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वैदिक संस्कृति एवं बौद्ध धर्म अत्याधिक पशुओं की सुरक्षा की आवश्यकता पड़ने लगी। लोग पशुओं की सुरक्षा का अनुभव करने लगे। पशु बलि चाहे वैदिक यज्ञ में हों या जनजातियों में अब इसका विरोध होने लगा, जिसका संकेत उपनिषदों में भी पशु बलि की निन्दा के रूप में द्रष्टव्य हैं तथा अहिंसा सम्बंधी उल्लेख स्मृतिग्रन्थों में भी मिलता है। यद्यपि वैदिक धर्म के विभिन्न मान्यताओं के विरोध में बौद्ध धर्म का जनम हुआ था फिर भी वह वैदिक धर्म या हिन्दू धर्म का अंश था। बौद्ध धर्म में सत्य, अहिंसा, अस्तेय तथा सभी प्राणियों पर दया आदि जो नीति धर्म बताए गरों है वे वैदिक ग्रन्थों में द्रष्टव्य है। बौद्ध धर्म के धम्मपद में उल्लिखित व्यवहार मनुस्मृति में भी दिखाई देते हैं। ___ बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय को भारत सहित एशिया के कई देशों में अत्याधिक अपनाया जिसका मुख्य कारण यह था कि उसमें वासुदेव की भक्ति का अनुकरण किया जाने लगा था। परन्तु एक समय जव वैदिक धर्म ब्राह्मण धर्म के रूप में सम्प्रदाय बन गया इस स्थिति में उनके विरोधी के रूप में जैन एवं बौद्ध धर्म का उदय हुआ। इन दोनों धर्मो के उदय से वैदिक धर्म का ही अनेक बुराईयों का उन्मूलन हुआ। अतः स्वभाविक ही था कि वैदिक धर्म पर बौद्ध धर्म का प्रभाव पड़ता। उपनिषदों के वैराग्य और निराशा की भावना को जैन धर्म ने भी अपनाया किन्तु उसको व्यवहार में आत्मसात करने और जन सामान्य तक फलाने का कार्य केवल बौद्धधर्म ने किया। इसके फलस्वरूप गौतम बुद्ध ने बौद्ध धर्म के माध्पन को अत्यन्त सरल ढंग से समाज में मानव जीवन से सम्बन्धित अनेक प्रकार के कष्टों एवं दुःखों से छुटकारा पाने के लिये वैराग्य को ही एक मात्र उपाय बताया। उन्होंने यह भी बताया कि मनुष्य का वास्तविक सुख जीवित रहने में नहीं है, बल्कि वह तो तब प्राप्त होता है जब मरने के बाद पुनः जन्म लेने की स्थिति न आवें और जगत में जो अन्धकार है गौतम बुद्ध के इस विचार में उसे दूर करने के बाद ही सुख प्राप्त होता है। गौतम बुद्ध के इस विचार को वैदिक धर्म में भी अपनाया गया। यही नहीं बौद्ध धर्म के प्रभाव के परिणाम स्वरूप वैदिक धर्म मानने वाले समाज में आचार-विचार, खान-पान और सबसे अधिक जटिलता, कठोरता एवं छुआ-छुत की कुप्रभावों पर प्रभाव पड़ा जिससे उसमें किंचित लचिला पन आया। अहिंसा जाति पर दया और दुःखी लोगों के लिये करुणा आदि व्यवहार का