अर्जुन पोताना स्थाने गये उते नत्तराकुमारे सन्नामां वेठेला पोताना पिताने नमस्कार कस्यो. परी तेणे पिताने कडं के, “ में जेनाथी युःक्ष्मां विजय मेलव्यो ने ते महा पराक्रमवंत पुरुष, पोताना बंधुन सहित पोतानी मेले आजथी बीजे दिवस प्रगट थशे.” __ पठी त्रीजे दिवस अनुत वेशधारी धर्मपुत्रे पोताना कल्याण माटे स्नान करी, पूजन करी अने तुरत अनुइ एवा देवतानने बलिदान प्राप्यु, त्यारपना ते जेटलामा पोतानां आसन नपर वेग तेटलामां नीमसेनादि सर्व नाश्याए पोतपोतानुं खरु स्वरूप प्रगट करी तेमने नक्तिश्री प्रणाम कस्या. विराटरा:

Loading...

Page Navigation
1 ... 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489