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श्री. जिनरत्न सूरि जी की मूर्ति प्रतिष्ठा करवायी। सं० २०१६ में कच्छ-भुज की दादावाड़ी में सं0 हेमचन्द भाई के बनवाये हुए जिनालय में संभवनाथ भगवान आदि जिन विम्बों की अञ्जनशलाका करवायी। और भी अनेक स्थानों में गुरु महाराज और श्री जिनरत्नसूरि जी के साथ प्रतिष्ठादि शासनोन्नायक कार्यों में बराबर भाग लेते रहे।
ढाई हजार वर्ष प्राचीन कच्छ देश के सुप्रसिद्ध भद्रेश्वर तीर्थ में आपके उपदेश से श्री जिनदत्तसूरि जी आदि गुरुदेवों का भव्य गुरुमन्दिर निर्मित हुआ। जिसकी प्रतिष्ठा आपके स्वर्गवास के पश्चात् बड़े समारोह पूर्वक गणिवर्य श्री प्रेममुनिजी व श्री जयानंदमुनिजी के करकमलों से स० २०२६ वैशाख सुदि १० को सम्पन्न हुई।
उपाध्याय श्री लब्धिमुनिजी महाराज बाल-ब्रह्मचारी, उदारचेता, निरभिमानी, शान्त-दान्त और सरल प्रकृति के दिग्गज विद्वान थे। आप ६५ वर्ष पर्यन्त उत्कृष्ट संयम साधना करके ८८ वर्ष की आयुमें सं० २०२३ में कच्छ के मोटा आसंविया गाँव में स्वर्ग सिधारे ।
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