Book Title: Aagam 38 A JEETKALP Moolam evam Bhashya Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 1
________________ । [३८/१] श्री जीतकल्प (छेद)सूत्रम् नमो नमो निम्मलदसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः । “जीतकल्प” मूलं एवं भाष्यं [मूलं एवं जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण-विरचितं भाष्यं] [आदय संपादकः - पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.।। (किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.) | 12/02/2015, गुरुवार, २०७१ महा कृष्ण ८ jain_e_library's Net Publications मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....आगमसूत्र-[३८/५], छेदसूत्र-[१/१] “जीतकल्प" मूल एवं भाष्यंPage Navigation
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