Book Title: Acharanga ka Nitishastriya Adhyayana Author(s): Priyadarshanshreeji Publisher: Parshwanath Shodhpith Varanasi View full book textPage 9
________________ विषय-सूची प्राक्कथन पृष्ठ संख्या प्रथम अध्याय : आचारांग का स्वरूप एवं विषयवस्तु १-२१ जैन आगम साहित्य-१, आगम साहित्य में आचारांग का स्थान-२, आचारांग की भाषा-४, आचारांग की शैली-६, आचारांग के रचयिता-७, आचारांग की विषय वस्तु-९, प्रथम श्रुतस्कंध-१०, प्रथम अध्ययन (शस्त्र परिज्ञा )-१०, द्वितीय अध्ययन (लोक विजय )११, तृतीय अध्ययन (शीतोष्णीय )-१२, चतुर्थ अध्ययन (सम्यक्त्व )-१२, पाँचवाँ अध्ययन ( लोकसार )-१३, छठवाँ अध्ययन (धूत )-१३, सातवाँ अध्ययन (महापरिज्ञा)-१४, आठवाँ अध्ययन (विमोक्ष)-१४, नवाँ अध्ययन ( उपधानश्रुत)-१५, द्वितीय श्रुतस्कंध-१६, दसवाँ अध्ययन-पिण्डैषणा (आहार )-१६, ग्यारहवाँ अध्ययन-शय्यैषणा ( वसती)१६, बारहवाँअध्ययन-इषणा (गमनागमन )-१६, तेरहवाँ अध्ययन-भाषैषणा (सम्भाषण )-१६, चौदहवाँ अध्ययन (वस्त्रैषणा)-१७, पन्द्रहवाँ अध्ययन (पात्रैषणा). सोलहवाँ अध्ययन-अवग्रहैषणा ( आज्ञा याचना )-१७, सत्रहवाँ अध्ययन (स्थान)-१७, अठारहवाँ अध्ययन ( स्वाध्याय )-१७, उन्नीसवाँ अध्ययन-उच्चार-प्रश्रवण ( मलमूत्र-विसर्जन )-१७, बोसवाँ अध्ययन ( शब्द )-१८, इक्कीसवाँ अध्ययन ( रूप )-१८, बाईसवां अध्ययन ( परक्रिया )-१८, तेईसवाँ अध्ययन ( अन्योन्य क्रिया )-१८, चौबीसवाँ अध्ययन (तृतीय चूला) भावना-१८, पच्चीसवाँ अध्ययन ( चतुर्थ चूला) विमुक्ति-१८, सन्दर्भ सूची १८-२१ । द्वितीय अध्याय : आचारांग में नैतिकता के तत्त्वमीमांसीय आधार २२-४६ नैतिकता के तत्त्वमीमांसीय आधार-२२, पाश्चात्य दर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 314