Book Title: Aadikal ka Hindi Jain Sahitya
Author(s): Harishankar Sharma
Publisher: Harishankar Sharma

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Page 12
________________ काव्य संग्रह- जैन गुर्जर कवियो भाग १, २, ३, आपा कवियो- प्राचीन गुजराती गद्ग प्रदर्भ- कवि वरित भाग १-२: गुजराती साहित्य ना स्वरूपों गुजराती भाषा नी उत्तरान्ति- गुर्जर रासावली. प्राधावली, ऐतिहासिक चैन काव्य ग्रह- ऐतिहासिक बैन काय संचय- जैन साहित्य और इतिहासहिन्दी नैन साहित्य का इतिहास- पुरानी हिन्दी- हिदी काव्यधारा हिन्दी साहित्य का इतिहास मा F. इतिहास सम्बन्धी प्रन्य हिन्द साहित्य का आदिकाल- राजधानी भाका, पुरानी राजस्थानी, राजमानी पापा और साहित्य, प्रशमित संग्रह- प्राचीन काय संप्रह- अपांश माहित्य- प्राकृत शपभ्रंश मादित्य और उसका हिन्दी साहित्य पर प्रभावहिन्दी छैन साहित्य का संक्षिप्त इतिहास- हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन भाग .. २ हिन्दी के विकास में अपभ्रंश का योग- सूर पूर्व अब भाषा और रसका सा तिस्य भी प्रोटेलणकर,श्री भगरचन्द नाहटा था डाहीरालाल जैन के स्फुट लेमा प्रस्तुत प्रबन्ध का अध्ययन और उसकी मौलिक्ता पिछले अध्ययन से उसकी विशिष्ट ता. गुरानी हिन्दी की रस्नाप-पुरानी हिन्दी का अर्थ- पुराने प्रमों का निराकरम-विविध काव्यरूप-प्रामाणिक इस्खलिमित प्रतिया-नई स्थापना वैज्ञानिक वर्गीकरण वल जैन कृरिया. कोरापार्षिक एवं उपवे प्रशान साहित्य ही नहीं-ौन कृतियां-कथा परंपराष- देशी बलोक साहित्य का अध्ययन प्राचीनतम गव्य रचनाएं अपांच साहित्य का हिन्दी विकास में मोग-आदिकालीन हिन्दी जैन साहित्य की प्रमुख एवं गौष काव्य परंपराएं-युगीन परिस्थितियां मार जैन सिद्धान्तों का परिचय-विविध दृष्टिको भूत्वाका-प्रलोक जताब्दी के प्रत्येक वरण की प्रतिनिधि- साहित्यिक और लोक भाषा काव्य-रचनाओं की ऐतिहासिकता. रसरामशा- राज्यापित रहित जनता का साहित्य प्रस्तुत गन्ध की समान और साहित्य को न माहित्यिक आलोचना- पाबा का अध्ययन- कृतियों का पाठ सम्मान। ( १-५५ ।

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