Book Title: Agam 11 Ang 11 Vipak Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री विपाक सूत्र ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * S S SSSSSSSSSS ચા ગુજરાતી ભવાઈ | ન આગમ - ૧૧ ધર્મકથાનુયોગમય વિપાકથુતાંગ સૂત્ર - ૧૧ અન્યનામ:- વિવા-સુય શ્રુતસ્કંધ ----- અધ્યયન ---- ------- ૨૦ ઉદ્દેશક ---- - - - ૨૦ પદ ----- - ૧,૮૪, ૩૨,૦૦૦ ઉપલબ્ધ પાઠ -- ગધસૂત્ર ----- પદ્યસૂત્ર ---- -૧૨૧૬શ્લોક પ્રમાણ --- ૩૪ -- શૂન્ય કુખવિપાક શ્રુતસ્કંધ અધ્યયન શ્રુતસ્કંધ . સુખવિપાક અધ્યયન ઉદ્દેશક ગધ ઉદ્દેશક o & 步听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听23 પદ્ય ' પધ (૧) દુઃખવિપાક મુતરકંધ (૧) અધ્યયન મૃગાપુત્ર- (રાસનનું ફળ) આ વ્યુતરકંધના આરંભે બંને વ્યુતરકંધોના તેમજ આ શ્રુતસ્કંધના ૧૦ ઉઘેરાકોના નામ આપીને આ અધ્યયનમાં મૃગગ્રામ નગર, ચંદન વૃક્ષ ઉદ્યાન, સુધર્મયક્ષનું મંદિર, કે રાજા વિજય, રાણી મૃગાદેવી અને તેમના કુંવર મૃગાપુત્ર વિકલાંગ, ભગવાન મહાવીરનું કે સમવસરણ, દેરાના, રાજા વિજય અને જન્મથી અંધ ભિક્ષુકનું ધર્મ પરિષદમાં આગમન, ભગવાન ગૌતમ ગણધરની ભિક્ષુક સંબંધી અને વિકલાંગ મૃગાપુત્ર સંબંધે જિજ્ઞાસા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા મૃગાપુત્ર અને ભિક્ષુકનો પૂર્વભવ થન, વિજયવર્ધમાન રાજ્યના ઈકાઈ રાષ્ટ્રકૂટ જાગીરદાર તરીકે કરેલુ ક્રૂર શાસન અને તેના વિપાક રૂપે ૧૬ રોગો થવા , મરીને નરક ગમન, નરકાયુ ભોગવીને મૃગાદેવીની કૂખે જન્મ વગેરે વિસ્તૃત વર્ણન કરી તેનું ભવિષ્ય પણ જણાવીને મૃગાપુત્રનું ભવભ્રમણને અંતે ભોગો ભોગવીને મહાવિદેહમાંથી મુક્તિએ જશે વગેરેનું વર્ણન છે. Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ જાડડડડડડઝાકMMMM MMS | સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ | MKMMMMM MMMMMMMSSSSS આર (૨) અધ્યયન: ઉતિક - (ગાયનું માંસ ભક્ષણ, મદ્યપાન અને વેશ્યાગમનનું (૬) અધ્યયન: નંકિણ - (કઠોર દંડ અને પિતૃવધ સંકલ્પનું ફળ) આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં મથુરા નગરી, ભંડીર ઉદ્યાન, સુદર્શન યક્ષ, રાજા આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં વાણિજ્ય ગ્રામ, દૂતિ પલાસ ચિત્ય, સુધર્મયક્ષનું શ્રીદામ, રાણી બંધુશ્રી, રાજકુમાર નંદિષેણ, અમાત્ય સુબંધુ, તેનો પુત્ર બહુમિત્ર અને મંદિર, રાજા વિજયમિત્ર અને રાણી શ્રીદેવીના વર્ણન પછી કલા, રતિકલા, ભાષાઓની ચિત્ર નામના હજામના વર્ણન પછી પૂર્વ અધ્યયનોના વર્ણનની જેમ ભગવાન ગૌતમ ગણધર જાણકાર કામધ્વજા વેશ્યાનું વર્ણન કરીને વિજયમિત્ર શેઠ અને સુભદ્રાનો ઉઝિતક પુત્રનું દ્વારા નંદિણના દેહદાહનું દશ્ય જોવું અને ભગવાન મહાવીરસ્વામી દ્વારા તેના સિંહપુરના ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ અને દેશના, ભિક્ષાર્થે નીકળેલા ભગવાન ગૌતમ ગણધર રાજપુત્રદુર્યોધન તરીકેનો પૂર્વભવ, વર્તમાન કાર્યો અને ભવિષ્ય એમ ભવભ્રમણના વર્ણનને દ્વારા ઉજ્જિતકનો વધ થતો જોવો, ભગવાન મહાવીરને તેના પૂર્વભવ સંબંધી પ્રશ્ન, ભગવાન અંતે મહાવિદેહમાં મુક્તિ થવા સુધીનું વર્ણન છે. દ્વારા ઉઝિકના ગોત્રાસ નામે પૂર્વભવનું, વર્તમાન કાર્યોનું તથા ભવિષ્યનું વર્ણન અને (૭) અધ્યયનઃ ઉબરદત્ત - (માંસ ચિકિત્સાનું ફળ) ભવભ્રમણ બતાવીને અંતે મહાવિદેહમાંથી મુક્તિ થવાનું વર્ણન છે. આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં પાડલખંડ નગર, વનખંડ ઉદ્યાન, ઉબરદત્ત યક્ષ, (૩) અધ્યયન: અભગ્રસેન - (ઈંડાનો વેપાર અને મદ્યપાનનું ફળ) રાજા સિદ્ધાર્થ અને તેના રાજ્યનારોઠસાગરદત્ત અને તેની પત્ની ગંગદત્તાના પુત્ર ઉબરદત્તના આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં પુરિમતાલનગરી, અમોઘદર્શન ઉદ્યાન, અમોઘદર્શન વર્ણન પછી આગળના અધ્યયનોની જેમ વર્ણન અને ઉબરદત્તના કોઢનું કારણ, તેનો યક્ષનું મંદિર, રાજા મહાબલ, ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, ભગવાન ગૌતમ ગણધરનું પૂર્વભવ, વર્તમાન યાતનાઓ અને ભવિષ્ય એમ ભવભ્રમણ બતાવીને અંતે મહાવિદેહમાં ભિક્ષાચર્યા માટે જવું, અભગ્નસેનના વધનું દરય જોવું, ભગવાન પાસે ગૌતમ ગણધરની મુક્તિ થશે એવું વર્ણન છે. પૃચ્છા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા અભગ્નસેનનાનિન્નક નામે ઈંડાના વેપારી તરીકેના પૂર્વભવ, (૮) અધ્યયન: સૂર્યદત્ત (માછીમારના ધંધાનું ફળ) વર્તમાન કાર્યો વગેરે ભવભ્રમણ વર્ણવીને અંતે ભવિષ્યમાં મહાવિદેહમાંથી મુક્તિ થવાનું આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં સૂર્યપુર, સૂર્યાવર્તસક ઉદ્યાન અને રાજા સૂર્યદત્તના કે વર્ણન છે. વર્ણન પછી માછીમારને લોહીની ઉલટીઓ થતી જોઈને ભગવાન ગૌતમ ગણધર દ્વારા ૪ (૪) અધ્યયન: શટ - (માંસ વેચાણ અને વ્યભિચારનું ફળ) ભગવાન મહાવીરને પૃચ્છા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા નંદિવર્ધનના સૂર્યદત્ત તરીકેનાપૂર્વભવનું, આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં સાહજની નગરી, દેવરમણ ઉદ્યાન, અમોઘ યક્ષનું વર્તમાન તેમજ ભવિષ્યના ભવભ્રમણનું વર્ણન કરીને અંતે મહાવિદેહમાંથી મુક્તિ થવાનું મંદિર, રાજા મહચંદ, અમાત્ય સુષેણ, સુદર્શના વેશ્યા, વેપારી સુભદ્ર અને તેની પત્ની વર્ણન છે. ભદ્રાના પુત્રશંકરનું વર્ણન કરીને ભગવાનના સમવસરણ અને ધર્મકથા પછી ગૌતમ ગણધર (૯) અધ્યયન : દેવદત્તા - (ઈર્ષ્યા - શ્રેષનું ફળ) કે દ્વારા શંકરનો વધ જોવો અને ભગવાન મહાવીરના મુખે શંકરનો માંસાહારી છણિક તરીકે આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં રોહીડક નગર, પૃથ્વી અવતંસક ઉદ્યાન, ધરણ પૂર્વભવ, સુદર્શના વેશ્યા સાથે સંબંધનો વર્તમાન ભવ અને અંતે ભવિષ્યના ભવનું વર્ણન યક્ષ, રાજા વૈશ્રમણદત્ત, રાણી શ્રીદેવી અને રાજકુમાર પુષ્યનંદીના વર્ણન પછી દત્ત અને કરી મહાવિદેહમાં મોક્ષપ્રાપ્તિનું વર્ણન છે. કૃષ્ણશ્રીની પુત્રી દેવદત્તાને શૂળીપર ચઢાવવાનું દશ્ય જોઈને ભગવાન ગૌતમ ગણધર દ્વારા (૫) અધ્યયનઃ બૃહસ્પતિ - (યામાં હિંસા તથા પરસ્ત્રીગમનનું ફળ) જિજ્ઞાસા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા દેવદત્તાના પૂર્વભવમાં સુપ્રતિષનગરના સિંહસેન રાજાની આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં કૌશામ્બી નગરી, ચંદ્રોત્તરણ ઉદ્યાન, રાજા શ્વેતભદ્ર રાણીશ્યામા તરીકેનો પૂર્વભવ અને તેના દ્વારા અન્ય ૪૯૯ રાણીઓને કૂટાગારમાં બાળી યજ્ઞશતાનીક અને રાણી મૃગાવતી, રાજકુમાર ઉદયન અને તેની રાણી પદ્માવતી, પુરોહિત મારવાનું વર્ણન, વર્તમાન ભવ અને ભવિષ્યનું ભવભ્રમણ વર્ણવીને અંતે મહાવિદેહમાં સોમદત્ત અને તેની પત્ની વસુદત્તા, તેમનો પુત્ર બૃહસ્પતિ વગેરે વર્ણન પછી ભગવાન મુક્તિ થવાની વાત છે. ગૌતમ ગણધર દ્વારાબૃહસ્પતિના પ્રાણદંડનું દશ્ય જોવું અને ભગવાન મહાવીરને તેના પૂર્વભવ (૧૦) અધ્યયન: અંજુથી - (વેશ્યાવૃત્તિનું ફળ) - | વિષે પૃચ્છા કરવી, બૃહસ્પતિનો રાજા જિતશત્રના મહેશ્વરદત્ત પુરોહિતનો પૂર્વભવ, વર્તમાન આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં વર્ધમાનપુર, વિજય વર્ધમાન ઉદ્યાન, માણિભદ્ર ભવ અને ભવિષ્યના ભવભ્રમણના વર્ણનને અંતે મહાવિદેહમાં મુક્તિ વગેરે વર્ણન છે. યક્ષ, રાજા વિજયમિત્ર, ધર્મદેવ રોડ, એની પત્ની પ્રિયંગુ અને પુત્રી અંજૂથીના વર્ણન પછી છે C虽乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐听乐乐乐乐玩玩乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐玩玩乐乐乐明乐乐乐乐FO 「與听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐中乐乐中乐中中中中中乐乐乐乐 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ www%%%%%% %%%%%% સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ %%%%% % S T Dos ભગવાન ગૌતમ ગણધર સ્વામીનું ગોચરી અર્થે ભ્રમણ, બાગમાં અતિરોગિષ્ટ સ્ત્રીનું કંદન મંદિર, રાજા અપ્રતિહત, રાણી સુકન્યા, તેમનો રાજકુમાર મહચંદ અને રાણી અરઠના સાંભળીને ભગવાન મહાવીર પાસે પૃચ્છા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા અંજુશ્રીના પૂર્વભવમાં નોકુંવર જિનદાસવગેરે વર્ણન પછી પૂર્વે મધ્યમિકાનગરીનારાજ મેઘરયના ભવમાં અણગાર પૃથ્વીશ્રી નામની ગણિકા, તેના કાર્યો, વર્તમાન અને ભવિષ્ય ભ્રમણ વગેરે વર્ણન પછી સુધર્માને દાન વગેરે અને શેષ વર્ણન પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. મહાવિદેહમાંથી મુક્તિ થવાનું વર્ણન છે. (૬) અધ્યયન: વિક્રમણ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં કનકપુર, શ્વેતાશોક ઉઘાન, વીરભદ્રયક્ષનું મંદિર, (૨) સુખવિપાક શ્રુતસ્કંધ રાજા પ્રિયચંદ્ર, રાણી સુભદ્રા, તેમનો કુમાર વૈશ્રમણ, તેના શ્રીદેવી વગેરે ૫૦૦ કન્યાઓ (૧) અધ્યયન સુબાહુ સાથે વિવાહ અને તેમનો રાજકુમાર ધનપતિ વગેરે વર્ણન પછી વૈશ્રમણ દ્વારા પૂર્વે મણિવત્તા આ શ્રુતસ્કંધના આરંભે ૧૦ અધ્યયનોના નામ જણાવીને આ અધ્યયનમાં નગરીના રાજા મિત્રના ભવે અણગાર સંભૂતિવિજયને દાન વગેરે વર્ણન અને શેષ વર્ણન હસ્તિશીર્ષનગર, પુષ્પકરંડ ઉદ્યાન, કૃતવનમાલપ્રિય યક્ષનું મંદિર,રાજા અઠીનશત્રુ અને અને પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. એની ધારિણી વગેરે ૧૦૦૦ રાણીઓ, ધારિણીને સિંહનું સ્વપ્ન, સુબાહુનો જન્મ, ૫૦૦ (૭) અધ્યયન મહાબલ આ અધ્યનના એક ઉદ્દેશકમાં મહાપુર, રક્તાલોક ઉદ્યાન, રક્તપાત યક્ષનું મંદિર, કન્યાઓ સાથે વિવાહ, સુબાહુ દ્વારા ધર્મકથાશ્રવણ, ગૃહસ્થ ધર્મપાલનની પ્રતિજ્ઞા, ભગવાન રાજા બલ, રાણી સુભદ્રા, તેમનો રાજકુમાર મહાબલ, તેના રક્તવતી વગેરે ૫૦૦ કન્યાઓ સુબાહુના પૂર્વભવનું કથન, પૂર્વભવમાં સુમુખ દ્વારા ૫૦૦ સ્થવિરોને શુદ્ધ આહારનું દાન સાથે વિવાહ વગેરે વર્ણન પછી પૂર્વે મણિપુરના નાગદત્તના ભવમાં અણગાર ઈન્દ્રદત્તને છે વગેરે વર્ણવીને વર્તમાન ભવમાં દીક્ષા ગ્રહણ, ૧૧ અંગોનું અધ્યયન, તપશ્ચર્યા, શ્રમણ દાન વગેરે અને શેષ વર્ણન પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. જીવન, એક માસની સંલેખના અને અંતે મહાવિદેહમાં મુક્તિનું વર્ણન છે. (૮) અધ્યયન: ભદ્રનંઠી (૨) અધ્યયનઃ ભદ્રનંદી આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં સુઘોષ નગર, દેવરમણ ઉદ્યાન, વીરસેન યક્ષનું આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં ત્રષભપુર, સ્તુપ કરંડક ઉઘાન, ધ યક્ષનું મંદિર, મંદિર, રાજા અર્જુન, રાણી તસવતી, તેમનો રાજકુમાર ભદ્રનંદી, તેનો શ્રીદવી વગેરે ૫૦૦ રાજા ધનાવહ, રાણી સરસ્વતી, તેમનો રાજકુમાર ભદ્રનંદી વગેરે વર્ણન પછી ઉપરના કન્યાઓ સાથે વિવાહ વગેરે વર્ણન પછી પૂર્વે મહાઘોષનગરીના ધર્મઘોષ ભવમાં અણગાર અધ્યયનના સુબાહુની જેમ વર્તમાન કાર્ય, તેના પૂર્વભવના મહાવિદેહ, પુંડરિકિણી નગરી ધર્મસિંહને દાન વગેરે અને શેષ વર્ણન પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. અને યુગબાહુ તીર્થકરને દાન વગેરે વર્ણન છે. (૯) અધ્યયન મહચંદ (૩) અધ્યયન સુજાત આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં ચંપા નગરી, પૂર્ણભદ્ર ઉદ્યાન, પૂર્ણભદ્ર યક્ષનું આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં વીરપુર, મનોરમ ઉદ્યાન, રાજાવીરકૃષ્ણમિત્ર, રાણી મંદિર, રાજા દત્ત, રાણી રક્તવતી, તેમનો રાજકુમાર મહચંદ, તેના શ્રીકાંતા વગેરે પ૦૦ શ્રી, તેમનો રાજકુમાર સુજાત અને તેના બલશ્રી વગેરે ૫૦૦ કન્યાઓ સાથે લગ્નના વર્ણન કન્યાઓ સાથે લગ્ન વગેરે વર્ણન પછી પૂર્વે તિગિચ્છી નગરીમાં રાજા જિતશત્રુના ભવે એ પછી પૂર્વભવના ઈષુકાર નગરના ઋષભદત્ત દ્વારા અણગાર પુષ્પદત્તને દાન વગેરે અને શેષ અણગાર ધર્મવીર્યને દાન વગેરે અને શેષ વર્ણન પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. વર્ણન પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. (૧૦) અધ્યયન: વરદત્ત (૪) અધ્યયન: સુવાસવ આ અધ્યયનના એક ઉદ્રાકમાં સાકેત નગર, ઉત્તરકુરુ ઉદ્યાન, પામિક યક્ષનું આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં વિજયપુર, નંદનવન ઉદ્યાન, અશોક યક્ષનું મંદિર, મંદિર, રાજા મિત્રનંદી, રાણી શ્રીકાંતા, રાજકુમાર વરદત્ત અને તેના વરસેના વગેરે પ૦૦ રાજા વાસવદત્ત, રાણી કૃષ્ણા, તેમનો રાજકુમાર સુવાસવ અને તેના ભદ્રા વગેરે ૫૦૦ કન્યામાં સાથે લગ્નવ તેના અઢા વગેરે કન્યાઓ સાથે લગ્ન વગેરે વર્ણન પછી પૂર્વે રાતદ્વાર નગરમાં રાજા વિમલવાહનના ભવમાં કન્યાઓ સાથે લગ્નના વર્ણન પછી પૂર્વે કાનગરીમાં ધનપાલ રાજાના ભવમાં અણગાર અાગાર અશ્વિન દાનમાં ગાડા, અણગાર ધર્મરુચિને દાન વગેરે અને શેષ વર્ણન સુબાહુના અધ્યયન મુજબ છે. વૈશ્રમણભદ્રને દાન વગેરે અને શેષ વર્ણન પહેલાં અધ્યયન મુજબ છે. (૫) અધ્યયનઃ જિનદાસ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં સૌગન્ધિકાનગરી, નીલાશોક ઉઘાન, સુકાલયક્ષનું BC %95 9 9 % છે સાગમગુમંગૂષા - ૩૪ k 9 %BF BF 5 5 5 2018 并听听乐乐听听听听乐乐听听乐乐听听听乐明明听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明FG Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *555555555555 ५१वधायन) (3) ॐॐॐॐ मिरि सहदेव सामिस्स णमो । सिरि गाडी जिराउला सव्वोदय पास गहाणं णमो नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर पद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम- सोहम्माइ सव्व मणहराणं णमो । सिरि सुगुरु देवाणं णमो । 555 श्रीविपाकदशाङ्गम्-फफफ तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा णामं णयरी होत्था वणओ. पुण्णभहे चेइए वण्णओ. तेण कालेणं० समणस्स भगवाओं महावीरस्स अंतेवासी अनसुहम्मे णामं अणगारे जाइसंपण्णे वण्णओ चोहसपुवी उणाणोवगए पंचहि अणगारसहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं जाव जणव पुण्णभद्दे चेइए अहापडिवं जाव विहरड परिसा निग्गया, धम्मं सोच्चा निसम्म जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया, तेणं कालेणं० अज्जसुहम्मस्स अंतेवासी अज्जजंबुणामं अणगारे सत्तुस्सेहे जहा गोयमसामी तहा जाव झाणकोट्ठोवगए विहरति, तते णं अज्जजंबूणामं अणगारे जायसड्ढे जाव जेणेव अज्जसुहम्मे अणगारे तेणेव उवागए तिक्खुत्तो आयाहिणपया (१३४) हिणं करेति त्ता वंदति नम॑सति ता जाव पज्जुवासति ता एवं व०- |१| जति णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सपत्तेणं दसमस्स अंगस्स पण्हावागरणाणं अयमट्टे पं० एक्कारसमस्स णं भंते ! अंगस्स विवागसुयस्स समणेण जाव संपत्तण के अट्ठे पं० १, तते ण अज्जसुहम्मे अणगार जंबू अणगारं एवं व० एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्सअंगस्स विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा पं० तं० दुहविवागा य सुहविवागाय, जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं एक्कारसमस्स अंगस्स विवागस्यस्स दो सुयक्खंधा पं० तं०-दुहविवागाय सुहविवागा य पढमस्स णं भंते! सुयक्खंधस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं कइ अज्झयणा पं० ? तते णं अज्जसुहम्मे अणगारे जंबूं अणगारं एवं व० एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा पं० 'मियाउने उज्झियते अभग्ग सगडे वहस्सती नंदी। उंबर सोरियदत्ते य देवदत्ताय अंजू य १० ॥ १ ॥ जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दस अज्झयणा पं० तं० मियाउते जाव अंजू य पडमस्स णं भंते! अज्झयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पं० ?, तते णं से सुहम्मे अणगारे जंबू अणगारं एवं व०- एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० मियग्गामेणा नगरे होत्था वण्णओ, तस्स णं मियग्गामस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए चंदणपायवे णामं उज्जाणे होत्था सव्वोउय० वण्णओ, तत्थ णं सुहम्मस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था चिरातीए जहा पुण्णभद्दे, तत्थ णं मियग्गामे णगरे विजए णामं खत्तिए राया परिवसति वण्णओ, तस्सणं विजयस्स खत्तियस्स मिया णामं देवी होत्या अहीण० वण्णओ, तस्स णं विजयस्स खत्तियस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए मियापुत्ते नामं दारए होत्था जातिअंधे जातिमूए जातिबहिरे जातिपंगुले हुंडे य वायवे, नत्थि णं तस्स दारगस्स हत्था वा पाया वा कण्णा वा अच्छी वा नासा वा, केवलं से तेसि अंगोवंगाणं आगिई आगितिमित्ते, तते णं सा मियादेवी तं मियापुत्तं दारगं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्सितेणं भत्तपाणएणं पडिजागरमाणी विहरति । २ । तत्थ णं मियग्गामे णगरे एगे जातिअंधे पुरिसे परिवसति, से णं एगेणं सचक्खुतेणं पुरिसेणं पुरतो दंडएणं पगडिज्नमाणे २ फुट्टहडाहडसीसे मच्छियाचडगरपहकरेणं अण्णिज्जमाणमग्गे मियग्गामे णगरे गिहे २ कालुणवडियाए वित्ति कप्पेमाणे विहरति, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिते जाव परिसा निग्गया, तते णं से विजये खत्तिए इमीसे कहाए लट्ठे समाणे जहा कूणिए तहा निग्गते जाव पज्जुवासति. तते णं से जातिअंधे पुरिसे तं महयाजणसद्दं च जाव सुणेत्ता तं पुरिसं एवं व० - किण्णं देवाणुप्पिया ! अज्ज मियग्गामे नयरे इंदमहेति वा जाव निग्गच्छति ?, तते गं से पुरिसे तं जातिअंधपुरिसं एवं व० - नो खलु देवा० इंदमहे जाव निग्गए, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे जाव विहरति, तते णं एए जाव निग्गच्छंति, तते णं से जातिधपुरिसे तं पुरिसं एवं व०- गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! अम्हेवि समणं भगवं जाव पज्जुवासामो, तते णं से जातिअंधपुरिसे पुरतो दंडणं पगड्डिज्नमाणे २ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागते उवागत्ता तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करोति करेत्ता वंदति नम॑सति नम॑सेत्ता जाव पज्जुवासति, तते णं समणे० विजयस्स० तीसे य० धम्ममाइक्खइ० परिसा जाव पडिगया विजएवि गए । ३ । तेणं कालेणं० समणस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूती णामं अणगारे जाव સૌજન્ય :- ૫. પૂ. મુનીરાજશ્રી મહાભદ્રસાગરજી મ.સા. પ.પૂ. મુનીરાજશ્રી પૂર્ણભદ્ર સાગરજી મ.સા. ના સંયમ રજત વર્ષની અનુમોદના અર્થે प. पू. मुनीरा मलयसागर म.सा. नी प्रेरणाथी श्री जाडमेर जयनगरछ छैन संघ (रा४.) 5 श्री आगमगुणमजूपा Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 66666666666666 (१४) श्री विवागसूर्य पढमो सुयवखंधी ? अज्झयणं मियाउत [२] विहरति, ततेां से भगवं गोतमे तं जातिअंधपुरिसं पासति पासेत्ता जायसड्ढे जाव एवं व० अत्थि णं भंते! केई पुरिसे जातिअंधे आय (जाइ) अंधारूवे ?, हंता अत्थि, कहिं णं भंते ! से पुरिसे जातिअंधे जातिअंधारूवे ?, एवं खलु गोतमा ! इहेव मियग्गामे णगरे विजयस्स पुत्ते मियादेवीए अत्तए मियाउत्ते णामं दारए जातिअंधे जातिअंधारूवे, नत्थि णं तस्स दारगस्स जाव आगतिमित्ते, तते णं सा मियादेवी जाव पडिजागरपाणी २ विहरति, तते णं से भगवं गोतमे समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति नम॑सेत्ता एवं व० - इच्छामि णं भंते ! अहं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाते मियापुत्तं दारयं पासित्तए, अहासहं देवाणुप्पिया !, तते णं से भगवं गोतमे समणेणं भगवया० अब्भणुण्णाते समाणे हट्ठतुट्ठेसमणस्स भगवओ महावीरस्स अंतितातो पडिनिक्खमइ पडिनिक्खमइ त्ता अतुरियं जाव सोहेमाणे २ जेणेव मियागा णगरे तेणेव उवागच्छति उवागच्छि त्ता मियग्गामं णगरं मज्झमज्झेणं अणुपविसइ त्ता जेणेव मियाए देवीए गिहे तेणेव उवागए, तते णं सा मियादेवी भगवं गोतमं एज्नमाणं पासति पासित्ता हट्ठ० जाव एवं व० संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणपयोयणं ?, तते णं भगवं गोतमे मियं देवि एवं व० अहण्णं देवाणुप्पिए ! तव पुत्तं पासित्तु हव्वमागते, तते णं सा मियादेवी मियापुत्तस्स दारगस्स अणुभग्गजायए चत्तारि पुत्ते सव्वालंकारविभूसिए करेति त्ता भगवतो गोतमस्स पाएस पाडेति त्ता एवं व०- एए णं भंते! मम पुत्ते पासह, तते णं से भगवं गोतमे मियं देविं एवं व० - नो खलु देवाणुप्पिए ! अहं एए तव पुत्ते पासिउं हव्वमागए, तत्थ णं जे से तव जेट्ठे पुत्ते मियापुत्ते दारए जातिअंधे जाव अंधारूवे जण्णं तुमं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्सिएणं भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी २ विहरसि तं णं अहं पासिउं हव्वमागते, तते णं सा मियादेवी भगवं गोतमं एवं व० से के णं गोतमा ! से तहारूवे णाणी वा तवस्सी वा जेणं तव एसमद्वे मम ताव रहस्सकते तुब्भे हव्वमक्खाते जतो णं तुब्भे जाणह ?, तणं भगवं गोतमे मियं देविं एवं व० एवं खलु देवाणुप्पिए ! मम धम्मायरिए० समणे भगवं महावीरे जाव ततो णं अहं जाणामि, जावं च णं मियादेवी भगवया गोसद्धि एवम संलवति तावं च णं मियापुत्तस्स दारगस्स भत्तवेला जाया यावि होत्था, तते णं सा मियादेवी भगवं गोयमं एवं व० तुब्भे णं भंते ! इह चेव चिट्ठ जाणं अहं तु मियापुत्तंदारयं उवदंसेमित्तिकट्टु जेणेव भत्तपाणघरए तेणेव उवागच्छति त्ता वत्थपरियट्टं करेति त्ता कट्टसगडियं गेण्हति त्ता विपुलस्स असणपाणखातिमसातिमस्स भरेति त्ता तं कट्ठसगडियं अणुकड्ढेमाणी २ जेणेव भगवं गोतमे तेणेव उवागच्छति त्ता भगवं गोतमं एवं वयासी एह णं तुब्भे भंते ! (सद्धि) अंगच्छह जा णं अहं तुब्भं मियापुत्तं दारयं उवदंसेमि, तते गं से भगवं गोतमे मियं देविं पिट्ठओ समणुगच्छति, तते णं सा मियादेवी तं कट्टसगडियं इ ढाणी २ जेणेव भूमिघरे तेणेव उवागच्छति त्ता चउप्पुडेणं वत्थेणं मुहं बंधे मुहं बंधेमाणी भगवं गोतमं एवं व० - तुब्भेवि य णं भंते! मुहपोत्तियाए मुहं बंधह, तण भगवं गोतमे मियादेवीए एवं वृत्ते समाणें मुहपोत्तियाए मुहं बंधेति (बंधइ), तते णं सा मियादेवी परंमुही भूमीघरस्स दुवारे विहाडेति, ततो णं गंधे निग्गच्छति से जहानाम अहिमडेति वा जाव ततोवि य णं अणिट्टतराए चेव जाव गंधे पण्णत्ते, तते णं से मियापुत्ते दारए तस्स विपुलस्स असणपाणखाइमसाइमस्स गंधेणं अभिभूते समाणे तंसि विपुलंसि असणपाणखाइमसाइमंसि मुच्छिते० विपुलं असणं० आसएणं आहारेति त्ता खिप्पामेव विद्धंसेति, ततो पच्छा पूयत्ताए य सोणियत्ताए य परिणामेति, तंपि य णं पूयं च सोणियं च आहारेति, तते णं भगवतो गोतमस्स तं मियापुत्तं दारयं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झत्थिते० समुप्पज्जित्था - अहो दार पुरा पोराणाणं दुचिण्णाणं दुप्पडिक्कंताणं असुभाणं पावाणं कडाणं कम्माणं पावगं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणे विहरति, ण मे दिट्ठा णरगा वा णेरइया वा पच्चक्खं खलु अयं पुरिसे नरयपडिरूवियं वेयणं वेतित्तिकट्टु मियं देवि आपुच्छति ता मियाए देवीए गिहाओ पडिनिक्खमति त्ता मियग्गामं णगरं मज्झमज्झेणं निगच्छति त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति त्ता वंदति नम॑सति त्ता एवं व० एवं खलु अहं तु भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मियग्गामं नगरं मज्झंमज्झेणं अणुपविसामि त्ता जेणेव मियाए देवीए गिहे तेणेव उवागते, तते णं सा मिया देवी ममं एज्झमाणं पासति त्ता हट्ठ० तं चैव सव्वं जाव पूयं च सोणियं च आहारेति, तते णं मम इमे अज्झत्थिते० समुप्पज्जित्था - अहो णं इमे दारए पुरा जाव विहरति । ४ । से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के आसी किंनामए वा किंगोत्तए वा कयरंसि गामंसि वा नगरंवास किं वा दच्चा किं वा भोच्चा किं वा समायरित्ता केसिं वा पुरा पोराणाणं जाव विहरति ?, श्री आगमगुणमजूषा - ७५८ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) श्री निवागसूर्य पढमां सुयवबंधो१ अज्झवणं मियाउत (3) ********** गोयमाई ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोतमं एवं व० एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सयदुवारे णामं कारे होत्था रिद्धत्थिमित० वण्णओ, तत्थ णं सयदुवारे णगरे धणवती नामं राया होत्था, तस्स णं सयदुवारस्स नगरस्स अदूरसामंते बाहिणपुरच्छिमे दिसीभाए विजयवद्धमाणे णामं खेडे होत्था रिद्ध०, तस्स णं विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच गामसयाई आभोए यावि होत्था, तन्थ णं विजयवद्धमाणे खेडे एक्काई नाम रट्टकूडे होत्या अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, से णं एक्काई रट्ठकूडे विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंचण्हं गामसयाणं आहेवच्चं जाव पालेमाणे विहरति, तते णं से एक्काई विजयवद्धमाणस्स खेडस्स पंच गामसयाई बहूहिं करेहि य भरेहि य विद्धीहि य उक्कोडाहि य पराभवेहि य दिज्जेहि य भेज्जेहि य कुंतेहि य लंछपोसेहि य आलीवणेहि य पंथकोद्वेहि य ओवीलेमाणे २ विहम्मेमाणे २ तज्जेमाणे २ तालेमाणे २ निद्धणे करेमाणे २ विहरति, तते णं से एक्काई रट्ठकूडे विजयवड्ढमाणस्स खेडस्स बहूणं राईसर० जाव सत्थवाहाणं अण्णेसिं च बहूणं गामेल्लगपुरिसाणं बहूसु कज्जेसु कारणेसु य संतेसु य गुज्झेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य सुणमाणे भणति न सुणेमि असुणमाणे भणति सुणेमि एवं परस्समाणे भासमाणे गेण्हमाणे, जाणमाणे, तते णं से एक्काई रट्ठकूडे एयकम्मे एयप्पहाणे एयविज्जे एयसमायारे सुबहुं पावं कम्मं कलिकलुस समज्जिणमाणे विहरति, तते णं तस्स एगाइयस्स रट्ठकूडस्स अण्णया कयाई सरीरगंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायंका पाउब्भूया, तं०-सासे कासे जरे दाहे कुच्छिसूले भगंदरे । अरिसे अजीरते दिट्ठी मुद्धसूले १० अकारए || २ || अच्छिवेयणा कण्णवेयणा कंडू दओदरे कोढे १६, तते गं से एक्काई रट्ठकूडे सोलसहिं रोगातंकेहिं अभिभूते समाणे कोडुंबियपुरिसे सहावेति त्ता एवं व० गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! विजयवड्ढमाणे खेडे संघाडगतियचउक्कचच्चरमहापहपहेसु महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणा २ एवं वयह एवं खलु देवाणुप्पिया ! एक्काई० सरीरगंसि सोलस रोगायंका पाउब्भूता सासे कासे जरे जाव कोढे तं जो णं इच्छति देवाणुप्पिया ! वेज्जो वा वेज्जपुत्तो वा ओवा जायत्तो वा तेगिच्छिओ वा तेइच्छियपुत्तो वा एगातिस्स तेसिं सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायकं उवसामित्तते तस्स णं एक्काई रट्ठकूडे विपुलं अत्थसंपयाणं दलयति, दोच्चंपि तच्वंपि उग्घोसेह त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिण्ह, तते णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति, तते णं से विजयवद्धमाणे खेडे इ एयारूवं उग्घोसणं सोच्चा णिसम्म बहवे वेज्जा य० सत्यकोसहत्थगया सएहिं सएहिं गेहेहिंतो पडिनिक्खमंति त्ता विजयवद्धमाणस्स खेडस्स मज्झमज्झेण जेणेव एगाइरट्ठकूडस्स गेहे तेणेव उवागच्छंति त्ता एगाइसरीरयं परामुसंति त्ता तेसिं रोगाणं निदाणं पुच्छंति त्ता एक्कातीरट्ठकूडस्स बहुहिं अब्भंगेहिं य उव्वट्टणाहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणाहि य (प्र० सेयणाहि य) अवद्दाहणाहि य अवण्हाणेहि य अणुवासणाहि य वत्थिकम्मेहि य निरूहेहि य सिरोवेधेहि य तच्छणेहि य पच्छणेहि य सिरोवत्थीहि य तप्पणेहि य पुडपागेहि य छल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलियाहि य गुलियाहि य ओसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसिं सोलसण्डं रोयातंकाणं एगमवि रोयायंकं उवसामित्तए णो चेव णं संचाएंति उवसामित्तते, तते णं ते बहवे वेज्जा य वेज्जपुत्ता य० जाहे नो संचाएति तेसिं सोलसण्हं रोयातंकाणं एगमविरोयायकं उवसामित्तए ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगता, तते णं एक्काई विज्जेहि य० पडियाइक्खिए परियारगपरिचत्ते निव्विण्णोसहभेसज्जे सोलसरोगातंकेहिं अभिभूते समाणे रज्जे य रट्ठे य जाव अंतेउरे य मुच्छिते रज्जं च रटुं च आसाएमाणे पत्थेमाणे पीहेमाणे अहिलसमाणे अट्टदुहट्टवसट्टे अड्ढाइज्जाई वाससयाइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्टितीएस नेरइएस णेरइयत्ताए उववण्णे, से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव मियग्गामे नगरे विजयस्स खत्तियस्स मियाए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उवबण्णे, तते णं तीसे मियाए देवीए सरीरे वेयणा पाउब्भूया उज्जला जाव जलंता, जप्पभितिं च णं मियापुत्ते दारए मियाए देवीए कुच्छिसि गम्भत्ताए उववण्णे तप्पभिति च णं मियादेवी विजयस्स खत्तियस्स अणिट्ठा अकंता अप्पिया अमणुण्णा अमणामा जाया यावि होत्था, तते णं तीसे मियाए देवीए अण्णया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणीए इमे एयारूवे अज्झत्थिते जाव समुप्पण्णे. एवं खलु अहं विजयस्स खत्तियस्स पुव्विं इट्ठ धे (थे) ज्जा सासिया अणुमया आसी जप्पभितिं च णं मम इमे गब्भे कुच्छिसि गब्भत्ताए उववन्ने तप्पभितिं च णं विजयस्स अहं अणिट्ठा जाव अमणामा जाया यावि होत्था, फ्र श्री आगमगुणमजूषा - ७५९ Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 16055555 (११) श्री विवागस्य पढमा सुयक्बंधो ? अज्झयणं मियाउन नेच्छति णं विजए खत्तिए मम नामं वा गोत्तं वा गिण्हित्तते, किमंग पुण दंसणं वा परिभोगं वा ? तं सेयं खलु ममं एवं गब्भं बहूहिं गब्भसाडणाहि य पाडणाहि य गाणा मारणाहिय साडित्तए वा०, एवं संपेहति त्ता बहूणि खाराणि य तूवराणि य गब्भसाडणाणि य खायमाणी य पीयमाणी य इच्छति तं गब्भं साडित्तए वा०, नां चेवणं से गब्भे सडड वा० तते णं सा मियादेवी जाहे नो संचाएति तं गब्भं साहित्तए वा० ताहे संता तंता परितंता अकामिया असयंवसा तं गब्भं दुहंदुहेणं परिवहति, तस्स णं दारगस्स गब्भगयस्स चेव अड्ड णालीओ अब्भंतरप्पवहाओ, अट्ठ नालीओ बाहिरप्पवहाओ अट्ठ पूयप्पवहाओ अट्ठ सोणियप्पवहाओ दुवे २ कण्णंतरेसु दुवे २ अच्छिंतरेसु दुवे २ नक्वंतरेसु दुवे २ धमणिअंतरेसु अभिक्खणं २ पूयं च सोणियं च परिस्सवमाणीओ २ चेव चिह्नंति, तस्स णं दारगस्स गभगयस्स चेव अग्गिए नामं वाही पाउब्भूते जेणं से दारए आहारेति से णं खिप्पामेव विद्वंसमागच्छति पूयत्ताए सोणियत्ताए य परिणमति, तंपि य से पूयं च सोणियं च आहारेति, तते णं सा मियादेवी अण्णया कयाती णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया जातिअंधे जाव आगितिमित्ते तते णं सा मियादेवी तं दारयं हुंडं अंधारूवं० पासति त्ता भीया० अम्मधातिं सद्दावेति त्ता एवं व० गच्छइ णं देवा० तुमं एयं दारगं एगंते उक्कुरूडियाए उज्झाहि, तते णं सा अम्मधाती मियाए देवीए तहत एतम पडिसुणेति त्ता जेणेव विजए खत्तिए तेणेव उवागच्छइ त्ता करयलपरिग्गहीयं जाव एवं व० एवं खलु सामी ! मियादेवी नवण्हं जाव आगितिमित्तं तणं सा मियादेवी तं हुंडं अंधारूवं, पासति त्ता भीया० ममं सद्दावेति त्ता एव व० गच्छ णं तुमं देवा० ! एयं दारगं एगंते उक्कुरूडियाए उज्झाहि, तं संदिसह णं सामी ! तं दारगं अहं एगंते उज्झामि उदाहु मा ?, तते णं स विजए तीसे अम्म० अंतिते सोच्चा तहेव संभते उट्ठाते उट्ठेति त्ता जेणेव मियादेवी तेणेव उवागच्छति त्ता मियं देव एवं व०-देवाणु० ! तुझं पढमगब्भे तं जइ णं तुमं एवं एगंते उक्कुरूडियाए उज्झासि तो णं तुज्झ पया नो थिरा भविस्सति ते णं तुमं एयं दारगं रहस्सियंसि भूमिघरंसि रहस्सितेण भत्तपाणेणं पडिजागरमाणी २ विहराहि, तो णं तुज्झं पया थिरा भविस्सति, तते णं सा मियादेवी विजयस्स खत्तियस्स तहत्ति एयमहं विणएणं पडिसुणेति त्ता तं दार रह० भूमिघर० भत्त० पडिजागरमाणी विहरति, एवं खलु गोतमा ! मियापुत्ते दारए पुरा पोराणाणं जाव पच्चणुभवमाणे विहरति । ५। मियापुत्ते णं भंते ! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति कहिं उवज्जिहिति ?, गोतमा ! मियापुत्ते दारए छव्वीसं वासातिं परमाउयं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढगिरिपायमूले सीहकुलंसि सीहत्ताए पच्चायाहिति से णं तत्थ सीहे भविस्सति अहम्मिए जाव साहसिते सुबहु पावकम्मं जाव समज्जिणति त्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्ठिईएस जाव उववज्जिहिति से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता सरीसवेसु उववाज्जिहिति तत्थ णं कालं किच्चा दोच्चा ए पुढवीए उक्कोसेणं तिन्निसागरोवमठिई० से णं ततो अनंतरं उव्वट्टिता पक्खीसु उववज्जिहिति तत्थवि कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए सत्तसागरो० ततो सीहेसु तयाणंतरं चउत्थीए उरगो पंचमीए० इत्थी० छट्टीए० मणुओ० अहे सत्तमाए तत्तो अनंतरं उव्वट्टित्ता से जाई इमाई जलयरपंचिदियंतिरिक्खजोणियाणं मच्छकच्छभगाहमगरसुंसुमारादीरं अद्धतेरसजातिकुलकोडीजोणिपमुहसतसहस्साइं तत्थ णं एगमेगंसि जोणिविहाणंसि अगसयसहस्सक्खुत्तो, उद्दाइत्ता २ तत्थेव भुज्जो २ पच्चायाइस्सति से णं ततो उव्वट्टित्ता एवं चउप्पएस उरपरिसप्पेसु भुयपरिसप्पेसु खहयरेसु चउरिंदिएसु तेइंदिएसु बेइंदिएसु वणप्फतिकडुयरूक्खेसु कडुयदुद्धिएस वाउ० तेउ० आउ० पुढवी अणेगसतसहस्सक्खुत्तो० से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता सुपतिट्ठपुरे नगरे गोणत्ताए पच्चायाहिति से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे अण्णया कयाती पढमपाउसंसि गंगाए महाणदीए खलीणमट्टियं खणमाणे तडीए पेल्लिते समाणे कालगते तत्थेव सुपरट्ठपुरे नगरे सिट्टिकुलंसि पुमत्ताए पच्चायाइस्संति से णं तत्थ उम्मुक्क० जाव जोव्वणमणुप्पत्ते तहारूवाणं थेराणं अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्सति, से णं तत्थ अणगारे भविस्सति ईरियासमिते जाव बंभयारी, से णं तत्थ बहूइं वासाइं सामण्णपरियागं, पाउणित्ता आलोइयपडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति से णं अनंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाई इमाई कुलाई भवति अड्ढाई० जहा दढपतिपणे सा चेव वत्तव्वया कलाओ जाव सिज्झिहिति, सेवं भंते १२ त्ति भगवं गोयमे०, एवं खलु जम्बू ! समणेणं भगवता महावीरेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं 5 श्री आगमगुणमंजूषा ७६० फ्र ersonal-se 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G.C555555555555555 6.3055555555555555555555555555555555555yeron पढमस्स अज्झयणस्स अयमद्वे पण्णत्तेत्तिबेमि।६।। इति मृगापुत्रीयाध्ययनं ॥ जति णं मंतं : समणेणं जाव संपनेणं दुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पं० दोच्चस्स णं भंते ! अज्झयणस्स दुहविवागाणं समणेणं जाव० संपत्तेणं के अढे पं० १, नते णं से सुहम्मे अणगारे जंबूं अणगारं एवं व०-एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० वाणियग्गामे णाम नगरे होत्था रिद्र०, तस्स णं बाणियग्गामस्स उत्तरपुरच्छिमे दिखीभाए दूतिपन्नाय नाम उन्नाणे होत्था, तत्थ णं दुइपलासे० सुहमस्स जक्खस्स जक्खायतणे होत्था, तत्थ णं वाणियग्गामे मित्ते नामं राया होत्था वण्णओ, तत्थ णं मित्तस्स रण्णो सिरी नामं देवी होत्था वण्णओ, तत्थ णं वाणियग्गामे कामज्झया णामं गणिया होत्थाअहीण० जाव सुरूवा बावत्तरीकलापंडीया चउसटिगणियागुणोववेया एकूणतीसविसेसे रमम्माणी एक्कवीसरतिगुणप्पहाणा बत्तीसपुरिसोवयारकुसला णवंगसुत्तपडिबोहिया अट्ठारसदेसीभासाविसारया सिंगारागारचारूवेसा गीयरतियगंधव्वनट्टकुसला संगतगत० सुंदरत्थण ऊसियधया सहस्सलंभा विदिण्णछत्तचामरबालवीयणिया कण्णीरहप्पयाया यावि होत्था बहूणं गणियासहस्साणं आहेवच्चं जाव विहरति ७/ तत्थ णं वाणियग्गामे विजयमित्ते नाम सत्थवाहे परिवसति अड्ढे०, तस्स णं विजयामित्तस्स सुभहा नाम भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं विजयमित्तस्स पुत्ते सुभद्दाए भारियाए अत्तए उज्झियए नामं दारए होत्था अहीण जाव सुरूवे, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा निग्गता राया निग्गओ जहा कूणिओ निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा० पडिगओ राया य, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूती जाव लेसे छटुंछट्टेणं जहा पण्णत्तीए पढमाए जाव जेणेव वाणियगामे तेणेव उवा० वाणियग्गामे उच्चणीय अडमाणे जेणेव रायमग्गे तेणेव ओगाढे. तत्थ णं बहवे हत्थी पासति सण्णद्धबद्धवम्मियगुडिये उप्पीलियकच्छे उद्दामियघंटे णाणामणिरयणविविहगेविज्जउत्तरकंचुइज्जे पडिकप्पिते झयपडागवरपंचामेलआरूढहत्थारोहे गहियाउहपहरणे अण्णे य तत्थ बहवे आसे पासति सण्णद्धबद्धवम्मियगुडिते आविद्धगुडे ओसारियपक्खरे उत्तरकंचुइयओचूलमुह (प्र० चुडामुहा) चंडाधरचामरथासकपरिमंडियकडीए आरूठअस्सारोहे गहियाउहपहरणे अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसे पासति सण्णद्धबद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टीए पिणद्धगेवेज्जे विमलवरबद्धचिंधपट्टे गहियाउहपहरणे तेसिंच णं पुरिसाणं मज्झगयं पुरिसं पासति अवओडगबंधणं उक्वित्तकण्णनासं नेहतुप्पियगत्तं बज्झकरकडिजुयनियत्थं कंठेगुणरत्तमल्लदामं चुण्णगुंडियगातं वुण्णयं (प्र० घुण्णंत) वज्झपाणपीयं तिलंतिलं चेव छिज्जमाणं काकणिमंसाई खावियंतं पावं खक्कर (रक) सएहिं हम्ममाणं अणेगनरनारीसंपरिवुडं चच्चरे चच्चरे खंडपडहएणं उग्घोसिज्जमाणं इमं च णं एयारूवं उग्घोसणं सुणेति-नो देवाणुप्पिया ! उज्झियगस्स दारगस्स केई राया वा रायपुत्ते वा अवरज्झतिअप्पणो से सयाई कम्माइं अवरज्झंति।८ातते णं से भगवओ गोतमस्स तं पुरिसं पासित्ता इमे अज्झत्थिते०-अहोणं इमे पुरिसे जाव नरयपडिरूवियं वेयणं वेदेतित्तिकटु वाणियग्गामे णगरे उच्चनीयकुले जाव अडमाणे अहापज्जत्तं सामुयाणियं गेण्हति त्ता वाणियग्गामं नगरं मज्झंमज्झेणं जाव पडिदंसेति, समणं भगवं महावीरं वंदति णमंसति त्ता एवं व०-एवं खलु अहं भंते ! तुब्भेहिं अब्मणुण्णाते समाणे वाणियग्गामे तहेव जाव वेएति से णं भंते ! पुरिसे पुव्वभवे के आसी० जाव पच्चणुभवमाणे विहरति ?, एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हथिणाउरे नाम नयरे होत्था रिद्ध०. तत्थ णं हत्थिणाउरेणगरे सुणंदे नामं राया होत्था महयाहि०, तत्थ णं हत्थिणाउरे नगरे बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे गोमंडवे होत्था अणेगखंभसयसंनिविढे पासाईए० तत्थ णं बहवे णगरगोरूवाणं सणाहा य अणाहा य णगरबलीवद्दा य णगरपडिडयाओ य णगरवसभा य पउरतणपाणिया निब्भया निरूवसग्गा (व्विगा) सुहंसुहेणं परिवसंति, तत्थ णं हत्थिणाउरे नगरे भीमे नाम कृडग्गाहे होत्था अधम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे. तस्स णं भीमस्स कडग्गाहस्स उप्पला नाम भारिया होत्था अहीण०. तते णं उप्पला कडग्गाहिणी अण्णया कयाई आवण्णसत्ता जाया यावि होत्था, तते णं तीसे उप्पलाए कूडग्गाहिणीए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउब्भूते- धण्णाओं ताओ अम्मयाओ जाव सुलद्धे जम्मजीवि (यफले) जाओ णं बहूणं नगरगोरूवाणं सणाहाण य जाव वसभाण य ऊहेहि (१३५) य थणेहि य वसणेहि य छप्पाहि य ककुहेहि य वहेहि ॥ य कन्नहिय अच्छीहि य नासाहि य जिब्भाहि य ओट्टेहि य कंबलेहि य सोल्लेहि य तलितेहि य भज्जितेहि य परिसुक्केहि य लावणिएहि य सुरं च मधुं च मेरगं च जातिं eve5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-49545555555555555555555555555556 68听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听坎听听听听听听听听C Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3955555555555555 (११) श्री विवागसूयं पढ़मो सुयक्वंधो २ उज्झियते ६] 55555555555550' Prerno 乐乐乐乐乐 5岁男%%%%% 明明明明明明明明明明明明明乐明明明明明明明明明明明 2 च सीधुं च पसण्णं च आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुजेमाणीओ दोहलं विणेति, तं जइ णं अहमवि बहूणं नगर जाव विणेज्जामित्तिकट्टतंसि ॥ दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्खा भुक्खा निम्मंसा उलुग्गा उलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुल्लियमुही ओमंथियनयणवयणकमला जहोइयं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारहारं अपरि जमाणी करयलमलियव्व कमलमाला ओहय जाव झियाति इमं च णं भीमे कूडग्गाहे जेणेव उप्पला कुडग्गाहिणी तेणेव उवा० त्ता ओहय० जाव पासति त्ता एवं व०- किण्णं तुमं देवाणुप्पिया ओहय जाव झियासि ?, तते णं सा उप्पला भारिया भीमं कूड० एवं व० - एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दोहले पाउब्भूते- धण्णा णं० जाओ णं बहूणं गो० ऊहेहि य० लावणिएहि य० सुरं च० आसा० दोहलं विणिति तते णं अहं देवाणु० ' तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि जाव झियामि, तते णं से भीमे कूड० उप्पलं भारियं एवं व०- मा णं तुम देवाणु० ओहय जाव झियाहि अहं णं तहा करिहामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइ ताहिं इट्ठाइं जाव समासासेति, तते णं से भीमे कूड० अइढरत्तकालसमयंसि एगे अबीए सण्णद्ध जाव पहरणे सयाओ गिहाओ निग्गच्छति त्ता हत्थिणाउरं मज्झंमज्झेणं० जेणेव गोमंडवे तेणेव उवागते त्ता बहूणं णगरगोरूवाणं जाव वसभाण य अप्पेगइयाणं ऊहे छिंदति जाव अप्पेगइयाणं कंबलए छिंदति अप्पेगइयाणं अण्णमण्णाई अंगोवंगाई वियंगेति त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति त्ता उप्पलाए कूडग्गाहिणीए उवणेति, तते णं सा उप्पला भारिया तेहिं बहूहिंगोमंसेहिं सोल्लेहिं जाव सुरं च० आसा० तं दोहलं विणेति, तते णं सा उप्पला कूडग्गाही संपुण्णदोहला समाणियदोहला विणी(माणि)यदोहला वोच्छिण्णदोहला संप(पु)न्नदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहति, तते णं सा उप्पला कूड० अण्णया कयाती णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाता।९। तते णं तेणं दारएणं जायमेत्तेण चेव महया २ सद्देणं विघुढे चिच्चीसरे आरसिते, तते णं तस्स दारगस्स आरसियसदं सोचा निसम्म हत्थिणाउरे णगरे बहवे नगरगोरूवा जाव वसभा य भीया उब्विग्गा सव्वओ समंता विप्पलाइत्था, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं नामधेनं करेंति जम्हा णं अम्हे इमेणं दारएणं जायमेत्तेणं चेव महया २ सद्देणं विग्घुढे चिच्चीसरे आरसिते तते णं एयस्स दारगस्स आरसितसई सोच्चा निसम्म हत्थिणाउरे बहवे णगरगोरूवा जाव भीया० सव्वतो समंता विप्पलाइत्था तम्हा णं होउ अम्हं दारए गोत्तासए नामेणं, तते णं से गोत्तासे दारए उम्मुक्कबालभावे जाव जाते यावि होत्था, तते णं से भीमे कूडग्गाहे अण्णया कयाती कालधम्मुणा संजुत्ते तते णं से गोत्तासे दारए बहुणा मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं सद्धिं संपरिवुडे रोअमाणे कंदमाणे विलवमाणे भीमस्स कूडग्गाहस्स नीहरणं करेति त्ता बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेति, तते णं से सनंदे रायागोत्तासं दारयं अण्णया कयाती सयमेव कूडग्गाहित्ताए ठवेति, तते णं से गोत्तासे दारए कूडग्गाहे जाए यावि होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तते णं से गोत्तासे दारए कूडग्गाहे कल्लाकल्लिं अडरत्तकालसमयंसि एगे अबीएम सण्णद्धबद्धकवए जाव गहियाउहपहरणे सयातो गिहातो निजाति जेणेव गोमंडवे तेणेव उवा० बहूणं णगरगोरूवाणं सणा जाव वियंगेति त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवा०, ततेणं से गोत्तासे कूड० तेहिं बहूहिँ गोमंसेहि य सोल्लेहि य मझं च जाव सुरं च० आसा० विहरति, तते णं से गोत्तासे कूड० एयकम्मे० सुबहु पावं कम्म समज्जिणित्ता पंचवाससयाइं परमाउंपालयित्ता अट्टदुहट्टोवगते कालमासे कालं किच्चा दोच्चाए पुढवीए उक्कोसं तिसागरो० उववण्णे।१०। तते णं सा विजयमेत्तस्स सत्यवाहस्स सुभद्दा णामं भारिया जातनिंदया यावि होत्था जाया जाया दारगा विनिहायमावज्जति, तते णं से गोत्तासे कूड० दोच्चाओ पुढवीओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव वाणियग्गामे णगरे विजयमित्तस्स सत्थवाहस्स सुभद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे, तते णं सा सुभद्दा सत्थवाही अण्णया कयाई नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया तते णं सा सुभद्दा सत्थवाही तं दारगं जातमेत्तयं चेव एगते उक्कुरुडियाए उज्झावेति त्ता दोच्चंपि गेण्हावेति त्ता आणुपुव्वेणं सारक्खमाणी के संगोवेमाणी संवड्ढेति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो ठितिपडियं च चंदसूरदसणं च जागरियं च महया इड्डिसक्कारसमुदएणं करेति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापितरो एक्कारसमे दिवसे निव्वत्ते संपत्ते बारसाहे अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फण्णं नामधेनं करति जम्हाणं अम्हें इमे दारए जायमेत्तए चेव एगते उक्कुरुडियाए र उज्झिते तम्हाणं होउ अम्हं दारए उज्झियए नामेणं, तते णं से उज्झियए दारए पंचधातीपरिग्गहीते तं०- खीरधातीए मज्जण० मंडण० कीलावण० अंकधातीए जहा Mero5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा -७६२ 555555555555555555555 POR GG乐听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$2G風 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10 (११) श्री विवामसूयं पढमां सुबंध (0) ******** दढपतिपणे जाव निव्वाघाये गिरिकंदमल्लीणेव्व चंपयपायवे सुहंसुहेणं विहरति, तते णं से विजयमित्ते सत्यवाहे अन्नया कयाई गणिमं च धरिमं च मेज्जं च परिच्छेज्जं च चउव्विहं भंडगं गहाय लवणसमुद्दे पोयवहणेणं उवागते, तते णं से विजयमित्ते तत्थ लवणसमुद्दे पोतविवत्तीए णिब्बुड्डभंडसारे अत्ताणे असरणे कालधम्मुणा संजुत्ते, तते णं तं विजयमित्तं सत्यवाहं जे जहा बहवे ईसरतलवरमाडंबितको डुबियइब्भसेट्ठिसत्थवाहा लवणसमुद्दे पोयविवत्तीए विवत्तियं निब्बुडडभंडसारं कालधम्मुणा संजुत्तं सुर्णेति ते तहा हत्थिनिक्खेवं च बाहिरभंडसारं च गहाय एगते अवक्कमंति, तते णं सा सुभद्दा सत्थवाही विजयमित्तं सत्थवाहं लवणसमुद्दे पोतविवत्तीए विवत्तियं णिब्बुड्डभंडसारं कालधम्मुणा संजुत्तं सुणेति त्ता महया पतिसोएणं अप्फुण्णा समाणी परसुनियत्ताविव चंपगलता धसति धरणीतलंसि सव्वंगेहिं संनिवडिया, तते णं सा सुभद्दा खत्थवाही मुहुत्तंतरेणं आसत्था समाणी बहूहिं भित्त जाव परिवुडा रोयमाणी कंदमाणी विलवमाणी विजयमित्तस्स सत्थवाहस्स लोइयाइं मयकिच्चाई करेति, तते णं सा सुभद्दा सत्थवाही अण्णया कयाती लवणसमुद्दोत्तरणं च लच्छिविणासं च सत्थविणासं च पोतविणासं च पतिमरणं च अणुचिंतेमाणी २ कालधम्मुणा संजुत्ता ॥ ११ ॥ तते णं ते जगरगुत्तिया सुभद्दं सत्थ० कालगयं जाणित्ता उज्झियगं दारगं सातो गिहातो णिच्छभंति त्ता तं गिहं अण्णस्स दलयंति, तते से उज्झिते दारए सातो गिहातो निच्छूढे समाणे वणियगामे नगरे सिंघाडगजावपहेसु जूयखलएसु वेसियाघरएसु पाणागारेसु य सुहंसुहेणं परिवड्ढइ, तते णं से उज्झित दारए अणोहट्टिए अणिवारिए सच्छंदमती सइरप्पयारे मज्जप्पसंगी चोरजूयवेसदारप्पसंगी जाते यावि होत्था, तते णं से उज्झियते अण्णया कयाई कामज्झाए गणियाए सद्धिं संपलग्गे जाते यावि होत्था कामज्झयाए गणियाए सद्धिं विउलाई उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरति, तते णं तस्स मित्तस्स रण्णो अण्णया कयाई सिरीए देवीए जोणिसूले पाउब्भूते यावि होत्था, नो संचाएति विजयमित्ते राया सिरीए देवीए सद्धिं उरालाई माणुसगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए तते णं से विजयमित्ते राया अण्णया कयाती उज्झिययं दारयं कामज्झयाए गणिगाए गेहाओ णिच्छु भायेइ त्ता कामज्झयं णणियं अब्भिंतरियं ठावेति त्ता कामज्झयाए गणिगाए सद्धिं उरालाई जाव विहरति, तते णं से उज्झियए दारए कामज्झयाए गणियाए गिहातो निच्छुभिए समाणे कामज्झयाए गणियाए मुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोववण्णे अण्णत्थ कत्थई सुइं च रतिं च धितिं च अविंदमाणे तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्झवसाणे तदट्ठोवउत्ते तयप्पियकरणे तब्भावणाभाविते कामज्झयाए गणियाए बहूणि अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणे २ विहरति, तए णं से उज्झियए दारए अण्णया कयाई कामज्झयाए गणिया अंतरं लभेति कामज्झयाए गणियाए गिहं रहस्सियगं अणुप्पविसइ त्ता कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाइं भोगभोगाई भुंजमाणे विहरति, इमं च णं मित्ते राया हाते जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिते मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते जेणेव कामज्झयाए गणियाए गिहे तेणेव उवागच्छति त्ता तत्थ णं उज्झिययं दारयं कामज्झयाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाई जाव विहरमाणं पासति त्ता आसुरुत्ते० तिवलियभिउडिं निडाले साहट्टु उज्झिययं दारयं पुरिसेहिं गेण्हावेति त्ता अट्ठिमुट्ठिजाणुकोप्परपहारसंभग्गहितगत्तं करेति त्ता अवओडगबंधण करेति त्ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणावेति, एवं खलु गोतमा ! उज्झियए दार पुरा पोराणाणं कम्माणं जाव पच्चणुभवमाणे विहरति । १२| उज्झियए णं भंते! दारए इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छहिति कहि उववज्जिहिति ?, गोतमा ! उज्झियए दारए पणवीसं वासाइं परमाउं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलभिण्णे कए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रइयत्ताए उववज्जिहिति, से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे वेयड्ढगिरिपायमूले वानरकुलंसि वाणरत्ताए उववज्जिहिति, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तिरियभोएसु मुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोववण्णे जाते जाते वानरपेल्लए वहेहिति तं एयकम्मे० कालमासे कालं किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे नयरे गणियाकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चयाहिति, तते णं तं दारयं अम्मापितरो जायमेत्तकं वद्धेहिति नपुंसगकम्मं सिक्खावेहिंति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापितरो णिव्वत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं णामधेज्जं करेहिति, तं०- होउ णं पियसेणे णामं णपुसए, तते णं से पियसेणे नपुंसके उम्मुक्कबालभावे जोव्वणगमणुप्पते विण्णायपरिणयमेत्ते रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठे उक्किट्ठसरीरे भविस्सति, तते णं से पियसेणे णपुंसए इंदपुरे नगरे बहवे श्री आगमगुणमजूषा - ७६३ फ्र Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . 4G.955555555555555 (११) श्री विवागस्य पदमा सुयवस्वधा २.३ अभग्गरोण का 14] 55555555 $$$$$2C 5555555555555555555555555555555OSADHE SIGR955555555555555 राईसरजावपभिइओ बहूहि य विज्जापओगेहि य मंतचुण्णेहि य हियउड्डावणेहि य काउड्डावणेहि य निण्हवणेहि य पण्हवणेहि य वसीकरणेहि य आभिओगिएहि य । म अभिओगित्ता उरालाइं माणुस्सयाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरिस्सति, तते णं से पियसेणे णपुंसए एयकम्मे० सुबहुं पावं कम्मं समज्जिणित्ता एक्कवीसं वाससयं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पहाए पुढवीए णेरइयत्ताते उववनिहिति. ततो विरीसिवेसु सुंसुमारे संसारो तहेव जहा पढमे जाव पुढवी०. सेणं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपाए नयरीए महिसत्ताए पच्चायाहिति, सेणं तत्थ अण्णया कयाती गोछिल्लिएहिं जीवियाओववरोविए ॐ समाणे तत्थेव चंपाए नयरीए सेट्टिकुलंसि पुत्त(प्र० म)त्ताए पच्चायाहिति, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे तहारूवाणं थेराणं अंतिते केवलं बोहिं० अणगारे० सोहम्मे कप्पे जहा पढमे जाव अंतं करेहित्ति । निक्खेवो ।१३ ★ इति उज्झितकाध्ययनं २॥AX तच्चस्स उक्खेवो, एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० पुरिमताले णाम णगरे होत्था रिद्ध०, तस्स णं पुरिमतालस्स नगरस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थ णं अमोहदंसी उज्जाणे, तत्थ णं अमोहदंसिस्स जक्खस्स जक्खाययणे होत्था, तत्थणं पुरिमताले महण्णले णामं राया होत्था, तस्स णं पुरिमतालस्स णगरस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए देसप्पंते अडवी संठिया, एत्थं णं सालाडवी णामं चोरपल्ली होत्था विसमगिरिकंदरकोलंबसण्णिविट्ठा वंसीकलंकपागारपरिक्खित्ता छिण्णसेलविसमप्पवायफरिहोवगूढा अभितरपाणिया सुदुल्लभजलपेरंता अणेगखंडीविदितजणदिण्णनिग्गमप्पवेसा सुबहुयस्सवि कूवियस्स जणस्स दुप्पहंसा यावि होत्था, तत्थ णं सालाडवीए चोरपल्लीए विजए णामं चोरसेणावती अहम्मिए जाव विहरइ हणछिन्नभिन्नवियत्तए लोहियपाणी बहुणगरणिग्गतजसे सूरे दढप्पहारी साहसिते सहवेही असिलट्टिपढममल्ले. से णं कृ तत्थ सालाडवीए चोरपल्लीए पंचण्हं चोरसताणं आहेवच्चं जाव विहरति ।१४ । तते णं से विजए चोरसेणावती बहूणं चोराण य पारदारियाण य गंठिभेयगाण य संधिछेयाण य खंडपट्टाण य अण्णेसिंच बहूणं छिण्णभिण्णबाहिराहियाणं कुडंगे यावि होत्था, तते णं से विजए चोरसेणावई पुरिमतालस्स णगरस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लं जणवयं बहूहिं गामघातेहि य नगरघातेहि य गोग्गहणहि य बंदिग्गहणेहि य पंथकोट्टेहि य खत्तखणणेहि य ओवीलेमाणे २ विद्धंसेमाणे तज्जेमाणे तालेमाणे नित्थाणे निद्धणे निक्केणे कप्पायं करेमाणे विहरति, महब्बलस्स रणो अभिक्खणं २ कप्पायं २ गेण्हति, तस्स णं विजयस्स चोरसेणावइयस्स खंदसिरी णामं भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं विजयचोरसेणावइस्स पुत्ते खंदसिरीए भारियाए अत्तए अभग्गसेणे नामं दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे पुरिमतालनगरे समोसढे परिसा निग्गया राया निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा राया य पडिगओ, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेढे अंतेवासी गोयमे जाव रायमग्गं समोगाढे, तत्थ णं बहवे हत्थी पासति बहवे आसे० पुरिसे सण्णबद्धकवए, तेसिंणं पुरिसाणं मज्झगतं एगं पुरिसं पासति अवओडय० जाव उग्घोसेज्जमाणं, तते णं तं पुरिसं रायपुरिसा पढमंसि चच्चरंसि निसीयावेति त्ता अट्ठ चुल्लपिउए अग्गओ घाएंति त्ता कसप्पहारेहिं तालेमाणा २ कलुणं काकणिमंसाइं खावेति त्ता रूहिरपाणं च पाएंति, तदाणंतरं च णं दोच्चंसि चच्चरंसि अट्ठ चुल्लमाउयाओ अग्गओ घाएंति त्ता० एवं तच्चे चच्चरे अट्ठ महापिउए चउत्थे अट्ठ महामाउयाओ पंचमे पुत्ते छढे सुण्हाओ सत्तमे जामाउया अट्ठमे घूयाओणवमे णत्तुया दसमे णत्तुईओ एक्कारसमे णत्तुयावई बारसमेणत्तुइणीओ तेरसमे पिउस्सियपतिया चोइसमे पिउस्सियाओ पण्णरसमे माउसियापतिया सोलसमे माउस्सियाओ सत्तरसमे मामियाओ अट्ठारसमे अवसेसं मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरियणं अग्गओ घातेति त्ता कसप्पहारेहिं तालेमाणा २ कलुणं काकणिमंसाइं खावेति रूहिरपाणं च पाएंति।१५। ततेणं से भगवं गोतमे तं पुरिसं पासति त्ता इमे एयारूवे अज्झथिए। समुप्पण्णे जाव तहेव णिग्गते एवं व० - एवं खलु अहं भंते ! तं चेव जाव से णं भंते ! परिसे पुत्वभवे के आसी जाव विहरति, एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पुरिमताले नाम नगरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं पुरिमताले नगरे उदिओदए नामं राया होत्था महया०, तत्थ णं पुरिमताले निन्नए नामं ६ अंडयवाणियए होत्था अड्ढे जाव अपरिभूते अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं णिण्णयस्स अंडयवाणियगस्स बहवे पुरिसा दिण्णभतिभत्तवेयणा कल्लाकल्लिं र कोदालियाओ य पत्थियापिडए य गेण्हंति. पुरिमतालस्स णगरस्स परिपेरंतेसु बहवे काइअंडए य घूतिअंडए य पारेवइ० टिट्टिभिबगिमयूरिकुक्कुडिअंडए य अण्णेसिन roof5 5 श्री आगमगुणमंजूषा-9685555555555555555555555555550-OR ro55555555555555555555555555555555555555555555555556 Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ கமிராடை (४४) श्री विवागस्य पदमा सुयक्स्बंधी ३ अभग्गसंणं (5) फफफफफफफफफ च बहूणं जलयरथलयरखहयरमाईणं अंडाई गेण्हंतित्ता पत्थियपिडगाई भरेति त्ता जेणेव निन्नए अंडवाणियए तेणेव उवा० त्ता निन्नयस्स अंडवाणियगस्स उवर्णेति, तते णं तस्स निन्नयस्स अंडवाणियगस्स बहवे पुरिसा दिण्णभइ० बहवे काइअंडए य जाव कुक्कुडिअंडए य अण्णेसिं च बहूणं जलयरथल यरखहयरमाईण अंड तवएस य कवल्लीसु य कंदूसु य भज्जणएस य इंगोलेसु य तलेति भज्जेति सोल्लिति ना रायमग्गे अंतरावणंसि अंडयपणिएणं वित्ति' कप्पेमाणा विहरंति अप्पणावि यणं से निन्नयए अंडवाणियए तेहि बहूहिं काइअंडएहि य जाव कुक्कुडिअंडएहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च० आसाएमाणे० विहरति, तते णं से निन्नए अंडवाणियए एयकम्मे ० सुबहु पावं कम्म समज्जिणित्ता एवं वाससहस्सं परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा तच्चाए पुढवीए उक्कोससत्तसागरोवमट्टितीएसु इएस इयत्ताए उववण्णे । १६ । से णं तओ अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव सालाडवीए चोरपल्लीए विजयस्स चोरसेणावइस्स खंदसिरीएभारियाए कुच्छिसि पुत्त (प्र० म)त्ताए उववण्णे, तते णं तीसे खंदसिरीए भारियाए अण्णया कयाई तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं इमे एयारूवे दोहले पाउब्भूते धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ० ओ बहूहिं मित्तणाइनियगसयणसंबंधिपरियणमहिलाहिं अण्णाहिं य चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा ण्हाया जाव पायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिता विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं सुरं च० आसादेमाणा० विहरंति, जिमियभुत्तुत्तरागयाओ पुरिसनेवत्थिया सण्णद्ध जाव पहरणावरणा भरिएहिं फलएहिं णिक्किट्ठाहिं असीहिं अंसागतेहिं तोणेहिं सजीवेहिं धणूहिं समुक्खित्तेहिं सरेहिं समुल्लासियाहि य दामाहिं लंबियाहि य ऊरघंटाहिं छिप्पतूरेणं वज्जमाणेणं महया उक्तिट्ठ जाव समुद्दरवभूयं पिव करेमाणीओ सालाडवीए चोरपल्लीए सव्वओ समंता ओलोएमाणीओ २ आहिंडेमाणीओ २ दोहलं विर्णेति तं जइ णं अपि जाव विणिज्जामित्तिकट्ट तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि जाव झियाति, तते णं से विजए चोरसेणावती खंदसिरिभारियं ओहत जाव पासति त्ता एवं व० किण्णं तुमं देवाणु० ! ओहत जाव झियासि ?, तते णं सा खंदसिरी विजयं एवं व० एवं खलु देवाणु० ! मम तिण्हं मासाणं जाव झियामि, तते णं से विजए चोरसेणावती खंदसिरीभारियाए अंतिते एयमहं सोच्चा निसम्म० खंदसिरिभारियं एवं व० - अहासुहं देवाणुप्पिएत्ति एयमहं पडिसुणेति, तते णं सा खंदसिरीभारिया विजएणं चोरसेणावतिणा अब्भणुण्णाया समाणी हट्ट० बहूहिं मित्त जाव अण्णाहि य बहूहिं चोरमहिलाहिं सद्धिं संपरिवुडा पहाया जाव विभूसिता विपुलं असणं० सुरं च० आसादेमाणी० विहरति, जिमियत्तत्तरागया पुरिसणेवत्थिया सण्णद्धबद्ध जाव आहिंडमाणी डाहलं विणेति, तते णं सा खंदसिरिभारिया संपुण्णदोहला संमाणियदोहला विणी (माणि) दोहला वोच्छिण्णदोहला संपन्नदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहति, तते णं सा खंदसिरी चोरसेणावतिणी णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाता, तते णं से विजए चोरसेणावती तस्स दारणस्स महया इडिढसक्कारसमुदएणं दसरत्तं ठिइवडियं करेति, तते णं से विजए चोरसेणावती तस्स दारंगस्स एक्कारसमे दिवसे विपुलं असणं उवक्खडावेति मित्तनाति० आमंतेति ता जाव तस्सेव मित्तनाति० पुरओ एवं व० जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गब्भगयंसि समाणसि इमे एयारूवे दोहले पाउब्भूते तम्हा णं होउ अम्हं दारए अभग्गसेणे णामेणं, तते णं से अभग्गसेणे कुमारे पंचधाई जाव परिवड्ढति । १७। तते णं से अभग्गसेणकुमारे उम्मुक्कबालभावे यावि होत्था, अट्ठ दारियाओ जाव अट्ठओ दाओ उप्पिं पासाए भुंजमाणे विहरति, तते णं से विजए चोरसेणावती अण्णया कयाती कालधम्मुणा संजुत्ते, तते णं से अभग्गसेणे कुमारे पंचहिं चोरसतेहिं सद्धिं संपरिवुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे विजयस्स चोरसेणावइस्स महया इडिढसक्कारसमुदएणंणीहरणं करेति त्ता बहूई लोइयाई मयकिच्चाई करेति त्ता केवइकालणं अप्पसोए जाते यावि होत्था, तते णं ताइं पंच चोरसयाइं अन्नया कयाती अभग्गसेणं कुमारं सालाडवीए चोरपल्लीए महया० चोरसेणावइत्ताए अभिसिंचंति, तते णं से अभग्गसेणे कुमारे चोरसेणावती जाते अहम्मिए जाव कप्पायं गेण्हति तते णं ते जाणवया पुरिसा अभग्गसेणेणं चोरसेणावतिणा बहुगामधायावणाहिं० ताविया समाणा अण्णमण्णं सद्दावेति त्ता एवं व० एवं खलु देवाणु० ! अभग्गसेणे चोरसेणावती पुरिमतालस्स नगरस्स उत्तरिल्लं जणवयं बहूहिं गामघातेहिं जाव निद्रणं करेमाणे विहरति, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले णगरे महब्बलस्स रण्णो एतमहं विन्नवित्तते (प्र० निवेदित्तए) तते णं ते जाणवयपुरिसा एतमहं अण्णमण्णं पडिसुणेति ता महत्थं महग्घं महरिहं रायरिहं पाहुडं गेण्हति ना जेणेव पुरिमताले गरे For Private Personal Use LE LE LE LE LE LE LF 45 45 46 46 LE LE LE LE LE LE LLE 44467 फफफफफफफफफ Education International 2010_03 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 966666666666 (११) श्री विवागसूर्य पढमो सुयक्खंधो ३ अभग्गसेणं [१०] फफफफफफफफ जेणेव महब्बले राया तेणेव उवागते त्ता महब्बलस्स रण्णो तं महत्थं जाव पाहुडं उवर्णेति त्ता करयल० अंजलिं कट्टु महब्बलं रायं एवं व० एवं खलु सामी ! सालाडवीए चोरपल्लीए अभग्गसेणे चोरसेणावती अम्हे बहूहिं गामघातेहि य जाव निद्धणे करेमाणे विहरति तं इच्छामि णं सामी ! तुब्भं बाहुच्छायापरिग्गहीया निब्भया णिरुव्विग्गा सुहंसुहेणं परिवसित्तएत्तिकट्टु पादपडिया पंजलिउडा महब्बलं रायं एतमहं विण्णवेति, तते णं से महब्बले राया तेसिं जाणवयाणं पुरिसाणं अंतिए एयम सोच्चा निसम्म आसुरूत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडिं निडाले साहट्टु दंडं सद्दावेति त्ता एवं व०- गच्छह णं तुमं देवाणुप्पिया ! सालाडविं चोरपल्लिं विलुंपाहि त्ता अभग्गसेणं चोरसेणावइं जीवग्गाहं गेण्हाहि त्ता मम उवणेहि, तते णं से दंडे तहत्ति विणएणं एयमहं पडिसुणेति, तते णं से दंडे बहूहिं पुरिसेहिं सण्णद्ध जाव पहरणेहिं सद्धि संपरिवुडे मग्गइएहि फलएहिं जाव छिप्पतूरेणं वज्जमाणेणं महया २ जाव करेमाणे पुरिमतालं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छति त्ता जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं तस्स अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स चारपुरिसा इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा जेणेव सालाडवी चोरपल्ली जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावई तेणेव उवागच्छंति करयल जाव एवं व० एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नगरे महब्बलेणं रण्णा महया भडचडगरेणं दंडे आणत्ते - गच्छह णं तुमे देवाणु० ! सालाडविं चोरपल्लिं विलुंपाहिं त्ता अभग्गसेणं चोरसेणावतिं जीवग्गाहं गेण्हाहि त्ता ममं उवणेहि, तते णं से दंडे महया भडचडगरेणं जेणेव चोरपल्ली तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं से अभग्गसेणे तेसिं चारपुरिसाणं अंतिए एयमहं सोच्चा निसम्म पंचचोरसताई सद्दावेति त्ता एवं व०एवं खलु देवाणुप्पिया ! पुरिमताले नगरे महब्बले जाव तेणेव पहारेत्थ गमणाए आगते, तते णं से अभग्गसेणे ताइं पंचचोरसताइं एवं व० तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं तं दंड सालाडविं चोरपल्लिं असंपत्तं अंतरा चेव पडिसेहित्तए, तते णं ताइं पंचचोरसताइं अभग्गसेणस्स चोरसेणावइस्स तहत्ति जाव पडिसुर्णेति, तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावती विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति त्ता पंचहिं चोरसतेहिं सद्धिं पहाते जाव पायच्छित्ते भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं० सुरं च० आसाएमाणे० विहरति, जिमियभुत्तुत्तरागतेवि य णं समाणे आयंते चोक्खे परमसुईभूते पंचहिं चोरसतेहिं सद्धिं अल्लं चम्मं दुरूहति त्ता सण्णद्ध० जाव पहरणेहिं मग्गाइतेहिं जाव रवेणं पुव्वा (प्र० पच्चा) वरण्हकालसमयंसि सालाडवीओ चोरपल्लीओ णिग्गच्छति त्ता विसमदुग्गगहणं ठिते गहियभत्तपाणिए तं दंड पडिवालेमाणे चिट्ठति, तते णं से दंडे जेणेव अभग्गसेणे चोरसेणावती तेणेव उवागच्छति त्ता अभग्गसेणेणं चोरसेणावइणा सद्धिं संपलग्गे यावि होत्या, तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई तं दंडं खिप्पामेव हयमहिय जाव पडिसेहेति, तते णं से दंडे अभग्ग० चोरसे० हय० जाव पडिसेहिते समाणे अथामे अबले अवीरिए अपु(१३६) रिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमितिकट्टु जेणेव पुरिमताले नगरे जेणेव महब्बले राया तेणेव उवा० त्ता करयल० जाव एवं व० एवं खलु सामी ! अभग्गसेणे चोरसे० विसमदुग्गगहणं ठिते गहितभत्तपाणिए नो खलु से सक्का केणइ सुबहुएणावि आसबलेण वा हत्थिबलेण वा जोहबलेण वा रहबलेण वा चाउरंगेणंपि उरंउरेणं गेण्हित्तते ताहे सामेण य भेदेण य उवप्पदाणेण य वीसंभमाणेउं पयत्ते यावि होत्या. जेविय से अब्भिंतरगा सीसगभमा मित्तनातिनियगसयणसंबंधिपरियणं च विपुलधणकणगरयणसंतसारसावतेज्जेणं भिंदति, अभग्गसेणस्स य चोरसे० अभिक्खणं २ महत्थाई महग्घाई महरिहाई राय्मरिहाई पाहुडाइं पेसेति अभग्गसेणं च चोरसे० वीसंभमाणेइ।१८। तते णं से महब्बले राया अण्णया कयाई पुरिमताले नगरे एगं महं महतिमहालयं कूडागारसालं करेति अणेगखंभसतसंनिविट्टं पासाईयं०, तते णं से महब्बले राया अण्णया कयाई पुरिमताले नगरे उस्सुक्कं जाव दसरत्तं पमोयं उग्घोसावेति त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०- गच्छह णं तुब्भे देवाणु० ! सालाडवीए चोरपल्लीए तत्थ णं तुब्भे अभग्गसेणं चोरसे० करयल जाव एवं व० एवं खलु देवा० ! पुरिमताले नगरे महब्बलस्स रण्णो उस्सुक्के जाव दसरत्ते पमोदे उग्घोसिते तं किण्णं देवाणु० ! विउलं असणं० पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारे य इहं हव्वमाणिज्जउ उयाहु सयमेव गच्छित्था ?, तते णं कोडुंबियपुरिसा महब्बलस्स रण्णो कर० जाव पुरिमतालाओं णगराओ पडि० त्ता णातिविकट्ठेहिं अद्धाणेहिं सुहेहिं वसहिपायरासेहिं जेणेव सालाडवी चोरपल्ली तेणेव उवा० अभग्गसेणं चोरसेणावतिं करयल० जाव एवं व० एवं खलु देवाणु० ! पुरिमताले णगरे महब्बलस्स रण्णो उस्सुंके जाव उदाहु सयमेव गच्छित्था ?. तते णं से अभग्ग० चोरसे० ॐ श्री आगमगुणमंजूषा ७६६ Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XXXXXXXXXXXX CCF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听GO ते कोडुंबियपुरिसे एवं व०-अहण्णं देवाणु० ! पुरिमतालं णगरं सयमेव गच्छामि, ते कोडुबियपुरिसे सक्कारेति० पडिविसज्जेति, ततेणं से अभग्गसेणे चोरसे० बहूहिं मित्त० जाव परिवुडे पहाते जाव पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिते सालाडवीओ चोरपल्लीओ पडिनिक्खमति त्ता जेणेव पुरिमताले णगरे जेणेव महब्बले राया तेणेव उवा०त्ता करयल० महब्बलं रायं जएणं विजएणं वद्धावेति त्ता महत्थं जाव पाहुडं उवणेति, तते णं से महब्बले राया अभग्गसेणस्स चोरसे० तं महत्थं जाव पडिच्छति अभग्गसेणं चोर० सक्कारेति संमाणेति त्ता पडिविसज्जेति कूडागारसालं च से आवसहं दलयति, तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावती महब्बलेणं रण्णा विसज्जिते समाणे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छति, तते णं से महब्बले राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०-गच्छह णं तुब्भे देवाणु० ! विउलं असणं० उवक्खडावेहत्ता तं विउलं असणं० सुरं च० सुबहुं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं च अभग्गसेणस्स चोरसे० कूडागारसालाए उवणेह, ततेणं ते कोडुंबियपुरिसा करयल० जाव उवणेति, तते णं से अभग्गसेणे चोरसेणावई बहूहिं मित्त० सद्धिं संपरिवुडे पहाते जाव सव्वालंकारविभूसिए तं विउलं असणं० सुरं च० आसाए० पमत्ते विहरति, तते णं से महब्बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०-गच्छह णं तुब्भे देवाणु० पुरिमतालस्स नगरस्स दुवाराई पिधेह त्ता अभग्गसेणं चोरसेणावइं जीवग्गाहं गेण्हह त्ता ममं उवणेह तते णं ते कोडुंबिया करयल० जाव पडिसुणेति त्ता पुरिमतालस्स नगरप्स दुवाराई पिहेति अभग्गसेणं चोरसे० जीवग्गाहं गेण्हंति महब्बलस्स रण्णो उवणेति, तते णं से महब्बले राया अभग्गसेणं चोरसे० एतेणं विहाणेणं वज्झं आणवेति, एवं खलु गोतमा ! अभग्गसेणे चोरसेणावती पुरा जाव विहरति, अभग्गसेणे णं भंते ! चोरसेणावती कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिति ?, गोतमा ! अभग्गसेणे चोरसे० सत्ततीसं वासाइं परमाउयं पालइत्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलभिण्णे कते समाणे कालगते इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोस० नेरइएसु उववज्निहिति, से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता एवं संसारो जहा पढमे जाव पुढवीए ततो उव्वट्टित्ता वाणारसीए णगरीए सूयरत्ताए पच्चायाहिति से णं तत्थ सोयरिएहिं जीवियाउ ववरोविए समाणे तत्थेव वाणारसीए णगरीए सेट्टिकुलंसि पुत्त (प्र० म) त्ताए पच्चायाहिति, से णं तत्थ उम्मुक्कबालभावे एवं जहा पढमे जाव अंतं काहिति । निक्खेवो।★★★ १९|| इति अभग्गसेणज्झयणं ३॥★★★ जति णं भंते !० चउत्थस्स उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० साहंजणी नाम णगरी होत्था रिद्धस्थिमिय०, तीसे णं साहंजणीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए देवरमणे णामं उज्जाणे होत्था, तत्थ णं अमोहस्स जक्खस्स जक्खायतणे होत्था पुराणे०, तत्थ णं साहंजणीएणयरीए महचंदे नाम राया होत्था महता०, तस्स णं महचंदस्स रण्णो सुसेणे णामं अमच्चे होत्था सामदामभेयदंडनिग्गहकुसले, तत्थ णं साहंजणीए णगरीए सुदरिसणा णामं गणिया होत्था वण्णओ, तत्थणं साहंजणीए णयरीए सुभद्दे नाम सत्थवाहे परिवसइ अड्ढे०, तस्सणं सुभहस्स सत्यवाहस्स भद्दा नाम भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं सुभहस्स सत्थवाहस्स पुत्ते भद्दाए भारियाए अत्तए सगडे नामं दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसढे परिसा राया य निग्गते धम्मो कहिओ परिसा पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स० जेटे अंतेवासी जाव रायमग्गं ओगाढे, तत्थ णं हत्थी आसे पुरिसे० तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगतं पासति एगं सइत्थियं पुरिसं अवओडगबंधणं उक्कित्तकण्णनासं जाव उग्घोसणं चिंता तहेव जाव भगवं वागरेति-एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे छगलपुरे णामणगरे होत्था, तत्थ सीहगिरीणाम राया होत्था महया०, तत्थ णं छगलपुरे णगरे छण्णिए णामं छागलिए परिवसति अड्ढे अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्सणं छण्णियस्स छागलियस्स बहवे अयाण य एलयाणय रोज्झाण य वसभाण य ससयाण य पसयाण ॥ य सूयराण य सिंधाण य हरिणाण य मऊराण य महिसाण य सतबद्धाण य सहस्सबद्धाण य जूहाणि वाडगंसि सण्णिरूद्धाइं, चिटुंति. अण्णे य तत्थ बहवे पुरिसाई दिण्णभइभत्त० बहवे अए य जाव महिसे य सारक्खेमाणा संगोवेमाणा चिटुंति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णभति० बहवे अए य जाव महिसे य सयए य सहस्सए य जीवियाओ ववरोविति त्ता मंसाई कप्पणीकप्पियाई करेति छणियस्स छागलियस्स उवणेति, अण्णे य से बहवे पुरिसा ताइं बहुयाइं अयमंसाइं जाव महिसमसाई 乐乐听听听听听听听听乐乐所乐乐乐乐乐听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听国乐明明明明明明明明明明明明明 Consucchitr 5555555555श्री आगमगुणमंजूषा-७0155555555555555555555556IOR Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ O.0555555555555554 ११) श्री विवागमयं पढमा सयक्रवंधा ४.५ बहरसती (बृहस्पतिदत्त) [१२] 55555555555OOL CC$乐听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听历5C तवएसु य कवल्लीसु य कंदूएसु य भज्जणएसु इंगालेसु य तलेति य भज्जेति य सोल्लिति य ता य रायमगंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणावि य णं से छण्णियए छागलिए तेहिं बहूहि अयमंसेहि य जाव महिसमंसेहि य सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च० आसादेमाणे० विहरति, तते णं से छण्णिए छागलिए एयकम्मे० सुबहुं पावकम्मं कलिकलुसं समज्जिणिता सनवाससयाई परमाउं पालइला कालमासे कालं किया चथीए पुढवीए उक्कोयेणं दससागरोवमठितीएस णेरइएसुणेरइयत्ताए उववपणे ।२०। तते णं सा तस्स सुभद्दस्स सत्थवाहस्स भद्दा भारिया जाव शिंदुया यावि होत्था जाता २ दारगा विणिहायमावति, तते णं से छण्णिए छागलिए चउत्थीए पुढवीए अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव साहंजणीए णयरीए सुभहस्स सत्थवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे, तते णं सा भद्दा सत्थवाही अण्णया कयाई णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं दारगं पयाया, तते णं तं दारगं अम्मापियरो जायमेनं चेव सगडस्स हेदुओ ठवेति ना दोच्चंपि गेण्हावेति अणुपुव्वेणं सारक्खंति संगोवेति संवडढेति जहा उज्झियए जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए जायमेत्तए चेव सगडस्स हेट्टओ ठविते तम्हा णं होउणं अम्हं एस दारए सगडे नामेणं सेसं जहा उज्झियए, सुभद्दे लवणे कालगओ मायावि कालगता सेवि गिहाओ निच्छूढे, तते णं से सगडे दारए साओ गिहाओ निच्छूढे समाणे सिंघाडग० तहेव जाव सुदरिसणाए गणियाए सन्द्धिं संपलग्गे यावि होत्था, तते णं से सुसेणे अमच्चे तं सगडं दारयं अण्णया कयाई सुदरिसणाए गणियाए गिहाओ निच्छुभावेति त्ता सुदंसणियं गणियं अभितरयं ठावेति त्ता सुदरिसणाए गणियाए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरति, तते णं से सगडे दारए सुदरिसणाए गिहाओ निच्छूढे समाणे अण्णत्थ कत्थवि सतिं वा० अलभमाणे अण्णया कयाई रहस्सियं सुदरिसणागिहं अणुपविसति त्ता सुदरिसणाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरति, इमं च णं सुसेणे अमच्चे पहाते जाव विभूसिते मणुस्सवग्गुराए परिक्खित्ते जेणेव सुदरिसणागणियाए गिहे तेणेव उवा० त्ता सगडं दारयं सुदरिसणाए गणियाए सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुंजमाणं पासति त्ता आसुरूत्ते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि णिलाडे साहटु सगडं दारयं पुरिसेहिं गेण्हावेति त्ता अट्ठि जाव महियं करेति त्ता अय ओडगबंधणं करेति त्ता जेणेव महचंदे राया तेणेव उवा० करयल० जाव एवं व०-एवं खलु सामी ! सगडे दारए ममं अंतेपुरंसि अवरद्धे, तते णं महचंदे राया सुसेणं अमच्च एवं व०-तुमं चेव णं देवाणु० ! सगडस्स दारगस्स दंडं णिव्वत्तेहि, तए णं से सुसेणे अमच्चे महचंदेणं रण्णा अब्भणुण्णाए समाणे सगडं दारयं सुदरिसणं च गणियं एएणं विहाणेणं वज्झं आणावेति, तं एवं खलु गोतमा ! सगडे दारए पुरा पोराणाणं दुच्चिण्णाणं जाव विहरति ।२१। सगडे णं भंते ! दारए कालगते कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति?, गोतमा ! सगडे णं दारए सत्तावण्णं वासाइं परमाउं पालयित्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे एगं महं अओमयं तत्तसमजोइभूयं इत्थिपडिमं अवयासाविए समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववज्जिहिति से णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता रायगिहे णगरे मातंगकुलंसि जमलत्ताए पच्चायाहिति, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णिव्वत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं गोण्णं णामधेनं करिस्संति तं०-होउ णं दारए सगडे णामेणं होऊ णं दारिया सुदरिसणा णामेणं, तते णं से सगडे दारए उम्मुक्कबालभावे जोव्वण० भविस्सति, तए णं सा सुदरिसणावि दारिया उम्मुक्कबालभावा विण्णाय० जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा यावि भविस्सति, तए णं से सगडे दारए सुदरिसणाए स्वेण य जोव्वणेण य लावण्णेण मुच्छिते० सुदरिसणाए भइणीए सद्धिं उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरिस्सति, तते णं से सगडे दारए अण्णया कयाई सयमेव कूडग्गाहत्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरिस्सति, तते णं से सगडे दारए कूडग्गाहे भविस्सति अहम्मिए जाव दप्पडियाणंदे एयकम्मे सुबह पावं जाव समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरड़यत्ताए उववण्णे संसारो तहेव जाव पुढवी, सेणं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता वाणारसीए णयरीए मच्छत्ताए उववजिहिति, से णं तत्थ मच्छिएहिं वधिए तत्थेव वाणारसीए णयरीए सेट्टिकुलसि पुतत्ताए पच्चायाहिति बोही पव्वज्जा सोहम्मे के महाविदेहे सिज्झिहिति०. निक्वेवा ★★★।२२।। इति शकटाध्ययनं ४॥ जति णं भंते ! पंचमस्स अज्झयणस्स० उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं फू र कालेण० कोसंबी णाम णगरी होत्था रिद्ध०, बाहिं चंदोतरणे उज्जाणे सेयभद्दे जक्वे. तत्थ णं कोसंबीएणगरीए सयाणीए णाम राया होत्था महया०. मियावती देवी का 明明明明明明明明明明明明明明乐乐乐$$$$明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听之外, YouT EEEEEEEE airary.ani EKानाश्री आगमगणमंजषा-७EEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEER27 Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ E Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ★ विपासुत्र: ભગવાન મહાવીર શુભકર્મોથી શુભગતિ અને અશુભ કર્મોથી. અશુભગતિ થાય છે તેનું. नि३५९ . ગોમાંસ ભક્ષણ, સુરાપાન, વેશ્યાગમન, ઈંડા અને માંસનો વેપાર વગેરે કરનારાઓની. થતી ગતિ દર્શાવતી કથાઓ છે, સુપાત્રદાન કરવાથી મળતા. શુભફળની કથા પણ છે. * विपाकसूत्र: भगवान महावीर शुभकर्मोसे शुभगति और अशुभकर्मोंसे अशुभगति प्रास होती है इसका निरुपण कर रहे हैं। गोमांसभक्षण, सुरापान, वेश्यागमन, अंडे और मांसका व्यापार इत्यादि करनेवाले को मिलती गति की कथाएँ हैं। सुपात्रदान करनेसे मिलते शुभफल विषयक कथा भी है। * Vipāka - Sūtra : Lord Mahāvīra narrates the good results from the good actions and cvil results from the wicked actions. Beef-cating, Wine-drinking, Visiting Prostitutes, Selling eggs and meat etc. lead to evil results. Donation to a Worthy person leads to good results. ____dinducation international 2010-03 FOS.ROVE & Personal use only www.jainelibrarial Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ **¶¶¶¶KKKKKKS/ (९)14 (23) ********* तस्स णं सयाणीयस्स पुत्ते मियावतीए अत्तए उदायणे णामं कुमारे होत्था अहीण० जुवराया, तस्स णं उदायणस्स कुमारस्स पउमावती णामं देवी होत्था, तस्स णं सयाणीयस्स सोमदत्ते नामं पुरोहिए होत्था रिउव्वेद०, तस्स णं सोमदत्तस्स पुरोहियस्स वसुदत्ता णामं भारिया होत्था, तस्स णं सोमदत्तस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए बहस्सइदत्ते नामं दारए होत्या अहीण०, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसरणं, तेणं कालेणं० भगवं गोतमे तहेव जाव रायमग्गं ओगाढे तहेव पासति हत्थी आसे पुरिसे मज्झे पुरिसं चिंता तहेव पुच्छति पुव्वभवं भगवं वागरेति एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सव्वओभद्दे णामं णगरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं सव्वतोभद्दे णगरे जितसत्तू णामं राया होत्था, तस्स णं जितसत्तुस्स रण्णो महेसरदत्ते नामं पुरोहिए होत्था रिउव्वेद० जाव अथव्वणकुसले यावि होत्था, तते णं से महेसरदत्ते पुराहिते जितसंत्तुस्स रण्णो रज्जबलविवद्धणट्टयाए कल्लाकल्लिं एगमेगं माहणदारगं एगमेगं खत्तियदारगं एगमेगं वइस्सदारगं एगमेगं सुद्ददारगं गेण्हावेति त्ता तेसिं जीवंतगाणं चेव हिययउंडए गेण्हावेति त्ता जितसत्तुस्स रण्णो संतिहोमं करेति, तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिते अट्ठमिचउद्दसीसु दुवे माहणखत्तियवेस्ससुद्ददारगे चउण्हं मासाणं चत्तारि २ छण्हं मासाणं अट्ठ २ संवच्छरस्स सोलस २ जाहे जाहेविय णं जितसत्तू राया परबलेणं अभिजुज्झति ताहे तावि य णं से महेसरदत्ते पुरोहिए अट्ठसयं माहणदारगाणं अट्ठसयं खत्तियदारगाणं अट्ठसयं वइस्सदारगाणं अट्ठसयं सुद्ददारगाणं पुरिसेहिं गिण्हावेति त्ता तेसिं जीवंत गाणं चैव हियउंडए गेण्हावेति त्ता जितसत्तुस्स रण्णो संतिहोमं करेति, तते णं से परबलं खिप्पामेव विद्धंसेति वा पडिसेहिज्जति वा । २३। तते णं से महेसरदत्ते पुरोहिते एकमे० सुबहु पावं जाव समज्जिणित्ता तीसं वाससयाई परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा पंचमाए पुढवीए उक्कोसेणं सत्तरससागरोवमट्ठितिए नरगे उववण्णे, से णं ततो अनंतरं उव्वट्टित्ता इहेव कोसंबीए णयरीए सोमदत्तस्स पुरोहितस्स वसुदत्ताए भारियाए पुत्तत्ताए उववण्णे, तते णं तस्सदारगस्स अम्मापितरो निव्वत्तबारसाहस्स इमं एयारूवं नामधिज्जं करेति जम्हा णं अम्हं इमे दारए सोमदत्तस्स पुरोहियस्स पुत्ते वसुदत्ताए अत्तए तम्हा णं होउ अम्हं दारए बहस्सतिदत्ते नामेणं, तते गं से बहस्सतिदत्ते दारए पंचधातीपरिग्गहीते जाव परिवड्ढति, तते णं से बहस्सतिदत्ते उम्मुक्कबालभावे जोव्वण० विष्णाय होत्था, से णं उदायणस्स कुमारस्स पियबालवयंसे यावि होत्था सहजायए सहवडिढयए सहपंसुकीलियए, तते णं से सयाणीए राया अण्णया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, तते से उदय कुमार बहूहिं राईसरजावसत्थवाहप्पभितीहिं सद्धिं संपरिवुडे रोयमाणे कंदमाणे विलवमाणे सयाणीयस्स रण्णो महया इड्ढिसक्कारसमुदएणं णीहरणं करेति त्ता बहूइं लोइ- याइं मयकिच्चाई करेति, तते णं ते बहवे राईसरजावसत्यवाहा उदायणं कुमारं महया रायाभिसेणेणं अभिसिंचंति, तते णं से उदायणे कुमारे राया जाते महया०, तते णं से बहस्सतिदत्ते दारए उदायणस्स रण्णो पुरोहियकम्मं करेमाणे सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु अंतेउरे य दिण्णवियारे जाते यावि होत्था, तते णं से बहस्सतिदत्ते पुरोहिते उदायणस्स रण्णो अंतउरे वेलासु य अवेलासु य काले य अकाले य राओ य वियाले य पविसमाणे अण्णया कयाई पउमावतीए देवीए सद्धिं संपलग्गे यावि होत्था, पउमावतीए देवीए सद्धिं उरालाई० भुंजमाणे विहरति, इमं च णं उदायणे राया हाए जाव विभूसिते जेणेव पउमावती देवी तेणेव उवा० त्ता बहस्सतिदत्तं पुरोहितं पउमावतीए देवीए सद्धिं उरालाई० भुंजमाणं पासति त्ता आसुरूत्ते तिवलियं भिउडिं साहट्टु बहस्सतिदत्तं पुरोहितं पुरिसेहिं गिण्हावेति त्ता जाव एतेणं विहाणेणं वज्झं आणवेति, एवं खलु गोतमा ! बहस्सतिदत्ते पुराहिते पुरा पोराणाणं जाव विहरति, बहस्सतिदत्ते णं भंते! दारए पुरोहिते इओकालते समाणे कहिं गच्छिहितिं कहिं उववज्जिहिति ?, गोतमा ! बहस्सतिदत्ते णं दारए पुरोहिते चउसट्टिं वासाइं परमाउं पालयित्ता अज्जेव तिभागावसेसे दिवसे सूलभ कते समाणे कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए० संसारो तहेव पुढवी, ततो हत्थिणाउरे णगरे मियत्ताए पच्चायाइस्सति, से णं तत्थ वाउरिएहिं वहिते समाणे तत्थेव हत्थिणाउरे णगरे सेट्ठिकुलंसि पुत्तत्ताए० बोही० सोहम्मे० महाविदेहे० सिज्झिहिति० । णिक्खेवो ★★★ | २४|| इति बृहस्पतिदत्ताध्ययनं ५॥ ★★★ जति णं भंते !० छट्ठस्स उक्खेवो । एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० महुरा णगरी भंडरी उज्जाणे सुदरिसणे जक्खे सिरिदा या बंधुसिरी भारिया पुत्ते दिवद्धणे णामं कुमारे अहीण० जाव जुवराया, तस्स सिरिदामस्स सुबंधू नामं अमच्चे होत्था सामदंड०, तस्स णं सुबंधुस्स अमच्चस्स श्री आगमगुणमंजूषा - ७६९ ॐ YOKOR Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HORO (११) श्री विवागसूर्य पढमो सुयक्खंधो ६ नंदीसेण [१४] बहुमित्तापुत्ते णामं दार होत्था अहीण०, तस्स णं सिरिदामस्स रण्णो चित्ते णामं अलंकारिए होत्था, सिरिदामस्स रण्णो चित्तं बहुविहं अलंकारियकम्मं कमाणे सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमियासु य अंतेउरे य दिण्णवियारे यावि होत्या, तेणं कालेणं० सामी समोसढे परिसा राया य निग्गओ जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेनं० समणस्स जेट्ठे जाव. रायमग्गं ओगाढे तहेव हत्थी आसे पुरिसे तेसिं च णं पुरिसाणं मज्झगयं एवं पुरिसं पासति जाव नरनारीसंपरिवुडं, तते णं तं पुरिसं रायपुरिसा चच्चरंसि तत्तंसि अओमयंसि समजोइभूयसिंहासणंसि निवेसावेति तयाणंतरं च णं पुरिसाणं मज्झगयं बहूहिं अयोकलसेहिं तत्तेहिं समजो भूतेहिं अप्पेगइएहिं तंबभरिएहिं अप्पे० तज्यभरिएहिं अप्पे० सीसगभरिएहिं अप्पे० कलकलभरिएहिं अप्पे० खारतेल्लभरिएहिं महया महया रायाभिसेएणं अभिसिंचंति तयाणंतरं च णं तत्तं अओमयं समजोतिभूयं अभमयं संडासएणं गहाय हारं पिणद्धंति तयाणंतरं च णं अद्धहारं जाव पट्टं मउडं चिंता तहेव जाव वागरेति, एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारह वासे सीहपुरे णामं णगरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं सीहपुरे नगरे सीहरहे णामं राया होत्या, तस्स णं सीहरहस्स रण्णो दुज्जोहणे नाम चारपाले होत्था अधम्मिए नाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स इमे एयारूवे चारगभंडे होत्या, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे अयकुंडीओ अप्पेगतियाओ तंबभरियाओ अप्पे० तउयभरियाओ अप्पे० सीसगभरियाओ अप्पे० कलकलभरियाओ अप्पे० खारतेल्लभरियाओ अगणिकायंसि अद्दहिया चिट्टंति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारग० बहवे उट्टियाओ आसमुत्तभरियाओ अप्पे० हत्थिमुत्तभरियाओ अप्पें उट्टमुत्तभरियाओ अप्पे० गोमुत्तभरियाओ अप्पे महिसमुत्तभरियाओ अप्पे० अयमुत्तभरियाओ अप्पे० एलमुत्तभरियाओ बहुपडिपुण्णाओ चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे हत्थंदुयाण य पायंदुयाण य हडीण य नियलाण य संकलाण य पुंजा निगरा य सण्णिक्खित्ता चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे वेणुलयाण य वेत्तलयाण य चिंचा० छियाण य कसाण य वायरासीण य पुंजा णिगरा चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चा० बहवे सिलाण य लउडाण य मुग्गराण य कणगराण य पुंजा णिगरा चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स बहवे तंतीणय वरत्ताण य वागरज्जूण य वालरज्जूण य सुत्तरज्जूण य पुंजा णिगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स बहवे असिपत्ताण य करपत्ताण य खुरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य पुंजा णिगरा चिद्वंति, तस्स णं दुज्जोहणस्सचारग० बहवे लोहखीलाण य कडसक्कराण य चम्मपट्टाण य अन्ताण य पुंजा णिगरा चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चारग० बहवे सूईण य डंभणाण य कोट्टिल्लाण य पुंजा णिगरा चिट्ठति, तस्स णं दुज्जोहणस्स चार बहवे सत्याण य पिप्पलाण य कुहाडाण य नहछेयणाण य दब्भाणं य पुंजा णिगरा चिट्ठति, तते गं से दुज्जोहणे चारगपाले सीहरहस्स रण्णो बहवे चोरे य पारदारिए य गंठिभेदे य रायावगारी य अणधारए य बालघाती य वीसंभघाती य जूतिकारे य खंडपट्टे य पुरिसेहिं गेण्हावेति त्ता उत्ताणए पाडेति त्ता लोहदंडेणं मुहं विहाडेति त्ता अप्पेगतिए तत्ततंबं पज्जेति अप्पेगतिए तउयं पज्जेति अप्पगतिए सीसगं पज्जेति अप्पे० कलकलं प० अप्पे खारतेल्लं प० अप्पेगतियाणं तेणं चेव अभिसेगं करेति अप्पे० उत्ताणे पाडेति त्ता आसमुत्तं पज्जेति अप्पे० हत्थिमुत्तं पज्जेति जाव एलमुत्तं पज्जेति अप्पे० हेट्ठामुहे पाडेति छलछलस्स वमावेति त्ता अप्पेगतियाणं तेणं चेव ओवीलं दलयति अप्पे० हत्थंदुयाहिं बंधावेइ अप्पे० पायंदुयाहिं अप्पे० हडिबंधणं करेति अप्पे० नियलबंधणं करेति अप्पे० संकोडियमोडियए करेति अप्पे० संकलबंधणे करेति अप्पे० हत्थछिण्णए करेति जाव सत्थोवाडिए करेति अप्पे० वेणुलयाहि य जाव वायरासीहि य (प्र० पहरणातिहि य) हणावेति अप्पे० उत्ताणए कारवेति उरे सिलं दलावेति त्ता लउलं छुभावेति त्ता पुरिरसेहिं उक्कंपावेति अप्पे० तंतीहि य जाव सुत्तरज्जूहि य हत्थेसु य पादेसु य बंधावेति अगडंसि उच्चूलं बोलगं पज्जेति अप्पे० असिपत्तेहि य जाव कलंबचीरपत्तेहि य पच्छावेति खारतेल्लेणं अब्भिंगावेति अप्पेगतियाणं णिडालेसु य अवडूसु य कोप्परेसु य जाणूसु य खलुएस य लोहकीलए य कडसक्कराओ य दवावेति अलिए भंजावेति अप्पेगतियाणं सूईओ य दंभणाणि य हत्थंगुलियासु पायंगुलियासु य कोट्टिल्लएहिं आओडावेति त्ता भूमिं कंडूयावेति अप्पे० सत्यएहि य जाव नहच्छेदणएहि य अंगं पच्छावेइ दब्भेहि य कुसेहि य उल्लचम्मे (वदे) हि य वेढावेति आयवंसि दलयति त्ता सुक्खे समाणे चडचडस्स उप्पाडेति, तते णं से दुज्जोहणे चार० एयकम्मे० सुबहुं पावं समज्जिणित्ता एगतीसं वाससताई परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए 5 श्री आगमगुणमंजूषा ७७० फ्र 208 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOO95955555555555555555555555555555555555555555555emes ssssssssssssss 55555555555552 उक्कोसेणं बावीससागरोवमद्वितीएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववण्णे।२५/ सेणं ततो अणतरं वट्टित्ता इहेव महुराए णयरीए सिरिदामस्स रनोबंधुसिरीए देवीए कुच्छिसि पुमत्ताए उववण्णे, ततेणं बंधुसिरी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव दारगं पयाया, तते णं तस्स दारगस्स अम्मापितरो लिप्पते बारसाहे इमं एयारूवं णामधेनं करेति-होउणं अम्हं दारगे णंदिसेणे नामेणं, तते णं से णंदिसेणे कु० पंचधातीपरिवुद जाव परिवड्ढति, तते णं से णंदिसेणे कुमारे उम्मुक्कबालभावे जाव विहरति जाव जुवराया जाते यावि होत्था, ततेणं सेणंदिसेणे कुमारे रज्जे य जाव अंतेउरे य मुच्छिते इच्छति सिरिदामं रायं जीविताओ ववरोवित्तए सयमेव रज्जसिरि कारेमाणे पालेमाणे विहरित्तए, तते णं से णंदिसेणे कुमारे सिरिदामस्स रण्णो बहूणि अंतराणि य छिद्दाणि य विरहा (वरा) णि य पडिजागरमाणे विहरति, तते णं से णंदिसेणे कुमारे सिरिदामस्स रण्णो अंतरं० अलभमाणे अण्णया कयाई चित्तं अलंकारियं सद्दावेति त्ता एवं व०-तुमं णं देवाणु० सिरिदामस्स रण्णो सव्वट्ठाणेसु सव्वभूमिसु अंतउरे य दिण्णवियारे सिरिदामस्स रण्णो अभिक्खणं अलंकारियं कम्मं करेमाणे विहरसि, तण्णं तुम देवाणुप्पिया ! सिरिदामस्स रण्णो अलंकारियं कम्मं करेमाणे गीवाए खुरं निवेसेहि तण्णं अहं तुम अद्धरज्जियं करिस्सामि तुम अम्हेहिं सद्धिं उरालाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरिस्ससि, तते णं से चित्ते अलंकारिए णंदिसेणस्स कुमारस्स वयणं एयमद्वं पडिसुणेति, तते णं तस्स चित्तस्स अलंकारियस्स इमे एयारूवे जाव समुप्पज्जित्था जति णं ममं सिरिरदामे राया 3 एयमढे आगमेति तते णं ममं ण णज्जति केणई असुभेणं कुमारेणं मारिस्सतित्तिकटु भीए जेणेव सिरिदामे राया तेणेव उवा० त्ता सिरिदामं राय रहस्सियं करयल० जाव एवं व०-एवं खलु सामी गदिसेणे कुमारे रज्जे जाव मुच्छिते इच्छति तुम्भे जीविताओ ववरोवेत्ता सयमेव रज्जसिरिं कारेमाणे पालेमाणे विहरित्तए, तते णं से सिरिदामे राया चित्तस्स अलंकारियस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म आसुरूत्ते जाव साह णंदिसेणं कुमारं पुरिसेहिं सद्धिं गेण्हावेति त्ता एएणं विहाणेणं वज्झं आणवेति, तं एवं खलु गोतमा ! णंदिसेणे पुत्ते जाव विहरति, णंदिसेणे कुमारे इओ चुते कालमा कालं किच्चा कहिंगच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति?, गोतमा ! णंदिसेणे कुमारे सर्टि वासाई परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवी संसारो तहेव ततो हत्थिणाउरे णगरे मच्छत्ताए उववण्णे, सेणं तत्थ मच्छिएहिं वहिते समाणे तत्थेव सिट्ठिकुले० बोही० सोहम्मे महाविदेहे० सिज्झिहिति०, एवं खलु जम्बू ! णिक्खेवो छट्ठस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्तेत्तिबेमि ★★★२६॥ इति नन्दिसेणज्झयणं ६॥** जति णं भंते !० उक्खेवो सत्तमस्स, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० पाडलिसंडे णगरे वणसंडे नाम उज्जाणे उबरदत्तोजक्खो, तत्थ णं पाडलिसंडेणगरे सिद्धत्थे राया, तत्थ णं पाडलिसंडे सागरदत्ते सत्थवाहे होत्था अड्ढे०, गंगदत्ता भारिया, तस्सणं सागरदत्तस्स पुत्ते गंगदत्ताए भारिपए अत्तए उंबरदत्ते नामं दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं० (प्र० समणस्स भगवओ) समोसरणं जाव परिसा पडिगता, तेणं कालेणं० भगवं .. गोतमे तहेव जेणेव पाडोक्षसंड णगरे तेणेव उवा० पाडलिसंडे णगरं पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुप्पविसति तत्थ णं पासति एणं पुरिसं कच्छुल्ल कोढियं दओयरियं भगंदरियं अरिसिल्लं कासिल्लं (प्र० घासिल्लं) सोसिल्लं सासि (सोगि) ल्लं सूयमुहं सूयहत्थं सूयपाय सडियहत्थगुंलियं सडियपायंगुलिय सडितकण्णनासियं रसियाए य पूरण य थिविथिवितं वणमुहकिमिउत्तुयंतपगलंतपूयरूहिरं लालापगलंतकण्णणासं अभिक्खणं २ पूयकवले य रूहिरकवले य किमियकवले य वममाणं कट्ठाई कलुणाई वीसराइं कूवमाणं मच्छियाचडगरपहगरेणं अण्णिज्जमाणमग्गं फुट्टहडाहडसीसं दंडिखंडनिवसणं खंडमल्लखंडघडहत्थगयं गेहे २ देहंबलियाए वित्तिं कप्पेमाणं पासति त्ता तदा भगवं० भत्तपाणं आलोएति भत्तपाणं पडिदंसेति त्ता समणेणं० अब्भणुण्णाते जाव बिलमिव पन्नगभूतेणं अप्पाणणं आहारमाहारेइ संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तते णं से भगवं गोतमे दोच्चंमि छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए जाव पाडलिसंड णगरं दाहिणिल्लेणं दुवारेणं अणुप्पविसति तं चेव पुरिसं पासति कच्छुल्ल तहेव जाव संजमे० विहरति , तते णं से गोतमे तच्चमि छट्ठ० तहेव जाव पच्चस्थिमिल्लेणं दुवारेणं अणुपविसमाणे तं फ चेव पुरिसं कच्छु० पासति चोत्थछट्ठ० उत्तरेणं० इमे अज्झत्थिए० समुप्पण्णे-अहो णं इमे पुरिसे पुरा पोराणाणं जाव एवं व०-एवं खलु अहं भंते ! छट्ठस्स $$$$乐乐乐听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐听听听听听垢听听听听听听乐乐坊乐乐乐乐圳坂田网 xoxo959555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ७७१555555555555555555555555GTOR Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C RO5555555555555 (११) श्री विवागसूर्य पढमो सुयक्खंधो ७ उंबरदत्त [१६] %% %% %%% %FOSSOR पारणयंसि जाव रियंते जेणेव पाडलिंसंडे तेणेव उवा० त्ता पाडलि० पुरच्छिमिल्लेणं दारेणमणुप्पविढे तत्थ णं एगं पुरिसं पासामि कच्छुल्लं जाव कप्पेमाणं तं अहं दोच्चंमि छटुं० पारणगंसि दाहिणिल्ले दारे तहेव तच्चमि छट्ठ० पच्चत्थिमेण तहेव तं अहं चउत्थे छट्ठ० पारणे उत्तरदारेण अणुपविसामि तं चेव पुरिसं पासामि कच्छुल्लं जाव वित्तिं कप्पेमारे विहरति, चिंता ममं पुव्वभवपुच्छा वागरेति-एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विजयपुरे णामं णगरे होत्था रिद्ध०, तत्थ णं विजयपुरे णगरे कणगरहे णामं राया होत्था०, तस्स णं कणगरहस्स रणो धण्णंतरी णामं वेज्जे होत्था अटुंगाउव्वेदपाढए तं०-कोमारेभिच्चं सलागे (प्र० सालगे) सल्लहत्ते कायतिगिच्छा जंगोले भूयवेज्जे रसायणे वाजीकरणे सिवहत्थे, सुहहत्थेलहुहत्थे, ततेणं से धण्णंतरी वेज्जे विजयपुरेणगरे कणगरहस्स रण्णो अंतेउरे य अण्णेसिं च बहूणं राईसर० जाव सत्थवाहाणं अण्णेसिं च बहूणं दुब्बलाण य गिलाणाण य वाहियाण य रोगियाण य सणाहाण य अणाहाण य समणाण य माहणाण य भिक्खागाण य करोडियाण य कप्पडियाण य आउराण य अप्पेगतियाणं मच्छमंसाइं उवदिसति अप्पे० कच्छभमं० अप्पे० गाहमं० अप्पे० मगरमं० अप्पे० सुंसुमारमं० अप्पे० अयमंसाइं एवं एलरोज्झसूयरमिगससंयगोमहिसमंसाइं अप्पे० तित्तिरमंसाइं अप्पे० वट्ट० कलावक० कवोत० कुक्कुडमयूर० अण्णेसिंच बहूणं जलयरथलयरखहयरमादीणं मंसाइं उवदंसेति अप्पणावि य णं से धण्णंतरी वेज्जे तेहिं बहूहिं मच्छमंसेहि य जाव मयूरमंसेहि य० अण्णेहिं बहूहि य जलयरथलयरखहयरमंसेहि य मच्छरसेहि य जाव मयूररसेहि य सोल्लेहिं तलिएहिं भज्जिएहि य सुरं च० आसाएमाणे० विहरति, तते णं से धण्णंतरी वेज्जे एयकम्मे सुबहुं पावकम्मं समज्जिणित्ता बत्तीसं वाससताइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसेणं बावीससागरोवम० उववण्णे, तते णं सा गंगदत्ता भारिया जाव जिंदुया यावि होत्था जाता २ दारगा विणिघायमावज्जति, तते णं तीसे गंगदत्ताए सत्थवाहीए अण्णया कयाई पुव्वरत्तावरत्त० कुडुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए० समुप्पण्णे-एवं खलु अहं सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं सद्धिं बहूई वासाइं उरालाइं माणुस्सगाइं भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरामि णो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ सपुण्णाओ कयत्थाओ कयलक्खणाओ सुलद्धे णं तासिं अम्मयाणं माणुस्सए जम्मजीवियफले जासिं मण्णे नियगकुच्छिसंभूयाई थणदुद्धलुद्धगाई महुरसमुल्लावगाई मम्मणपयंपियाई थणमूलकक्खदेसभागं अभिसरमाणगाई पुणो य कोमलकमलोवमेहिं हत्थेहिं गेण्हिऊणं उच्छंगनिवेसियाई दिति समुल्लावए सुमहुरे पुणो २ मंजुलप्पभणिते अहं णं अधण्णा अपुण्णा अकयपुण्णा एत्तो एगमवि न पत्ता तं सेयं खलु ममं कल्ले जाव जलंते सागरदत्तं सत्थवाहं आपुच्छित्ता सुबहुं पुप्फुवत्थगंधमल्लालंकारं गहाय बहूहि मित्तणातिणियगसयणसंबंधिपरि-(१३७) जणमहिलाहिं सद्धिं पाडलिसंडाओ णगराओ पडिणिक्खमित्ता बहिया जेणेव उंबरदत्तस्स जक्खस्स जक्खायतणे तेणेव उवागच्छित्ता तत्थ णं उंबरदत्तस्स जक्खस्स महरिहं पुप्फच्चणं करेत्ता जाणुपादपडियाए उवाइणित्तए जतिणं अहं देवाणुप्पिया ! दारगंवा दारियं वा पयामि तो णं अहं तुम्भं जायं च दायं च भायं च अक्खयणिहिं च अणुवड्ढेस्सामित्तिकटु ओवाइयं उवाइणित्तए एवं संपेहेति त्ता कल्लं जाव जलंत जेणेव सागरदत्ते सत्थवाहे तेणेव उवागच्छति त्ता सागारदत्तं सत्थवाहं एवं व०-एवं खलु अहं देवाणु० ! तुब्भेहिं सद्धिं जाव न पत्ता तं इच्छामि णं देवाणु० ! तुन्भेहिं अब्भणुण्णाता जाव उवाइणित्तए, तते णं से सागरदत्ते गंगदत्तं भारियं एवं व०--ममंपि य णं देवाणुप्पिए ! एसच्चेव मणोरहे-कहं णं तुम दारगं वा दारियं वा पयाएज्जसि ?, गंगदत्तं भारियं एयमढे अणुजाणति, तते णं सा गंगदत्ता भारिया सागरदत्तसत्थवाहेणं एतमढें अब्भणुण्णाता समाणी सुबहु पुप्फ० जाव महिलाहिं सद्धिं सातो गिहातो पडिणिक्खमति त्ता पाडलिसंडं णगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव पुक्खरिणीतीरे तेणेव उवागच्छति त्ता पुक्खरिणीए तीरे सुबहुं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं उवणेति त्ता पुक्खरिणी ओगाहेति त्ता जलमज्जणं करेति त्ता जलकिड्ड करेमाणी ण्हाया कयकोउयमंगलपायच्छित्ता उल्लगपडसाडिया पुक्खरिणीओ पच्चुत्तरति त्ता तं पुप्फ० गेण्हति त्ता जेणेव उंबरदत्तस्स जक्खस्स जक्खायतणे तेणेव उवा० त्ता उंबरदत्तस्स जक्खस्स आलोए पणामं करेति त्ता लोमहत्थं परामुसति त्ता उंबरदत्तं जक्खं लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता दगधाराए अब्भुक्खेति त्ता पम्हल० गायलट्ठीओ लूहेति त्ता सेयाई वत्थाई परिहेति महरिहं पुप्फारूहणं वत्थारूहणं गंधारूहणं चुण्णारूहणं करेति त्ताधूवं डहति जाणुपायपडिया xercit#F555555555555555555555 श्री आगमगणमंजूषा - १७२ 5 45555555555555555555555SGY OF听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明O Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XGRO55555555555555H रामी विवागमवं पळयो सुक्रबंधी, सारिक्दन (१७) 15555555555555ssex ketox $$$$$$$$$$$$乐乐明明乐乐乐乐坊乐乐乐乐$$$$$$$$$$$$$$$乐乐中乐纸$850元 एवं व०-जति णं अहं देवाणु० ! दारगं वा दारिगं वा पयामि तो णं जाव उवाइणति जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगता, तते णं से धण्णंतरी वेज्जे तातो णरगाओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव पाडलिसंडे णगरे गंगदत्ताए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे, तते णं तीसे गंगदत्ताए भारियाए तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे डोहले पाउब्भूते-धण्णाओ णं ताओ जाव फले जाओ णं विउलं असणं० उवक्खडावेति त्ता बहूहि मित्त जाव परिवुडाओ तं विउलं असणं० सुरं च० पुप्फजाव गहाय पाडलिसंड नगरं मझमज्झेणं पडिनि० जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवा०त्ता पुक्खरिणीं ओगाहंति बहाया जाव पायच्छित्ताओ तं विउलं असणं० बहूहि मित्तनाति जाव सद्धिं आसादेति दोहलं विणएंति एवं संपेहेति त्ता कल्लं जाव जलंते जेणेव सागरदत्ते सत्थवाहे तेणेव उवा० सागरदत्तं सत्थवाहं एवं व०धन्नाओ णं ताओ जाव विणेति तं इच्छामि णं जाव विणित्तए, तते णं से सागरदत्ते सत्थवाहे गंगदत्ताए भारियाए एयमढे अणुजाणति, तते णं सा गंगदत्ता सागरदत्तेणं सत्थवाहेणं अब्भणुण्णाया समाणी विउलं असणं० उवक्खडावेति तं विउलं असणं० सुरंच० सुबहुं पुप्फ० परिगेण्हावेति बहूहिं जावण्हाया कय० जेणेव उंबरदत्तस्स जक्खाययणे जाव धूवं डहति त्ता जेणेव पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति, तते णं ताओ मित्त० जाव महिलाओ गंगदत्तं सत्थ० सव्वालंकारविभूसियं करेंति, तते णं सा गंगदत्ता भारिया ताहि मित्त० अण्णाहि य बहूहिणगरमहिलाहिं सद्धिं तं विउलं असणं० सुरं च० आसाएमाणी० दोहलं विणेति त्ता जामेव दिसंपाउन्भूता तामेव दिसंपडिगता, तते णं सा गंगदत्ता भारिया पसत्थ (पुण्ण) दोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहति, तते णं सा गंगदत्ता भारिया णवण्हं मासाणं जाव पयाया ठिइ० जावजम्हा णं अम्ह इमे दारए उंबरदत्तस्स जक्खस्स उवाइयलद्धए तं होउणं दारए उंबरदत्ते नामेणं, तते णं से उंबरदत्ते दारए पंचधातीपरिग्गहिते परिवड्ढति, तते णं से सागरदत्ते सत्यवाहे जहा विजयमित्ते जाव कालमासे कालं किच्चा० गंगदत्तावि, उंबरदत्ते निच्छुढे जहा उज्झियए , तते णं तस्स उंबरदत्तस्स दारयस्स अण्णया कयाई सरीरगंसि जमगसमगमेव सोलस रोगायंका पाउब्भूया तं०-सासे खासे जाव कोढे, तते णं से उंबरदत्ते दारए सोलसहि रोगायंकेहिं अभिभूते समाणे सडियहत्थे० जाव विहरति, एवं खलु गोतमा ! उंबरदत्ते दारए पुरा जाव पच्चणुब्भवमाणे विहरति, तते णं से उंबरदत्ते दारए कालमासे कालं किच्चा कहिंगच्छिहिति कहिं उववजिहिति?, गोतमा ! उंबरदत्ते दारए बावत्तरि वासाइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयत्ताए उववण्णे संसारो तहेव जाव पुढवी, ततो हत्थिणाउरे णगरे कुक्खुडत्ताए पच्चायाहिति (प्र० जायमेत्ते चेव) गोढिल्लवहिते तहेव हत्थिणाउरे सेट्टी नगरे बोही सोहम्मे महाविदेहे सिज्झिहिति० । णिक्खेवो ★★★।२७।। इति उम्बरदत्ताध्ययनं ७||★★★ जति णं भंते !० अट्ठमस्स उक्खेवो । एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० सोरियपुरं णगरं सोरियवडिंसगं उज्जाणं सोरियो जक्खो सोरियदत्तोराया, तस्स णं सोरियपुरस्सणगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए एत्थणं एगेमच्छंधपाडए होत्था, तत्थ णं समुद्ददत्ते नामं मच्छंधे परिवसति अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं समुद्ददत्तस्स समुद्ददत्ता नामं भारिया होत्था अहीण०, तस्स णं समुद्ददत्तस्स मच्छंधस्स पुत्ते समुद्ददत्ताए भारियाए अत्तए सोरियदत्ते नामं दारए होत्था अहीण०, तेणं कालेणं० सामी समोसढे जाव पडिगया, तेणं कालेणं० जेट्टे सिस्से जाव सोरियपुरेणगरे उच्चनीय अहापज्जत्तं समुदाणं गहाय सोरियपुराओ णगराओ पडिनिक्खमति तस्स मच्छंधपाडगस्स अदूरसामंतेणं वीईवयमाणे महतिमहालियाए मणुस्सपरिसाए मज्झगयं पासइ एगं पुरिसं सुक्खं भुक्खं णिम्मंसं अट्ठिचम्मावणद्धं किडिकिडियाभूयं णीलसाडगनियत्थं मच्छकंटएण गलए अणुलग्गेणं कट्ठाइं कलुणाई विसराइं उक्तूवेमाणं अभिक्खणं २ पूयकवले य रूहिरकवले य किमिकवले य वममाणं पासति इमे अज्झत्थिए० पुरा जाव विहरति एवं संपेहेति त्ता जेणेव समणे भगवं० जाव पुव्वभवपुच्छा जाव वागरण, एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबूदीवे दीवे भारहे वासे णंदिपुरे णाम णगरे होत्था, मित्ते राया, तस्स णं मित्तस्स रन्नो सिरिए नामं महाणसिए होत्था अहम्मिए जाव दुप्पडियाणंदे, तस्स णं सिरियस्स महाणसियस्स बहवे मच्छिया य वागुरिया य साउणिया य दिण्णभति० कल्लाकल्लिं बहवे सोहमच्छा य जाव पडागातिपडागे य अए य जाव महिसे य तित्तिरे य जाव मयूरे य जीविताओ ववरोवंति त्ता सिरियस्स महाणसियस्स उवणेति अण्णे य से बहवे तित्तिरा य जाव मयूरा य पंजरंसि संनिरूद्धा चिट्ठति अण्णे य बहवे पुरिसा दिण्णभति० ते बहवे तित्तिरे य जाव मयूरे य (प्र० जीवंतए) चेव Kerro 5 55555555 श्री आगमगुणमंजूषा-७७३ 1955555555555555555555555GIOR $听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听坂听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明O Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फ्र (११) श्री विवागसूर्य पढमो सुयक्खंधो ८ सोरियदत्त [१८] निप्पंखेति सिरियस्स महाणसियस्स उवर्णेति, तते णं से सिरिए महाणसिए बहूणं जलयरथलयरखहयराणं मंसाई कप्पणीकप्पियाइं करेति तं० सण्हखंडियाणि य बट्ट० दीह० रहस्स० हिमपक्काणि य जम्मघम्म (वेग) मारूयपक्काणि य कालाणि य हेरंगाणि य महिद्वाणि य आमलरसियाणि य मुद्दिया० कविट्ठ०दालिमरसियाणि०मच्छरसि० तलियाणि य भज्जियाणि य सोल्लियाणि य उवक्खडावेति अण्णे य बहवे मच्छरसए य एणेज्जरसए य तित्तिर० जाव मयूररसए य अण्णं विउलं हरियसागं उवक्खडावेति त्ता मित्तस्स रण्णो भोयणमंडवंसि भोयणवेलाए उवणेइ अप्पणावि य णं से सिरिए महाणसिए तेसिं च बहूहिं जाव ज० थ० ख० मंसेहिं रसएहिं य हरियसागेहि य सोल्लेहि य तलेहि य भज्जेहि य सुरं च० आसादे० विहरति, तते णं से सिरिए महाणसिए एयकम्मे सुबहुं जाव समज्जिणित्ता तेत्तीसं वाससयाइं परमाउंपालयित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उववण्णे, तते णं सा समुद्ददत्ता भारिया निंदुया यावि होत्या, जाया २ दारगा विणिघायमावज्जंति, PUK गंगदत्ता चिंता आपुच्छणा उवातियं दोहलो जावं दारगं पयाता जाव जम्हा णं अम्हं इमे दारए सोरियस्स जक्खस्स उवाइयलद्धए तम्हा णं होउ अम्हं दारए सोरियदत्ते णामेणं, तते णं से सोरियदत्ते दारए पंचधाई० जाव उम्मुक्कबालभावे विण्णायपरिणयमेत्ते जोव्वण० होत्या, तते णं से समुद्ददत्ते अण्णया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, तते गं से सोरियदत्ते दारए बहूहिं मित्त० रोयमाणे समुद्ददत्तस्स णीहरणं करेति त्ता लोइयाइं मयकिच्चाई करेति अण्णया कयाई सयमेव मच्छंधमहत्तरगत्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरति, तते णं से सोरिए दारए मच्छंधे जाते अधम्मिए दुप्पडियाणंदे, तते णं तस्स सोरियमच्छंधस्स बहवे पुरिसा दिण्णभति० कल्लाकुल्लिं एगट्टियाहिं जउउणं महाणदिं ओगाहिति त्ता बहूहि य दहगलणेहि य दहमलणेहि य दहमद्दणेहि य दहमहणेहि य दहवहणेहि य दहपवाहणेहि य अयंपुलेहि य पयंपुलेहि य जंभाहि य तिसराहि य भिसराहि य घिसराहि य विसराहि य हिल्लीरीहि य झिल्लिरीहि य लल्लिरीहि य जालेहि य गलेहि य कूडपासेहि यं वक्कबंधेहि य सुत्तबंधेहि य वालबंधेहि य बहवे सण्हमच्छे य जाव पडाग़ातिपडागे य गेण्हंति त्ता एगट्टियाउ भरेति त्ता कूलं गार्हति त्ता कूलं गाहेति त्ता मच्छखलए करेति आयवसि दलयंति अप्पणाऽविय णं से सोरिये मच्छंधए कल्लाकुल्लिं एगट्ठिताए जउणं महाणदिं ओगाहेति त्ता सरिसवच्छिद्दपमाणमेत्तेणं जालेणं बहवे सण्हमच्छे य जाव गेहति एगट्ठियं भरेति कूलं गाहेति त्ता मच्छखलए करेति आयवंसि दलयति, अण्णे य से बहवे पुरिसा दिण्णाभइभत्त० आयवतत्तएहिं मच्छेहिं सोल्लिएहि य तलिएहिं भज्जितेहिय रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, अप्पणाविय से सोरयदत्ते बहूहिं सण्हमच्छेहिं जाव पडागा० सोल्लिएहि य त० भ० सुरं च० आसादे० विहरति, तते णं तस्स सोरियदत्तस्स मच्छंधस्स अण्णया कयाई ते मच्छ० सोल्ले य तलि० भज्जि० आहारेमाणस्स मच्छकंटए गलए लग्गे यावि होत्था, तते णं से सोरिय० महईए वेयणाए अभिभूते समाणे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०- गच्छह णं तुब्भे देवा ! सोरियपुरे नगरे सिंघाडगजावपहेसु महया सद्दे उग्घोसेमाणा २ एवं वह एवं खलु देवा ! सोरियस्स मच्छकंटकए गले लग्गे तं जो णं इच्छति वेज्जो वा० सोरियमच्छियस्स मच्छकंट्टयं गलाओ नीहरित्तए० तस्स णं सोरिए विउलं अत्यसंपयाणं दलयति, तते णं ते कोडुंबियपुरिसा जाव उग्घोसंति, तए णं ते बहवे वेज्जा य० इमं एयारूवं उग्घोसणं उग्घोसिज्जमाणं निसामंत त्ता जेणेव सोरयगिहे जेणेव मच्छंधे तेणेव उवा० त्ता बहुहिं उप्पत्तियाहि य० बुद्धीहिं परिणामेमाणा वमणेहि य छड्डणेहि य ओवीलणेहि य कवलग्गाहेहि य सल्लुद्धरणेहि य विसल्लकरणेहि य विसल्लकरणेहि य इच्छंति सोरियमच्छंधस्स मच्छकंटगं गलाओ नीहरित्तए० नो चेव णं संचाएंति नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा, तणं ते बहवे वेज्जा य० जाहे नो संचाएंति सोरियस्स मच्छकंटगं गलाओ नीहरित्तए वा विसोहित्तए वा ताहे संता जाव जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं डिगता, तते णं से सोरिए मच्छंधे वेज्जपडियारनिव्विण्णे तेणं दुक्खेणं महया अभिभूते सुक्के जाव विहरति, एवं खलु गोतमा ! सोरियदत्ते पुरा पोराणाणं जाव विहरति, सोरिए णं भंते! मच्छंधे इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गोतमा !० सत्तरि वासाइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए संसारो तहेव जाव पुढवी ततो हत्थिणाउरे मच्छत्ताए उववज्जिहिति, से णं ततो मच्छिएहिं जीवियाओ ववरोविते तत्थेव सिट्ठिकुलंसि बोही सोहम्मे महाविदेहे वासे सिज्झिहिति० । निक्खेवो ★★★ ।२८। इति शौरिकदत्ताध्ययनं ८ ॥ ★★★ जति णं भंते १० उक्खेवो णवमस्स । एवं खलु प्र श्री आगमगुणमंजूषा ७७४ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) श्री विवागसूयं पढमो सुयक्खंधो ९ देवदत्ता (१९) जम्बू ! तेणं कालेरं० रोहीडए नामं णगरे होत्था रिद्ध०, पुढवीवडंसए उज्जाणे धरणे जक्खे वेसमणदत्ते राया सिरी देवी पूसणंदी कुमारे जुवराया, तत्थ णं रोहीडए णगरे दत्ते णामं गहावती परिवसति अड्ढे० कण्हसिरी भारिया तस्स णं दत्तस्स धूया कण्हसिरीए अत्तया देवदत्ता नामं दारिया होत्था अहीण० जाव उक्किदुसरीरा, ते काणं सामी समोसढे जाव परिसा निग्गता, तेणं कालेणं० जेट्टे अंतेवासी छट्ठक्खमण० तहेव जाव रायमग्गं ओगाढे हत्ती आसे पुरिसे पासति पुरिसाणं मज्झगयं पासति एवं इत्थियं अवओडगबंधणं उक्तित्तक० जाव सूले भिज्नमाणं पासति, इमे अज्झत्थिए तहेव णिग्गते जाव एवं व०- एसा णं भंते! इत्थिया पुव्वभवे का आसी ?, एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे सुपतिट्ठे णामं णगरे होत्था रिद्ध० मज्जासेणे राया तस्स णं महासेणस्स धारिणीपामुक्खं देवीसहस्सं ओराधे यावि होत्था, तस्स णं महासेणस्स पुत्ते धारिणीए देवीए अत्तए सीहसेणे णामं कुमारे होत्था अहीण० जुवराया, तते णं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्स अम्मापितरो अण्णया कयाई पंच पासायवडंसगसयाइं करेति अब्भुग्गत० तते णं तस्स सीहसेणस्स कुमारस्स अण्णया कयाई सासापामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकण्णगसयाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेंसु पंचसयओ दाओ, तते गं से सीहसेणे कुमारे सामापामोक्खेहिं पंचहिं देवीसतेहिं सद्धिं उप्पिं० जाव विहरति, तते से महासेणे राया अण्णया कयाई कालधम्मुणा संजुत्ते, नीहरणं, राया जाते महया०, तते णं से सीहसेणे राया सामाए देवीए मुच्छिते अवसेसा देवीओ णो आढाति जो परिजानाति अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे विहरति, तते णं तासिं एगुणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एक्कूणाई पंच माईसयाई इमीसे कहाए लद्धट्ठाई सवणयाए एवं खलु सहसेणे राया सामाए देवीए मुच्छिते अम्हं धूयाओ नो आढाति नो परिजाणाति अणा० विहरति, तं सेयं खलु अम्हं सामं देविं अग्गिप्पओगेण वा विसप्प० सत्थप्प० जीवियाओ ववरोवित्तए, एवं संपेहेति सामाए देवीए अंतराणि य छिद्दाणि य विवराणि य पडिजागरमाणीओ विहरंति, तते णं सा सामा देवी इमीसे कहाए लट्ठा सवणयाए एवं व० एवं खलु ममं पंचण्हं सवत्तीसयाणं पंच माईसयाई इमीसे कहाए लट्ठाई समाणाई अण्णमण्णं एवं व० एवं खलु सीहसेणे जाव डिजागरमाणीओ विहरंति, तं न नज्जति णं ममं केणति कुमरणेणं मारिस्संतित्तिकट्टु भीया जेणेव कोवघरे तेणेव उवा० ओहय० जाव झियाति, तते णं से सीहसेणे या इमी से कहाए लट्ठे समाणे जेणेव कोवघरे जेणेव सावा श्रेवी तेणेव उवा० त्ता सामं देविं ओहय० पासति त्ता एवं वह किण्णं देवा० ! ओहय० जाव झियासि ?, तते सासामा देवी सीहसेणेण रण्णा एवं वुत्ता समाणा उप्फणउप्फणियं सीहसेणं रायं एवं व० एवं खलु सामी ! ममं एक्कूणपंच सवत्तीसयाणं एक्कूणपंच माईसयाई इ० क० ल० स० अण्णमण्णं सद्दावेति त्ता एवं व० एवं खलु सी० रा० सा० दे० मु० अम्हाणं धूयाओ णो आढा० जाव अंतराणि पहि० विहरंति, तं ण णज्जति० भीया जाव झियामि, तते णं से सीहसेणे राया सामं देविं एवं व० मा णं तुमं देवा० ! ओहत० जाव झियाहि अहं णं तहा घत्तिहामि जहा णं तव नत्थि कत्तोवि सरीरस्स आबा वा पाहे वा भविस्सतित्तिकट्टु ताहिं इट्ठाहिं० समासासेति ततो पडिनिक्खमति त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०- गच्छइ णं तुब्भे देवाणु० ! सुपइट्ठस्स नगरस्स बहिया एवं अहं कूडागारसालं करेह अणेगखंभ० पासा० एयमद्वं पच्च०, तते णं ते कोडुंबियपुरिसा करतल० जाव पडि० त्ता सुपइट्ठियनगरस्स बहिया पच्चत्थिमे दिसीभागे एगं महं कूडागारसालं जाव करेति अणेग० पासा० जेणेव सीह० राया तेणेव उवा० त्ता तमाणत्तियं पच्च०, तते णं से सीहसेणे राया अण्णया कयाई एगूणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणाई पंच माइसयाई आमंतेति, तते णं तासिं एगुणगाणं पंचण्हं देवीसयाणं एगूणाई पंच माइसयाई सीहसेणं रण्णा आमंतियाई समाणाई सव्वालंकारविभूसिताई जहाविभवेणं जेणेव सुपइट्ठे णगरे जेणेव सीह० राया तेणेव उवागच्छंति, तते णं से सीहसेणे राया एगुणगाणं पंचदेवीसयाणं एगुणगाणं पंचमाइसयाणं कूडागारसालं आवसहं दलयति, तते णं से सीहसेणे राया कोटुंबियपुरिसे सहावेति त्ता एवं व० गच्छह णं तुब्भे देवा० विउलं असणं० उवणेह, सुबहुं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारं च कूडागारसालं साहरह, तते णं ते कोडुंबिया तहेव जाव साहरंति, तते णं तासिं एगूणगाणं पंचहं देवीसयाणं एगूणगाई पंच माइसयाई जाव सव्वालंकारविभूसियाइं तं विपुलं असणं० सुरं च० आसादेमाणाइं गंधव्वेहि य नाडएहि य उवगिज्जमाणाई २ विहरंति, तते णं से सीहसेणे राया अड्ढरत्तकालसमयंसि बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे जेणेव कूडागारसाला तेणेव उवागच्छति त्ता कूडागारससालाए दुवाराई पिता 五五五五五 cl फ्र Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOO听听听听听听听听听听听听听听听听 (११) श्री विवागसूर्य पढमो सुयक्खंधो ९ देवदत्ता [२०] $ $%%%%%%% % C YOLO$明明明明明明明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐SC कूडागारसालाए सव्वतो समंता अगणिकायं दलयति तते णं तासिं एगूणगाणं पंचण्डं देवीसयाणं एगूणगाई पंच माइसयाई सीह० रण्णा आलीवियाइं समाणाई रोयमाणाइं०.अत्ताणाइं असरणाई कालधम्मुणा संजुत्ताई, तते णं से सीहसेणे राया एयककम्मे० सुबह जाव समज्जिणित्ता चोत्तीसं वाससयाइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसबावीससागरोवमट्टितीएसु उववण्णे, सेणं तओ अणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव रोहीडए णगरे दत्तस्स सत्थवाहस्स कण्हसिरीए भारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए उववण्णे, तते णं सा किण्हसिरी णवण्हं मासाणं जाव दारिय पयाया सुकुमालसुरूवं, तते णं तीसे दारियाए अम्मापितरो निव्वत्तबारसाहियाए विउलं असणं० जाव मित्त० नामधेज्जं करेति होउणं दारिया देवदत्ता नामेणं, तते णं सा देवदत्ता पंचधाईपरिग्गहीया जाव परिवड्ढति, तते णं ॥ सा देवदत्ता दारिया उम्मुक्कबालभावा जोव्वणेणं रूवेणं लावण्णेणं जाव अतीव उकिट्ठा उक्किट्ठासरीरा जार यावि होत्था, तते णं सा देवदत्ता दारिया अण्णया कयाई पहाया जाव विभूसिया खुज्जाहिं जाव परिक्खित्ता उप्पिं आगासतलगंसि कणगतिदूसएणं कीलमाणी विहरति, इमं च णं वेसमणदत्ते राया पहाते जाव विभूसिते फ़ आसं दुरूहति त्ता बहूहिं पुरिसेहिं सद्धिं संपरिवुडे आसवाहणियाए णिज्जायमाणे दत्तस्स गाहावइस्स गिहस्स अदूरसामंतेणं वीतीवयति, तते णं से वेसमणे राया • जाव वीतीवयमाणे दारियं उप्पिं आगासतलगंसि जाव पासति त्ता देवदत्ताए दारियाए रूवेण य जोव्वण्णेण य लावण्णेणय जायविम्हए कोंडुबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०-कस्स णं देवाणुप्पिया ! एसा दारिया किं च नामधिज्जेणं ?, तते णं ते कोडुंबिया० वेसमणरायं करतल० एवं व०-एस णं सामी ! दत्तस्स सत्थवाहस्स धूया कण्हसिरीए भारियाए अत्तया देवदत्ता णामंदारिया रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा, ततेणं से वेसमणे राया अस्सवाहिणियाओपडिणियत्ते समाणे अभिंतरट्ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०- गच्छहणं तुब्भे देवा० ! दत्तस्स धूयं कण्हसिरीए अत्तयं देवदत्तदारियं जुवरण्णो भारियत्ताए वरेह जइवि य सा सयंरज्जसुंका, तते णं ते अभिंतरट्ठाणिज्जा पुरिसा वेसमणरण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठ० करयल० जाव पडिसुणंति त्ता बहाया जाव सुद्धप्पावेसाइं० संपरिवुडा जेणेव दत्तस्स गिहे तेणेव उवागया, तते णं से दत्ते सत्थवाहे ते पुरिसे एज्जमाणे पासति त्ता हट्ठ० आसाणाओ अब्भुटेति त्ता सत्तट्ठपयाई अब्भु(पच्चु)ग्गते आसणेणं उवनिमंतेति त्ता ते पुरिसे आसत्थे वीसत्थे सुहासणवरगते एवं व०- संदिसंतुणं देवाणु० ! किमागमणपओयणं ?, तते णं ते रायपुरिसा दत्तं सत्थवाहं एवं व० - अम्हे णं देवा० ! तव धूयं कण्हसिरीए अत्तयं देवदत्तं दारियं पूसणंदिस्स जुवरण्णो भारियत्ताए वरेमो तं जति णं जाणसि देवा० ! जुत्तं वा पत्तं वा सलाहणिज्ज वा सरिसो वा संजोगो ता दिज्जउणं देवदत्ता भारिया पूसणंदिस्स जुवरण्णो भण देवाणु० ! किं दलयामो सुकं ?, तते णं से दत्ते अब्भतरवाणिज्जे पुरिसे एवं व०- एतं चेवणं देवाणुप्पिया ! ममं सुकं जंणं वेसमणे राया मम दारियाणिमित्तेणं अणुगिण्हइ ते ठाणेज्जपुरिसे विउलेणं पुप्फवत्थगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेति०त्ता पडिविसज्जेति, तते णं ते ठाणिज्जपुरिसा जेणेव वेसमणे राया तेणेव उवा० त्ता वेसमणस्स रण्णो एतमढे निवेदंति, तते णं से दत्ते गाहावती अण्णया कयाई सोहणंसि तिहिकरणदिवसणक्खत्तमुहुत्तंसि विउलं असणं० उवक्खडावेति त्ता भित्तनाति० आमंतेति जाव पायच्छित्ते सुहासणवरगते तेणं मित्त० सद्धिं संपरिबुडे तं विउलं असणं० आसादे० एवं चणं विहरति जिमितभुत्तुत्तरागते आयंते तं मित्तणाइ० विउलगंधपुप्फजावअलंकारेणं सक्कारेति०त्ता देवदत्तं दारियं ण्हायं जाव विभूसियसरीरं पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं दुरूहेति त्ता सुबहुमित्त० जाव संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव नाइयरवेरणं रोहीडगं णगरं मज्झंमज्झेणं जेणेव वेसमणरण्णो गिहे जेणेव + वेसमणे राया तेणेव उवागच्छति त्ता करयल० जाव वद्धावेति त्ता वेसमणरण्णो देवदत्तं दारियं उवणेति, तते णं से वेसमणे राया देवदत्तं दारियं उवणीतं पासित्ता हट्ठ० विउलं असणं० उवक्खडावेति त्ता मित्तनाति० आमंतेति जाव सक्कारेति त्ता पूसणंदिकुमारं देवदत्तं दारियं च पट्टयं दुरूहेति त्ता सेयापीतेहिं कलसेहि मज्जावेति वा वरनेवत्थाई करेति त्ता अग्गिहोमं करेति पूसणंदिकुमारं देवदत्ताए पाणिं गिण्हावेति, तते णं से वेसमणे राया पुसणंदिस्स कुमारस्स देवदत्ताए सव्विड्डीए + जाव रवेणं महया इढिसक्कारसमुदएणं पाणिग्गहणं कारवेति ता देवदत्ताए अम्मापियरो मित्त० जाव परियणं च विउलं असण० वत्थगन्धमल्लालंकारेण य १ सक्कारेति० त्ता पडिविसज्जेति, तते णं से पूसणंदिकुमारे देवदत्ताए दारियाए सद्धिं उप्पिं पासाय० फुट्ट० बत्तीस० उवगेज्ज जाव विहरति, तते णं से वेसमणे राया । Srey# 55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७७६ 5 55555555555555$$$$$$$$OOK OO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) श्री विवागसूयं पढमो सुयक्खंघो १० अंजू (२१) फफफफफफफ या काई कालधम्मुणा संजुत्ते नीहरणं जाव राया जाए पूसणंदी, तते णं से पूसणंदी राया सिरीए देवीए मायाभत्ते यावि होत्था कल्लाकल्लि जेणेव सिरी देवी तेणेव उवा० त्ता सिरीए देवीए पायवडणं करेति सतपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं अब्भिंगावेति अट्ठिसुहाए मंस० तया० चम्म० रोमसुहाए चउव्विहाए संवाहणाए संवाहावेति सुरहिणा गन्धवट्टएणं उव्वट्टावेति त्ता तीहिं उदएहिं मज्जावेति, तं०- उसिणोदएणं सीओदएणं गन्धोदएणं, विउलं असणं० भोयावेति सिरीए देवीए ण्हायाए जाव पायच्छित्ताए जाव जिमियभुत्तुत्तरागयाए ततो पच्छा ण्हाति वा भुंजति वा उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरति, तते णं तीसे देवदत्ताए देवीए अण्णया कयाई पुव्वरत्तावरत्त० कुटुंबजागरि० इमे एयारूवे अज्झत्थिते० एवं खलु पूसणंदी राया सिरीए देवीए माइभत्ते जाव विहरति तं एएणं वक्खेवेणं नो संचाए म अहं पूसदिणा रण्णा सद्धिं उरा० भुंजमाणी विहरित्तए तं सेयं खलु ममं सिरिं देविं अग्गिप्पओगेण वा सत्य० विसप्पओएण वा मंतपयोगेण वा वियाओ वववेत्ता पूसणंदिणा रण्णा सद्धिं उरा० भुंजमाणीए विहरित्तए एवं संपेहति त्ता सिरीए देवीए अंतराणि य० पडिजागरमाणी २ विहरति, तते णं सा सिरी देवी अण्णया कयावि मज्जती (प्र०वी) ता विरहियसयणिज्जंसि सुहप्पसुत्ता जाया यावि होत्था इमं च णं देवदत्ता देवी जेणेव सिरी देवी तेणेव उवागच्छति त्ता सिरिं देवीं मज्जावीतं विरहियसयणिज्जंसि सुहप्पसुत्तं पासति त्ता दिसालोयं करेति त्ता जेणेव भत्तधरे तेणेव उवा० त्ता लोहदंडं परामुसति त्ता लोहदंडं तावेति त्ता तत्तं समजोतिभूतं फुल्लकिंसुयसमाणं संडासएणं गहाय जेणेव सिरी देवी तेणेव उवा० त्ता सिरीए देवीए अवाणंसि पक्खिवेति, तते णं सा सिरी देवी महता सद्देणं आरसित्ता कालधम्मुणा संजुत्ता, तते णं तीसे सिरीए देवीए दासचेडीओ आरसियसद्दं सोच्चा निसम्म जेणेव सिरी देवी तेणेव उवा० त्ता देवदत्तं देविं ततो अवक्कममाणि पासंति जेणेव सिरी देवी तेणेव उवा० त्ता सिरिं देविं निप्पाणं निच्चेट्टं जीवविप्पजढं पासंति हा हा अहो अकज्जमितिकट्टु रोयमाणीओ० जेणेव पूसणंदी राया तेव उवा० त्ता पूसणंदिरायं एवं व०- एवं खलु सामी ! सिरी देवी देवदत्ताए देवीए अकाले चेव जीवियाओ ववरोविया, तते गं से पूसणंदी राया तासिं दासचेडीणं अंतीए एयम सोच्चा निसम्म महया मातिसोएणं अप्फुण्णे समाणे परसुनियत्तेविव चंपगवरपायवे धसति धरणीयलंसि सव्वंगेहिं सण्णिवडिते, तते णं से पूसणंदी राया मुहुत्तंतरेणं आसत्थे समाणे बहूहिं राईसरजावसत्यवाहेहिं मित्त० जाव परियणेण य सद्धिं रोयमाणे सिरीए देवीए महता इड्ढीसक्कारसमुदएणं नीहरणं करेति त् आसुरुते देवदत्तं देवि पुरिसेहिं गेण्हावेति त्ता एतेणं विहाणेणं वज्झं आणावेति, तं एवं खलु गोतमा ! देवदत्ता देवी पुरा जाव विहरति, देवदत्ता णं भंते! देवी इतो कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गोतमा ! असीतिं वासाइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उववज्जिहिइ संसारो वणस्सति० ततो अनंतरं उववट्टित्ता गंगपुरे णगरे हंसत्ताए पच्चायाहिति से णं तत्थ साउणिएहिं वहिते समाणे तत्थेव गंगपुरे सेट्ठि० बोही सोहम्मे महाविदेहे० सिज्झिहिति०, णिक्खेवो ★ ★ ★ |२९|| इति देवदत्ताध्ययनं ९ ॥ ★★★ जति णं भंते! समणेणं भगवता० दसमस्स उक्खेवो । एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं वद्धमाणपुरे णामं णगरे होत्था विजयवाड्ढमाणे उज्जाणे माणिभद्दे जक्खे विजयमित्ते राया तत्थ णं धणदेवे नामं सत्थवाहे होत्था अड्ढे पियंगू भारिया अंजू दारिया जाव सरीरा समोसरणं परिसा जाव पडिगया, तेणं कालेणं० जेट्ठे जाव अडमाणे विजयमित्तस्स रण्णो गिहस्स असोगवणियाए अदूरसामंतेणं वीइवयमाणे पासति एगं इत्थियं सुक्खं भुक्खं निम्मंसं किडिकिडिभूयं अट्ठिचम्मावणद्धं णीलसाडगणियत्थं कट्ठाई कलुणाई वीसराइं कूवमाणि पासित्ता चिंता तहेव जाव एवं व०- साणं भंते । इत्थिया पुव्वभवे का ? वागरणं एवं खलु गोतमा ! तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इंदपुरे णामं णगरे तत्थ णं इंददत्ते राया पुढवीसिरी णामं गणिया वण्णओ, तते न सा पुढवीसिरी गणिया इंदपुरे णगरे बहवे राईसरजावप्पभियओ चुण्णप्पओगेहि य जाव अभिओगित्ता उरालाई माणुस्सगाईं भोगभोगाई भुंजमाणी विहरति, तते णं सा पुढवीसिरी गणिया एयकम्मा० सुबहुं पाव जाव समज्जिणित्ता पणतीसं वाससताइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा छट्ठीए पुढवीए उक्कोसे० णेरइत्ताए उववण्णा, सा णं तओ उव्वट्टित्ता इहेव वद्धमाणे णगरे धणदेवस्स सत्यवाहस्स पियंगुभारियाए कुच्छिसि दारियत्ताए उववण्णा, तते णं सा पियंगुभारिया णवण्हं मासाणं दारियं पयाया नामं अंजूसिरी सेसं जहा देवदत्ताए, तते गं से विजए राया आसवा० जव HO श्री आगमगुणमंजूषा ७७७ फ्र Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NORO (११) श्री विवागसूर्य बीओ सुयक्खंधो १ अ. [२२] I वेसमणदत्ते तहेव अंजूं पासति णवरं अप्पणो अट्ठाए वरेति जहा तेतली जाव अंजूए दारियाए सद्धिं उप्पिं जाव विहरति, तते णं तीसे अंजू देवीए अण्णया कयाई जोणीसूले पाउब्भूते यावि होत्था, तते णं से विजए राया कोटुंबियपुरिसे सद्दावेति त्ता एवं व०- गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! वद्धमाणपुरे णगरे सिंघा० जाव एवं वयह- एवं खलु देवाणु० ! विजय० अंजूए देवीए जोणिसूले पाउब्भूते जो णं इच्छति वेज्जो वा जाव उग्घोसेति तते णं ते बहवे वेज्जा य० इमं एयारूवं० सोच्चा निसम्म जेणेव विज राया तेणेव उवा० अंजू देवीए बहूहिं उप्पत्तियाहिं० बुद्धीहिं परिणामेमाणा इच्छंति अंजूए देवीए जोणिसूलं उवसामित्तए नो संचाएंति उवसामित्तए० तणं ते बहवे वेज्जा य० जाहे नो संचाएंति अंजूए देवीए जोणिसूलं उवसामित्त० ताहे संता तंता परितंता जामेव दिसं पाउब्भूता तामेव दिसं पडिगता, तते णं सा अंजू देवता या अभिभूया समाणी सुक्का भुक्खा निम्मंसा कट्टाई कलुणाई वीसराइं विलपति, एवं खलु गोतमा ! अंजू देवी पुरा० जाव विहरति, अंजू णं भंते! देवी इओ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गोतमा ! अंजू णं देवी नउई वासाइं परमाउं पालयित्ता कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए रइयत्ताए उववज्जिहिइ एवं संसारो, जहा पढमे तहा णेयव्वं जाव वणस्सती० सा णं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता सव्वओभद्दे णगरे मयूरत्ताए पच्चायाहिति, से णं तत्थ साउणिएहिं वधिते समाणे तत्थेव सव्वओभद्दे णगरे सेट्ठिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति, सेणं तत्थ उम्मुक्क० तहारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहिं वुज्झिहिति पव्वज्जा सोहम्मे, ततो देवलोगाओ आउक्खएणं० कहिं गच्छिहिति कहिं उववज्जिहिति ?, गोतमा ! महाविदेहे जहा पढमे जाव सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति । एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं दुहविवागाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमट्ठे पं०, सेवं भंते ! २३० । इति अंजूसुताध्ययनं १० ॥ इति प्रथमः श्रुतस्कंध १ 5 तेणं कालेणं० रायगिहे नगरे गुणसिलए चेइए सुधम्मे समोसढे जंबू जाव पज्जुत्तेणं सुहविवागाणं दस अज्झयणा पं० तं०- ‘सुबाहू भद्दनंदी य, सुजाए सुवासवे । तहेव जिणदासे य, धणपती य महब्बले ||३|| भद्दनंदी महचंदे वरदत्ते । जति णं भंते! समणेणं जाव संपत्तेणं सुहविवागाणं दस अज्झयणा पं० पढमस्स णं भंते! अज्झयणस्स सुहविवागाणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पं० १, तते णं से सुहम्मे० जंबूं अणगारं एवं व० एवं खलु जंबू ! तेणं काणं० हत्थिसीसे णामं णगरे होत्था रिद्ध०, तस्स णं हत्थिसीसस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे एत्थ णं पुप्फकरंडए णामं उज्जाणे होत्या सव्वोउय०, तत्थ णं कयवणमालपियस्स जक्खस्स जक्खयतणे होत्था दिव्वे०, तत्थ णं हत्थिसीसे नगरे अदीणसत्तू नामं राया होत्था महया०, तस्स णं अदीणसत्तुस्स रण्णो धारिणीपामोक्खं देवीसहस्सं ओरोहे यावि होत्था, तते णं सा धारिणी देवी अण्णया कयाई तंसि तारिसगंसि वासभवणंसि सीहं सुमिणे० जहा मेहजम्मणं तहा भाणियव्वं सुबाहुकुमारे जाव अलंभोगसमत्थं यावि जाणेति अम्मापियरो पंच पासायवडंसगसयाइं कारेति अब्भुग्गय० भवणं एवं जहा महब्बलस्स रण्णो णवरं पुप्फचूलापामोक्खाणं पंचण्हं रायवरकण्णगसयाणं एगदिवसेणं पाणिं गेण्हावेति तहेव पंचसइओ दाओ जाव उप्पिं पासायवरगते फुट्ट० जाव विहरति, तेणं कालेणं० समणे भगवं समोसरणं० परिसा निग्गया अदीणसत्तू निम्गते जहा कूणिए सुबाहूवि जहा जमाली तहा रहेणं णिग्गते जाव धम्मो कहिओ राया परिसा य पडिगता, तते णं से सुबाहू कुमारे समणस्स भगवओ० धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठ० उट्ठाए० जाव एवं वयासी सद्दहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं० जहा णं देवाप्पा अंति बहवे राईसरजाव नो खलु अहं०, अहं णं देवा० अंतिए पंचाणुव्वतियं सत्तसिक्खावतियं (दुवालसविहं) गिहिधम्मं पडिवज्जामि, अहासुहं०, मा पडिबंधं०, तते णं से सुबाहू समणस्स० अंतिए पंचाणुव्वतियं सत्तसिक्खावतियं गिहिधम्मं पडिवज्जति, तमेव रहं दुरूहति जामेव० दिसं पा० तामेव० पडिगते, तेणं कालेणं० जेट्ठे अंतेवासी इंदभूती जाव एवं व०- अहो णं भंते ! सुबाहुकुमारे इट्ठे इट्ठरूवे कंते० पिए० मणुण्णे० मणामे० सोमे सुभगे पियदंसणे सुरूवे बहुजणस्सविय णं भंते ! सुबाहू कुमारे इट्ठे० सोमे० साहुजणस्सविय णं भंते! सुबाहू कुमारे इट्ठे इट्ठरूवे जाव सुरूवे, सुबाहुणा भंते ! कुमारेणं इमा एयारूवा उराला माणुसरिद्धी कणा लद्धा किण्णा पत्ता किण्णा अभिसमण्णागया के वा एस आसी पुव्वभवे ?, एवं खलु गोतमा । तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणाउरे णामं णगरे होत्था रिद्र०, तत्थ णं हत्थिणाउरे णगरे सुमुहे णामं गाहावती अड्ढे० तेणं कालेणं० धम्मघोसा णामं थेरा जातिसंपण्णा जाव पंच हिं NH THE HIS IS IN THIS CHAN US S S S S S S BOOK श्री आगमगुणमंजूषा ७७८ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) श्री विवागसूर्य बीओ सुयक्खंधो १ अ. (२३) समणसतेहिं सद्धिं संपरिवुडा पुव्वाणुपुव्विं चरमाणा गा० दूइज्ज० जेणेव हत्थिणापुरे णगरे जेणेव सहस्संबवणे उज्जाणे तेणेव उवा० त्ता अहापडिरूवं उग्गहं उ० संजणं तवसा अप्पा भावेमाणा विहरंति, तेणं कालेणं० धम्मघोसाणं घेराणं अंतेवासी सुदत्ते नामं अणगारे उराले जाव लेस्से मासंमासेणं खममाणे विहरति, तते णं से सुदत्ते अणगारे मासखमणपरणर्गसि पढमपोरिसीए सज्झायं करेति जहा गोतमसामी ज(त) हेव सुहम्मे(दत्ते) धम्मघोसे थेरे आपुच्छति जाव अडमाणे सुमुहस्स गाहावतिस्स गिहं अणुपविट्ठे, तते णं से सुमुहे गाहावती सुदत्तं अणगारं एज्जमाणं पासति त्ता हट्ठतुट्ठे आसणाओ अब्भुट्ठेति पायपीढाओ पच्चोरुहति त्ता पाउयाओ ओमुयति एगसाडियं उत्त० सुदत्तं अणगारं सत्तट्ठपयाइं पच्चुग्गच्छति तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ त्ता वंदति नम॑सति त्ता जेणेव भत्तघरे तेणे उवागच्छति त्ता सयहत्थेणं विउलेणं असणपाण० पडिलाभेस्सामीति तुट्ठे, तते णं तस्स सुमुहस्स गाहावइस्स तेणं दव्वसुद्धेणं दायगसुद्धेणं पडिगाहगसुद्धेणं तिविहेणं तिकरणसुद्धेणं सुदत्ते अणगारे पडिलाभिते समाणे संसारे परित्तीकते मणुस्साउए निबद्धे गिहंसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउब्भूताइं तं० - वसुहारा वुट्ठा दसद्धवण्णे कुसुमे निवतिते चेलुक्खेवे कते आहताओ देवदुंदुभीओ अंतराविय णं आगासंसि अहो दाणमहोदाणं घुट्टे य०, हत्थिणाउरे सिंघाडगजावपहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवं आइक्खइ० धण्णे णं देवा ! सुमुहे गाहावती जाव तं धण्णे णं देवाणु० सुमुहे गाहावई, तते णं से सुमुहे गाहावती बहूइं वाससताइं आउयं पालेति त्ता कालमासे कालं किच्चा इहेव हत्थिसीसए नगरे अदीणसत्तुस्स रण्णो धारिणीए देवीए कुच्छिसि पुत्तत्ताए उववण्णे, तते णं सा धारिणी देवी सयणिज्जंसि सुत्तजागरा २ ओहीरमाणी २ तहेव सीहं पासति सेसं तं चेव जाव उप्पिं पासादे विहरति, तं एवं खलु गोतमा ! सुबाहुणा इमा एयारूवा मणुस्सरिद्धी लद्वा०, पभु णं भंते ! सुबाहुकुमारे देवाणु० अंतिए मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ?, हंता पभू, तते णं से भगवंगोयमे समणं भगवं० वंदति नम॑सति त्ता संज तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तते णं से समणे भगवं० अण्णया कयाई हत्थिसीसाओ णगराओ पुप्फगउज्जाणाओ कतवणमालजक्खयतणाओ पडि० त्ता बहिया जणवयविहारं विहरति, तते णं से सुबाहू कुमारे समणोवासए जाते अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरति, तते णं से सुबाहुकुमारे अण्णया कयाई चाउद्दसमुट्ठिपुण्णमासिणीसु जेणेव पोसहसाला तेणेव उवा० त्ता पोसहसालं पमज्जति त्ता उच्चारपासवणभूमिं पडिलेहति ता दब्भसंधारगं संथारेइ दब्भसं० दुरूहति अट्ठमभत्तं पगेण्हति पोसहसालाए पोसहिए अट्ठमभत्तिए पोसहं पडिजागरमाणे विहरति, तए णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागर जागरमाणस्स इमे एतारूवे अज्झत्थिते० धण्णा णं ते गामागरजावसण्णिवेसा जत्थ णं समणे भगवं महावीरे विहरति, धण्णा णं ते राईसर० जे णं समणस्स० अंतिए मुंडा जाव पव्वयंति, धण्णा णं ते राईसर० जे णं समणस्स० अंतिए पंचाणुव्वतियं जाव गिहिधम्मंए पडिवज्जंति, धण्णा णं ते राईसर० जे णं समणस्स० अंति धम्मं सुणेति तं जइ णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्विं जाव दुइज्नमाणे इहमागच्छेज्ना जाव विहरिज्जा तते णं अहं समणस्स० अंतिए मुंडे भवित्ता जाव पव्वएज्जा, तते णं समणे भगवं महावीरे सुबाहुस्स कुमारस्स इमं एयारूवं अज्झत्थियं जाव वियाणित्ता पुव्वाणुपुव्विं दूइज्जमाणे जेणेव हत्थिसीसे नगरे जेणेव पुप्फगउज्जाणे जेणेव कयवणमालप्पियस्स जक्खस्स जक्खायतणे तेणेव उवा० अहापडि० उग्ग० संजमेण जाव विहरति परिसा राया निग्गता, तते णं तस्स सुबाहुस्स कुमारस्स तं महया० जहा पढमं तहा निग्गओ धम्मो कहिओ परिसा राया पडिगता, तते णं से सुबाहू कुमारे समणस्स भगवओ० अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठ० जहा मेहो तहा अम्मापियरो आपुच्छति णिक्खमणाभिसेओ तहेव जाव अणगारे जाते ईरियासमिते जाव बंभयारी, तते णं से सुबाहू अणगारे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए सामाइयमाई याई एक्कारस अंगाई अहिज्जति त्ता बहूहिं चउत्थ० तवोविहाणेहिं अप्पाणं भावेत्ता बहूइं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सविं भत्ताइं अणसणाए छेदित्ता आलोइयपडिक्कंते समाहिं पत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववण्णे, से णं ततो देवलोयाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठितिक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता माणुसं विग्गहं लभिहिति त्ता केवल बोहिं बुज्झिहिति त्ता तहारूवाणं थेराणं अंतिए मुंडे जाव पव्वइस्सति, से णं तत्थ बहूई वासाई सामण्णं पाउणिहिति त्ता आलोइयपडिक्कंते समाहि० कालगते सणकुमारे कप्पे देवत्ताए उववण्णे, से णं ताओ देवलोयाओ० ततो माणुस्सं पव्वज्जा बंभलोए माणुस्सं महासुक्के माणुस्सं आणए० ततो माणुस्सं आरणे माणुस्सं सव्वट्ठसिद्धे, For Private & Pers XOXOLE 4454644454644 45 45 45 46 46 LELELELELELELELELELEo THE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LE LEVEL MENE VENEC ७७.७५ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ --.-.-.-.-.:1.127211127721754 (11) श्री विवागसूय बीओ सुयक्खधोर.३.४-५.६-७-८-९-१० अज्झयणं [24] 55555555555555xom सेणं ततो अणंतरं उव्वट्टित्ता महाविदेहे जाव अड्ढाइं जहा दढपतिण्णे सिज्झिहिति०, तं एवं खलु जंबू ! समणेणं जाव संपत्तेणं सुहविवागाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पं०।३१ / इति सुबाहुकुमाराध्ययनं 1 // बितियस्स उक्खेवओ,★★★ एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० उसभपुरे णगरे थूभकरंडे उज्जाणे धण्णो जक्खो धणावहो राया सरस्सती देवी सुमिणदंसणं कहणं जम्मणं बालत्तणं कलाओ य जोव्वणं पाणिग्गहणं दाओ पासाद० भोगा य जहा सुबाहुस्स नवरं भद्दनंदी कुमारे सिरिदेवीपामोक्खाणं पंच सया० सामिस्स समोसरणं सावगधम्मं० पुव्वभवपुच्छा महाविदेहे वासे पुंडरीगिणी णगरी विजए कुमारे जुगबाहू तित्थंगरे पडिलाभितेमणुस्साउए बद्धे इह उप्पण्णे, सेसं जहा सुबाहुस्स जाव महाविदेहे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति // भद्रनन्द्यध्ययनं 2 // तच्चस्स उक्खेवओ. वीरपुरं णगरं मणोरमे उज्जाणे वीरकण्हमिते राया सिरी देवी सुजाए कुमारे बलसिरिपामोक्खाणं पंच सया सामी समोसरणं पुव्वभवपुच्छा उसुयारेणगरे उसभदत्ते गाहावती पुप्फदंते अणगारे पडि० इह उप्पण्णे जाव महाविदेहे सिज्झिहिति० || सुजाताध्ययनं 3 // चउत्थस्स उकखेवओ, विजयपुरं नगरं नंदणवणं उज्जाणं असोगो जक्खो वासवदत्ते राया कण्हा देवी सुवासेवे कुमारे भद्दापामोक्खाणं पंच सया जाव पुव्वभवे कोसंबी णगरी धणपाले राया वेसमणभद्दे अणगारे पडिलाभिते इहं उप्पण्णे जाव सिद्धे || सुवासवाध्ययनं 4 ||पंचमस्स उक्खेवओ, सोगंधिया णगरी णीलासोगे उज्जाणे सुकालो जक्खो अपडिहओ राया सुकण्हा देवी महचंदे कुमारे तस्स अरहदत्ता भारिया जिणदासो पुत्तो तित्थयरागमणं जिणदासपुव्वभवो मज्झमिया णगरी मेहरहो राया सुधम्मे अणगारे पडिलाभिते जाव सिद्धे || जिनदासाध्ययनं 5 ॥★★★छट्ठस्स उक्खेवओ, कणगपुरं णगरं सेतासोयं उज्जाणं वीरभद्दोजक्खो पियचंदो राया सुभद्दा देवी वेसमणे कुमारे जुव(प्र० ग)राया सिरीदेवीपामोक्खाणं ॐ पंच सया तित्थगरागमणं धणवती जुव(प्र० ग)रायपुत्ते जाव पुव्वभवे मणिवया णगरी मित्तो राया संभूयविजए अणगारे पडिलाभिते जाव सिद्धे // धनपत्यध्ययनं ६॥★★★सत्तमस्स उक्खेवओ, महापुरं णगरं रत्तासोगं उज्जाणं रत्तपाओ जक्खो बले राया सुभद्दा देवी महब्बले कुमारे रत्तवतीपामोक्खाणं पंच सया तित्थगरागमणं जाव पुव्वभवो मणिपुरं णगरं णगदत्ते गाहावती इंदद(प्र० पु)त्ते अणगारे पडिलाभिते जाव सिद्धे | महाबलाध्ययनं 7 // अट्ठमस्स उक्खेवओ, सुघोसंणगरं देवरमणं उज्जाणं वीरसेणो जक्खो अज्जुणो राया तत्तवती देवी भद्दनंदी कुमारे सिरिदेवीपामोक्खाणं पंच सया जाव 卐 पुव्वभवे महाघोसे णगरे धम्मघोसे गाहावती धम्मसीहे अणगारे पडिलाभिते जाव सिद्धे // भद्रनन्द्यध्ययनं ८॥★★★णवमस्स उक्खेवओ,चंपा णगरी पुण्णभद्दे उज्जाणे पुण्णभद्दो जक्खो दत्ते राया रत्तवती देवी महचंदे कुमारे जुव० सिरिकंतापामोक्खाणं पंच सया जाव पुव्वभवो तिगिच्छी नगरी जितसत्तू कराया धम्मविरिए अणगारे पडिलाभिए जाव सिद्धे || महाचन्द्राध्ययनं 9 // जति णं० दसमस्स उक्खेवओ. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं० साएयंणगरे होत्था उत्तरकुरू उज्जाणे पासमिओजक्खो मित्तणंदी राया सिरिकंता देवी वरदत्ते कुमारे वरसेणापामोक्खाणं पंच देवीसया तित्थगरागमणं सावगधम्मं० पुव्वभवपुच्छा सयदुवारे णगरे विमलवाहणे राया धम्मरुई अणगारे एज्जमाणं पासति त्ता पडिलाभिते मरुस्साउए निबद्धे इहं उप्पण्णे, सेसं जहा सुबाहुस्स कुमारस्स चिंता जाव पव्वज्जा, कप्पंतरिओ जाव सव्वट्ठसिद्धे ततो महाविदेहे जहा दढपतिण्णे जाव सिज्झिहिति० / एवं खलु जंबू ! समजेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं जाव सुहविवागाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते। सेवं भंते!***२॥३२॥ वरदत्ताध्ययनं 10 // द्वितीय: श्रुतस्कधः॥★★★ विवागसुयस्स दो सुयक्खंधा सुहविवागो य सुहववागो य, तत्थ दुहविवागे दस अज्झयणा एक्कसरगा दससु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति, एवं सुहविवागे, ससे जहा आयारस्स / / 33 / / इइ विवागसुयमेक्करसमं अंगं समत्तं / / SO$$$$$$$$织乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明$GO GO乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐 ISO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听近30-\ulchlolchl-局长听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听