Book Title: Aagam Manjusha 10 Angsuttam Mool 10 Panhavagaranam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [१०] पण्हावागरणं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed. Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 [email protected] Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जंबू ! ' इणमो अण्हयसंवरविणिच्छयं पवयणस्स निस्संदं। वोच्छामि णिच्छयत्यं सुहासियत्वं महेसीहि ॥ १॥ (नेणं कालेणं नेणं समएणं चंपा श्रीप्रश्नव्याकरणदशाङ्गम्-न माणसान्नाम नगरी होत्था, पुण्णभहे चेइए वणसंडे असोगवरपायवे पुढवीसिलापट्टए, तत्थ णं चंपाए नयरीए कोणिए नाम राया होत्था, धारिणी देवी, तेणं कालेणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी अजमुहम्मे नाम थेरे जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने रूपसंपन्ने विणयसंपन्ने नाणसंपन्ने दसणसंपन्ने चरित्नसंपन्ने लज्जा. संपन्ने ग्राघवसंपन्ने ओयंसी तेयसी वर्चसी जसंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोभे जियनिदे जियइंदिए जियपरीसहे जीवियासमरणभयविप्पमुके तवष्पहाणे गणप्पहाणे मुनिप्पहाणे विजापहाणे मंतप्पहाणे भष्पहाणे वयप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सञ्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्नप्पहाणे चोदसपुची चनाणोजगए पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिबुडे पुवाणुपुत्रि चरमाणे गामाणुगामं दूइजमाणे जेणेव चंपा नयरी नेणेव उवागच्छइ जाब अहापडिरूवं उग्गहं उम्गिहिना संजमेणं नवसा अप्पाणं भावमाणे विहरनि। तेणं कालेणं. अज्जमुहम्मरस अंतेवासी अजजंबूनाम अणगारे कासवगोत्तेणं सत्नुम्सेहे जाव संविनविपुलतेयलेस्से अजसुहम्मस्स थेररस अदूरसामन्ते उड़ढंजाणू जाव संजमेणं तवसा अपाणं भात्रमाणे विहरइ, तए णं से अजजंबू जायसइढे जायसंसए जायकोउहाले उप्पनसद्धे० संजायसद्धे० समुप्पन्नसद्धे० उट्टाए उद्देइ ताजेणेव अज्जमुहम्मे धेरे तेणेव उवागटइना अजसुहम्मं धेरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ ता वंदइ नमसइना नचासन्ने नाइदूरे विणएणं पंजलिपुढे पजुवासमाणे एवं वजह णं भते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं णवमस्स अंगस्स अणुत्तरोक्वाइयदसाणं अयमढे पं० दसमस्स णं भने ! अंगस पण्हाचागरणाणं समणेणं जाय सपनेणं के अट्टे पं०?, जंबू! दसमस्स अंगस्स समणेणं जाव संपत्तेणं दो सुयक्खंधा पं०-आसवदारा य संवरदारा य, पढमस्स णं भंते ! सुयक्वंधस्स समणेणं जाव संपनेणं कइ अझयणा पं०?, जम्बू ! पढमम्स णं सुयक्वं. धस्स समणेणं जाव संपत्तेणं पंच अज्झयणा पं०, दोबस्स णं भंते! एवं चेव, एएसिंणं भंते ! अन्हयसंक्राणं सममेणं जाव संपत्तेणं के अट्टे पं०?, तते गं अजमुहम्मे घेरे जंभूनामेणं ५१७ प्रश्नव्याकरणांर्ग, अन्झच्छा-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणगारेणं एवं वृत्ते समाणे जंबू अणगारं एवं व० पा० ) ' पंचविहो पण तो जिणेहि इह अहओ अणादीओ। हिंसा मोसमदत्तं अम्बंभ परिग्गहं चैव ॥२॥ जारिसओ १ जनामा २ ज य कओ ३ जारिसं फलं देति ४ । जेविय करेंति पावा पाणवहं ५ तं निसामेह ॥ ३॥ पाणवहो नाम एस निचं जिणेहिं भणिओ-पात्रो चंडो रुद्दो खुद्द साहसिओ अणारिओ णिग्घिणो णिस्संसो महमओ पमओ १० अतिभओ वीहणओ तासणओ अणज्जो उद्देयणओ य णिरवयक्खो जिम्मो णिष्पिवासो णिक्कलुणो निरयवासगमणनिघणो २० मोहमहम्भयपयट्टजी मरणामस्सो २२ । पढमं अधम्मदारं १ तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि होति तीसं तं० पाणवहं उम्मूलणा सरीराज अवीसंभो हिंसविहिंसा तहा अकिथं च घायणा मारणा य वहणा उदवणा तिवायणाय १० आरंभसमारंभो आउयकम्मस्सुवद्दवो भेयणिडवणगालणा य संघट्टगसंखेवो मधू असंजमो कडगमद्दणं वोरमणं परभवसंकामकारओ दुग्गतिप्पवाओ पावकोवो य पावलोभो २० छविच्छेओ जीबियंतकरणो भयंकरो अणकरो य वज्जो परिताषणअण्हओ विसाणो निजवणा कुंपणा गुणाणं विराणत्ति ३० विय तस्स एवमादीणि णामजाणि हाँति तीसं पाणवहस्स कलुसस्स कडुयफलदेसगाई । २। तं च पुण करेंति केई पावा अस्संजया अविरया अणिहुयपरिणामदुप्पयोगी पाणवहं भयंकरं बहुविहं बहुप्पगारं परदुक्खुप्पायणप्पसत्ता इमेहिं तसथावरेहिं जीवेहिं पडिणिविट्ठा, किं ते?, पाढीणतिमितिमिंगिलजणेगझसविविजातिमंडुकदुविहकच्छ भणक्कमगरदु विगाहादिलिवेढयमंय सीमागारपुल्यसुंसुमारबहुप्पगारजलयरविहाणाकते य एवमादी कुरंगरुरुसरभचमरसंवरउरम्भससयपसयगोणसरोहिययगयखरकर भखग्गवानरगवयविगसियालकोलमज्जारकोल (क पा० )मुणकसिरियंदलगावत्तको कंतियगोकण्णमियम हिसविग्धछगलदी वियासाणतरच्छअच्छ भठ्ठसद्दूलसीह चिल्लच उप्पयविहाणाकए य एवमादी अयगरगोणसवराहिमउलिकाओदरदब्भपुप्फयासालियमहोरगोरगविहाणकए य एवमादी छीरलसरंब सेह से लगगोधुंदरणउलसरडजाइगमुगुंसखाडहिलवाउपइयपीरोलियसिरीसिवगणे य एवमादी कादंबकबकचलाकासारसआडासेतीकुललवंजुलपारिप्पवकीवसउणदीविय (पीलिय) हंसधत्तरिट्ठगभासकुलीकोसकुंचदगतुंडद्वेनियालगसूयीमुहक विलपिंगलक्खगकारंडगचकवागउकोसगरुलपिंगुल्लसुयवरहिणमयणसालनंदीमुहनंदमाणगकोरंगभिंगारगकोणालगजीवजीवकतित्तिरवट्टकलावककपिंजलककवोतक पारेक्यगचिडिंग (म० वडग ) टिंककुक्कुडवेसरमयूरगचउरगह्यपोंडरीयसालाग (करक पा० ) वीरहसेणवायसयविहंगभि (प्र० से ) णासि वासवम्गुलिचम्मट्टिलविततपक्खिखयरविहाणाकते य एवमायी जलबलखगचारिणो उ पंचिदिए पसुगणे वियतियचउरिदिए य विवि पिजीविए मरणदुक्खपडिकूले बराए हणंति बहुकिलिकम्मा, इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं किं ते १, चम्मवसामंत मेयसोणियजगफिफिसमत्थुलुंगहितयंतपित्तफोफसद डा अट्टिमिंजनहनयणकण्णहारुणिनकधमणिसिंगदाढिपिच्छविसविसाणवालहेडं, हिंसंति य भमरमधुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेब तेंदिए सरीरोवकरणट्टयाए किवणे बंदिए बहवे वत्थोहारपरिमंडणट्टा, अण्णेहिं एवमाइएहिं बहूहिं कारणसतेहिं अचुहा इह हिंसंति तसे पाणे इमे य एगिंदिए बहवे बराए तसे य अण्णे तदस्सिए चैव तणुसरीरे समारंभंति अन्नाणे असरणे अणाहे अबंधवे कम्मनिगलबद्धे अकुसलपरिणाममंदबुद्धिजणदुद्विजाणए पुढवीमये पुढवीसंसिए जलमए जलगए अणलाणिलतणवणस्सतिगणनिस्सिए य तम्मयतज्जिते (जिते पा० ) चैव नदाहारे तप्परिणतवण्णगंधरसफास (प्र० फरिस) बोंदिरूवे अचक्खुसे चक्मुसे य तसकाइए असंखे यावरकाए य सहुमचायरपत्तेयसरीरनामसाधारणे अणते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं किं ते?, करिसणपोक्खरणीवाविवप्पिणिकूवसरतलागचितिवेतियखातिय आरामविहारथूभपागारदारगोउर अट्टालगचरियासेतुसंकमपासायविकप्पभवणघ (प्र० पु) रसरणलेणआवणचेतियदेवकुलचित्तसभापवाआयतणावसह भूमिघरमंडवाण य कए भायणभंडोबगरणस्स विविहस्स य अट्टाए पुढविं हिंसंति मंदबुद्धिया जलं च मज्जणयपाणभोयणवत्थधोवणसोयमादिएहिं पयणपयावणजलावणविदंसणेहिं अगणि सुप्पवियणतालयंटपेहुणमुहकरयलसागपत्तवत्थमादिएहि अणिलं अगारपरिवा(डिया)रभक्लभोयणसयणासणफलकमुसल उखलततविततातोज्जवहणवाहणमंडवविविभवणतोरणविडंगदेव कुलजालयद्धचंदनिज्जूगचंदसालियवेतियणिस्से णिदोणिचंगेरिखीलमेढकसभापत्रावसगंधमालाणुलेवणंवर जयनंगलम इयकुलियसंदणसीयारहसगड जाणजोग्गअट्टालगचरिअदारगोपुरफलिहा जंतमूलिय (प्र० सुलय )लउडमुदिसतग्धिबहुपहरणावरणुवक्खराण कते अण्णेहि य एवमादिएहिं चहहिं कारणसतेहिं हिंसन्ति ते तरुगणे, भणिता एवमादी सत्तपरिवजिया उपहन्ति दढमूढा दारुणमती कोह। माणा माया लोभा हस्सरती अरती सोयवेदत्थीजीय कामत्यधम्महेडं सचसा अवसा अट्ठा अण्डाए य तसपाणे थावरे य हिंसंति, हिंसंति मंदबुद्धी सवसा हणंति अवसा हणंति सबसा अवसा दुहओ हणंति, अड्डा हणंति अणट्टा हणंति अट्टा अणट्टा दुहओ हणंति, हस्सा हणंति वेरा हणंति रतीय हणंति हस्तवेरारतीय हणंति कुद्धा हणंति लुद्धा हणंति मुद्धा हणंति कुद्धा लुद्धा मुद्धा हणंति अत्था हति धम्मा हृणंति कामा हणंति अत्या धम्मा कामा हणंति । ३। कयरे ते १, जे ते सोयरिया मच्छबंधा साउणिया वाहा कूरकम्मा वाउरिया दीवितबंधणप्पओगतप्पगलजालवीरलगायसी दम्भ५१८ प्रश्नव्याकरणांगं, अन्याय- १ मुनि दीपरत्नसागर' Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वगुराकूडळे लिहत्या (दीविया पा० ) हरिएसा साउनिया य वीदंसगपासहत्था वणचरगा लुद्धयमदुघातपोतघाया एणीयारा पएणियारा सरदहदीहि अतलागपाडलपरिगालणमलणसोतबंधणसलिलसपसोसगा विसगरस्स य दायगा उत्तणवहरदवग्गिणिहयपलीवका कूरकम्मकारी इमे य बहवे मिलक्खुजाती, के ते१, सकजवणसवर बच्चरगायमुरुडोद भडगतित्तियपकणियकुलक्खगोडसीहलपारसकचंधदविलबिलपुलिंद अरोस डोंब पोकणगंधहारगवहलीय जहरोममासबउसमलया चुंचुया य चूलिया कोंकणगा मेतपण्हवमालवमहुर (प्र० मग्घर ) आभासिया अणकचीणल्हासियखसखासिया नेदुरमरहट्ठमुट्ठिअआरबडोबिलगकुणकेकयहूणरोमगरु (प्र० भ) स्मरुगा चिलायविसयवासी य पावमतिणो जलयस्थलयरसणष्फतोरगखहसंडास तोंडजीवोवघायजीवी सण्णी य असण्णिणो य पजत्ता असुभलेस्सपरिणामा एते अण्णे य एवमादी करेंति पाणातिवायकरणं पावा पावाभिगमा पावरुद्धं पाणवहकयरतीया पाणवहरूवाणुट्टाणा पाणवहकहासु अभिरमंता तुट्ठा पावं करेत्तु होंति य बहुष्पगार, तस्स य पावस्स फलविवागं अयाणमाणा वति महन्भयं अविस्सामवेयणं दीहकालबहुदुक्खसंकई नरयतिरिक्खजोणिं, इओ आउक्खए चुया असुभकम्मबहुला उववजंति नरएस हुलितं महालएसु वयरामयकुड्डरुद निस्संधिदार विरहिय निम्मदवभूमितलखरामरिसविसमणिस्यपरचारएसुं महोसिणसयावतत्तदुग्गंध विस्सउब्वेय जणगेसु बीभच्छदरिसणिज्जेसु निचं हिमपडलसीयले कालोभासेसु य भीमगंभीरलोमहरिसणेसु णिरभिरामेसु निप्पडियारवा हिरोगजरापी लिए अतीव निबंधकारतमिस्सेसु पतिभएस ववगयगहचंदसूरणकखत्तजोइसेस मेयवसामंसपडलपोचडपूयरुहि रुकिण्णविलीणचिकणरसिया वावण्ण कुहियचिक्खाडकहमेसु कुकूलानलपलित्तजालमुम्मुर असिक्खुर करवत्तधारासु निसितविच्छुयडंकनिवातोत्रम्म फरिस अतिदुस्सहेसु य अत्ताणासरणकडूयदुक्खपरितावणेसु अणुबद्धनिरंतरवेयणेसु जमपुरिससंकुलेख, तत्थ य अन्तोमुहुत्तलद्धिभवपचएणं निवर्त्तेति उ ते सरीरं हुई बीभच्छदरिसणिज्जं बीहणगं अडिण्हारुणहरोमवज्जियं असुभगंधदुक्स्यविसहं, ततो य पज्जत्तिमुवगया इंदि एहिं पंचहिं वेदेति असुभाए वेयणाए उज्जलबलविउल (प्र० तिउल) उक्कडखरफरूसपयंडघोरवी हणगदारुणाए, किं ते?, कंदुमहाकुंभियपयण पउलणतवगतलणभडभजणाणि य लोहकडाहुकढणाणि य कोट्टबलिकरणकोट्टणाणि य सामलितिक्खग्गलो हकंटक अभिसरणपसारणाणि फाळणविदालणाणि य अवकोडकबंधणाणि लडिसयतालणाणि य गलगलाबजाणि सूलग्गभयणाणि य आएसपर्वचणाणि खिसणचिमाणणाणि विघुट्टपणिज्जणाणि वज्झसयमातिकाति य एवं ते पुढकम्मकयसंचयोक्तत्ता निरयग्गिमहग्गिसंपलिता गाढदुक्खं महम्भयं ककसं असायं सारीरं मानसं च तिष्यं दुद्विसहं वेदेति वेयणं पावकम्मकारी बहूणि पलिओक्मसागरोत्रमाणि कलणं पालेन्ति ते अहाउयं जमकातियतासिता य सदं करेंति भीया, किं तं ?, अवि भायसामिमायवप्पताय जितवं मुय में मरामि दुब्बलो वाहिपीलिओऽहं किं दाणि सि ? एवं दारुणो विद्दय! मा देहि मे पहारे उस्सासेवं मुहुत्तयं मे देहि पसायं करेहि मा रुस वीसमामि गेविज्जं मुग्रह में मरामि, गाढं तहातिओ अहं देह पाणीयं हंता पिय इमं जलं विमलं सीयलंति घेत्तूण य नरयपाला तवियं तयं से देति कलसेण अंजलीस दट्टूण य तं पवेवियंगोवंगा अंसुपगलंतपप्पुयच्छा छिण्णा तन्हाइयम्ह कलणाणि जंपमाणा विप्पेक्खन्ता दिसोदिसिं अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहूणा विपलायति य मिगा इव वेगेण भयुविग्गा, घेत्तूण वला पलायमाणाणं निरणुकंपा मुहं विहाडेत्तुं लोहडंडेहिं कलकलं हं वयांसि छुभंति केई जमकाइया पासंता, तेण दड्ढा संतो रसंति य भीमाई विस्सराई रुवंतिय कलुगाई पारेवतगाव, एवं पलवितविलावकलणाकंदिय बहुरुन्नरुदियसको परिदेवितरुद्धबुद्धयनारकारवसंकुलो णीसट्टो रसियभणियकुविउकूइयनिरयपाललज्जिय गेष्हकम पहर छिंद भिंद उप्पाडेहुक्खणाहि कत्ताहि विकत्ताहि य भुजो हण विहण विच्छुभोच्छुन् आकड्ढ विकट, किं ण जंपसि ? सराहि पावकम्माई दुक्कयाई एवं वयणमहापगन्भो पडिसुयासहसंकुलो तासओ सया निरयगोयराण महाणगरडज्झमाणसरिसो निग्घोसो मुषए अणिट्टो तहियं नेरइयाणं जाइजंताणं जायणाहिं, किं ते?, असिवणदन्भवणजंतपत्थरमुइतलक्खास्वाविकलकलन्तवेयरणिकलंबवालुयाजलियगृहनिरंभणउसिणोसिणकंट इदुग्गम रहजोयणतत्तलोहमग्गगमणवाहणाणि इमेहिं विविहेहिं आयुहेहिं किं ते?, मोग्गरमुसुंढिकरकयसत्तिहलगयमुसलचक कोंततोमरसूललउलभिडिमालसद्द (द) लपट्टिसचम्मेदृदुहणमुट्टियअसिखेडगखग्गचावनारायकणककप्पणिवासिपर सुटंक तिक्खनिम्मल अण्णेहि य एवमादिएहिं असुमेहिं वेउब्जिएहिं पहरणसतेहिं अणुबद्धतिङ्घवेरा परोप्परवेयणं उदीरंति अभिहणंता, तत्थ य मोग्गरपहारचुष्णियमुसुंढिसंभग्गमहितदेहा जंतोवपीलणफुरंतकप्पिया केइत्थ सचम्मका विगत्ता णिम्मूलकण्णो णासिका छिष्णहत्थपादा असिकरकयतिक्खकतपरसुप्पहारफालियवासीसंतच्छितंगमंगा कलकलमाणखारपरिसित्तगाढडज्झतगत्तकुंतग्गभिण्णजजरियसङ्घदेहा विलोलति महीतले विसृणियंगमंगा (निग्गयंगजीवा पा० ) तत्थ य विगसुणगसियालकाकमज्जारसरभदीवियवियग्घवगसद्दूलसीहदप्पियसुहाभिभूतेहिं णिञ्चकालमणसिएहिं घोरा रसमाणभीमरूवेहिं अकमित्ता दढदाढागाढडककढियमुतिक्खनहफालियउद्धदेहा विच्छिष्पंते समंतओ विमुकसंधिबंधणा वियंगमंगा कंककुररगिद्धघोरकट्टवायसगणेहि य पुणो ५१९ प्रश्नव्याकरणांगं, अस्यणे- १ मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खरथिरदढणक्खलोहतुंडेहिं ओवतिना पक्वायनिक्वणक्सविकिनजिभंछियनयणनिओलुम्गविमतवयणा उक्कोसंताय उप्पयंता निपतता भमंता पुश्कम्मोदयोवगता पच्छाणुसएण इज्ममाणा जिंदता पुरेकटाई कम्माई पावगाई नहिं २ तारिसाणि ओसन्नचिकणाई दुक्खानि अणुभवित्ता तनो य आउक्खएणं उबट्टिया समाणा बहवे गच्छति तिरियरसहिं दुक्खुत्तरं सुदारुणं जम्मणमरणजरावाहिपरियणारहट्ठ जलवलखहचरपरोप्परविहिसणपवंचं इमं च जगपागडं वरागा दुक्ख पावेन्ति दीहकालं, कि ते ?, सीउण्हतहासुहयेयणअप्पईकारअडविजम्मणणिचभउविग्गवासजम्गणवहबंधणताहणंकणनिवायणअद्विभंजणनासाभेयप्पहारदृमणच्छविच्छेयण अभिओगपावणकसंकुसारनिवायदमणाणि वाहणाणि यमायापितिविप्पयोगसोयपरिपीलणाणि य सस्थग्गिविसाभिधायगलगवलआवलणमारणाणि य गलजालच्छिप्पणाणि पउलणविकप्पणाणि य जायजीविगधणाणि पंजरनिरोहणाणि य समूहनिदाडणाणि य धमणाणि य दोहणाणि य हुगलबंधणाणि य बागपरिवारणाणि य पंकजलनिमज्जणाणि य वारिप्पवेसणाणि य ओवायणिभंगविसमणिवरणदयगिजालदहणाई य. एवं ने दुक्खसयसंपलिना नरगाउ आगया इहं सावसेसकम्मा तिरिक्वपंचेंदिएसु पाचिंति पावकारी कम्माणि पमायरागदोसबहुसंचियाई अतीव अस्सायककसाई भमरमसगमच्छिमाइएस् य जाइकुलकोडिसयसहम्सेहिं नवहिं चउरिदियाण नहिं नहि चेव जम्मणमरणाणि अणुभवता कालं संखेजकं भमंति नेरदयसमाणतिधदुक्खा फरिसरसणघाणचक्खुसहिया नहेव तेइंदिएस कंथपिपीलिकाअधिकादिक य जातिकलकोडिसयसहस्सेहिं अहिं अण्णएहिं तेइंदियाण तहिं श्चेव जम्मणमरणाणि अणुहवंता कालं संखेजकं भमंति नरडयसमाणनिबदुक्खा फरिसरमणघाणसंप उत्ना गंडूलयजलूयकिमियचंदणगमादिएमु य जातीकुलकोडिसयसहस्सेहिं सत्तहि अणूणएहिं वेइंदियाण तहि २ चेव जम्मणमरणाणि अणुहर्वता कालं सग्विजक भमंति नेरइयसमाणतिपदुक्खा फरिसरसणसंपउत्ता पत्ता एगिदियत्तणपि य पुढवीजलजलणमास्यवणप्फती सुहमवायरं च पजनमपज्जनं पत्तेयसरीरणाम साहारणं च पोयसरीरजीविएसु य नत्थवि कालमसंखेजगं भमंति अणंतकालं च अणंतकाए फासिदियभावसंपउत्ता दुक्खसमुदय इमं अणि? पाविति पुणो नहिं चेव परभवतकगणगणे( गहणे ला पा०) कोहालकुलियदालणसलिलमलणसुंभणरंभणअणलाणिल विविहसत्यघट्टणपरोप्पराभिहणणमारणविराहणाणि य अकामकाई परप्पओगोदीरणाहि य फज्जपओयणेहि य पेस्सप-18 सुनिमित्नओसहाहारमाढएहिं उक्खणण उकत्थणपयणकोट्टणपीसणपिट्टणभजणगालणआमोडणसणफुडणमजणछेयणतच्छणविलंचणपत्नज्झोडणअम्गिदहणाइयाति. एवं ने भवपरपरादुक्वसमणुबहा अति संसारथीहणकरे जीया पाणाइवायनिरया अणंतकालं, जेविय इह माणुसत्तणं आगया कहंचि नरगा उपट्टिया अपना तेविय दीसंति पायसो चिकयविगलरूवा खुज्जा पडमा य बामणा य बहिरा काणा कुंटा पंगुला विउला य मूका य (अविय जलमूया पा०) मंमणा य अंधयगा एगचक्खू विणिहयसचे(पिस पा)लया वाहिरोगपीलियअप्पाउयसस्थवजावाला कलक्वणकिनदेहा दब्बलकसंघयणकप्पमाणकसंठिया करुवा किविणा यहीणा हीणसत्ता निचं सोक्खपरिवजिया असुहदुस्वभागा णरगाओ उबद्दति इहं सावसेसकम्मा. एवं णरगं तिरिक्सजोणि कुमाणुसत्तं च हिंडमाणा पावंति अणंताई दुक्खाई पावकारी, एसो सो पाणवहस्स फलविवागो इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महब्भयो बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहिं मुञ्चति, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोत्ति एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसीय पाणवहस्स फलविवागं, एसो सो पाणवहो चंडो रुदो खुदो अणारिओ निम्घिणो निस्संसो महम्भओ बीहणओ तासणओ अणजो उबेयणओ य णिस्वयक्खो निम्मो निप्पिवासा निकलणा निरयवासगमणनिघणा माहमहब्भयपवढओ मरणयमणसा। पढम अहम्मदार समर भणियं भयंकर दुहकर अयसकर बेस्करगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसवियरणं अलियनियडिसातिजोयबाहुलं नीयजणनिसेवियं निस्संसं अपञ्चयकारक परमसाहुगरहणिज परपीलाकारक परमकिण्हलेस्ससहियं दुग्गडचिणिवायवड्ढणं भवपुणब्भवकरं चिरपरिचियमणुगतं दुरन्तं कित्तिय वितितं अधम्मदारं । ५। तस्स य णामाणि गोषणाणि होति तीस, नं०अलियं सदं अणजं मायामोसा असंतकं कुडकवडमत्युगं च निरस्थयमवस्थयं च विहेसगरहणिजं अणुजकं ककणा य १० चणा य मिच्छापच्छाकडं च साती उ उच्छन्नं उकूल च अहूं अभक्खाणं च किब्धिसं वलयं गहणं च२० मम्मणं च नूमं निययी अप्पच्चओ असमओ असञ्चसंधत्तणं विवक्खो अबहीयं (आणाइयं पा०) उवहि असुद्धं अबोवोनि ३०, अविय तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीस सावजस्स अलियस्स वइजोगस्स अणेगाई।६। तं च पुण वदंति केई अलियं पावा असंजया अविस्या कवडकुडिलकहुयचहुलभावा कुद्धा लुद्धा भया य हस्सडिया य सकरखी चोरचारभडा खंडस्कूखा जियजूईकरा य गहियगहणा कक्ककुगकारगा कुलिंगी उवहिया वाणियगा य कूडतुलकूडमाणी कुडकाहावणोवजीची पड़गारकलायकारइजा बंचणपरा चारियचाटुयारनगरगोत्तियपरिचारगा दुट्टवायिसयकअणवलभणिया य पुत्रकालियवयणदच्छा साहसिका लहुस्सगा असच्चा गारविया असच. द्वावणाहिचित्ता उच्चच्छंदा अणिग्गहा अणियता छंदेण मुकवाता भवंति अलियाहिं जे अविरया, अबरे नस्थिकवादिणो वामलोकवादी भणंति नस्थि जीवो न जाइ इह परे वा (१३०) ५२० प्रश्नच्याकरणांगं, अन्य -२ मुनि दीपरत्नसागर Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लोए न य किंचिवि फुसति पुनपाचं नत्थि फलं मुकयदुक्याणं पंचमहाभूतियं सरीरं भासंति है ! वावजोगजुतं, पंच य खंधे भणंति केई. मणं च मणजीविका वदंति, वाउजीवोत्ति एवमाहंसु. सरीरं सादियं सनिधणं इह भवे एगे भवे तस्स विप्पणासंमि सम्बनासोनि, एवं जंपति मुसावादी. तम्हा दाणवयपोसहाणं तवसंजमर्चभचेरकाणमाइयाण नत्यि फलं नवि य पाणवहे अन्लियवयणं न चेव चोरिककरणपरदारसेवणं वा सपरिग्गहपावकम्मकरणंपि नस्थि किंचि न नेरइयतिरियमणुयाण जोणी न देवलोको वा अस्थि न य अस्थि सिद्धिगमण अम्मापियरो नधि नवि अस्थि परिसकारो पञ्चक्वाणमवि नत्थि नवि अस्थि कालमचू य अरिहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा नन्धि नेवस्थि केई रिसओ धम्माधम्मफलं च नबि अन्थि किंचि बहुयं च योवकं वा, नम्हा एवं विजाणिऊण जहा सुबहु इंदियाणुकूलेसु सबविसएसु वह णत्थि काई किरिया वा अकिरिया वा एवं भणंति नस्थिकवादिणो वामलोगवादी, इमंपि विनीय कदसणं असम्भावबाइणों पण्णवति मूढा-संभूतो अंडकाओ लोको सयंभूणा सयं च निम्मिओ, एवं एवं अलियं, पयावरणा इस्सरेण य कयंति कति. एवं विण्डमयं का कसिणमेव य जगति केई एवमेके वदंति मोसं एको आया अकारको वेदको य मुकयस्स दकयस्स य करणाणि कारणाणि सबहा सबहिं च निचो य निकिओ निमाणो य अणव | | (अबो अपा)लेवओनिविय एवमाहंमु असम्भावं, जंपि इहं किंचि जीवलोके दीसइ सुकयं वा दुक्यं वा एयं वा जदिच्छाए वा सहावेण वावि दइवतप्पभावओ वापि भवनि, नत्थेत्थ किंचि कयकतनं लक्वणविहाणनियतीए कारियं एवं केई जंपति इड्ढिरससातगारवपरा बहवे करणालसा परूवति धम्मवीमसएण मोसं. अवरे अहम्मओरायदुई अभक्वाणं भणेतिअलियं चोरोत्ति अचोरयं करेंनं डामरिउत्तिवि य एमेव उदासीणं दुम्सीलोनि य परदारं गच्छतित्ति मइलिंति सीलकलियं अयंपि गुरुतप्पओ अण्णे एमेव भणति उवाहणंता मित्तकलनाई सेवनि अयंपि लुत्तधम्मो इमोवि विसंधायओ पावकम्मकारी अगम्मगामी अयं दुरप्पा बहुएसुय पापगेसु जुत्तोत्ति एवं जंपति मच्छरी, भड़के वा गुणकिनिनेहपरलोगनिप्पिवासा, एवं ने अलियवयणदच्छा परदोसुप्पायणप्पसत्ता वेढेन्ति अक्खातियवीएण अप्पाणं कम्मबंधणेण मुहरी असमिक्खियप्पलावा निकखेवे अवहरंति परस्स अत्थंमि गढियगिद्धा अभिजुजंति य परं असंतएहि लुद्धा य करेंति कूडसक्खित्तणं असचा अत्यालियं च कन्नालियं च भोमालियं च तह गवालियं च गरुयं भणति अहरगतिगमणं, कारण अन्नपि य जातिभरुवकुलसीलपञ्चयं मायाणिगुणं चवलपिसुणं परमट्ठभेदकमसंकं विहेसमणत्थकारक पावकम्ममूलं दुहिट्ट दुस्सुयं अमुणियं निजं लोकगरहणिजं वहबंधपरिकिन्टेसबहुलं जरामरण दुक्खसोयनिम्म असुहपरिणामसंकिलिर्ट भणंति अलिया हिंसंति संनिविट्ठा असंतगुणदीरका य संतगुणनासका य हिंसाभूतोवघातितं अलियसंपउत्ना वयणं सावजमकुसलं साहुगरहणिज अधम्मजणणं भणति अणभिगयपन्नपाचा. पुणोवि अधिकरणकिरियापवत्तका बहुविहं अणत्थं अवमदं अप्पणो परस्स य करेंति. एमेव जपमाणा महिसमकरे य साहिति घायगाणं ससयपसयरोहिए य साहिति वागुराणं तित्तिखट्टकलावके य कविंजलकवोयके य साहिति साउणीणं झसमगरकच्छभे य साहिति मच्छियाणं संग्वंके खुल्लए य साहिति मगराण (मस्गिणं पा०) अयगरगोणसमंडलिदवीकरे मउली य साहिति वालवीणं (वायलियाणं पा०) गोहासेहगसल्लगसरडके य साहिति लुगाणं गयकुलवानरकुले य साहिति पासियाणं भासकवरहिणमयणसालकोइलहंसकले सारसे य साहिंति पोसगाणं वधबंधजावणं च साहिति गोम्मियाणं धणधनगवेलए य साहिति तकराणं गामागरनगरपट्टणे य साहिति चारियाणं | पारघाइयपंथघातियाओ साहति गठिभेयाणं कयं च चोरियं नगरगोत्तियाणं लंछणनिउंछणधमणदुहणपासणवणणदवणवाहणादियाइं साहिति बहणि गोमियाणं धातुमणिसिलप्पवा करयणागरे य साहिति आगरीणं पुष्फविहिं फलविहिं च साहिति मालियाणं अग्धमहुकोसए य साहिति वणचराणं जंताई विसाई मूलकम्मं आहेब(हिन पा०)णआविंधणआभिओगमंनोसहिप्पओगे चोरियपरदारगमणबहुपावकम्मकराणं उक्खंधे गामघातवाओ वणदहणतलागभेयणाणि बुदिविसविणासणाणि वसीकरणमादियाइं भयमरणकिलेसदोसजणणाणि भाव बहुसंकिलिट्ठमलिणाणि भुतघातोवघातियाई सच्चाईपि ताई हिंसकाई वयणाई उदाहरंति पुट्टा वा अपुट्टा वा परवत्तियवावडा य असमिक्खियभासिणो उपदिसंति सहसा उट्ठा गोणा II गवया दमंत् परिणयवया अस्सा हत्थी गवेलगकडा य किज्जंतु किणावेध य विकह पयह य सयणस्स देह पियय(खादत पिचत दत्त च पा०) दासिदासभयकभाइलव पेसकजणो कम्मकरा य किंकरा य एए सयणपरिजणो य कीस अच्छंति भारिया मे करित्तु (करिंतु पा०) कम्मं गहणाई वणाई खेतखिलभूमिबहराइं (छिद्यन्तामखिलभूमिबलराणि पा०) उत्तणघणसंकडाई डझंतु सूडिजंतु य रुक्खा भिजंतु जंतभंडाइयस्स उवहिस्स कारणाए बहुविहस्स य अट्ठाए उच्छू दुमंतु पीलिजंतु य निला पयावेह य इट्टकाउ मम घरट्टयाए खेत्ताई कसह कसावेह य लहुं गामआगरनगरखेडकब्बडे निवेसेह अडवीदेसेसु विपुलसीमे पुष्पाणि य फलाणि य कंदमूलाई कालपत्ताई गेण्हेह करेह संचयं परिजणट्ठयाए साली वीही जवा य लुच्चंतु मलिज्जंतु उष्फणिजंतु य लहुं च पविसंतु य कोट्ठागारं अप्पमहउकोसगा य हमंतु पोयसत्था सेणा णिज्जाउ जाउ डमरं घोरा बटुंतु य संगामा पवहन्तु य ५२१ प्रनव्याकरणांगं, अत्म -२ मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सगडवाहणाई उवणयणं चोलग विवाहो जन्नो अमुगम्मि उ होउ दिवसेमु करणेसु मुहुनेमु तिहिसु य अज होउ ण्हवणं मुदितं बहुखजपिजकलियं कोतुकं विण्हावणक संनिकम्माणि कुणह ससिरविगहोवरागविसमेसु सजणपरियणस्स य नियकस्स य जीवियस्स परिरकखणट्याए पडिसीसकाई च देह देह य सीसोवहारे विविहोसहिमजमंसभकखन्नपाणमडाणुलेवणपईवजलिउज्जलसुगंधिधूवावकरपुष्फफरपबलि)समिद्धे पायच्छिने करेह पाणाइवायकरणेणं बहुविहेणं विवरीउपायदुस्सुमिणपावसउणअसोमम्गहचरियअमंगरनिमित्तपडिघायहेउं विनिच्छेयं करेह मा देह किंचि दाणं मुदतृहओ सुदृढ़ डिनो भिन्नति उचदिसंता एवंविहं करेंति अलियं मणेण बायाए कम्मणा य अकसला अणजा अलियप्पाणो अलियधम्मणिरया अलियासु कहासु अभिरमंता तुट्ठा अलियं करेतु होति य बहुप्पयार।७। तम्स य अलियम्स फलविवागं अयाणमाणा वइडेनि महम्मयं अविस्सामवेयणं दीहकालं बहुदुक्खसकडं नस्यतिरिय जोणि तेण य अलिएण समणुबहा आइदा पुणब्भवंधकारे भमंति भीमे दुग्गतिवसहिमवगया. ते य दीसंतिह दुग्गया दुरंता परवसा अन्थभोगपरिवजिया असुहिता फुडियच्छविधीभच्छविवन्ना खरफरुसविरत्नज्झामझुसिरा निन्छाया लढविफलवाया असकतमसकया अगंधा अचेयणा दुभगा अकंता काकस्सरा हीणभिन्नघोसा विहिसा जडवहिरन्धमूया य मम्मणा अकं(क पा)लविकयकरणा णीया णीयजणनिसेविणो योगगरहणिजा भिचा असरिसजणस्स पेस्सा दुम्मेहा लोकवेदअज्झप्पसमयसुतियजिया नरा धम्मबुद्धिवियला अलिएण य नेणं पडज्झमाणा असंतएण य अवमाणणपट्ठिमंसाहित्खेवपिसुणभेयणगुरुबंधवसयणमित्तवकवारणादियाई अब्भकखाणाई बहुचिहाई पावेंति अणुपमाणि (अमणोरमाई पा०) हिययमणदूमकाई जावज्जीब दुरुदराई अणिदुसरफरुसवयणतजणनिभच्छणदीणवदणविमणा कुभोयणा कुवाससा कुवसहीसु किलिस्संता नेव मुह नेव निबुइं उबलभंति अचंतविपुलदुक्खसयसंपलि(प्र. 3)ना. एसो सो अलियवयणस्स फलविवाओ इहलोइओ परलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महम्मओ बहुस्यप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहम्सेहि मुबइ, न य अवेदयित्ता अस्थि हु मोक्खोनि एवमासु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसीय अन्लियवयणम्स फलविवागं एयं न विनीयपि अलियवयणं लहुसगलहुचवलमणियं भयंकर दुहकर अयसकर वेरकरगं अरतिरतिरागदोसमणसंकिलेसविरयणं अलियणियडिसादिजोगबहुलं नीयजणनिसेवियं निस्संस अप्पचयकारक परमसाहुगरहणिजं परपीलाकारगं परमकण्हलेससहियं दुग्गतिविनिवायवड्ढणं पुणब्भवकरं चिरपरिचियमणुगयं दुरंतं. बितियं अधम्मदारं समनं। ८॥दारं ॥ जंबु ! तइयं च अदनादाणं हरदहमरणभयकलसतासणपरसंतिगऽभेज्जलोभमूलं कालविसमसंसियं अहोऽच्छिन्नतण्हपत्थाणपन्थाइमइयं अकिनिकरणं अणजं छिरमंतरविधस्वसणमग्गणउस्सबमत्तप्पमत्नपसुत्तवंचणकिखवणघायणपराणिहुयपरिणामतकरजणबहुमयं अकलुणं रायपुरिसरक्खियं सया साहगरहणिज्जं पियजणमित्तजणभेदविपीनिकारकं रागदोसबहुलं पुणो य उप्पुर(प०थुर)समरसंगामडमरकलिकन्हये(प्र०व)हकरणं दुग्गइबिणिवायवड्ढणं भवपुणम्भवकरं चिरपरिचितमणुगयं दुरंतं, तइयं अधम्मदारं ।। नम्स य णामाणि गोत्राणि होनि नीसं. २०-चोरिकं परहडं अदत्तं कूरिकट (कुसटुयकयं पा०) परलाभो असंजमो परधणमि गेही लोलिकं नकरतणंति अवहारो १० हत्थलत्तणं (लहनं पा०) पावकम्मकरणं तेणिकं हरणविप्पणासो आदियणालंपणा घणाणं अप्पचओ अ(प्र.ओ)वीलो अक्खेवा खेवा २०विक्खवा कूड़या कलमसी य कखा लालप्पणपन्थणा य (आससणाय पा०) वसण इच्छामुच्छा य तण्हागेहि नियडिकम्मं अपरच्छतिविय ३०. तस्स एयाणि एवमादीणि नामधेजाणि होति तीसं अदिनादाणस्स पावकलिकल्सकम्मबहुलम्स अणेगाई । १० । नं पुण करेंनि पंतकरा परदबहरा छेया कयकरणलद्धलक्खा साहसिया लहस्सगा अतिमहिच्छलोभगत्था दृट्टरओबीलका य गेहिया अहिमरा अणभंजकभग्गसंधिया रायदुटुकारी य विसय. निच्छढलोलबझा उटोहकगामघाययपरथायगपंथधायगआलीवगतिथभेया लहहत्यसंपउत्ता जइकरा खंडरक्खत्थी चोरपुरिसचोरसंधिन्छेया य गंथिभेदगपरधणहरणलामावहार क्खेवी(घ पा)हडकारका निम्महगगूढचोरकगोचोरगअस्स चोरगदासिचोरा य एक(प. थक)चोरा ओकड्ढकसंपदायकछिपकसत्थधायकचिलचोरी( कोन्ली) कारका य निग्गाहविष्पलंपगा बहुविहतेणिक(प० तहब)हरणबदी. एते अन्ने य एवमादी परस्स दवा हि जे अबिरया०, विपुलबलपरिम्गहा य बहवेरायाणो परचणमि गिदा सए व दो असंतुट्ठा परबिसए अहिहणंति लुद्धा परधणस्स कजे चउरंगविभत्त(प्र० समंत)बलसमग्गा निच्छियवरजोहजुबसहियअहमहमितिदप्पिएहिं (सेन्नेहिं पा०) संपरिबुडा पउम(पान)सगडसइचकसागरगरुलवूहातिएहि अणिएहि उत्थरता अभिभूय हरंति परघणाई अवरे रणसीसलदलक्खा संगामंमि अतिवयंति सन्नदबद्धपरियरउप्पीलियचिंधपङ्कगहियाउहपहरणा मादिवर(गूढ पा०). बम्मगुंडिया आविद्धजालिका कवयकंकडइया उरसिरमुहबद्धकंठतोणमाइतवरफलहरचितपहकरसरहसखरचावकरकरंछियसुनिसितसरवरिसचढकरकमयंत(मंते पा०)घणचंडवेगधारानिवायमग्गे अणेगवणुमंडलग्गसंधिता उच्छलियसत्तिकणगवामकरगहियखेडगनिम्मलनिकिट्ठखग्गपहरंतकोंततोमरचकगयापरसुमुसललंगलसूलल उलभिडमालासबलपट्टिसचम्मेद्वदु५२२ प्रश्नव्याकरणांगं, मन्नधण-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घणमोडियमोग्गरवरफलिजंतपत्थरद्हणतोण कुत्रेणी पीढकलियईलीपहरणमिलिमिलि मिलंतखिप्पंतविज्जुज्जलविरचितसमप्पहणभतले फुडपहरणे महारणसंखभेरि (प्र० दुन्दुभि )वरतूरपउरपडुपहडायणिणायगंभीरणंदितपक्खुभियविपुलघोसे हयगयरह जोह तुरितपसरित उद्धततमंधकार बहुले कातरनरणयण हिययवाउलकरे विलुलियउकडवरम उडतिरी डकुंडलो डुदामाडोवियम्मि पागडपडागउसियज्झयवेजयं तिचामरचलंतछत्तंधकारगम्भीरे हयहेसि यहत्थिगुलगुलाइयरघणघणाइयपाइकहरहाइय अप्फोडियसीहनाया छेलियविग्य सहभीमगजिए सयराहहसंतरुसंतकलकलरखे आसूणियवयणरुदे भीमदसणाधरोडगाढदट्टे सप्पहरणुज्जयकरे अमरिसवसतिवरत्तनिदारितच्छे वेरदिठ्ठिकुद्धचिट्ठियतिवलीकुडिलभि उडिकयनिलाडे वहपरिणयनरसहस्सविक्रमवियंभियवले बततुरगरहपहा वियसमरभडावडियछेय लाघवपहारसाधितासमूसवियबाहुज्यले मुकट्टहासपुकंतबोलबहुले फलफलगाव रणगहियगयवरपत्थितदरिय भडखउपरोप्परपलग्गजुद्धगतिविउसि तवरासिरोस तुरिय अभिमुह पहरितछिन्नकरिकरविभंगितकरे अवइनिसुद्धभिन्नफालियपगलियरुहिरकत भूमिकद्दमचिलिचिलप कुच्छिविदालियगलितरुलिंत निभेइंतंत रुफुरंत विगलमम्मायत्रिकयगाढदिनपहारमुच्छितरूलंतवें भलविलावकलणे हयजोहभमंततुरगउद्दाममत्तकुंजरपरिसंकितजण निलुके छिब्रधयभग्गरहबरनट्टसिरकरिकलेवरा किलपतितपह्रणचिकिन्नाभरणभूमिभागे नचंतकबंधपर भयंकर वायस परितगिदमंडलभमंतच्छायंधकारगंभीरे वसुवसुहविकंपित पञ्चक्खपिउवणं परमरुद्दवीणगं दुप्पत्रेसतरगं अभिवयंति संगामसंकडं, परघणं महंता अवरे पाइकचोरसंधा सेणावतिचोरवंदपागढिका य अडवीदेस दुग्गवासी काहरितरत्तपीतसुकि अणेगसयचिंधपट्टबद्धा परविसए अभिहणंति लुद्धा धणस्स कज्जे रयणागरसागरं च उम्मीसहस्समा लाउला कुलवितोयपोतकलकलैतकलियं पायारसहस्सवायवसवेगसलिलउडम्मंमाणदगरयरयंधकारं वरफेणपउरधवलपुलंपुलसमुट्टियगृहासं मारुयविच्छुभमाणपाणियजलमालुप्पीलहुलियं अविय समंतओ खुभियलुलियखोकुग्भमाणपक्खलिय चलियविपुलजलचक्कवालमहान ईवेगतुरिय आपूरमाणगंभीरविपुल आवत्तचवलभममाणगुप्पमाणुच्छलंतपचोणियत्तपाणियपधावियखरफरुसपयंडवाउलियसलिलं कुटुंतबीतिकल्लोलसंकुलजलं महामगरमच्छ कच्छभोहारगाहतिमिसंसुमारसावयसमाहयसमुदायमाणकपूरघोरपडरं कायरजणहिययकंपणं घोरमारसंतं महम्भयं भयंकरं पतिभयं उत्तासणगं अणोरपारं आगासं चैव निरवलंब उप्पाइयपवणधणितनोडियउवरुवरितरंगदरिय अतिवेगवेगचक्खुपह मुच्छरंतं कत्थई गंभीरविपुलगजियगुंजियनिग्धायगस्यनिवतितसुदीनीहारिदूरमुवंतगंभीरधुगधुगंतसई पडिपहरूभंतजक्खरक्खसकुहंडपिसाय (रूसियतज्जाय पा० ) उवसग्गसहस्ससंकुलं बप्पाइय ( उद्दव पा० ) भूयं विरचितवलिहोमधूवउवचारदिन्नरुधिरचणाकरणपयतजोगपययचरियं परियन्तजुगंतकालकप्पोवमं दुरंतमहानईनईवइमहाभीमदरिसणिजं दुरणुचरं विसमप्पवेसं दुक्खुत्तारं दुरासयं लवणसलिलपुण्णं असियसियसमूसियगेहिं हत्यतरकेहिं वाहणेहिं अइवइत्ता समुदमज्झे हणति गंतूण जणस्स पोते परदवहरण (हराण) रभसनिरणुकंपा (नरा पा०) निरावयक्खा गामागरनगर खेडकञ्चडमडंवदोणमुहपट्टणासमणिगमजणवते य घणसमिद्धे हणंति थिरहिययछिन्नला बंदिग्गहगोग्गहे य गेव्हंति दारुणमती णिक्किवा धणियं हृणंति छिंदंति गेहसंधि निक्खित्ताणि य हरंति धगधन्नदवजायाणि जणवयकुलाणं णिग्विणमती परस्स दबाई जे अचिरया०, तहेब केई अदिन्नादाणं गवेसमाणा कालाकालेस संचरंता चियकापज्जलियसरसदरदढकडियकलेवरे कहिरलिनवयण अखत (अदर पा० ) खातिय पीतडाइणिभमंतभयंकरे जंयक्खिक्खयं धूयकयघोरसदे वेयालुट्टियनिसुद्धकह कहि तपहसितबीहण कनिरभिरामे अतिदुभिगंधत्रीभच्छदरिसणिजे सुसाणवणसुन्नघर लेण अंतरावणगिरिकंदर चिसमसावयसमाकुलासु बसहीसु किलिस्संता सीतातवसोसियसरीरा दड्ढच्छवी निरयतिरियभवसंकडदुक्खसंभारवेयणिज्जाणि पावकम्माणि संचिणंता दुइहभक्खन्नपाणभोयणा पिवासिया झुंझिया किलंता मंसकुणिमकंदमूलर्जकिंचिकयाहारा उधिग्गा उप्पुया असरणा अडवीवास उवैति वालसतसं कणिज्जं अयसकर तकरा भयंकरा कास हरामोत्ति अज्ज दवं इति सामत्थं करेंति गुज्नं बहुयस्स जणस्स कज्जकरणेसु विग्धकरा मत्तपमत्तपसुत्तवीसत्यच्छिदघाता वसणमुदएस हरणबुद्धी विगध रुहिरमहिया परंति नरवतिमज्जायमतिकता सज्जणजणदुगुछिया सम्मेहिं पात्रकम्मकारी असुभपरिणया य दुक्खभागी निचाइलद्मनिद्दह्मणा इहलोके चैव किलिस्ता परदवहरा नरा वसणस यसमावण्णा । ११ । तहेव केई परस्स दव्वं गवेसमाणा गहिता यया यद्धरुद्धा य तुरियं अतिघाडिया पुरवरं समप्पिया चोरग्गह चारभडचाडुकराण तेहि य कप्पडप्पहारनिद्दय आरक्खियखरफरूसवयणतज्जणगच्छतुच्छणाहिं चिमणा चारगवसहिं पवेसिया निरयवसहिसरिसं तत्थवि गोमियप्पहारदूमण निभच्छणक डुयवदण मेसणगा (गभया पा० ) भिभूया अक्खित्तनियंसणा मलिणदंडिखंडनिवसणा उक्कोडालंचपासमग्गणपरायणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं गोम्मियभडेहिं विविहेहि बंधणेहिं, किं ते ?, हडिनिगडवालरज्जु यकु दंडगवरत्त लोहसंकलह त्वं दुयवज्झ पट्टदामकणिक्कोडणेहिं अनेहि य एवमादिएहिं गोम्मिकभंडोवकरणेहिं दुक्खसमुदीरणेहिं संकोडमोडणाहिं वज्झति मंदपुन्ना संपुडकवाडलोहपंजर भूमिघरनिरोह कूवचारगकीलगजूयच कविततबंधणखंभा लणउद्धचलणबंधणवि५२३ प्रश्नव्याकरणांगं असंयणे- १ मुनि दीपरत्नसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हम्मणाहि य विहेडयन्ता अवकोडक गाढउर सिरबदउदपूरितफुरंत उरकड गमोडणामेडणाहिं बद्धा य नीससंता सीसावेढउरुयावलचप्पडगसंधिबंधणतत्तस लागसूइयाकोडणाणि तच्छणविमाणणाणि यखारकदुयतित्तनाषणजायणाकारणसयाणि बहुयाणि पावियंता उरक्खडोदिन्नगाढपेण अट्टिकसं भग्गसपंसुलीगा गलकालकलोहदंड उरउ दर बस्थिपरिपीलिता मत्यंतहिययसंचुण्णियंगमंगा आणत्तीकिंकरेहिं केति अविराहियवेरिएहिं जमपुरिससन्निहेहिं पया ते तत्य मंदपुण्णा चवेडवेलावज्झपट्टपाराइंछिवकसलत वरतनेत्तप्पहारसयतालियंगमंगा किदया लंवंतचम्मवणवेयणविमुहियमणा घणकोट्टिमनियलजुयलसंकोडियमोडिया य कीरंति निरुबारा एया अन्ना य एवमादीओ वेयणाओ पात्रा पावेंति अदन्तिदिया बसट्टा बहुमोहमोहिया परघणंमि लुद्धा फासिंदियविसयतिवगिद्धा इत्यीगयरू बस दरसगंधइट्टरतिमहितभोगतव्हाइया य धणतोसगा गहिया य जे नरगणा पुणरवि ते कम्मदुवियदा उचणीया रायकिंकराण तेर्सि वहसत्थगपाढयाणं विलउलीकारकाणं लंचसयगेव्ह गाणं कूडकवडमायानियडिआयरणपणिहिवचणविसारयाणं बहुविहअलियसतजंपकाणं परलोकपरम्मुहाणं निरयगतिमामियाणं तेहि य आणत्तजीयदंडा तुरियउग्धाडिया पुरवरे सिंघाडगतियचउक्कचचरचउम्मुहमहापहपहेसु वेत्तदंडलउडकइलेट्टुपत्थरपणालिपणोहिमुट्ठिलयापादपहिजाणुकोप्परपहारसंभग्गमहियगत्ता अट्ठारसकंमकारणा जाइयंगमंगा करुणा सुकोट्ठकंठगलकतालुजीहा जायंता पाणीयं विगयजीवियासा तहादिता वरागा तंपियन लभंति वज्झपुरिसेहिं घाडियंता तत्थ य खरफरूस पडहपट्टितकूडम्गहगाढरुद्वनिसट्टपरामुट्टा वज्झकरकुडिजुयनियत्था सुरतकणवीरगहियविमुकुलकंठेगुणवज्झदूतआविद्महइदामा मरणभयुप्पण्णसेदआयतणेहुत्तुपियकिलिनगत्ता पुष्णगुंडियसरीरस्यरेणुभरियकेसा कुसुंभगोकि समुदया छिन्नजीवियासा घुन्नंता बज्झपाणपीया (याण भीता पा० ) तिलंतिलं चेव चिजमाणा सरीरविकन्तलोहिओलित्ता कागणिमसाणि खावियंता पावा खरफस्सएहिं बालिजमाणदेहा वातिकनरनारीसंपरिबुडा पेच्छिजंता य नागरजणेण वज्झनेवत्थिया पणेजति नयरमज्झेण किवणकणा अत्ताणा असरणा अणाहा अबंधवा बंधुविप्पहीणा विपेक्खिता दिसोदिसिं मरणभयुविग्गा आघायणपडिदुवारसंपाविया अधन्ना सलग्गविलग्गभिन्नदेहा, ते य तत्थ कीरंति परिकप्पियंगमंगा उचिज्जति रुक्खसालासु केई कलणाई विलवमाणा अवरे चउरंगधणियबद्धा पञ्चयकडगा पमुचंते दूरपातबहुविसमपत्थरसहा अन्ने य गयचलणमलणयनिम्मदिया कीरंति पावकारी अट्ठारसखंडिया य कीरंति मुंडपरसहिं केई उक्कत्तकन्नोट्ठनासा उप्पाडियनयणदसणवसणा जिम्भिदियऽच्छिया छिन्नकन्नसिरा पणिज्जते छिज्जन्ते य असिणा नि सिया छिन्नहत्थपाया पमुचंते जावज्जीवबंधणा य कीरंति केई परदवहरणलुद्धा कारम्गलनियलजुयलरुद्धा चारगावहतसारा सयणविप्पमुक्का मित्तजणनिरिक्खि (रकि) या निरासा बहुजगधिकारसह लज्जायिता अलजा अणुबद्धसुहा पारदसी उन्हतण्हवेयणदुग्घट्टिया विवन्नमुहविच्छविया विहलमतिलदुम्बला किलंता कासंता वाहिया य आमाभिभूयगत्ता परूढन के समंसुरोमा छगमुत्तंमि नियगंमि खुत्ता तत्थेव मया अकामका बंधिऊण पादेसु कढिया खाइयाए छूटा तत्थ य बगसुणगसियालकोलमज्जारचंडसंदंसगतुंडपक्खिगणविविहमुहसयलविलतत्ता कयविहंगा केई किमिणा य कुहियदेहा अणिट्ठवयणेहिं सप्पमाणा सुट्ट् कथं जं मउत्ति पावो तुट्टेणं जणेण हम्ममाणा लजावणका य होंति सयणस्सविय दीहकालं मया संता, पुणो परलोगसमावन्ना नरए गच्छति निरभिरामे अंगारपलित्तककप्पअन्चत्थसीतवेदन अस्साउदिन्नसयतदुक्खसयसमभिदुते ततोवि उषट्टिया समाणा पुणोवि पवज्जति तिरिजोणिं तर्हिपि निरयोवमं अणुहवंति वेयणं, ते अनंतकालेण जति नाम कहिंचि मणुयभावं लभंति णेगेहिं णिरयगतिगमणतिरियभवसयसहस्सपरियद्वेहिं तत्थविय भवंतऽणारिया नीच कुलसमुप्पण्णा आरियजणेवि लोगबज्झा तिरिक्खभूता य अकुसला कामभोगतिसिया जहिं निबंधंति निरयवत्तणिभवप्पवंचकरणपणोद्धिं पुणोषि संसार (रा) वत्तणेममूले धम्मसुतिविवज्जिया अणजा कुरा मिच्छत्तसुतिपवन्ना य होति एतदंडहणो वेढेंता कोसिकारकीडोड अप्पगं अट्टकम्मतंतुघणबंधणेणं, एवं नरगतिरियनर अमरगमणपेरंतचकवाल जम्मजरामरणकरणगम्भीरदुक्खपतुभियपउरसलिलं संजोगविओगवीची चिंतापसंगपसरियवहबंधमहलविपुलकल्लोलकलुणविलवितलोभकलकलिंतबोलबहुलं अवमाणणफेणं तिखिंसणपुलंपुलप्पभूयरोगवेयणपराभवविणिवातफरुसधरिसणसमावडियकढिणकम्मपत्थरतरंगरंगंतनिञ्चमच्चुभयतोयपठ्ठे कसायपायासंकुलं भवसयसहस्सजलसंचयं अनंतं उच्ज्ञेयणयं अणोरपारं महम्भयं भयंकरं पद्मभयं अपरिमियमहिच्छकलुसमतिवाउवेगउद्धम्ममाण आसापिवासपायालकामरतिरागदोस बंधणबहुविहसंकप्पविपुलद्गरयरयंधकारं मोहमहावत्तभोगभममाणगुप्पमाणुच्छलंतबडुगब्भवासपञ्चोणियत्तपाणियं पधावित (वाहिय पा० ) वसणसमावन्नरुन्नचंडमारुयसमायामणुन्नवीचीवाकुलितभग्गफुट्टंतनिट्टकहोलसंकुलजलं पमात बहुचंडदुहसाबयसमाहयउद्धायमाणगपूरपोरविदंसणत्थबहुलं अण्णाणभमंतमच्छपरिहत्वं अनिहुतिंदियमहामगरतुरियचरियखोसुग्भमाणसंतावनिचयचलंतचवलचंचलअत्ताणऽसरणपुत्रकयकम्मसंचयोदिन्नवज्जवेइजमाणदुहसयविपाकपुन्नंतजलसमूहं इड्टिरससायगारवोहारगहियकम्मपडिबद्धसत्तकढिजमाणनिरयतलहुत्तसन्नविसन्नबहुला अरइरइभयविसायसोगमिच्छत्तसेलसंकडं अणातिसंताणकम्मबंधणकिलेस चिक्खिसुदुत्तरं अमस्नरतिरियनिस्यगतिगमणकडिलपरियत्तविपुलवेलं हिंसाऽलियअदत्तादाणमेहुणपरिग्गहारंभकरणकारावणाणु- (१३१) ५२४ पनव्याकरणांगं, अक्षयणे-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मोदणअट्टविहअणिट्ठकम्मपिडितगुरुभारकंतदुग्गजलोघदूरपणोलिजमाणउम्मुग्गनिमुम्गदुलभतलं सारीरमणोमयाणि दुक्खाणि उप्पियंता सातस्सायपरित्तावणमयं उन्बुड्डनिबुड्डयं करेंता चाउरंतमहंतमणवयम्गं रुई संसारसागरं अट्ठियं अणालंबणमपतिद्वाणमप्पमेयं चुलसीतिजोणिसयसहस्सगुविलं अणालोकमंधकारं अणंतकालं निचं उत्तत्वसुण्णभयसण्णसंपउत्ता वसंति उधिगावासवसहि जहि २ आउयं निबंधति पावकम्मकारी बंधवजणसयणमित्तपरिवजिया अणिट्ठा भवंति अणादेजदुषिणीया कुठाणासणकुसेजकुभोयणा असुइणो कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिया कुरुवा बहुकोहमाणमायालोमा बहुमोहा धम्मसन्नसम्मत्तपम्भट्ठा दारिदोववाभिभूया निचं परकम्मकारिणो जीवणत्थरहिया किविणा परपिंडतकका दुक्खलद्धाहारा अरसविरसतुच्छकयकुच्छिपूरा परस्स पेच्छता रिद्धिसकारभोयणविसेससमुदयविहिं निंदंता अप्पर्क कयंतं च परिवयंता इह य पुरेकडाई कम्माई पावगाई बिमणसो सोएण डच्झमाणा परिभूया होति सत्तपरिवजिया य सोभासिप्पकलासमयसत्यपरिवजिया जहाजायपसुभूया अवियत्ता णिच्चनीयकम्मोबजीविणो लोयकुच्छणिज्जा मोघमणोरहा निरास. बहुला आसापासपडिबद्धपाणा अत्योपायाणकामसोक्से य लोयसारे होति अफलवंतका य सुविय उज्जमंता तदिवसुजुत्तकम्मकयदुक्खसंठवियसित्यपिंडसंचयपक्खीणदवसारा निश्चं अधुवधणधण्णकोसपरिभोगविवजिया रहियकामभोगपरिभोगसबसोक्खा परसिरिभोगोवभोगनिस्साणमग्गणपरायणा वरागा अकामिकाए विणेति दुक्खं णेव सुहं णेव निबुर्ति उबलभंति अञ्चंतविपुलदुक्खसयसंपलित्ता परस्स दवेहिं जे अविरया, एसो सो अदिण्णादाणस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ अप्पसुहो बहुदुक्खो महम्मओ बहुरयप्पगाढो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहिं मुचति, न य अवेयइत्ता अस्थि उ मोक्खोत्ति एवमाहंसु, णायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य अदिण्णादाणस्स फलविवागं एयं, तं ततियंपि अदिन्नादाणं हरदहमरणभयकलुसतासणपरसंतिकभेजलोभमूलं एवं जाव चिरपरिगतमणुगतं दुरंतं, ततियं अहम्मदारं समत्तंतिवेमि । १२॥ द्वारं ३॥ जंचू ! अभं च चउत्थं सदेवमणुयासुरस्स लोयस्स पत्थणिज्ज पंकपणयपासजालभूयं थीपुरिसनपुंसवेदचिंधं तवसंजमवंभचेरविग्धं भेदायतणबहुपमादमूलं कायरकापुरिससेवियं सुयणजणवजणिज उड्ढनरयतिरियतिलोकपइट्ठार्ण जरामरणरोगसोगबहुलं वधबंधविघातदुबिघायं दसणचरित्तमोहस्स हेउभूयं चिरपरिचितमणुगयं दुरंतं, चउत्थं अधम्मदारं । १३ । तस्स य णामाणि गोन्नाणि इमाणि होति तीसं, त०- अबभं मेहुणं चरंतं संसम्गि सेवणाधिकारी संकप्पो वाहणा पदाणं दप्पो मोहो मणसंखेवो १० अणिग्गहो बुग्गहो विधाओ विभंगो विब्भमो अधम्मो असीलया गामधम्मतित्ती रति राग २० कामभोगमारो वेरं रहस्सं गुज्झं बहुमाणो बंभचेरविग्यो वावत्ति विराहणा पसंगो कामगुणो ३० त्तिविय, तस्स एयाणि एवमा| दीणि नामधेज्जाणि होति तीसं । १४॥ तं च पुण निसेवंति सुरगणा सअच्छरा मोहमोहियमती असुरभुयगगालविजुजलणदीवउदहिदिसिपवणथणिया अणवानपणवानयहांसवादित | भूयवादियकंदियमहाकदियकुहंडपयंगदेवा पिसायभूयजक्खरक्खसकिंनरकिंपुरिसमहोरगगंधब्बा तिरियजोइसविमाणवासिमणुयगणा जलयस्थलयरखहयरा य मोहपडिबदचित्ता अP वितण्हा कामभोगतिसिया तण्हाए बलबईए महईए समभिभूया गढिया य अतिमुच्छिया य अवंभे उस्सण्णं तामसेण भावेण अणुम्मका दसणचरितमोहस्स पंजरंपिव करेंति अन्नो. ऽयं सेवमाणा भुजो असुरसुरतिरियमणुअभोगरतिविहारसंपउत्ता य चक्कवट्टी सुरनरवतिसक्कया सुरवरुप देवलोए भरहणगणगरणियमजणवयपुरवरदोणमुहखेडकब्बडमडंबसंवाहपट्टणसहस्समंडियं थिमियमेयणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं नरसीहा नरवई नरिंदा नरवसभा मरुयवसभकप्पा अब्भहियं रायतेयलच्छीए दिप्पमाणा सोमा रायवंसतिलगा रविससिसंखवरचक्कसोत्थियपडागजवमच्छकुम्मरहवरभगभवणविमाणतुरयतोरणगोपुरमणिरयणनंदियावत्तमुसलणंगलसुरइयवरकप्परुक्खमिगवतिभदासणसुरुविधूभवरमउडसरियकुंडलकुंजरवरवसभदीवमंदिरगालद्धयइंदकेउदप्पणअट्ठावयचावबाणनक्खत्तमेहमेहलवीणाजुगछत्तदामदामिणिकमंडलुकमलघंटावरपोतसइसागरकुमुदागरमगरहारगागरनेउरणगणगरवइरकिन्नरमयूरवररायहंससारसचकोरचकवागमिहुणचामरखेडगपव्वीसगविपंचिचरतालियंटसिरियाभिसेयमेइणिखरगंकुसविमलकलसभिंगारवदमाणगपसत्थाउत्तमविभत्तवरपुरिसलक्खणधरा बत्तीसंवररायसहस्साणुजायमग्गा चउसट्ठिसहस्सपवरजुवतीणणयणकता रत्तामा पउमपम्हकोरंटगदामचंपकसुतवियवरकणकनिहसवन्ना सुजायसवंगसुंदरंगा महग्यवरपट्टगुग्गयविचित्तरागएणिपेणिणिम्मियदुगुलबरचीणपट्टकोसेजसोणीसुत्तक(जाखोमिय पा०)विभूसियंगा वरसुरभिगंधवरचण्णवासवरकुसुमभरियसिरया कप्पियच्छेयायरियमुकयरइतमालकडगं( कुंडलं पा० )गयतुडियपवरभूसणपिणद्धदेहा एकावलिकंठसुरइयवच्छा पालंबपलंबमाणसुकयपडउत्तरिजमुहियापिंगलंगुलिया उज्जलनेवत्थरइयचे उगविरायमाणा तेएण दिवाकरोच दित्ता सारयनवत्यणियमहुरगंभीरनिदघोसा उप्पलसमत्तरयणचक्करयणप्पहाणा नवनिहिवइणो समिद्धकोसा चाउरता चाउराहिं सेणाहिं समणुजातिजमाणमग्गा तुरगवती गयवती रहवती नरखती विपुलकुलवीसुयजसा सारयससिसकलसोमवयणा सूरा तेलोकनिग्गयपभावलद्धसहा समत्तभरहाहिवा नरिंदा ससेलवणकाणणं च हिमवंतसागरंतं धीरा भुत्तूण ५२५ प्रनव्याकरणांगं, अन्दर -7 मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भरहवासं जियसत्तू पवररायसीहा पुवकडतवप्पभावा निविट्ठसचियसहा अणेगवाससयमायुक्तो भजाहि य जणक्यप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसहफरिसरसरूवगंधे य अणुभवेत्ता (न्ता) तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाण । भुजो भुजोबलदेवासुदेवा य पवरपुरिसा महाबलपरकमा महाधणवियट्टका महासत्तसागरा दुदरा घणुद्धरा नरवसमा रामकेसवा भायरो सुपुरिसा वसुदेवसमुहविजयमादियदसाराणं पजुन्नपतिवसंघअनिरुदनिसहउम्मुयसारणगयसुमुहदुम्मुहादीण जायवाणं अपुट्ठाणवि कुमारकोडीणं हिययदयिया देवीए रोहिणीए देवीए देवकीए य आणंदहिययभावनंदणकरा सोलसरायवरसहस्साणुजातमग्गा सोलसदेवीसहस्सवरणयणहिययदइया णाणामणिकणगरयणमोत्तियपालधणधनसंचयरिद्धिसमिद्धको. सा हयगयरहसहस्ससामी गामागरनगरखेडकब्बडमडंबदोणमुहपट्टणासमसंबासहस्सथिमियणिबुयपमुदितजणविविहसासनिष्फजमाणमेइणिसरसरियतलागसेलकाणणारामुजाण - मणाभिरामपरिमंडियस्स दाहिणड्डवेयड्दगिरिविभत्तस्स लवणंजल्यहिपरिगयस्स छबिहकालगुणकामजुत्तस्स अदभरहस्स सामिका धीरकित्तिपुरिसा ओहवला अइबला अनिया अपराजियसत्तुमहणरिपुसहस्समाणमहणा साणुकोसा अमच्छी अचवला अचंडा मितमंजुलपलावा हसियगंभीरमहुरभणिया (महुरपरिपुण्णसबवयणा पा०) अब्भुवगयवच्छला सरण्णा लक्खणवंजणगुणोववेया माणुम्माणपमाणपडिपुत्रसुजायसवंगसुंदरंगा ससिसोमागारकंतपियदंसणा अमरिसमा पयंडडंडप्पयारगंभीरदरिसणिज्जा तालवउविद्धगरुलकेऊ बलवगगर्जतदरितदप्पितमुट्टियचाणूरमूरगा रिहवसभघातिणो केसरिमहविष्फाडगा दरितनागदप्पमहणा जमलजुणभंजगा महासउणिपूतणारिखू कंसमउडमोडगा जरासिंघमाणमहणा तेहि य (अब्भपडलपिंगलाजलेहिं पा०) अविरलसमसहियचंडमंडलसमप्पभेहिं (मंगलसयभत्तिच्छेयचित्तियखिखिणिमणिहेमजालविइयपरिगयपेरंतकणयघंटियपयलियखिणिखिणितसुमहुरसुइसुहसदालसाहिएहिं सपयरगमुत्तदामलम्बन्तभूसणेहिं नरिंदवामप्पमाणरुंदपरिमंडलेहिं सीयायववायवरिसविसदोसणासेहिं तमरयमलबहुलपडलधाडणपहारेहिं मुडसुहसियच्छायसमणुबद्धेहिं वयरामयवस्थिणिउणजोइयअडसहस्सवरकंचणसलागनिम्मिएहिं सुविमलस्ययमुठ्ठच्छइएहिं णिउणोवियमिसिमिसितमणिरयणसरमंडलवितिमिरकरनिग्गयपडिहयपुणरविपच्चोवयंतचंचलमरीइकवयं विणिम्मुयंतेहिं पा०) सूरमिरीयकवयं विणिम्मयंतेहिं सपतिदंडेहिं आयवत्तेहिं धरिजंतेहिं विरायंता ताहि य पवरगिरिकुहरविहरणसमुट्ठियाहिं निकवहयचमरपच्छिमसरीरसंजाताहिं अमइलसियकमलविमुकुलजलितस्यतगिरिसिहरविमलससिकिरणसरिसकलहोयनिम्मलाहिं पवणाहयचवलचलियसललियपणचियवीइपसरियखीरोदगपवरसागरुप्पुरचंचलाहिं माणससरपसरपरिचियावासविसदवेसाहिं कणगगिरिसिहरसंसिताहिं ओवाउप्पातचबलजयिणसिग्यवेगाहिं हंसवधूयाहि चेव कलिया नाणामणिकणगमहरिहतवणिजुजलविचित्तडंढाहिं सललियाहिं नरबतिसिरिसमुदयप्पगासणकरीहिं वरपट्टणुम्गयाहिं समिद्धरायकुलसेवियाहिं कालागुरुपपरकुंदुरुकतुरुक्कधूववरवासविसदगंधुधुयाभिरामाहिं चिल्लिकाहिं उभयोपासंपि चामराहिं उक्खिप्पमाणाहिं सुहसीतलवातवीतियंगा अजिता अजितरहा हलमुसल( कणग पा०)पाणी संखचकगयसत्तिणंदगधरा पवरुजलमुकंतविमलकोधूभतिरीडधारी कुंडलउज्जोवियाणणा पुंडरीयणयणा एगावलीकंठरतियवच्छा सिरिखच्छमुलंछणा वरजसा सवोउयसुरभिकुसुमसुरइयपलंबसोहंतबियसंतचित्तवणमालरतियवच्छा (प० लक्षणवंजणगुणोक्वेया) अट्ठसयविभत्तलक्खणपसत्थसुंदरविराइयंगमंगा मत्तगयवरिंदललियविकमविलसियगती कडिसुत्तगनीलपीतकोसिज्जवाससा पवरदित्ततेया सारयनवथणियमहुस्गंभीरनिदघोसा नरसीहा सीहविक्रमगई अत्यमियपवररायसीहा सोमा बारवइपुन्नचंदा पुत्रकयतवप्पभावा निचिट्ठसंचियसुहा अणेगवाससयमातुवंतो भजाहि य जणवयप्पहाणाहिं लालियंता अतुलसद्दफरिसरसरूवगंधे अणुभवेत्ता (न्ता) तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितत्ता कामाणं । भुजो मंडलियनरवरेंदा सबला सअंतेउरा सपरिसा सपुरोहियामञ्चदंडनायकसेणावतिमंतनीतिकुसला नाणामणिस्यणविपुलधणधनसंचयनिहीसमिद्धकोसा रज्जसिरिं विपुलमणुभवित्ता (न्ता) विक्कोसंता बलेण मत्ता तेवि उवणमंतिमरणधम्म अवितत्ता कामाणं, भुजो उत्तरकुरुदेवकुरुवणविवरपादचारिणो नरगणा भोगुत्तमा भोगलक्षणधरा भोगसस्सिरीया पसत्थसोमपडिपुण्णरुवदरसणिजा मुजातसवंगसुंदरंगा रत्तुप्पलपत्तकंतकरचरणकोमलतला सुपइट्टियकुम्मचारुचलणा अणुपुञ्चमुसंहय(जायपवरं पा०)गुलीया उन्नयतणुतंचनिनिखा संठितमुसिलिट्ठगूढगोंफा एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणु विजंघा समग्गनिमग्मगृढजाणू वरवारणमत्ततुल्लविक्रमविलासितगती वस्तुरगसुजायगुज्झदेसा आइन्नयव निरुवलेवा पमुइयवस्तुरगसीहअतिरेगवट्टियकडी गंगावत्तदाहिणावत्ततरंगभंगुरविकिरणबोहियविकोसायंतपम्हगंभीरविगडनाभी साहतसोणंदमुसलदप्पणनिगरियवरकणगच्छरुसरिसवस्वइवलियमज्झा उजुगसमसहियजचतणुकसिणणिवआदेजलडहसूमालमउयरोमराई झसविहगसुजातपीणकुच्छी झसोदरा पम्हविगडनाभा संनतपासा संगयपासा सुंदरपासा सुजातपासा मितमाइयपीणरइयपासा अकरंडुयकणगरुयगनिम्मलसुजायनिरुवहयदेहधारी कणगसिलातलपसत्यसमतलउवइयविच्छिन्नपिहुलवच्छा जुयसंनिभपीणरइयपीवरपउद्दसंठियसुसिलिट्टविसिट्टलहसुनिचितघणथिरसुबद्धसंधी पुरवरवरफलिहवट्टियभुया भुयईसरविपुलभोगआयाण५२६ प्रश्नव्याकरणांगं अन्य मुनि दीपरत्नसागर Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फलिउच्छूददीहवाहू रत्नतलोवतियमउयमंसलसुजायलक्खणपसत्थअच्छिहजालपाणी पीवरसुजायकोमलवरंगुली तंवतलिणसुइरुद्दलनिदणक्खा निदपाणिलेहा चंदपाणिलेहा मूरपा - 8 णिलेहा संखपाणिलेहा चक्रपाणिलेहा दिसासोवत्थियपाणिलेहा रविससिसंखवरचक्कदिसासोवत्थियविभत्तसुबिरइयपाणिलेहा वरमहिसवराहसीहसद्दूलसिंहनागरवरपडिपुत्र विउल. खंधा चउरंगुलमुप्पमाणकंबुवरसरिसम्गीवा अवडियसुविभत्तचित्तमंसू उबचियमंसलपसत्यसद्दूलविपुलहणुया ओयवियसिलप्पवालविवफलसंनिभाधरोट्ठा पंडुरससिसकलविमलसंखगोखीरफेणकुंददगरयमुणालियाधवलदंतसेढी अखंडदंता अप्फुडियदंता अविरलदंता सुणिद्धदंता सुजायदंता एगदंतसेटिव अणेगदंता हुयवहनिद्धतधोयतनतवणिजरनतलतालुजीहा गरुलायतउजुतुंगनासा अवदालियोडरीयनयणा कोकासियधवलपत्तलच्छा आणामियचावरुइलकिण्हन्भराजिसंठियसंगयाययसुजायभुमगा अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीणमंसलकवोलदेसभागा अचिरुग्णयबालचंदसंठियमहानिडाला उडुवतिरिव पडिपुन्नसोमवयणा छत्तामारुत्तमंगदेसा घणनिचियसुबद्धलक्रवणुन्नयकूडागारनिभपिडियग्गसिरा हुयवहनिदंतधोयतत्ततवणिजरत्तकेसंतकेसभूमी सामलीपोंडघणनिचियछोडियमिउविसतपसत्यमुहमलक्खणसुगंधिसुंदरभुयमोयगभिंगनीलकज्जलपहट्ठभमरगणनिद्धनिगुरुंबनिचियकुंचियपयाहिणावत्तमुदया सुजातसुविभत्तसंगयंगमंगा लक्षणवंजणगुणोववेया पसत्यवत्तीसलक्खणधरा हंसस्सरा कुंचस्सरा दुंदुभिस्सरा सीहस्सरा वग्घ(ओघ)सरा मेघसरा सुस्सरा मुस्सरनिग्योसा बजरिसहनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया छायाउजोवियंगमंगा पसत्थच्छवी निरातका कंकग्गहणी कवोतपरिणामा सगुणिपोसपिटुंतरोरुपरिणया पउमुप्पलसरिसगंधुस्साससुरभिवयणा अणुलोमवाउवेगा अबदायनिद्वकाला विग्गहियउन्नयकुच्छी अमयरसफलाहारा तिगाऊयसमूसिया तिपलिओवमट्टितीका तिनि य पलिओचमाइं परमाउं पालयित्ता तेवि उवणमंति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं, पमयावि य तेसि होति सोम्मा सुजायसवंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अतिकंतविसप्पमाणमउयसुकुमालकुम्मसंAT ठियविसिसिलिट्रचलणा उजमउयपीवरसुसाहतंगलीओ अम्भुन्नतरतिततलिणतंपसुइनिधनखा रोमरहियवहसंठियअजहन्नपसस्थलक्षण मंसलपसत्थसुबद्धसंधी कयलीखंभातिरेकसंठियनिश्चणसुकुमालमउयकोमलअविरलसमसहितसुजायवट्टपीवरनिरन्तरोरू अट्ठावयवीइपट्टसंठियपसत्थविच्छिन्नपिहुलसोणी वयणायामप्पमाणदुगुणियविसालमंसलसुबदजहणवरधारिणीओ वजविराइयपसत्थलक्षणनिरोदरीओ तिवलिवलियतणुनमियमज्झियाओ उज्जुयसमसहियजञ्चतणुकसिणनिद्धआदेजललहसुकुमालमउयसुविभत्तरोमरातीओ गंगावत्तगपदाहिणावत्ततरंगभंगरविकिरणतरुणबोधितआकोसायंतपउमगंभीरविगडनाभा अणुब्भडपसत्वसुजातपीणकुच्छी सन्नतपासा सुजातपासा संगतपासा मियमायियपीणरतितपासा अकरंडयकणगरुयगनिम्मलमुजायनिरुवयगायलट्ठी कंचणकलसपमाणसमसहियलट्ठचुचुयामेलगजमलजुयलवट्टियपओहराओ भुयंगअणु पुवतणुयगोपुच्छवट्टसमसहियनमियआदेजलडहवाहा तंबनहा मंसलग्गहत्या कोमलपीवरवरंगुलीया निदपाणिलेहा ससिसूरसंखचक्कवरसोस्थियविभत्तसुविरइयपाणिलेहा पीणण्णयकI क्सवस्थिप्पदेसपडिपन्नगलकबोला चाउरंगलसुप्पमाणकंबुचरसरिसगीवा मंसलसठियपसस्थहणुया दालिमपुष्फापगासपावरपलबकुाचतवराधरा सुदरात्तराहा दाघदगरयकुदचदवासात मउलअच्छिद्दविमलदसणा रत्तुप्पलपउमपत्तसुकुमालतालुजीहा कणवीरमुउलऽकुडिलऽम्भुन्नयउज्जुतुंगनासा सारदनवकमलकुमुतकुवलयदलनिगरसरिसलक्खणपसन्थअजिम्हकंत. नयणा आनामियचावरुइलकिण्हन्भराइसंगयसुजायतणुकसिणनिद्धभुमगा आडीणपमाणजुत्तसवणा सुस्सवणा पीणमटुंगंडलेहा चउरंगुलविसालसमनिडाला कोमुदिरयणिकरविमलपडिपुग्नसोमवदणा छत्तुभयउत्तमंगा अकविलसुसिणिद्धदीहसिरया उत्तज्झयजूवधूभदामिणिकमंडलुकलसवाविसोस्थियपडागजवमच्छकुम्मरथवरमकरज्झयअंकथाल अंकुसअट्ठावयसुपइडअमरसिरियाभिसेयतोरणमेइणिउदधिवरपवरभवणगिरिवरवरायंससललियगयउसमसीहचामरपसत्यवत्तीसलक्खणधरीओ हंससरिच्छगती अणमयाओ ववगयवलिपलितवंगदुनवाधिदोहग्गसोयमुक्काओ उबत्तण यनराण थावूणमासयाआ सिगारागारचा णोववेया नंदणवणविवरचारिणीओ व अच्छराओ उत्तरकुरुमाणुसच्छराओ अच्छेरगपेच्छणिज्जियाओ तिन्नि य पलिओवमाई परमाउं पालयित्ता ताओऽवि उवणमंति मरणधम्म अवितित्ता कामाणं ।१५। मेहुणसन्नासंपगिद्धा य मोहभरिया सत्थेहि हणंति एकमेकं विसयविसउदीरएसु, अवरे परदारेहिं हम्मति विमुणिया धणनास सयणविप्पणासं च पाउणंति परस्स दाराओ जे अविरया, मेहुणसन्नसंपगिद्धा य मोहभरिया अस्सा हत्थी गवा य महिसा मिगा य मारेंति एकमेक, मणुयगणा वानरा य पक्खी य विरुजाति, मित्ताणि खिप्पं भवति सत्तू, समये धम्मे गणे य भिंदंति पारदारी, धम्मगुणरया य बंभयारी खणेण उडोहए चरित्ताओ जसमन्तो सुव्वया य पार्वति अ(जस पा०)किति रोगत्ता वाहिया पवदिति रोयवाही, दुवे य लोया दुआराहगा भवंति इहलोए चेव परलोए चेव परस्स दारओ जे अविरया, तहेव केई परस्स दारं गवेसमाणा गहिया हया य बद्धरुद्धाय एवं जाव गच्छति विपुलमो. ५२७ प्रनव्याकरणांगं, अन्वर मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हाभिभूयसा मेहुणमूलं च सुइए तत्य २ वत्तपुद्दा संगामा जणक्खयकरा सीयाए दोबईए कए रुपिणीए पउमावईए ताराए कंचणाए रत्तसुभद्दाए अहिलियाए सुवनगुलियाए किजरीए सुरुबविजुमतीए रोहिणीए य असु य एवमादिएस बहवो महिलाकएस सुशंति अइकंता संगामा गामधम्ममूला इहलोए ताव नहा परलोएवि य णट्टा महया मोहतिमि संधकारे घोरे तसथावरसुदुमबादरेसु पज्जत्तमपज्जत्तसाहारणसरीरपत्तेयसरीरेषु य अंडजपोतजजराउयरसजससे मसंमुच्छिम उच्भियउववादिएस य नरगतिरियदेवमाणुसेस जरामरणरोगसोगले पलिओमसागरोवमाई अणादीयं अणवदग्गं दीहमदं चाउरंतसंसारकंतारं अणुपरियइति जीवा मोहवससंनिविट्ठा, एसो सो अचंभस्स फलविवागो इहलोइओ पारलोइओ य अप्पसुहो बहुदुक्खो महम्भओ बहुरयप्पगाढो दारुणी ककसी असाओ वाससहस्सेहिं मुच्चती, न य अवेदइत्ता अस्थि हु मोक्खोति एवमाहंसु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामजो कहेसी य अचंभस्स फलविवागं एयं तं अर्थमंपि चउत्यं सदेवमणुयासुरस्त लोगस्स पत्थणिजं एवं चिरपरिचियमणुगयं दुरंतं चउत्थं अधम्मदारं समतिषेमि ॥ १६ ॥ दारं ४ ॥ जंबू ! इत्तो परिग्गहो पंचमो उ नियमा णाणामणिकणगरयण महरिहपरिमलसपुत्तदारपरिजणदासीदासभयगपेसहयगयगोमहिस उट्टखर अय गवेलगसीयासगडरह जाण जुगसंदणसयणासणवाहणकुचियधणधन्नपाणभोयणाच्छायणगंधमल भायणभवणविहिं चैव बहुविहीयं भरहं णगणगरणियमजणवयपुरवरदोणमुहखेडकम्वडमवसंवाहपट्टणसहस्स परिमंडियं थिमियमेहणीयं एगच्छत्तं ससागरं भुंजिऊण वसुहं अपरिमियमणंततन्ह मणुगयमहिच्छसारनिरयमूलो लोभकलिकसायमहखंधी चिंतासयनिचियविपुलसालो गारवपविरयिग्गविडवो नियडितयापत्तपलबधरो पुप्फफलं जस्स कामभोगा आयासविस्ररणाकलह पकंपियग्गसिह नरवतिसंपूजितो बहुजणस्स हिययदइओ इमस्स मोक्यवरमोनिमग्गस्स फलिभूओ चरिमं अहम्मदारं । १७। तस्स य नामाणि इमाणि गोण्णाणि हाँति तीसं तं० परिग्गहो संचयो चयो उपचओ निहाणं संभारो संकरी आयरो पिंडो दवसारो १० तहा महिच्छा पडिबंधी लोहप्पा मह (प्र० परिवआ ) इ ( दी पा०) उवकरणं संरक्खणा य भारो संपाउप्पायको कलिकरंडो पवित्थरो २० अणत्थो संथवो अगुत्ती आयासो अवियोगो अमुत्ती तन्हा अणत्यको आसत्ती असंतोसोत्तिविय ३०, तस्स एयाणि एवमादीणि नामभेजाणि हाँति तीसं । १८। तं च पुण परिग्गहं ममायंति लोभघत्था भवणवरविमाणवासिणो परिग्गहस्ती परिग्गहे विधिहकरणबुद्धी देवनिकाया य असुरभुयगगरुलसुवण्णविज्जुजलणदीव उदहिदिसिपवणथणिय अणवंनियपण वंनियइसिवातियभूतवाइयकंदियमहाकंदियकुडपतंगदेवा पिसाय भूयजक्खरक्वसकिंनरकिंपुरिसमहोरगगंधवा य तिरियवासी पंचविहा जोइसिया य देवा बहस्सतीचंदसूरसुक्कसनिच्छरा राहुधूमके उबुधा य अंगारका य तत्ततवणिजकणयवण्णा जे य गहा जोइसम्मि चारं चरंति केऊ य गतिरतीया अट्ठावीसतिविहा य नक्खत्तदेवगणा नाणासंठाणसंठियाओ य तारगाओ ठियलेस्सा चारिणो य अविस्साममंडलगती उपरिचरा उढलोगवासी दुविहा वैमाणिया य देवा सोहम्मीसाणसणकुमारमाहिंदबंभलोगलंतगमहासुकसहस्सारआणयपाणयआरणअबुया कप्पवरविमाणवासिणो सुरगणा गेवेजा अणुत्तरा दुविहा कप्पातीया विमाणवासी महिढिका उत्तमा सुरखरा एवं च ते चउविहा सपरिसावि देवा ममायंति भवणवाणजाणविमाणसयणासणाणि य नाणाविवत्थभूसणा पत्ररपहरणाणि य नाणामणिपंचवनदियं च भायणविहिं नाणाविहकामरुवे वेचित अच्छरगणसंघाते दीवसमुद्दे दिसाओ विदिसाओ चेतियाणि वणसंडे पड़ते य गामनगराणि य आरामुजाणकाणणाणि य कूवसरतलागवाविदीहियदेवकुलसभप्पवावसहिमाइयाई बहुकाई कित्तणाणि य परिगेष्टित्ता परिग्गहं विपुलदवसारं देवावि सइंदगा न तित्तिं न तुहिं उबलभति अच्चतविपुललोभाभिभूतसत्ता वासहरइक्खुगारवट्टपश्य कुंडलरुचगवरमाणुसोत्तरकालोदधिलवणसलिलदहपतिरतिकर अंजणकसेल हिमुहऽवपातुप्पायकंचणकचित्तविचिनजमकवरसिहरकूडवासी वक्खारअकम्मभूमिसु सुविभत्तभागदेसासु कम्मभूमिसु, जेऽवि य नरा चाउरंतचकबट्टी वासुदेवा चलदेवा मंडलीया इस्सरा तलवरा सेणावती इन्भा सेट्टी रडिया पुरोहिया कुमारा दंडणायगा माडंचिया मत्थवाहा कोचिया अमचा एए अने य एवमाती परिग्गहं संचिणंति अनंतं असरणं दुरंतं अधुवमणिचं असासयं पावकम्म नेम्मं अवकिरियां विणासमूलं वह बंधपरिकिलेस बहुलं अनंतसकिलेसकारणं, ते तं धणकणगरयणनिचयं पिंडिंता वेष लोभघत्था संसारं अतिवयंति सङ्घदुक्ख (प्र० भय) संनिलयणं, परिग्गहस्सेव य अट्टाए सिप्पसयं सिक्खए बहुजणी कलाओ य बावर्त्तारं सुनिपुणाओ लेहाइयाओ सउणरुयावसाणाओ गणियप्पहाणाओ चउसद्धिं च महिलागुणे रविजणणे सिप्पसेवं असिम सिकिसिचाणि ववहारं अत्थइत्थच्छरूप्पवायं विविहाओ य जोगजुंजणाओ अनेस एवमादिएस बहूस कारणसएस जावज्जीवं नडिजए संचिणंति मंदबुद्धी, परिग्गहस्सेव य अट्टाए करंति पाणाण वहकरणं अलियनियडिसाइपओगे परदवअभिजा सपरदारअभिगमणासेवणाए आयासविसूरणं कलह भंडणवेराणि य अवमाणणविमाणणाओ इच्छामहिच्छप्पिवाससतततिसिया तहगेहिलोभपत्या अत्ताणा अणिग्गहिया करेंति कोहमाणमायालोभे अकित्तणिज्जे परिग्गहे चेव होंति नियमा सला दंडा य गारवा य कसाया सन्ना य कामगुणअण्वगा इंदियलेसाओ सयणसंपओगा सचित्ताचित्तमीसगाई दवाई अनंतकाई इच्छंति परिपेत्तुं सदेवमणुयासुरम्मि लोए लोभपरिम्गहो जिणवरेहिं भणिओ नत्थि एरिसो पासो पडिबंधो अत्थि सङ्घ (१३२) ५२८ प्रश्नव्याकरणांगं, अक्सयणं मुनि दीपरत्नसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ , 9 2 जीवाणं साइलोए।१९। परलोगम्मि य नट्ठा नम पविट्ठा महयामोहमोहियमती तिमिसंधकारे तसथावस्मुहुमबादरेमु पजनमपजत्नग एवं जाव परिवहति दीहमदं जीवा लोभवसस म्स कन्प्रविचाओ इहलोडओ परलोडओ अप्पमुहोबहुदुक्खो महभओबहुरयप्पगादो दारुणो ककसो असाओ वाससहस्सेहि मचान अवेततिना अस्थि टु मोक्वेनि एवमाहंमु, नायकुलनंदणो महप्पा जिणो उ वीरवरनामधेजो कहेसी य परिग्गहस्स फलविवाग. एसो सो परिग्गहो पंचमो उ नियमा नाणामणिकणगरयणमहरिह एवं जाव इमम्स मोक्ववरमोनिमग्गस फलिहभूयो । चरिमं अधम्मदारं समत्तं ।२०। एएहि पंचहिं असंबरेहि (प. आसवेहि) रयमादिणिनुमणुसमयं । चाउविहगइपजंन अणुपरियइंति संसार शासनगईपक्संदे काहिति अणंतए अकयपुण्णा। जे य न सुणंति धम्म सुणिऊण य जे पमानि ॥५॥ अणुसिटुंपि बहुविहं मिच्छारिट्ठी य जे नरा अहमा (प० अबृदिया)। बदनिकाइयकम्मा सुणंति धम्मं न य करेन्ति ॥६॥ कि सक्का काउंजे जं नेच्छद ओसह महा पाउं। जिणवयणं गुणमडुरं विरेयणं सबयाणं ॥ ७॥ पंचेच(प० ते) उज्झिऊणं पंचेच य रविवऊण भावेणं । कम्मरयविष्पमुका सिद्धिवरमणुत्तरं जति ॥८॥द्वारं ५॥ म ऊ जंबू !- एत्तो संवरदाराई पंच पोपहामि आणपुचीए। जह भणियाणि भगवया सबदहरिमोक्षणद्वाए ॥९॥ पदम होइ अहिंसा वितियं सबक्यणति पण्णतं। दत्तमणुत्राय सवरा य चमचेरमपरिग्गहतं च ॥१०॥ नस्य पदम अहिंसा नसथावरसाभूयबमकरी। नीसे सभावणाए किंची बोच्छं गणदेसं ॥११॥ताणि उ इमाणि सुधय ! महावयाई(लोकहियसवयाई) सुयसागरदेसियाई नवसंजममहद्ययाई सीलगुणवरायाहं सबजवक्ष्याई नरगतिरियमण्यदेवगतिविवजकाई सजिणसासणगाई कम्मरयविदारगाई भवसयविणासणकाई दुहसयविमोयणकाई मुहसयपवत्तणकाई कापुरिसदुस्तराई (सप्पुरिसतीरियाई पा०) सप्पुरिसनिसेवियाई निधाणगमणमग्गसग्गप्पणायकाई (याणगाई पा०)संबरदाराई पंच कहियाणि उ भगवया, तत्थ पढम अहिंसा जा सा सदेवमणुयामुरस्स लोगस्स भवति-दीवो ताणं सरणं गती पट्ठा निशाणं नियुई समाही सत्ती कित्ती कंती रती य विरती य सुयंगतित्ती १० दया विमुत्ती खन्ती सम्मत्ताराहणा महंती बोही बुद्धी धिती समिदी रिद्धी २० विदी ठिती पट्टीनंदा भदा चिसुद्धी लवी विसिट्ठदिद्वी कालाणं मंगलं ३० पमोओ विभूती रक्खा सिहावासो अणासवो केवलीण ठाणं सिवं समिई सील संजमोतिय सीलपरिघरो संवरो य गली वयसाओ उस्सओजनों आयतणं जतणमप्पमातो आसासो ५० वीसासो जमओ सबस्सवि अमाघाओ चोक्ख पवित्ती सती पया विमल पभासा य निम्मलतरह लि एचमादीणि निययगुणनिम्मियाई पजवनामाणि होति अहिंसाए भगवतीए।२१। एसा सा भगवती अहिंसा जा सा भीयाणविव सरणं पक्मीणंपिय गमणं तिसियाणंपिक सलिलं खुहियाणंपिव असणं समुहमजोय पोतपहणं पाउप्पयाणंच आसमपयं दुहवियाणं (म० तुहृदुहियाणं) व ओसहिबलं अडवीमझे सत्थगमणं एतो विसिद्धतरिका अहिंसा जा सा पुढवीजलअगणिमारुयवणस्सइबीजहरितजलचस्थलचरसहचरतसथावरसायखेमकरी, एसा भगवती अहिंसा जा सा अपरिमियनाणदसणधरेहि सीलगुणविणयतासंयमनायकेहिं तिस्थंकरहिं सत्रजगजीववच्छलेहि तिलोगमहिएहिं जिणचंदेहिं सुठु दिट्ठा (उबलदा) ओहिजिणेहिं विण्णाया उजुमीहिं विदिहा विपुलमतीहिं विविदिता पुण्यरेहिं अधीता वेउवीहिं पतित्रा आमि. णिवोहियनाणीहिं सुयनाणीहि मणपजवनाणीहिं केवलनाणीहि आमोसहिपत्तेहि खेलोसहिपत्तेहिं जलोसहिपत्तेहिं विप्पोसहिपत्तेहिं सचोसहिपत्तेहिं वीजबुद्धीहिं कुबुद्धीहिं पदाणसारीहिं संमिनसोतेहिं सुयधरेहिं मणचलिएहिं वयवलिएहिंकायचलिएहिं नाणबलिएहिं दसणचलिएहिं चरित्तवलिएहिं खीरासवेहिं मधुआसवेहिं सप्पियासवेहिं अक्खीणमहाणसिएहिं चारणेहिं विजाहरेहि (५० जंपाचारणेहिं विजाचारणेहि) चउत्यभत्तिएहिं एवं जाव छम्मासभत्तिएहिं उक्खित्तचरएहिं निक्खित्तचरएहिं अंतचरएहिं पंतचरएहिं लूहचरएहिं समुदाणचरएहिं अमइलायएहिं मोणचरएहिं संसद्कप्पिएहिं नजायसंसहकप्पिएहिं उवनिहिएहिं सुद्धेसणिएहिं संखादत्तिएहिं दिहलाभिएहि अदिहलाभिएहिं पुडुलाभिएहि आयचिलिएहि पुरिमड्ढिएहिं एकासणिएहि निवितिएहि भिन्नपिंडवाइएहिं परिमियपिंडवाइएहिं अंताहारेहिं पंताहारेहिं अरसाहारेहिं विरसाहारेहिं लूहाहारेहिं तुण्डाहारेहिं अंतजीवीहिं पंतजीवीहिं लूहजीवीहिं तुच्छजीवीहिं उपसंतजीचीहिं पसंतजीवीहिं विवित्तजीवीहिं अखीरमहुसप्पिएहिं अमजमंसासिएहिं ठाणाइएहिं पडिमठाईहिं ठाणुकडिएहिं वीरासणिएहि सजिएहिं डंडाइएहिं लगंडसाईहिं एगपास(प्र० सप्पि)गेहिं आयावएहिं अप्पाच(म० पाउ)एहिं अणिठ्ठभएहिं अकंड्यएहिं धूतकेसमंसुलोमनखेहि सागायपडिकम्मविप्पमुकेहिं समणुविधा सुयधरविदितत्यकायदीहि धीरमतिपदिणो यजे ते आसीविसउम्गतेयकप्पा निच्छयववसाय: विणीय पापजत्तकयमतीया णिचं समायजमाणअणबद्ध यचरित्तजुत्ता समिता समितिसु समितपावा उबिहजगवच्छला निचमप्पमत्ता एएहिं अन्नेहि य जा सा अणुपालिया भगवती इमं च पुढवीदगअगणिमारुयतम्गणतंसथावरसबभूयसंयमदयट्ठयाते सुखं उठं गवेसियचे अकतमकारियमणायमणुदिटुं अकीयकडं नवहि य कोडीहिं सुपरिसुदं दसहि य दोसेहिं विप्पमुकं उम्गमउप्पायणेसणासुदं वरगयच्यचावियच५२९ प्रश्नव्याकरणांगं, अन्सय-5 मुनि दीपरनसागर * Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तदेहं च फासूयं च न निसिजका पओयणक्खासु ओवणीयंति न तिमिच्छामंतमूलभेसज्जकजहेडं न लक्खणुप्पायसुमिणजोइसनिमित्तकहप्पउतं नवि डंभणाए नवि रक्खणाते नवि सासणाते नवि दंभणरक्खणसासणाते भिक्खं गवेसियां नवि वंदणाते नवि माणणावे नवि पूयणाए नवि बंदणमाणणपूयणाते भिक्खं गवेसियष्वं नवि हीलणाते नवि निंदणाते नवि गरहणाते नवि हील निंदणगरहणाते भिक्खं गवेसियां नवि भेसणाते नवि तजणाते नवि तालणाते नवि भेसणतज्ञणतालणाते भिक्खं गवेसियां नवि गारवेणं नवि कुह ( प्र० प्प )याते नवि वणीमयाते नवि गारवकुह ( म०प्प) वणीमयाए भिक्खं गवेसियां नवि मित्तयाए नवि पत्थणाए नवि सेवणाए नवि मित्तपत्थणसेवणाते भिक्खं गवेसियां अन्नाए अगढिए अदुट्टे अदीणे अविमणे अकलणे अविसाती अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविनयगुणजोगसंपडते भिक्खू भिक्लेसणाते निरते, इमं च णं सङ्घजीवरक्षणदयाते पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेवाभावियं आगमेसिभहं सुद्धं नेयाउयं अकुटिलं अणुत्तरं सङ्घदुकुखपावाण विउवसमणं । २२ । तस्स इमा पंच भावणातो पढमस्स वयस्स हाँति पाणातिवायवेरमणपरिरक्खणट्टयाए पढमं ठाणगमणगुणजोगजुंजण जुगंतरनिवातियाए दिडीए ईरियां की डपयंगतसथावरदयावरेण निबं पुप्फफलतयपवाल कंदमूलदगमट्टियब जहरियपरिव ज्जिएण संमं, एवं खल सङ्घपाणा न हीलियज्ञा न निंदियज्ञा न गरहिया न हिंसिया न छिंदिया न भिदिया न वहेयथा न भयं दुक्खं च किंचि लम्मा पावेउं एवं इंरियासमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिनिङ्गणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, वितीयं च मणेण अपावएणं, पावकं अहम्मियं दारुणं निस्संसं बहबंधपरिकिलेस बहुलं जरा ( भय पा० ) मरणपरिकिलेससंकिलिद्धं न कयावि मणेण पावतेणं पावगं किंविवि झाय एवं मणसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असवलमसं किलिहनिवणचरितभावणाए अहिंसए संजए साहू, ततियं च वतीने अपावियाते (प्र० अहम्मियं दारुणं नीसंसं बहबंधपरिकिलेससंकिलिडं न कयाइ वईए पावियाए) पावकं न किंचिवि भासियां एवं वतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा असबलमसं कि लिट्टनिङ्गणचरितभावणाए अहिंसओ संजओ सुसाहू, चउत्थं आहारएसणाए सुद्धं उच्छं गवेसियां अन्नाए (अगढिते पा०) (प्र० अगिद्धे) अदुट्टे अदीणे (म० अविमणे) अकलुणे अविसादी अपरितंतजोगी जयणघडण करणचरियविणयगुणजोगसंपओगजुत्ते भिक्खु भिक्खेसणाते जुत्ते समुदाणेऊण भिक्खचरियं उ घेतून आगतो गुरुजणस्स पासं गमणागमणातिचारे पडिकमणपडिकंते आलोयणदायणं च दाऊण गुरुजणस्स गुरुसंदिट्टस्स वा जहोबएस निरइयारं च अप्पमत्तो, पुणरवि अणेसणाते यतो पडिकमित्ता पसंते आसीणमुहनिसने मुहुत्तमेत्तं च झाणसुहजोगनाणसज्झायगोवियमणे धम्ममणे अविमणे सुहमणे अविग्गहमणे समाहियमणे सद्धासंवेगनिजरमणे पवतण वच्छभाषियमणे उट्ठेऊण य पहट्टतुट्टे जहारायणियं निमंतइत्ता य साहवे भावओ य विइण्णे य गुरुजणेणं उपविट्टे संपमजिऊण ससीसं कार्य तहा करतलं अमुच्छिते अगिद्धे अगढिए अगरहिते अणज्झोववण्णे अणाइले अकुद्धे अणत्तट्टिते असुरसुरं अचवचवं अदुतमविलंबियं अपरिसाडिं आलोयभायणे जयं पय (प्र० जयमध्यम ) तेण ववगयसंजोगमणिगालं च विगयधूमं अक्खोवंजणाणुलेवणभूयं संजमजायामायानिमित्तं संजमभारवहणट्टयाए भुंजेजा (प्र० भोत्त) पाणधारणट्टयाए संजएण समियं एवं आहारसमितिजोगेणं भाविओ भवति अंतरप्पा असबलमसंकि लिट्ठनिवण चरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू, पंचमं आदाणनिक्खेवणासमिई पीढफलग सिज्जासंथारगवत्थपत्तकं बलदंडगरयहरण चोलपट्टगमुहपोत्तिगपायपुञ्छणादी एयंपि संजमस्स उबवूहणडयाए वातातयद्सम सगसीय परिरक्खणट्टयाए उवगरणं रागदोसरहितं परिहरितयं संजमेणं नित्र्यं पडिलेहणपप्फोडणपमजणार अहो य राओ अ अप्पमत्तेर्ण होइ सययं निक्खिवियां च गिव्हियां च भायणभंडोवहि उवगरणं एवं आयाणभंडनिक्खेवणासमितिजोगेण भाविओ भवति अंतरप्पा असबलमसंकिलिडुनित्रणचरितभावणाए अहिंसए संजते सुसाहू, एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संबरियं होति सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहिं मणवरणकायपरिरक्खि एहिं णिवं आमरणंतं च एस जोगो धतिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिदो (प्र० अपरिस्सावी) असंकिलिडो सुद्धो सङ्घजिणमणुन्नातो, एवं पढमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं आराहियं आणाते अणुपालियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्धं सिद्धं सिद्ध वरसासणमिणं आघवितं सुदेसितं पसत्थं पढमं संवरदारं समत्तंतिषेमि । २३ ॥ संवरद्वारं १(६)॥ जंबू ! बितियं च सचवयणं सुद्धं सुचियं सिवं सुजायं सुभासियं सुखयं सुकहियं सुदिडं सुपतिट्टियं सुपइडियजसं सुसंजभियवयणबुइयं सुरवरनर वस भपवरबलवगसुविहियजणबहुमयं परमसाहुधम्मचरणं तवनियमपरिग्गहियं सुगतिपहदेसकं च लोगुत्तमं वयमिणं विज्जाहरगगणगमण विज्ञाण साहकं सग्गमग्गसिद्धिपहदेसकं अवितहं तं सच्चं उज्जयं अकुडिलं भूयस्थं अत्थतो विसुद्धं उज्जोयकरं पभासकं भवति सङ्घभावाण जीवलोगे अविसंवादि जहत्थमधुरं पञ्चक्खं दयिवयंव जं तं अच्छेरकारकं अवत्थंतरेसु बहुसु माणुसाणं सचेण महासमुज्झेवि चिति न निमजंति मूढाणियावि पोया सच्चेण य उद्गसंभमंमिविन बुज्झन्ति न य मरंति थाहं ते लभंति सच्चेण य अगणिसंभमंमिवि न डज्झति उज्जुगा मणूसा ५३० प्रश्नव्याकरणांगं, अन्यथ-5 मुनि दीपरत्नसागर 44 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सच्चेण य तत्ततेखतउलोहसीसकाई छिवंति धरैतिनय डॉति मणूसा पञ्चयकडकाहिं मुचंते न य मरति सचेण य परिग्गहीया असिपंजरगया छुट्ठति समराओवि णिइंति अणहा य सन्चवादी वहबंधभियोगवेरघोरेहिं पमुचंति य अमित्तमझाहि नियंति अणहा य सजवादी सादेवाणि (प्र०सपिणज्झाणिवि) य देवयाओ करेंति समवयणे रताणं, तं सच भगवं निन्थकरमुभासियं दसविहं चोइसपृथ्वीहिं पाहुडत्यविदितं महरिसीण य समयप्पदिन्नं (महरिसिसमयपइन्नचिन्नं पा०) देविंदनरिंदभासियत्यं वेमाणियसाहियं महत्थं मतोसहिविजासाहणन्धं चारणगमणसमणसिद्धविज मणुयगणाणं वंदणिजं अमरगणाणं अचणिज्ज असुरगणाणं च पूणिज्ज अणेगपासंडिपरिग्गहितं जं तं लोकमि सारभूयं गंभीरतरं महासमुद्दाओ थिरतरगं मेरुपवयाओ सोमतरगं चंदमंडलाओ दित्ततरं सूरमंडलाओ विमलतरं सरयनहयलाओ सरभितरं गंधमादणाओ जेविय लोगम्मि अपरिसेसा मंतजोगा जवा य विना यजभका य अत्थाणि य सत्याणि य सिक्खाओ य आगमा यसवाणिवि ताई सच्चे पइट्टियाई. सचंपिय संजमस्स उबरोहकारक किचिन बत्तय हिंसासाय अणत्यं वजं अव(म०आ)वायविवायसंपउत्तं वेलंब ओजधेजबहुलं निाइज लोयगरहणिनं दुट्टिं दुस्सुयं अमणियं अप्पणो थवणा परेसु निंदा न तंसि मेहावी ण तंसि धन्नो न तसि पियधम्मो न तं कुलीणो न तसि दाणवती न तंसि सरोन तंसि पडिरुवो न तसि लट्ठोन पंडिओ न बहुस्सुओ नवि यनं तवम्सी ण यावि परलोगणिच्छियमती सि सत्रकालं जातिकुलरुववाहिरोगेण वावि जं होइ बजणिज्जं दुहिलं (पा दुहओ)उवयारमतिकंतं एवंविहं सचंपि न वत्त, अह केरिसकं पुणाई सचं तु भासियत्वं?.जंतं दवेहिं पनवेहि य गुणेहि कम्मे हिं बहुविहहिं सिप्पहिं आगमेहि य नामकखायनिवाउचसम्गतद्धियसमाससंधिपदहेउजोगियउणादिकिरियाविहाणधानुसरविभत्तिवनजुनं निकालु दसविहंपि सनं जह भणियं तह य कम्मुणा हाइ दुवालसावहा हाइ भासा वयणापय हाइ सालसविह. एव अरहतमणुन्नाय सामक्खि रिरक्षणट्टयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेचाभाविक आगमेसिभई सुद्ध नेयाउयं अकुडिलं अणुनरं सबदुक्यपावाणं विओसमणं, नम्स इमा पंच भावणाओ बिनियस्स वयस्स अलियवयणम्स वेरमणपरिरक्खणट्टयाए पढम सोऊणं संवरट्टे परमट्ट सुटठ जाणिऊण न वेगियं न तुरियं न चवलं न कड्यं न फरुसं न साहसं न य परस्स पीयाकरं सावज सच्चं च हियं च मियं च गागं च सुद्धं संगयमकाहलं च समिक्खितं संजतेण कालंमि य वनवं. एवं अणुचीतिसमितिजोगेण भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सरो सचजवसंपुजो. बिनियं कोहो ण सेचियो, कुदो चंडिकिओ मणूसो अलियं भणेज पिसुणं भणेज फल्स भणेज अलियं पिमुणं फरुसं भणेज कलह करेजा वे करेज विकह करेजा कलह वेरं विकह करेजा सर्च हणेज सील हणेज विणयं हणेज सञ्चं सीलं विणयं हणेज वेसो हवेज वत्धुं भवेज गम्मो भवेज वेसो वत्थु गम्मो भवेज एयं अन्नं च एवमादियं भणेज कोहग्गिसंपलितो तम्हा कोहो न सेवियत्रो, एवं खंतीइ भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणग्यणो सूरो सचजवसंपन्नो, ततियं लोभो न सेवियवो. लुद्धोलोलो भणेज अलियं खेत्तस्स व वत्थुम्स व कतेण, लदो लोलो भणेज अलियं कित्तीए लोभस्स व कएण, लदो लोलो भणेज अलियं रिद्धीय व सोक्वस्स व कएण, लदो लोलो भणेज अलियं भनम्स व पाणस्स ब कएण, लद्धो लोलो भणेज अलियं पीढस्स च फलगरस वकएण, लदो लोलो भणेज अलियं सेजाए व संधारक व कएण, लुदो लोलो भणेज अलियं कंबलस्स व पायपुंछणस्स ब कएण, लदो लोलो भणेज अलियं सीसस्स व सिस्सिणीए व कएण, दो लोलो भणेज अलिय अनेसु य एवमादिएस बहस कारणसतेस, लदो लोलो भणेज अलियं तम्हा लोभो न सेवियचो. एवं मत्तीय भाविओ भवति अंतरप्पा संजयकरचरणनयणक्यणो मरा सचजवसपना. चउत्यन भाइयन, भीतं मु भया अइंति लहुयं भीतो अबितिजओ मणूसो भीतो भूतेहि धिप्पड़ भीतो अनंपिहु भेसेज्जा भीतो तवसंजमंपिह मुएजा भीतो य भरं न नित्थरेजा सप्पुरिसनिसेवियं च मग भीतो न समत्यो अणुचरिउं तम्हा न भातिय भयस्स वा वाहिस्स वा रोगस्स वा जराए वा मनुस्स वा अन्नस्स वा एगस्स वा (एवमादियस्स वा पा.)एवं घेजेण भाविओ भवनि अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सरो सचजवसंपतो. पंचमकंहासं न सेवियव. अलियाई असंतकाई जंपति हासइत्ता परपरिभवकारणं चहासं परपरिवायप्पियं च हासं परपीलाकारगं च हासं भेदविमुत्तिकारकं च हासं अन्नोन्नजणियं च होज हास अन्नोन्नगमणं च होज मम्मं अन्नोन्नगमणं च होज कम्मं कंदप्पाभियोगगमणं च होज हास आयुरियं किश्विसत्तणं च जणेज हासं तम्हा हास न सेवियाई, एवं मोणेण भाविओ भवइ अंतरप्पा संजयकरचरणनयणवयणो सूरो सञ्चजवसंपन्नो, एवमिणं संवरस्स दार सम्म संवरियं होइ सुप्पणिहियं इमेहिं पंचहिवि कारणेहि मणवयणकायपरिरक्खिएहि निश्चं आमरणंतं च एस जोगो णेयधो चितिमया मतिमया अणासवो अकलसो अच्छिदो अपरिम्सावी असंकिलिट्ठो सुद्धो सचजिणमणुन्नाओ, एवं बितियं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं तीरियं किट्टियं अणुपालियं आणाए आराहियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिहं ५.३१ प्रश्नव्याकरणांगं,अल-9 मुनि दीपरत्नसागर Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिद्धवरसासणमिणं आपवितं सुदेसियं पसत्यं वितियं संवरदारं समत्ततिबेमि ।२५॥ द्वारं २(७), जंबू! दत्तमणुण्णायसंवरो नाम होति ततियं सुचता! महातं गुणवतं परदाहरणपडि. विरइकरणजुत्तं अपरिमियमणंततण्हाणुगयमहिच्छमणवयणकलसआयाणसुनिम्माहियं सुसंजमियमणोहत्थपायनिमियं निम्नथं णेडिकं निरुत्तं निरासवं निम्मयं विमुत्तं उत्तमनरवस-भपवरवलवगसुविहितजणसंमतं परमसाहुधम्मचरणं जत्थ य गामागरनगरनिगमखेडकब्बडमडंबदोणमुहसंवाहपट्टणासमगयं च किंचि दर्ष मणिमुत्तिसिलप्पवालकंसदूसरययवरकण. गरयणमादि पडियं पम्हह विपणहूँ न कप्पति कस्सति कहेउ वा गेण्हिउँ वा अहिरनसुवचिकेण समलेठकंचणेणं अपरिग्गहसंवडेणं लोगमि विहरियार, जंपिय होजाहि दवजातं खलगतं खेत्तगतं रम(जलथलगयं खेत्त पा०)मंतस्गतं वा किंचि पुष्फफलतयप्पवालकंदमूलतणकट्ठसकरादि अप्पं च बहुं च अणुं च यूलग वा न कप्पति उम्गइंमि अदिण्णमि गिव्हिडं जे, हणि २ उग्गहं अणुचविय गेव्हियर बजेयशोय सबकालं अचियत्तघरम्पवेसो अचियत्तमत्तपाणं अचियत्तपीटफलगसेजासंथारगवत्वपत्तकंबलदंडगरयहरणनिसेज्जचोलपट्टगमुहपोत्तियपायपुंछणाइ भायणभंडोबहिउवकरणं परपरिवाओ परस्स दोसो परवचएसेणं जं च गेव्हा परस्म नासेइ (सो)जं च सुकर्य दाणस्स य अंतरातियं दाणविष्पणासो पेसुन्नं चेव मच्छ. रितं च, जेविय पीढफलगसेजासंथारगवत्यपायकंबलमुहपोत्तियपायपुंछणाविभायणभंडोबहिउवकरणं असंविभागी असंगहरूती तक्तेणे य वइतेणे य रूवतेणे य आयारे चेव भावतेणे य सहकरे सञ्झकरे कलहकरे वेरकरे विकहकरे असमाहिकरे सया अप्पमाणभोती सततं अणुबवेरे य निच्चरोसी से तारिसए नाराहए क्यमिणं, अह केरिसए पुणाई आराहए बयमिणं?, जे से उवहिभत्तपाणसंगहणदाणकुसले अचंतवालवुब्बलगिलाणबुड्ढखमके पवत्तिआयरियउवज्झाए सेहे साहग्मिके तवस्सीकुलगणसंपचेयढे य निजरही वेयावचं अणिस्सियं दसविहं बहुविहं करेति, न य अचियत्तस्स मिहं पविसइ न य अचियत्तस्स गेव्हह भत्तपाणं न य अचियत्तस्स सेवइ पीढकलगसेज्जासंथारगवत्यपायकंबलडंडगरयहरणनिसेजचोलपट्टय. मुहपोत्तियपायपुंछणाइभायणभंडोवहिउवगरणं न य परिवायं परस्स जंपति ण यावि दोसे परस्स गेण्हति परखवएसेणविन किंचि मेण्हति न य विपरिणामेति कंचि जणं न यावि णासेति दिनसुकयं दाऊण य न होई पच्छाताविए संभागसीले संगहोवग्गहकुसले से तारिसते आराहते वयमिणं, इमं च परदाहरणवेरमणपरिरक्खणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्त. हितं पेञ्चाभावितं आगमेसिभई सुद्धं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सम्बदुक्खपावाण विओसमणं, तस्स इमा पंच मावणातो ततियस्स वयस्स हाँति परदचहरणवेरमणपरिरक्षणट्ठयाए, पढमं देवकुलसभपवावसहरुक्खमूलआरामकंदरागरगिरिगुहाकम्मउजाणजाणसालाकुवितसालामंडवसुन्नघरसुसाणलेणआवणे अन्नंमि य एवमादियंमि दगमहियवीजहरिततसपाणअसंसत्ते अहाकडे फासुए विवित्ते पसत्ये उवस्सए होइ विहरिया, आहाकम्मबहुले य जे से आसितसंमजिउस्सित्तसोहियछायण(प० छगण)दूमणलिंपणअणुलिंपणजलणभंडचालणे अंतो बहिं च असंजमो जत्व बढ़ती संजयाण अट्ठा बजेयचो हु उवस्सओ से तारिसए सुत्तपडिकुडे, एवं विवित्तवासवसहिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरतो दत्तमणुचायऑग्गहती, वितीय आरामुजाणकाणणवणप्पसभागज किाच इकडव काढणगच जतुगच परामरकुबकुसम्भपलालमूयगवक्यपुष्फ फलतयप्पवालकंदमूलतणकट्ठसकरादी गेहइ सेज्जोवहिस्स अट्टे न कप्पए उग्गहे अदिमि गिण्हेउं जे हणि २ उग्गहं अणुनविय गेण्हिया एवं उग्गहसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायओग्गहरूती, ततीयं पीढफलगसेज्जासंथारगट्ठयाए रुक्सान छिदियवा नवि छेदणेण भेयणेण सेज्जा कारेयवा जस्सेव उवस्सते वसेज सेजं तत्थेव गवेसेज्जा न य विसमं समं करेजा न निवायपवायउस्सुगत्तं न डंसमसगेसु खुभियावं अग्गी घूमो न कायो, एवं संजमबहुले संवरबहुले संवुडबहुले समाहिबहुले धीरे काएण फासयंतो सययं अज्झप्पज्माणजुत्ते समिए एगे चरेज धम्म, एवं सेज्जासमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउग्गहरूती, चउत्यं साहारणपिंडपातलाभे भोत्तयं संजएणं समियं न सायसूयाहिकं न खद्धं ण वेगितं न तुरियं न चवलं न साहस न य परस्स पीलाकरं सावजं तह भोत्त जह से ततियवयं न सीदति साहारणपिंढवायलाभे सुहुमं अदिन्नादाण (विरमणवयनियमणं, वयनियमबेरमणं पा०) एवं साहारणपिंडवायलाभे समितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा निचं अहिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउम्गहरुती, पंचमगं साहम्मिए विणओ पउंजियवो उवकरणपारणासु विणओ पउंजियो वायणपरियट्टणासु विणओ पउंजियबो दाणगहणपुच्छणासु विणओ पउंजियो निक्खमणपवेसणासु विणओ पउंजियो अंजेसु य एवमादिसु बहुसु कारणसएसु विणओ पउंजियचो, विणओवि तवो तबोवि धम्मो तम्हा विणओ पउंजियत्रो गुरुसु सासु तपस्सीसु य, एवं विणतेण भाविओ भवइ अंतरप्पा णिचं अधिकरणकरणकारावणपावकम्मविरते दत्तमणुन्नायउम्गहरूई, एवमिणं संवरस्स दारं सम्म संवरियं होइ सुपणिहियं एवं जाव आपवियं सुदेसितं पसत्यं । ततियं संवरदारं समत्तंतिबेमि ।२६॥ द्वारं ३(८)॥ जंबु ! एत्तो य यंभचेर उत्तमतवनियमणाणदंसणचरित्तसम्मत्तविणयमूलं यमनियमगुणप्पहाणजुत्तं हिमवंतमहंततेयमंतं पसस्थगंभीरअतुच्छथिमितमझं अजवसाहुजणाचरितं मोक्खमम्गं विसुद्धसिद्धिगतिनिलयं (१३३) ५३२ प्रश्नव्याकरणांगं, अन्य मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सासयमचाचाहमपुणब्भवं पसत्यं सोमं सुभं सिवमचलमक्खयकरं जतिवरसारक्खितं मुचरियं सुभासिय नवरि मुणिवरेहिं महापुरिसधीरसूरधम्मियधितिमंताण य सया विसुद्ध भव्वं भाजणाणुचिन्नं निस्संकियं निभयं नित्तुसं निरायासं निरुवलेवं निव्वुतिघरं नियमनिप्पकंप तवसंजममूलदलियणेम्मं पंचमहव्वयसुरक्खिय समितिगुत्तिगुत्तं झाणवरकबाडसुकय. मज्झप्पदिन्नफलिहं सन्नद्धोच्छदयदुग्गइपहं सुगतिपहदेसगं च लोगुत्तमं च वयमिणं पउमसरतलागपालिभूयं महासगडअरगतुंबभूयं महाबिडिमरुक्खक्खंधभूयं महानगरपागारकवाडफलिहभूयं रज्जुपिणिद्धो व इंदकेतू विसुद्धणेगगुणसंपिणद्धं जंमि य भम्गमि होइ सहसा सव्वं संभग्गमधियचुन्नियकुसलियपट्टपडियखंडियपरिसडियविणासियं विणयसीलतवनियमगुणसमूह ने बंभं भगवंतं गहगणनक्सत्ततारगाणं व जहा उडुपती मणिमुत्तिसिलप्पबालरत्तरयणागराणं व जहा समुदो वेरुलिओ चेव जहा मणीणं जहा मउडो चेव भूसणाणं वत्थाणं चेव खोमजुयलं अरविंदं चैव पुष्फजेटु गोसीस चेव चंदणाणं हिमवंतो चेव नगाणं बम्भी ओसहीणं सीतोदा चेव निचगाणं उदहीसु जहा सयंभूरमणो रुयगवरे चेव मंडलिकपब्बयाणं पवरे एरावण इव कुंजराणं सीहोश जहा मिगाणं पवरे पक्काणं चेव वेणुदेवे धरणो जह पण्णगइंदराया कप्पाणं चेव बंभलोए सभासु य जहा भवे सुहम्मा ठिविसु लवसत्तमा पवरा दाणाणं चेव अभयदाणं किमिराओ चेव कंवलाणं संघयणे चेव वनरिसमे संठाणे व समचउरंसे झाणेसु य परमसुकझाणं णाणेसु य परमकेवलं तु सिदं लेसासु य परमसुक्कलेस्सा तित्थंकरे जहा चेव मुणीणं वासेसु जहा महाविदेहे गिरिराया चेव मंदरवरे वणेसु जह नंदणवणं पवरं दुमेसु जहा बंबू सुदंसणा वीसुयजसा जीय नामेण य अयं दीवो, तुरगवती गयवती रहवती नरवती जह वीसुए चेव राया रहिए चेव जहा महारहगते, एवमणेगा गुणा अहीणा भवंति एकमि संभचेरगुणे जंमि य आराहियंमि आराहियं वयमिणं सचं सीलं तवो य विणओ य संजमो य खंती गुत्ती मुत्ती तहेव इहलोइयपारलोइयजसे य कित्ती य पञ्चओ य, तम्हा निहुएण बंभचेरं चरियथं सबओ विसुदं जावजीवाए जाव सेयडिसंजउत्ति, एवं भणियं वयं भगवया, तं च इम-पंचमहायसुधयमूलं, समणमणाइलसाहुसुचित्रं । वेरविरामणपज्जवसाणं, सबसमुहमहोदधितित्थं ॥१२॥ तित्थकरेहि सुदेसियमम्गं, नरयतिरिच्छविवजियमम्गं । सञ्बपवित्तिसुनिम्मियसारं, सिद्धिविमाणअवंगुयदारं ॥१३॥ देवनरिंदनमंसियपूर्य, सबजगुत्तममंगलमयां । दुद्धरिसं गुणनायकमेकं, मोक्खपहस्स वडिंसकभूयं ॥१४॥ जेण सुद्धचरिएणं भवइ सुबंभणो सममणो सुसाहू सुइसी सुमणी सुसंजए, स एव भिक्खू जो सुद्धं चरति बंभचेरं, इमं च रतिरागदोसमोहपवड्ढणकरं किंमज्म(ज)पमायदोसपासत्यसीलकरणं अभंगणाणि य तेलमजणाणि य अभिक्खणं कक्खासीसकरचरणवदणधोवणसंवाहणगायकम्मपरिमद्दणाणुलेवणचुन्नवासधूवणसरीरपरिमंडणवाउसियहसियभणियनदृगीयवाइयनडनट्टकजलमहलपेच्छणवेलंबकजाणि य सिंगारागाराणि (म०रकारणाणि) य अाणि य एवमादियाणि तवसंजमबंभचेरघातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं वज्जेयवाई सबकालं, भावेययो भवइ य अंतरप्पा इमेहिं तवनियमसीलजोगेहिं निच्चकालं,, किं ते ?-अण्हाणअदंतधावणसेयमलजाधारणं मूणवयकेसलोयखमदमअचेलगखुप्पिवासलाघवसीतोसिणकट्टसेजाभूमिनिसेज्जापरघरपवेसलदावलबमाणावमाणनिंदणदंसमसगफासनियमतवगुणविणयमादिएहिं जहा से थिरतरक होइ बंभचेरं, इमं च अचंभचेरविरमणपरिरक्खणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहितं पेचाभाविकं आगमेसिभई सुदं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सचदुक्खपावाण विउसवणं, तस्स इमा पंच भावणाओ चउत्थवयस्स होति अबंभचे. खेरमणपरिरक्षणट्ठयाए, पढम सयणासणघरदुवारअंगणागासगवक्वसालअमिलोयणपच्छवत्थुकपसाहणकण्हाणिकावकासा अवकासा जे य वेसियाणं अच्छति य जत्य इस्थिकाओ अभिकखणं मोहदोसरतिरागवड्ढणीओ कहिति य कहाओ बहुविहाओ तेऽवि हु बज्जणिज्जा इत्थीसंसत्तसंकिलिहा अनेवि य एवमादी अवकासा ते हु बजणिज्जा जत्थ मणोविम्भमो वा भंगो वा भस्सणा वा अई रुवं च हुज साणं तं तं वजेज्ज बज्जभीरू अणायतणं अंतपंतवासी एवमसंपत्तवासवसहीसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितिदिए बंभचेरगुत्ते, वितियं नारीजणस्स मजो न कहेयव्या कहा विचित्ता वियोयविलाससंपउत्ता हाससिंगारलोइयकहण्य अणायतणं अन्तपन्तवासी एवमसंसत्तवासवसधी मोहजणणी न आवाहविवाहवरकहाविव इत्थीणं वा सुमगदुभगकहा चउसद्धिं च महिलागुणा न वनदेसजातिकुलरूवनामनेवत्थपरिजणकहा इस्थियाणं अनाविय एवमादियाओ कहाओ सिंगारकलणाओ तवसंजमभरपातोवघातियाओ अणुचरमाणेणं बंभचेरं न कहेयब्बा न सुणेयब्वा न चिंतेयच्या, एवं इत्थीकहविरतिसमितिजोगेणं भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितिदिए पंभचेरगुत्ते, ततीयं नारीण हसितमणितचेट्ठियविपेक्खितगइविलासकलियं विमोतियनगीतवातियसरीरसंठाणवनकरचरणनयणलावन्नरूबजोव्वणपयोहराघरवत्यालंकारभूसणाणि य गुज्झोक्कासियाई अन्नाणि य एवमादियाइं तवसंजमबंभचेरघातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं न चक्खुसा न मणसा न वयसा पत्येयव्वाइं पावकम्माई, एवं इत्थीरूवविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरतमणविरयगामधम्मे जितिदिए बंभचेरगुत्ते, चउथं पुष्वरयपुवकीलियपुश्वसंगंधगंथसंयुया | ५३३ पनव्याकरणांगं, अन्सब-s मुनि दीपरबसागर NARY Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे ते आवाहविवाहचोप्लकेसु य तिथिसु जन्नेसु उस्सवेसु य सिंगारागारचारुबेसाहिं हावभावपललियविक्खेवविलाससालिणीहिं अणुकूलपेम्मिकाहिं सदि अणुभूया सयणसंपओगा उदुसुहवरकुसुमसुरभिचंदणसुगंधिवरखासघूवमुहफरिसवत्थभूसणगुणोक्वेया स्मणिजाउजगेयपउरा नडनगजल्लमलमुडिकवेलंवगकहगपबगलासगआइक्खगलंखमंखतूणइलतुंबवीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सराइं अन्नाणि य एवमादियाणि तवसंजमवंभचेरघातोवघातियाई अणुचरमाणेणं बंभचेरं न तातिं समणेणं लब्मा दटुं न कहेउं नवि सुमरिउं जे, एवं पुब्बस्यपुब्बकीलियविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरयमणविरतगामधम्मे जिइंबिए बंभचेरगुत्ते, पंचमगं आहारपणीयनिवभोयणविवज्जते संजते सुसाहू ववगयखीरदहिसप्पिनवनीयतेलगुलखंडमच्छंडिकमहुमजमंसखजकविगतिपरिचत्तकयाहारे ण दप्पणं न बहुसोन नितिकं न सायसूपाहिकं न खदं तहा भोत्तव्वं जह से जायामाता य भवति, न य भवति विम्भमो न मंसणा य धम्मस्स, एवं पणीयाहारविरतिसमितिजोगेण भावितो भवति अंतरप्पा आरयमणविरतगामधम्मे जिइंदिए बंभचेरगुत्ते, एवमिणं संवरस्स दारं सम्म संवरियं होह सुपणिहितं इमेहिं पञ्चहिवि कारणेहिं मणचयणकायपरिरक्खिएहिं णिचं आमरणतं च एसो जोगो णेयको घितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिदो अपरिस्साची असंकिलिट्ठो सुद्धो सबजिणमणुचातो, एवं चउत्थं संवरदारं फासिय पालितं सोहितं तीरितं किहितं आणाए अणुपालियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पञ्चवियं परूवियं पसिदं सिद्धवरसासणमिणं सिद्ध आघवियं सुदेसितं पसत्थं, चउत्थं संवरदारं समत्तंतिवेमि । २७॥ द्वारं ४ (९)॥ जंबू! अपरिग्गहसंबुडे य समणे आरंभपरिगहातो पिरते विरते कोहमाणमायालोभा एगे असंजमे दो चेव रागदोसा तिनि य दंडगारवा य गुत्तीओ तिनि तिमि य विराहणाओ चत्तारि कसाया माणसन्नाविकहा चउरो पंच य किरियाओ समिति इंदियमहब्बयाई च छ जीवनिकाया छच लेसाओ सत्त भया अट्ठ य मया नव चेव य भचेरवयगुत्ती दसप्पकारे य समणधम्मे एकारस य उवासकाणं चारस य भिक्खूणं पडिमा किरियठाणा य भयगामा परमाधम्मिया गाहासोलसया असंजमअबंभणायअसमाहिठाणा सबला परिसहा सूयगडज्झयणदेवभावणउद्देसगुणपकप्पपावसुतमाहाणज सिद्धातिगुणा र जोगसंगहे तित्तीसा आसातणा सुरिंदा आदि एकातियं करेत्ता एकुत्तरियाए क्ड्ढीए तीसातो जाव उ भवे तिकाहिका विरतीपणिहीसु अविरतीसु य एवमादिसु बहूसु ठाणेसु जिणपसत्थेसु अवितहेसु सासयभावेसु अवविएसु संकं कंखं निराकरेत्ता सरहते सासणं भगवतो अणियाणे अगारखे अलुद्धे अमूढमणवयणकायगुत्ते ।२८। जो सो वीरवरचयणविरतिपवित्यस्बहुविहप्पकारो सम्मत्तविसुद्धमूलो चितिकंदो विणयवेतितो निग्गततिलोकविपुलजसनिविड(प०चित)पीणपवरसुजातखंधो पंचमहत्वयविसालसालो भावणतयंतझाणसुभजोगनाणपल्लववरंकुरघरो बहुगुणकुसुमसमिद्धो सीलसुगंधो अणण्हवफलो पुणो (प० पुणोवि) य मोक्खवरवीजसारो मंदरगिरिसिहरचूलिका इव इमस्स मोक्खवरमुत्तिमग्गस्स सिहरभूओ संवरवरपादपो चरिमं संवरदारं, जत्थ न कप्पइ गामागरनगरखेडकबडमडंबदोणमुहपट्टणासमगयं च किंचि अप्पं व बहुं व अणुं व थूलं व तसथावरकायदछजायं मणसावि परिघेत्तुं ण हिरनसुवाखेत्तवत्थु न दासीदासमयकपेसहयगयगवेलगकंवलजाणजुग्गसपणासणाइ ण छत्तकं न कुंडिता न उबाणहान पेहुणवीयणतालियंटका ण यावि अयतउयतंबसीसककंसरयतजातरूवमणिमुत्ताधारपुडकसंखदंतमणिसिंगसेल(लेस पा०)कायवरचेलचम्मपत्ताई महरिहाई परस्स अज्झोववायलोभजण(प्र० करणाई परियड्ढेउं गुणवओन यावि पुष्फफलकंदमूलादियाई सणसत्तरसाई सबधनाइं तीहिवि जोगेहिं परिघेत्तुं ओसहभेसज्जभोयणट्ठयाए संजएणं, किं कारणं?, अपरिमितणाणदंसणधरेहिं सीलगुणविणयतवसंजमनायकेहि तित्थयरेहिं सचजगज्जीववच्छलेहिं तिलोयमहिएहिं जिणवरिदेहिं एस जोणी जंगमाणं दिवा न कप्पइ जोणिसमुच्छेदोत्ति तेण बज्जति समणसीहा, जंपिय ओदणकुम्मासगंजतप्पण(प्र०लगणमंथुभुजियपललसूपसकलिवेदिमव(प.)सरकचुन्नकोसगपिंडसिहरिणिवहमोयगखीरदहिसप्पिनवनीततेलुगुलखंडमच्छंडियमधुमजमंसखजकवंजणविधिमादिकं पणीयं उवस्सए परघरे व रने न कप्पती तंपि सन्निहिं काउं सुविहियाणं, जंपिय उहिट्ठठवियरचियगपजवजातं पकिण्णपाउकरणपामिञ्चं मीसकजायं कीयकडपाहुडं च दाणहपुन्नपगडं समणवणीमगट्ठयाए व कयं पच्छाकम्मं पुरेकम्मं निचकम्मं मक्खियं अतिरित्तं मोहरं चैव सयग्गहमाहडं महिओवलित्तं अच्छेज चेव अणीसटुं जं तं तिहीसु जन्नेसु ऊसवेसु य अंतो व बहिं व होज समणट्ठयाए ठवियं हिंसासावजसंपउत्तं न कप्पती तंपिय परिघेत्तुं, अह केरिसयं पुणाइ कप्पति ?,जं तं एकारसपिंडवायसुद्धं किणणहणणपयणकयकारियाणुमोयणनवकोडीहिं सुपरिसुद्धं दसहि य दोसेहिं विप्पमुकं उग्गमउप्पायणेसणाए सुद्धं ववगयचुयचवियचत्तदेहं च फासुयं ववगयसंजोगमणिंगालं विगयधूमं छट्ठाणनिमित्तं छकायपरिरक्खणट्ठा हणि २ फासुकेण भिक्खेण पहिया, जंपिय समणस्स सुविहियस्स उ रोगायक बहुप्पकारंमि समुप्पने वाताहिकपित्तसिंभअतिरित्तकुविय तह सचिवातजाते व उदयपत्ते उज्जलवल. विउलतिउलकक्खढपगाढवुक्खे असुभकॉयफरसे चंडफलविवागे महन्मए जीवियंतकरणे सघसरीरसरितावणकरे न कप्पती तारिसेवि तह अप्पणो परस्स वा ओसहमेसज्जं भत्तपाणं ५३४ प्रश्नव्याकरणांगं, अजय-१० मुनि दीपरत्नसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ च तंपि संनिहिकयं, जंपिय समणस्स सुविहियस्स तु पढिगहधारिस्स भवति भायणभंडोबहिउक्करणं पडिग्गहो पावबंधणं पादकेसरिया पादठवणं च पडलाई तिमेव रपत्ताणं च गोच्छमो विजेच य पच्छाका रयोहरणचोलपट्टकमुहणंतकमादीयं एयंपिय संजमस्स उववहणट्ठयाए वायायवदंसमसगसीयपरिरक्खणट्ठयाए उवगरणं रागदोसरहियं परिहरियाचं संजएणं णिचं पडिलेहणपरफोडणपमजणाए अहो य राओय अप्पमत्तेण होइ सततं निक्खिवियचंच गिण्डियाचमायणमंडोबहिउपकरणं, एवं से संजते विमुत्ते निस्संगे निप्परिम्गहराई निम्ममे निन्नेहबंधणे सपावविरते वासीचंदणसमाणकप्पे समतिणमणिमुत्तालेठुकंचणे समे य माणावमाणणाए समियरते समितरागदोसे समिए समितीसु सम्मदिट्ठी समे य जे सबपाणभूतेसु से हु समणे सुयधास्ते उजुते संजते स साहू सरणं सबभूयाणं सबजगवच्छले सबभासके य ससास्तहिते य संसारसमच्छिने सततं मरणाणुपारते पारगे य सधेसि संसयाणं पवयणमायाहिं अहिं अट्ठकम्मगंठीविमोयके अट्ठमयमहणे ससमयकुसले य भवति सुहदुक्खनिविसेसे अभितरवाहिरंमि सया तवोबहाणंमि य सुजुते खते दंते य हिय(पिति पा०)निरते ईरियासमिते भासासमिते एसणासमिते आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिते उबारपासवणखेलसिंघाणजलपारिद्वावणियासमिते मणगुत्ते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्तिदिए गुत्तवंभयारी चाई लज्जू धन्ने तवस्सी खंतिखमे जितिदिए सोधिए अणियाणे अपहिलेस्से अममे अकिंचणे छिन्नगंथे (सोए पा०) निरुवलेवे सुविमलवरकसभायणंच मुक्कतोए संखेविव निरंजणे विगयरागदोसमोहे कुम्मोइव इंदिएसु गुत्ते जच्चकंचणगंव जायसवे पोक्खरपतव निरुवलेवे चंदो इव सोमत्ताए (भाक्याए पा०) सरोश दित्ततेए अचले जह मंदरे गिरिवरे अक्खोमे सागरोज थिमिए पुढवीव सबफाससहे तवसा चिय(प्र० इच)मासरासिछन्निव जाततेए जलियद्यासणोविय तेयसा जलते गोसीसचंदणंपिव सीयले सुगंधे य हरएविव समियताचे उग्घोसियसुनिम्मलंव आयसमंडलतलंय पागडभावेण सुद्धभावे सोंडीरे कुंजरोव्व वसभेव्व जापयामे सीहेवा जहा मिगाहिवे होवि दुष्पधरिसे सारयसलिलंब सुद्धहियये भारंडे चेव अप्पमत्ते खम्गिविसाणंच एगजाते खाणु चेव उड्ढकाए सुन्नागारेज अप्पडिकम्मे सुन्नागारावणस्संतो निवायसरणप्पदीपज्झाणमिव निप्पकंपे जहा सुरो चेव एगधारे जहा अही चेव एगदिट्ठी आगासं चेव निरालंबे विहगेविव सबओ विप्पमुके कयपरनिलए जहा चेव उरए अप्पडियदे अनिलोव जीवोश अप्पडिहयगती गामे एकरायं नगरे य पंचरायं० दूइज्जते य जितिदिए जितपरीसहे निभओ विऊ (सुद्धोपा०) सञ्चित्ताचित्तमीसकेहिं दहिं विराय गते संचयातो विरए मुत्ते लङके निरखकसे जीवियमरणासमयविप्पमुके निस्संधि निवर्ण चरित्तं धीरे काएण फासयंते सततं अज्झप्पज्झाणजुत्ते निहुए एगे चरेज धम्म, इमं च परिमाहवेस्मणपरिरक्खणट्ठयाए पावयणं भगवया सुकहियं अत्तहियं पेचाभाविकं आगमेसिभई सुदं नेयाउयं अकुडिलं अणुत्तरं सबदुक्खपावाण विओसमणं, तस्स इमा पंच मावणाओ चरिमस्स वयस्स हॉति परिम्गहवेरमणक्खणट्ठयाए-पढमं सोइंदिएण सोचा सहाई मणुनभद्दगाई, किं ते १, वरमुस्यमुइंगपणबददुरकच्छभिवीणाविपंचीवल्लयिवद्धीसकसुघोसनंदिसुसरपरिवादिणिवंसतूणकपरकतंतीतलतालतुडियनिग्घोसगीयचाइयाई नढनट्टकजलमलमुडिकवेलंबककहकपवकलासगाइक्लकलंखमंखतूणइलतुंबवीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि महुरसरगीतसुस्सरातिं कंचीमेहलाकलावपत्तरकपहेरकपायजालगघंटियखिंखिणिरयणोरुजालियछदियनेउरचलणमालियकणगनियलजालभूसणसदाणि लीलार्चकम्ममाणाणुदीरियाई तरुणीजणहसियमणियकलरिमितमंजुलाइं गुणवयणाणिवबहाण महुरजण, भासियाइं अनेसु य एवमादिएसु सहेसु मणुनभदएसु ण तेसु समणेणं सज्जियवं न रज्जियव्वं न गिज्झियव्वं न मुज्झियव्वं न विनिग्धार्य आवजियव्वं न लुभियव्वं न तुसियव्वं न हसियव्वं न सइंच मई च तत्व कुज्जा, पुणरवि सोइंदिएण सोचा सहाई अमणुनपावकाई, किं ते१, अक्कोसफरुसखिंसणअवमाणणतज्जणनिम्भंछणदित्तवयणतासणउकूजियरुग्नरडियकंदियनिग्धुहरसियकलुणविलवियाई अन्नेसु य एवमादिएसु सद्देसु अमणुण्णपाबएसुन तेसु समणेण रूसियचं न हीलियचं न निंदियवं न खिसियावं न छिदियावं न भिंदियन वहेयत्वं न दुगुंछावत्तियाए लब्भा उप्पाएउं, एवं सोतिंदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा मणुन्नामणुन्नसुभिदुम्भिरागदोसप्पणिहियप्पा साहू मणवयणकायगुत्ते संवुडे पणिहितिदिए चरेज धम्म, वितियं चक्खिदिएणं पासिय रूवाणि मणुन्नाइं भदकाई सचित्ताचित्तमीसकाई कढे पोत्ये य चित्तकम्मे लेप्पकम्मे सेले य दंतकम्मे य पंचहिं वष्णेहिं अणेगसं. ठाणसंथियाई गंठिमवेढिमपूरिमसंघातिमाणि य मलाई बहुविहाणि य अहियं नयणमणसुहकराई वणसंडे पचते य गामागरनगराणि य खुद्दियपुक्खरिणिवावीवीहियगुंजालियसरसरपं. तियसागरविलपंतियखादियनदीसरतलागवप्पिणीफुल्छप्पलपउमसंडपरिमंडियाभिरामे अणेगसउणगणमिहुणविचरिए वरमंडवविविहभवणतोरणचेतियदेवकुलसभप्पवाक्सहसुकयसयगासणसीयरहसयडजाणजुम्गसंदणनरनारीगणे यसोमपडिरूवदरिसणिजे अलंकितविभूसिते पुवकयतवप्पभावसोहम्गसंपउत्ते नडनट्टगजल्लमलमुट्ठियवेलंबगकहगपक्गलासगआइक्खगलंखमंखतूणइल्लतुंबवीणियतालायरपकरणाणि य बहूणि सुकरणाणि अन्नेसु य एवमादिएसु रूवेसु मणुन्नभइएसुन तेसु समणेणं सजियव्यं न रजियव्वं जावन सइंच मई च तत्य ५३५ प्रश्नव्याकरणांगे अनस -२० मुनि दीपरत्नसागर Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुज्जा, पुणरवि चक्खिदिएण पासिय रूबाई अमनपावकाई, किं ते?. गंडिकोढिककणिउदरिकच्छुलपहाडकुजपंगुलवामणअंधिलगएगचक्सुपिणिहय(पीढ)सप्पिसागवाहिरोगपी. लियं विगयाणि य मयककलेबराणि सकिमिणकुहियं च दारासिं अनेसु य एवमादिएसु अमणुन्नपावतेसु न तेसु समणेणं रूसियावं जाव न दुगुंछावनियावि सम्भा उत्पाते. एवं चक्खिदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा जाव चरेज धम्म, ततियं घाणिविएणं अग्घाइय गंधाति मणुन्नभद्दगाई, किं ते?, जलयथलयसरसपुप्फफलपाणभोयणकुटुतगरपत्तचीददमणकमस्यएलारसपिकमंसिगोसीससरसचंदणकप्परलवंगअगरकुंकुमककोलउसीरसेयचंदणसुगन्धसारंगजुत्तिवरघूववासे उउयपिंडिमणिहारिमगंधिएस अनेसु य एवमादिएसु गंधेमु मणुन्नभदएसुन वेसु समणेण सजियत्रं जाव न सतिं च मई च तत्थ कुजा, पुणरवि घाणिदिएण अग्धाविय गंधाणि अमणुन्नपावकाई, किं ते?, अहिमडअस्समडहत्थिमडगोमड़विगसुणगसियालमणुयमजारसीहदीपियमयकहियविणवकिविणबहुदुरभिगंधेसु अन्नेसु य एवमादिएस गंधेस अमणुन्नपाचएसन तेस समणेण रूसिया जाव पणिहियपंचिंदिए चरेज धम्म, चउत्थं जिभिदिएण साइय रसाणि उ मणुन्नभइकाई, किं ते?, उग्गाहिमविविहपाणभोयणगुलकयखंडकयतेतघयकयभक्खेसु बहुविहेसु लवणरससंजुत्तेमु महुमंसबहुप्पगारमजियनिट्ठाणगदालियंबसेहंबद्धदहिसरयमजवरवारुणीसहकाविसायणसायट्ठारसबहुप्पगारेसु भोयणेसुयमणुन्नवन्नगंधरसफासबहुदवसंभितेसु अन्नेसु य एवमादिएसु रसेसु मणुन्नभदएसु न तेसु समणेण सज्जियत्रं जावन सई च मतिं च तत्थ कुजा, पुणरवि जिभिदिएण सायिय रसातिं अमणुन्नपायगाई, किं ते?, अरसविरससीयलुकम्पणिजप्पपाणभोयणाई दोसीणवावन्नकुहियपूइयअमणुन्नविणट्ठपसूयबहुभिगंधियाई तित्तकडुयकसायअंचिलरसलिंडनीरसाइं अनेसु य एवमातिएसु रसेसु अमणुन्नपावएसुन तेसु समणेणं रूसियव्वं जाव चरेज धम्म, पंचमगं फासिदिएण फासिय फासाई मणुन्नभइकाई, किं ते?, दगमंडवहारसेयचंदणसीयलविमलजलविविहकुसुमसत्थरओसीरमत्तियमुणालदोसिणापेहुणउक्खेवगतालियंटवीयणगजणियसुहसीयले य पवणे गिम्हकाले महफासाणि य बहुणि सयणाणि आसणाणि य पाउरणगुणे य सिसिरकाले अंगारपतावणा य आयवनिद्धमउयसीयउसिणलहुया य जे उदुसहफासा अंगसुहनिबुडकरा ते अन्नेसु य एवमादितेसु गिज्झियचं न फासेसु मणुन्नमहए न तेसु समणेण सजियवं न रजियचं न मुज्झियत्रं न मुच्छियचं न विणिग्घायं आचजियवं नलभियन न अझोववजियचं न तूसियचं न हसियचं न सतिं च मतिं च तत्थ कुज्जा, पुणरवि फासिदिएण फासिय फासाति अमणुन्नपावकाई. किं ते ?. गवधबंधतालणतजणअतिभारारोवणए अंगभंजणसतीनखप्पवेसगायपच्छायणलक्खारसखारतेखकलकलंततउअसीसककाललोहसिंचणहडिबंधणरजुनिगलसंकलहत्यायकुभिपा कदहणसीहपुच्छणउच्बंधणसूलभेयगयचलणमलणकरचरणकन्ननासोट्टसीसछेयणजिम्भंछणवसणनयणहिययदंतभंजणजोत्तलयकसप्पहारपादपण्हिजाणुपत्थरनिवायपीलणकविकच्छुअगाणि विच्छ्यटकवायातवदंसमसकनिवाते दुट्टणिसेजणिसीहियदुम्भिकक्खडगुस्सीयउसिणलक्खेसु बहुविहेसु अन्नेसु य एवमाइएसु फासेसु अमणुन्नपावकेसु न तेसु समणेण रूसियश्वं न हीलियत्वं न निंदियन गरहियत्वं न खिसियवं न हिंदियन भिदियत्र न बहेयन दुगंछावत्तियं च लब्भा उप्पाएर, एवं फासिदियभावणाभावितो भवति अंतरप्पा अमणुन्नामणुन्नमुब्भिअसुम्भिरागदोसपणिहियप्पा साहू मणवयणकायगत्ते संबुडे पणिहितिदिए चरिज धम्म। एवमिणं संवरस्स दारं सम्मं संवरिय होइ सुप्पणिहियं इमेहि पंचहिवि कार: णेहिं मणवयकायपरिरक्खिएहिं निचं आमरणतं च एस जोगो नेयवो धितिमया मतिमया अणासवो अकलुसो अच्छिद्दो अपरिस्सावी असंकिलिट्टो सुदो सबजिणमणुन्नातो. एवं पंचमं संवरदारं फासियं पालियं सोहियं नीरियं किट्टियं अणुपालियं आणाए आराहियं भवति, एवं नायमुणिणा भगवया पन्नवियं परूवियं पसिद्ध सिद्ध सिद्धवरसासणमिणं आपवियं सुदेसियं पसत्थं / पंचमं संवरदारं समत्ततिचेमि॥ द्वारं 5 (10) / एयातिं वयाई पंचवि सुब्बयमहब्बयाई हे उसयविचित्तपुक्खलाई कहियाई अरिहंतसासणे पंच समासेण संवरा विन्धरण उ पणवीसतिसमियसहियसंवढे सया जयणघडणसुविसुद्धदसणे एए अणुचरिय संजते चरमसरीरधरे भविस्सतीति / 29 / पण्हावागरणे णं एगो सुयक्खंधो दस अज्झयणा एकसरगा दससु चेव दिवसेसु उदिसिज्जति एगतरेसु आयंबिलेसु निम्हेसु आउत्तभत्तपाणएणं अंगं जहा आयारस्स।३०॥श्रीप्रश्नव्याकरणांगमुत्कीर्ण श्रीसिद्धाद्भिगतजैनागममंदिरे वीरप्रभोः 2468 /