Book Title: Aagam 14 JIVAJIVABHIGAM Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
________________
आगम
(१४)
“जीवाजीवाभिगम" - उपांगसूत्र-३ (मूलं+वृत्ति:) प्रतिपत्ति : [-], -------------------------- उद्देशक: [-], ---------------------- मूलं [-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१४], उपांग सूत्र - [२] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीत वृत्ति:
5
S
प्रत
सूत्राक
श्रेष्ठिदेवचन्द्र लालभाई-जैनपुस्तकोदारे-ग्रन्थाङ्कः
॥ अहम् ॥ श्रीचतुर्दशपूर्वधरश्रुतस्थविरविहितं ।
श्रीमन्मलयगिर्याचार्यप्रणीतविवृत्तियुतं । श्रीजीवाजीवाभिगमसूत्रम् (तृतीयमुपाङ्गम्)
दीप अनुक्रम
-
प्रणमत पदनखतेजःप्रतिहतनिःशेषनम्रजनतिमिरम् । वीर परतीर्थियशोद्विरदघटाध्वंसकेसरिणम् ॥१॥
प्रणिपल गुरून जीवाजीवाभिगमस्य विवृत्तिमहमनपाम् । विदधे गुरूपदेशात्प्रबोधमाधातुमल्पधियाम् ॥२॥ इह रागद्वेषायभिभूतेन सांसारिकेण सत्त्वेनाविषयशारीरमानसिकदु:खोपनिपातपीडितेन तदपनोदाय हेयोपादेवपदार्थपरिहाने | यत्न आसेयः, स च विशिष्टविवेकप्रतिपत्तिमन्तरेण न भवति, विशिष्टश्च विवेको न प्राप्ताशेषातिशयकलापाप्तोपदेशमृते, आप्तश्च राग
-
-
जी०५०१
--
वृत्तिकार-रचिता जीवाजीवाभिगमस्य भूमिका
~ 4~
Page Navigation
1 ... 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 ... 938