Book Title: Aagam 42 Dashvaikalik Choorni
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 12
________________ आगम (४२) प्रत सूत्रांक H दीप अनुक्रम [-] “दशवैकालिक”- मूलसूत्र - ३ (निर्युक्तिः + भाष्य | +चूर्णि:) अध्ययनं [ - ], उद्देशक [-] मूलं [-] / [गाथा: ], निर्युक्तिः [११-३३/११-३४] भाष्यं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता: आगमसूत्र - [४२], मूलसूत्र - [०३] “दशवैकालिक" निर्युक्तिः एवं जिनदासगणि-रचिता चूर्णि श्रदिशवैकालिक चू १ अध्ययन ॥ ६ ॥ सो माणियब्वो, वद्धमाणसामिस्स उप्पत्तिं वण्णेत्ता जहा सामाइयणिज्जुप्तीए गणधरा य एकारस सुधम्मस्स जंबुनामो गणधरो अंबुनामस्स पभवो गणहरो, अमदा कदाइ पुच्चरत्तावरसंसि चिन्ता समुप्पण्णा को मे गणधरो होज्जति, अप्पणो गणे व संधे य सव्वतो उचओगो कओ ण दीसह अय्वोच्छित्तिकरो, ताहे गारत्थेसु उवउत्तो, उपओगे कए रायगिदे सेज्जंभवं जपणं जयमाणं पासइ, ताहे रायगिहं नगरं आगंतूण संघाडगं वावारेह-जण्णवार्ड गंतुं भिक्खट्ठा धम्मलाभेष, तत्थ तुम्भे अतिच्छाविज्जिहिह, ताहे तुम्भे भणेज्जाह-- 'अहो कष्टं तच्चं न ज्ञायते' तओ गया साहू अतिच्छाविया य, तेहिं भणियं अहो कष्टं तत्वं न विज्ञायते, तेण तथा सिज्जंभवेण दारमूलट्ठिएण तं वयणं सुयं, ताहे सो चितेति एते उबसंता तबस्सिणो असच्च ण वदंतित्तिकाउं अज्झावगसगासं गंतु भणइ-किं त?, सो मणड़-वेदाः, ताहे सो असिं कडिऊणं भणइ-सीसं ते छिंदामि जह मे ततं न कहेसि, उवज्झाओ भाइ- पुण्णो मम समयो, भणितमेतं वेदत्वे-परं सीसच्छेदे कहियव्वंति, संपयं कहयामि जं एत्थं तत्तं, एतस्स जुयस्स हेड्डा सब्बरयणामयी पडिमा, अरहंतस्स सा बुच्चर, आरहओ धम्मो तत्रं, ताहे सो तस्स पाएस पडिओ, सो य जणवाडउवक्खेवो तस्स वेव दिष्णो, ताहे सो गंतूर्ण ते साहू गवेसमाणो गओ आयरियसगासं, आयरियं वंदित्ता साहूणो य भगइ-मम धम्मं कहेह, ताहे आयरिया उवउत्ता जहा इमो सोति, ताहे आयरिएहिं साहुधम्मो कहिओ, पण्वइओ, चोइसपुथ्वी जाओ। जदा य सो पव्वइओ तदा तस्स गुब्विणी महिला होत्था, तंमि य पन्वइते लोगो जियल्लओ तंतमस्सर जहा तरुणाए भत्ता पव्वइओ अपुचा य, अवि अस्थि तब किंचि पोईति पुच्छति सा भणइ उवलक्खेमि मणायं, समय तेण दारओ जाओ, ताहे णिब्बत्तवारसाहस्स नियलगेहिं जम्हा पृच्छिज्जंतीय मायाए से भणियं मणगत्ति तम्हा मणओ से नामं कथं, जदा सो अट्ठवरिसो जाओ ताहे मायरं ••• दशवैकालिकसूत्रस्य रचयिता शय्यंभवसूरेः कथानकं [11] शय्यंभववृ ।। ६ ।।

Loading...

Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 387