Book Title: Yatindrasuri Abhinandan Granth Author(s): Kalyanvijay Gani Publisher: Saudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh View full book textPage 9
________________ का प्रस्ताव रखा, श्री संघने सहर्ष प्रस्ताव को स्वीकार करके अष्टाह्निका महोत्सव प्रारंभ किया । चैत्र सुदि पूर्णिमा शुक्रवार को गुरुदेव के करकमलों में अभिनंदन ग्रन्थ हस्त लिखित समर्पण किया। इस ग्रन्थ में भारत के प्रसिद्ध विद्वानों के सैद्धान्तिक, ऐतिहासिक लेख हैं जो स्तुत्य और खोज पूर्ण है । ईन विद्वानों को क्या ! धन्यवाद दिया जाय, ये संसार में कीर्तिमान बने यही भावना । संपादक मण्डल ने इस ग्रन्थ में जो लेख सामग्री जुटाने में भरसक प्रयत्न किया है और सफलता प्राप्त की, उन्हें हम आंतरिक सद्भावना से धन्यवाद देते है। . पूफ संशोधन करने के लिये जब व्यक्ति की आवश्यकता प्रतीत हुई तोश्री. दौलतसिंह लोढ़ा बी. ए. को नियुक्त किया और उन्होंने 'विविध विषय खण्ड' के फार्म ११ खे फार्म ५० पर्यंत प्रूफ संशोधन किया। उन्होंने प्रेस में रह कर बड़ी दिलचस्पी के साथ सहयोग दिया है, अतः उनको हार्दिक धन्यवाद देते हैं। इसी प्रकार जिन जिन महानुभावों ने तन, मन, धन का सहयोग दिया है उनको धन्यवाद है। प्रकाशक : श्री संघ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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