Book Title: Aagam 38 A JEETKALP Moolam evam Bhashya Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 2
________________ आगम (३८/१) “जीतकल्प” - छेदसूत्र-५/१ (मूलं) --------- मूलं ----------- ----...--- भाष्य ---------- मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [३८/१], छेदसूत्र - [५/१] "जीतकल्प" मूलं एवं जिनभद्रगणिक्षमाश्रमण विरचितं भाष्यं AWARANANJANAVVVVP पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी संशोधित: संपादितश्च जीतकल्प सूत्र मुद्रित पृष्ठरुपं - शत्रुजयतीर्थे शीलोत्कीर्ण: -सुरतनगरे तामपत्रोत्कीर्ण "आगममंजुषा या: उद्धृत-छेदसूत्रम् वीर संवत २४६८ विक्रम संवत १९९८ सन् १९४२ जीतकल्प -छेदसूत्रस्य “टाइटल पेज"Page Navigation
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