Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 14
________________ जैन धर्म के प्रमुख सिद्धान्त क्या उनका प्रचार और प्रतिपाल: ___जैन धर्म का उद्भव और विकास- आरम्भकाल- जैनधर्म को राज्याश्रय बिहार में जैन धर्म- उड़ीसा में जैन धर्म- बंगाल में जैन धर्म- राजस्थान में। जैन धर्म- गुजरात में जैनधर्म- दक्षिण भारत में जैन धर्म- और दविष के वंशे का जैन धर्म की प्रगति में योग- साहित्य प्रगति निम्बई- श्वेताम्बर- दिगम्बर. यापनीय सम्प्रदाय- अस्तित्व - यापनीय सम्प्रदाय की उपासना और उसका स्वरूप- याफ्नीय सम्प्रदाय का साहित्य- आदि कालीन हिन्दी जैन कृतियों में प्रयुक्त जैन धर्म के विविध दानिक सिद्धान्त और उनका परिचय- संसारनौवत्व - आठ कर्म - सम्यक ज्ञान - सम्यक् चरित्र और सम्यक्त्व- बारह व्र सरकत्व • आध्यात्मिक भावना -पटकर्म . नियतिवाद वाय- अनेकान्ड अथवा। स्यादवाद - विशिष्ट तत्व - अहिंसा - इति - जैन धर्म और अध धर्म के दर्शन का साम्य असाय. कुछ प्रमुख जैन कृतियों द्वारा प्रणीत धार्मिक एवं दानिक सिद्धान्त- प्रमुख कृतियां- जिनदत्त पूरि स्तुति-भरनेश्वर बाहुबली राम- बन्नबालाराम नेमिनाथ चतुम्पादिका- पेथड़ तथा समराराम नेमिनाथ क्या कभन्न कागु- माणदो- प्रयुम्न चरित- त्रिभुवन दीपक प्रबन्धजिनोमा मरि विवाहो- अर्कन पेठ शील प्रबन्ध- गव मुखमाल राम-चिहंगति चौपई- विक्ष्याक्लिास पवाको और पंच पान्डव चरित मस- इनरवनाओं की प्रापबारा धर्म- निर्व- you- १३७ ) अपार का बैन साहित्य : अपांच साहित्य की सम्पन्नता; अपमंत्र साहित्यका वर्गीकरण- प्रारम्भिक काल (५०. ई०.८... + स्वर्णकाल (सन् ८०० ६.१०. ई.क) प्रारम्भिक काल- आप सब का सि-विकिय विमानों के अपांच

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