Book Title: Aagam 38 A JEETKALP Moolam evam Bhashya
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(३८/१)
प्रत
सूत्रांक [३५]
दीप
अनुक्रम [39]
"जीतकल्प” छेदसूत्र-५/१ (मूलं)
मूलं [३१]
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ...........आगमसूत्र.
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आयं [१९६४]
[३८/१], छेदसूत्र [५/१] "जीतकल्प" मूलं एवं जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण विरचितं भाष्यं
सम्मि य पहली अणुमोयण रावदुझे उ ॥ ४ ॥ आहाकम्मियणामा एते चउरो समासतो भणिया एमट्टिताणि अणा बोच्छामि समासतो चेव ॥ ५ ॥ एग एगवंजण एगणाजव गाण एवंजण गागड़ा गाणवंजणया ॥ ६ ॥ जह खीरं वीरं चिय एगई एगर्वजण दिई एग भाणवंजण युद्ध पयो वालु वीरं च ॥ ७॥ णाममेवंजण गोमहिसजाइयाण सीरेति णाण गामवंजय पडपटकडगडरहमादी ॥ ८ ॥ एवमिहमाहकम्पं आहाकम्मति पढाओ भंगो। आहहेकम्मादी विनिओ सक्किन्द इव मंगो॥ ९ ॥ ततितो भंगो तू जातकम्ममहकम्म प(म) गगमादी व जाहाकम्म पहुंचा पियमा सुष्णो चउत्यो उ ॥ ११७०॥ इदयं जह सहा पुरंदादी तु णानिवर्तति अहआहअनकम्मा तहा अहे पानिवर्त्तति ॥ १ ॥ जहाकम्मेण अहे करेंति हणति पाणभूयाई जंतं आतियमाथो परकम्मं अत्तणो कृण ॥ २ ॥ एगडितदारमिण अरुणा करत कहमाहरुम्म भये ? भणति साह म्मिक सो बारसहा इमो होति ॥ ३ ॥ णामं ठवणा दविए लेने काले व पचवणे लिंगे। दंसण गाण परिने अभिग्गहे भावणाहि च ॥ ४ ॥ णामेणं साहम्मी जाउ काले सो दवा । पययण लोणं या साहम्मिय एत्य चभंगी ॥ ५ ॥ पवयणमणुम्मुयंते दंसणमादी उ भावना जाप सहत्य तु चउमंगा जोएडा जहाकमसो ॥ ६ ॥ एवं लिपी तहसगमादिएहि चडभंगा। भइएस उवरिमेस हेपियं तु उडेना ॥ ७॥ एवं बुदीए तु सवि जहकमेण जोएजा बभंग जाब चरिमो अभिग्ा भावणाहि च ॥ ८ ॥ पत्तेयमुद हि उपाए केवली व आस लगाइए व भावे च भंगे तु जाएजा ॥ ९ ॥ जन्य तु ततिओ भंगो न तत् कम्पनि तु सए भवणा तित्बगर (रि) जिव्ह ओवासगादि कप्पे ध्ण सेसाणं ॥ ११८० ॥ कस्सति जदि एरिस साहम्मियाण गवि कप्पे किती? आहाकम्म असणाई इमे ते च ॥ १ ॥ सालीमाई अगडे फले व सुंठी य साइमं होति । नस्स कटगिट्टियम्म सुदासुदेव चनारि ॥ २ ॥ कोवरालगगामे बसही रमणिज भिक्ख सज्झाए। लेतपडिलेह संजय सावयपुच्ज्जुए कहना ॥ ३ ॥ जति गणम्स खेनं गवर गुरूणंति
पायोग सालित्ति कए रूप्पण परिभायण नियमसु ॥ ४ ॥ बोलता ते व अण्णे जाव तु किमियंति कहिय सम्भावे जेन्ति एवं गाए अाजवर्धनी तु ॥ ५॥ एससणे कम्मं तु ये कह पाणगे हवेाहि ? तहविय साहू ण ठन्ती साचगपुच्छा दर्ग लोणं ॥ ६ ॥ अह ताप सावयो तू पणे मदुरोदगं तहिं गच्छति किए जा सातत्य ॥ ७॥ एत्यचि तहे जाणण ण तह व होति जातवा एवं साइम सातिम यह जहकमेणं तु ॥ ८॥ कफडिंग अंगा वा दाडिम दक्खा व बीवपूरा वा एमाइ खाइमं तू साइमन तिगडुआदीयं ॥ ९ ॥ किं आहायस्मंती एवं तं बणियं समासेनं परपक्वपक्लेनी अडणा दारं अणुपत्नं ॥ ११९०॥ परपक्व तु यो समासमणीय होइ तु सपक्खो। एत्थ कटनिडिएहि उमंगो होइ त बोच्च ॥ १ ॥ तरस कड वस्त्र निद्विय तस्स कढण्णस्स निद्वियं चेव अकड तस्स निद्विय अन्यकर्ड निट्टियम्णस्स ॥२॥ वातल्या मलिया कंडिल इउड निद्वियं स तु चिट निद्विय होती तेरा दुगुणमहकम्मं ॥ ३॥ कडनिट्टिया लक्खणमिणमो तु समासतो मुणेन फाकर्ड रा यिमितरं कई होति ॥ ४ ॥ समग बाबिवादी जा कुछड़ा एवं होति तस्स कई तस्स तिछदरद गिट्टितमेसो पदमभंगो ॥ ५॥ समण जान उडा गरि धरित) पण कार गुप्ययं । तेसऽङ्क तिउडरडा बिभिंगो एस जातो ॥६॥ जादुउटा अन्तडा गवरिय साहू तु पाहुणा आया। लेस कया निछड़ा ततिभंगो एस जातो ॥ ७॥ आयड़ा जा उडा आया व दिरदा एसी मंगो कतरे कप्पे कप्प वा ॥ ८ ॥ पढमतलिए ण कप्पे चितियचडत्या दोणि या कप्पे एमेव पाणी लानिय तह साइ ॥ ९॥ साहुणिमत्ता रजा फाकडे तु तावकडे फाकट मिट्टियं तू चालवणादि पाणम् ि॥ १२०० ॥ फलमादि जिष्णोडिय फाकडं गिट्टित मुणे एमेव साइमेची मादी मुणेला ॥ १ ॥ सन्ध तु चतुमंगो जोएअवो जहकर्म होति एत्वं तु परिहरणा विहि जनही सह मोदता ॥ २ ॥ छापि विवर्जनी केसी गानम्स ने तुग जति जम्हा किये विनियमं परपचया छाया गरि सा स्क्वण्य वदिता कता गइच्छाए व मेकप एवं मन ॥४॥ बनि हायनि छाया न कियेय आहाय विहिए नियती रवी छाया ॥ ५॥ अघणघणवारिंगगणे छाया पड़ा दिया पुणो होनि कम्पनि राय नाम आयतं वि६॥ नहा एस दोस्रो तुम कम्पय अतिथि बजेमाणा अदोलिता आ परचक्रवसपी एमेयं वणियं समासेणं चहरोनि दारमणा बोच्छामि समासनो चैव ॥ ८ ॥ चउरो अतिकमे पनिक व अतियार तह अणायारा जहाकम्मे एते चउरोषि जहकमं जोए ॥ ९ ॥ तम्स पुण संभवो ऊ आहाकम्मरस कह होजाहि ? गिरि जह भरए सइदा दण मरुपूर्व १२९० ॥ महसदादीएस नेवि सदा ततो समुप्पा अहेऽपि साहू करे मन तु सविसेसं ॥ १ ॥ सालीयोनये जाए। दाणा अभिगमसटी आहाकम्मे नियंतणया २ आमंतियपडिसुगणा सामु सुमो अतिकम होति पदमेवाइ बतिकम गहिए होई अईयारी ॥ ३॥ मुहछूडे जगायारो १०३३] जीतकल्पमायं -
मुनि दर
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