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बौद्ध धर्म की अमूल्य धरोहर : अजंता
425 पशुओं का खेदा, स्तूप पूजा के चित्र अंकित हैं। अजंता की अधिकांश गुफायें वाकाटक काल की हैं। इस काल में गुफा सं० - 1 शिव जातक, नंद की दीक्षा, बोधिसत्व पद्यपाणि, मारविजय के दृश्य अंकित हैं। अजंता का सबसे व्याख्यात चित्र बोधिसत्व पद्यपाणी का है। बोधिसत्व का अंकन अजंता के चित्रकारों का प्रिय विषय था। गुफा संख्या-16 में बुद्ध का तुषित स्वर्ग में उपदेश, अजातशत्रुबुद्ध भेंट, बुद्ध के जीवन से सम्बद्ध चित्र अंकित हैं। गुफा सं० 17 में संसार चक्र, विश्वंतर जातक, आकाशचारी इंद्र तथा अप्सराएं, मानुषी बुद्ध एवं राहुल की दीक्षा का दृश्य अंकित है। वाकाटकोत्तर कालीन चित्रों में महाहंस जातक, बुद्ध के जीवन के दृश्य, सहस्र बुद्ध, बोधिसत्व इत्यादि चित्र अंकित हैं।
अजंता की कला का मुख्य विषय बौद्ध धर्म से जुड़ा है फिर भी तत्कालीन लौकिक जीवन का ऐश्वर्य अजन्ता में पर्याप्त रूप से झलकता है। राजकीय वैभव से लेकर भिक्षु जीवन तक का अंकन अजंता गुफाओं की कला में देखा जा सकता है। तत्कालीन लोकजीवन के विभिन्न पक्ष अजंता की गुहा दीवारों पर सजीव हो चुके हैं। अजन्ता गुफाओं की कला में रहन-सहन, वेश-भूषा, वस्त्राभूषण, खान-पान, शस्त्रास्त्र, स्थापत्य, मनोविनोद, यातायात के विविध साधन, पशु संपदा, वनस्पतिजगत तथा विभिन्न व्यापार व्यवहार का जो सूक्ष्म अंकन है वह तत्कालीन संस्कृति के अध्ययन का एक श्रेष्ठ और अनूठा साधन है। अजन्ता की कला समकालीन भारतीय संस्कृति के ज्ञान के लिए अनमोल विश्वकोश है। अजन्ता की कला आध्यामिकता को उद्बोधित करने वाली कला है। अजन्ता के भित्तिचित्र एक महाकाव्य है जिसमें अजंता की गुफायें बौद्ध भिक्षुओं और दर्शनार्थियों के लिए चित्रकथा है जो भगवान बुद्ध के जीवन से सम्बन्धित घटनाओं से परिचित कराती हैं। ये गुफायें कलात्मक दृष्टि से अनुपम हैं तथा बौद्ध धर्म की अमूल्य देन हैं।
संदर्भ
1. अग्रवाल, वी० एस०, भारतीय कला। 2. मिश्र, रमानाथ, भारतीय मूर्ति कला। 3. गैरोला, वाचस्पति, भारतीय चित्रकला। 4. शास्त्री, अजय मित्र, भारत के सांस्कृतिक केन्द्र - अजन्ता। 5. उपाध्याय, भगवतशरण, भारतीय कला एवं संस्कृति की भूमिका।