Book Title: Aagam Manjusha 38A Chheyasuttam Mool 05 A Jiyakappo
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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पायसंबवे ॥१॥ वालेण गोणसाइन लामो होजाहि सहिउमारखो। कणोडणासिगादी विभंगिया अच्छभलेण ॥२॥ ल(य)यो व विसेणं तू विमूपिया वा सि उद्विता होजा। आयको वा कोयी खयमावी उहिओ होजा॥३॥ तिणि तु वारा किरिया तस्स कया णविय उक्समो जातो। जह ओमे कोसलेणं सण्णीणं पंच उ सयाई ॥४॥ सण्णीणं रुदाई अयं भत्तं तु तुम्म बाहामि । लामंतरं च गाउं लुदेणं विकिय घणं ॥५॥ तो गाउ वित्तिछेदं उसासणिरोहमादिणि कताणि। अणहीयासन्तेहिं सुहवेदण ओमि साहुहिं ॥६॥ एवं ता कोसलए अण्णम्मिवि ओमों होज एमेष । सहसा छिण्णदाणे असिवगहिया व कुजाहि ।। आ अभिघाओ या विजू गिरिभित्ती कोणगादिसुं होजा। संबद्धहत्यपादादयो व वादेण होजाहि ॥८॥ एतेहि कारणेहि वाघाइम मरण होति णायचं। परिकम्ममकाऊणं पचवाई ततो भत्तं ॥९॥ अह पुण जदि होजाही पंडियमरणं तु काउ असमत्थो। ऊसास गदपढें रजुग्गहर्ण व कुजाहि ॥५१०॥ अणुपुधिविहारेणं उस्सपाणिवाइयाण जा सोही। विहरंतएण सोही मणिता आयारलोवा या ॥१॥ एसो पश्चरखाणे आय परे भणिय णिज्जवाण विहीं । इंगिणिपायोवगमे वोच्छामी आयणिज्जवणं ॥२॥ पडजादी काउंणेत जाव होयऽबोच्छित्ती। पंच तुलेतूण य सो इंगिणिमरणं ववसिओ उ ॥३॥ आयपरपरिकम्म भत्तपरिणाएँ दो अगुण्णाता। परिवजिया य ईगिणि चउबिहाहारविरती य॥४॥ठाण णिसीय तुयट्टण इसरियाई जहासमाहीए । सयमेव य सो कुणती उक्सग्गपरीसहहियासे ॥५॥ संघयणधितीजुत्तो
व दस पा सुतेण अंगा वा इंगिणिमरणं णियमा पडिबजा एरिसो साहु॥६॥ पहजादी काउं यई जाव होयऽवोच्छिनी। पंच तुलेतूण य सो पायोवगम परिणतोय॥७॥तं स दुविहं णाया णीहारि व तह अणीहारिं। बहिता गामावीणं गिरिकंदरमादि णीहारिं ॥८॥ वइयादिसु जं अंतो उडेउमणा य ठाय अणीहारिं। कम्हा पादक्गमणं? जं उपमा पादये।
त्यं ॥९॥ सम विसमम्मि व पडिओ अच्छति जह पादवो व णिकंपो। णिचलणिप्पडिकम्मो णिक्खिवती जं जहि अंग ॥५२०॥ तं ठित होति तह थिय णवरं चलणं परप्पयोगातो। वायादीहितकरस व पडिणीयादीहि तह तस्स ॥१॥ तसपाणबीयरहिते विच्छिष्णवियार पंडिल विसुदे। णिहोसे निहोसा उवैति अम्भुजयं मरणं ॥२॥ पुषभवियबेरेणं देवो साहराइ कोति पाताले। मा सो परिमसरीरो ण वेदणं किंचि पाविहिती ॥३॥ उप्पण्णे उवसम्गे दिल्वे माणुस्सए तिरिक्खे य। सवे पराजिणित्ता पायोवगया पविहरंति ॥ ४॥ देवणरतुगतिग
ऽस्से केयी पक्खेवगं सिया कुजा। वोसट्टचत्तदेहो अहाउयं कोइ पालिजा ॥५॥ अणुलोमा पडिलोमा दुगंतु उभयसहिया तिगं होति। अहवा चित्तमचित्तं दुर्ग तिगी मीसगसमग्गं S ६॥ पुढविदगअगणिमारुयवणस्सतितसेसु कोइ साहरइ । बोसट्ठचत्तदेहो अहाउयं कोइ पालेज्जा ॥ ७॥ चितिबलजुत्तेहि तहि उवसम्गा जह सदा उ धीरेहिं । णिदरिसणा केइ तहिं
वोच्छामि इमे समासेणं ॥८॥ मुणिसुव्वयंतेवासी खंदगमणगार कुंभकारकडं। देवी पुरंदरजसा डंडगि पालक मनो य॥९॥ पंचसया जंतेणं रुटेण पुरोहिएण मलिया उ। रागहो। सतुलम् समकरणं चिंतयंतेहिं ॥५३० ॥ जंतेहि करकएहि व सत्येहि व सावएहि विविहेहिं । देहे विदंसन्ते ण य ते माणातो फिटुंति ॥१॥ पडिणीययाएं कोई अम्गि सि पदेज असुभपरिणामो। पादोदगते संते जह चाणकस्स वा करिसे ॥२॥ पडिणीययाएँ कोई चम्मं से खीलएहि विहणित्ता । महुघयमक्खियदेहं पिचीलियाणं तु दिजाहि ॥३॥ जह सो
चिलायपुत्तो वोसट्टणिसट्ठचत्तदेहो उ। सोणियगंधेण पिवीलियाहि जह चालणि कतो॥४॥ मोगलसेलसिहरे जह सो कालासवेसिओ भगवं खइओ विउधिऊणं देवेण सियालरूवेणं S५॥जह सो वंसिपदेसी वोसट्टणिसट्ठचत्तदेहो उ । वंसीपत्तेहि विणिग्गएहिं आगासमुज्झित्तो॥६॥ जहऽवंतीसुकुमालो बोसट्टणिसट्ठचत्तदेहागो। धीरो सपेलियाए सिवाएं खाओ तिरतेणं
॥७॥जह ते गोहाणे वोसट्ठणिसद्चत्तवेहागा। उदगेऽणुवुम्भमाणा बियरम्मी सकरे लग्गा ॥८॥ जह सा बत्तीसघडा वोसट्ठणिसढचत्तदेहागा। धीरा पाएण उ दीविएण डिलयम्मि ओलाया ॥९॥ बावीस आणुपुष्वी तिरिक्ष मणुयाय भसणत्याए। विसयाणुकंपरक्खण करेज देवा व मणुया वा ॥५४०॥ जहणाम असी कोसा अण्णो कोसा असीवि खल अण्णो। इय मे अण्णो देहो अण्णो जीचोति मण्णंति ॥१॥ एगंतणिजरा से दुविहा आराहणा धुवा तस्स। अंतकिरियं च साह करेज देवोववत्ती वा ॥२॥ एवं चितिषलजुत्तो अहियासेति
। एत्तो पुण अणुलाम जह सहतात तहा वच्छि॥३॥ सक्कार सम्माण व्हाणादीयाणि तत्थ कुजाहि। वोसट्ठचत्तदेहो अहाउयं कोड पालेजा ॥४॥ पत्रभवियपेमेणं देवो देवकुरुउत्तरकुरासु। कोई हु साहरेजा सचमुहा जत्थ अणुभावा ।। ५॥ पुत्रमवियपेमेणं देवो साहरति णागभवणम्मि। जहियं इट्ठा कंता सबसुहा होति अणुभावा ॥६॥ बत्तीसलक्खणधरो पायोवगयो य पागडसरीरो। पुरिसवेसिणि कण्णा रायविंदिण्णा तु-गिण्हेजा ॥ ७॥ मजण गंध पुष्फोक्यार परियारणं च कुजाहि । सा पवर रायकण्णा इमेहि जुत्ता गुणगणेहि ॥८॥णवयंगसोययोहियअद्वारसरतिविसेसकसला तु। चोयट्ठीमहिलगुणा णिउणा य विसत्तरिकलाहिं ॥९॥ दो सोय णेत्तमादिग णवंगसोया हवन्ति एतेस। देसीभासट्टारस स्तीविसेसा उ उगुवीसं॥५५०॥ कोसल्लगे व वीसइविहं तु एवमादिएहि तु गुणेहिं । जुत्ताए रूवजोधणविलासलायण्णकलियाए॥१॥ चउकण्णम्मि रहरसे राएणं रायदिण्णपसरा(पासा)ए। तिमिमगरेहि व उदही ण खोभितो जो मणो मुणिणो ॥२॥ जाहे पराइया सा ण समत्या सीलखंडणं काउं। णेऊण सेलसिहरं तो सिलमुवरि मुयति तस्स ॥३॥ एगंतणिजरा (२५५) १०२० जीतकल्पभाप्यं -
मुनि दीपरत्नसागर
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