Book Title: Aagam 42 Dashvaikalik Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 10
________________ आगम (४२) “दशवैकालिक”- मूलसूत्र-३ (नियुक्ति:+|भाष्य|+चूर्णि:) अध्ययनं [-], उद्देशक [-], मूलं -1 / [गाथा:], नियुक्ति: [८1८-१०], भाष्यं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] "दशवैकालिक नियुक्ति: एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि: सुत्राक १ अध्ययनला श्रीदश- दुविह-आदिई अणादिटुं च, आदिटुं च पज्जयोति वा मेदोति वा गुणोत्ति वा एगट्ठा, तत्थ अणादिहूँ जहा दसगालियं आदि एककबैंकालिकल दुमपुष्फियं सामण्णपुव्ययं एवमादि, भावेक आदि8 अणादि8 च, अणादिढ भावो, आदिहुँ उदइओ उपसमिओ खइओ खओवस- निक्षेपाः चूणा मिओ पारिणामिओ, तत्थ उदइयभावेकगं दुबिह-अणादिढ उदइओ भावो, आदिट्ठ पसरथमप्पसत्थं च, तत्थ पसत्येकगं तित्थगरनार अध्ययना मगोचस्स कम्मस्स उदओ एवमादी, अप्पसत्येकगं कोहोदओ एवमादि, इयाणि उपसमियखइयखओवसमिया, ते तिण्णिवि भावेक गाणि, ते य छण(समण)स्स पसत्था चेव, एतेसि अपसत्यो पडिवक्खो णत्थि, कम्हा', जम्हा मिच्छदिट्ठीणं केई कम्मंसा खीणा केई उवसंता, खओवसमेण य कल्लाणं बुद्धीपाडवादिणो गुणा संतावि तेसिं विवरीयगाहित्तणेणं उम्मत्तवयणमिव अप्पमाणं चेव, तम्हा उपसमियखवियखओवसमिया भावा सम्मदिडिगो चेच लम्भति, परिणामियभावे एकग दुबिह-आदिटुं च अणादिटुं च, पारिणामिअभावे आइ8 दुविह-सादिअपरिणामिएकग अणाइपरिणामिएकगं च, तत्थ साइअपरिणामिएकगं जहा कसायपरिणओ एवमाइ, अणाइपरिणामिएकगं जहा जीवो जीवभावेण निच्चमेव परिणओ। एत्थ कतरेण इक्कगेण अहिगारो, भदियायरितोबदेसणं जम्हा दस एते पज्जायअज्झयणा संगहेकएण संगहिया तम्हा संगहेक्कएण एस्थ अहिगारो, दत्तिलायरिओवएसेणं जम्हा सुयणाणं खओवसमिए भाये यहइ तम्हा भावेकरण अधिगारो, दोनिवि एते आदेसा अविरूद्धा, भावकएणं अधीगारो ।। इयाणि दुगतिगजाव नव एते दारे मोनूण दस भणति, किं कारणं, दसमु परूविएम दुगादीणि परुवियाणि भविस्संतित्तिकाउं, तम्हा दसगस्स छविहो निक्लेवो त-नामदस ठवणदस दब्बदस खेत्तदस कालदस भाषदस इति, नामठवणाओ गयाओ, इयाणि दबदस दस दव्वाला सचित्ताचित्तमीसगा, तत्थ सचित्तदन्या जहा दस मणूसा, अचित्ता जहा दस काहावणा, मीसगा जहा दस अलंकियविभूसिया। दीप अनुक्रम 197

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