Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 8
________________ राजमानी विद्वानों की कृतियों में पर्याप्त सहा ता मिली है। इन ऋतियों में गुजराती भास नो संक्षिप्त इतिहास, गुजराती भाषा नी उकास्ति, पापा कवियो, नसाहिला ना स्वमो, ऐतिहासिक जैम काव्य संचव, ऐतिहासिक जैन गव्य संग्रह, जैन गुर्जर ककियो भाग १, २, . प्र है। पत्र में उनके लेखका और मम्पादको प्रति अपना विनम्न प्रापार मत करता है। साल की बडोदा, पाटण, कलारता, मेरठ, वहीत, दिल्ली, जापुर, सलमेर, बीकानेर और पंजाब के जैन अन महारों से भी पु हस्तलिक्षित प्रतियां अथवा उनकी प्रतिलिपियाँ प्राप्त हुई है उसके लिय उनके अबस्थापकों का दिय से भगवाद करता है। इनकी पा के निा इतने विशाल साहित्य का आकलन बिलकुल असम्भव था।इन डारों की सूची परिशिष्ट दे दी गई है। प्रतियों के चित्रों की सारी व्यवस्था अपना न प्रधालय, बीकानेर संचालक श्री अगरवन्द नाटा,यपुर तथा मामेर पम्हारो रक्षक श्री न सुभदास न्यायती एवं व्यवस्थापक श्री माय कासलीवाल ने की। दसवीं तापी के शिलाले इस्टाम्पेन डा. मोबीन * का T• हरिकतम पायाभी मौक्य से प्राप्त गगा। इसके लिए। पुनः इन विबाम पनों का मापारी है। आइयेय डा० मा प्रसाद गुप्त विक्य को प्रकट करने के लिए एक हानिक दृष्टि प्रदान की है, वही इस ग्रन्थ में रो। म निर्दन स्था नात्वीयता लिए न्यवाद सिर्फ औपचारिकता पात्र होगी क्योंकि ही मेरी प्रेरणा के असाधारण स्त्रोत से। सोधमिलोगों ने बार्षिक सहायता करके मेरे अवध पथ को प्रास मिाथ नगे हार्दिक न्यबाद है। हो और मध्यम के समय में प्रोत्साहन और प्रेरणा देने वाले विद्वानों ने प्रदान गुमर डा. धीरेन्द्रवी, . पारी प्रशाद दिवेदी ग. रामकुमार वर्मा, सभी निति विसाजी, अवधयाकीमती) ला मी

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