Book Title: Yashstilak Champoo Purva Khand
Author(s): Somdevsuri, Sundarlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 3
________________ द्वितीय आश्वास विषय मङ्गलाचरण 'अभयधि' क्षुल्लक द्वारा माखित राजा को अपना वृत्तान्त सुनामर व 'अवम्ति' देश का एवं उसकी राजधानी 'उज्जयिनी' का वर्णन .... "" १०४ उसके राजा 'यशो' व फारामी 'चन्तमति' का वर्णन पानी का राजा के समक्ष स्वपम-निवेदन, राजा द्वारा स्वप्न के फलस्वरूप पुन-प्राप्ति का कथन, गर्भवती चन्दमति का एवं उसके दोहले का वर्णन, गर्भपोषण-देन वैद्यों को आश देना तथा संस्कार-विधि का कथन' १२१ राजा द्वारा गर्भस्थ शिशु-संरक्षणार्थ उपयुफ शिक्षा दीज्ञाना, प्रसतिह-निर्माण की भाहा, प्रसव-काली प्राप्ति व पूत्रोत्पत्ति का वर्णन, पोस्पति-कालीन ब्रहास व अन्यदिनी की शोभा-आदिका निरूपण ... राजा द्वारा पुन की जन्मप्रिया व यशोधर' नामसंस्कार कि 1 जाना तय उसकी बाललीलाओं का निरूपण .... " कुमारकाल में कुमार का निमाभ्यास द्वारा ६४ कक्षा का पारदों विशन होगा एवं विवाह-योग्य होगा " १२१ 'विद्या-दीन राजपुत्र राजतिलक के योग्य नहीं सका यसपूर्वक निर्देश एवं राजमार का ताफ-सौन्दर्य - १३. राजकुमार के व्यक्तिला का प्रभाव, उसके द्वारा की ही पिता की सेवा-शुभूषा व भाषापासन-आदि, उसके जन्म से पिता का अपने को भाग्यशाली समझमा एवं भागन्दनक कथा-कौएलों द्वारा समय-यापन का निर्देश ... पिता-पुत्रों का पारस्परिक प्रेमपूर्वक अनुकूल रहमा, घी व दर्पण में अपना मुख देख रहे यशोध महाराज का । शिर पर सत्र केश देखकर शाम को प्राप्त होगा साथ ही सूर्योदय-आदि अन्य घटनाभाने का पान शुन केश देखकर या राजारा१. भावमाओ का चितवन एवं पर्या करने का मिय इसी समय उक महाराज द्वारा यशोधर राजमार के लिए नैतेिकशिक्षा-मादिदी जाना एवं उनका तपश्चर्याहेतु वन में प्रस्थान करने उ होने का वर्णन .... .... १५६ यशोधर द्वारा पिता को तपश्रया से विरक्त करने का उद्यम तथा पितृभक्ति का विशेष परिचय दिया जाना यशोर्च राजा द्वारा उक्त कथन रोककर 'एकावली' नामकी मातियों की माला यशोधर के गले में पहिनाना तथा अधीनस्थ नृपसमूह-आदि को बुलाकर यशाधर राजकुमार का राजबन्ध-महोत्सव विवाहमहोत्सव करने की आशा दी जाना पूर्व संयमधर महर्षि के निकट जिनवीक्षा-भारण 'प्रतापवर्धन सेनापति द्वारा कुमार का राज्याभिषेक व विवाहाभिषेक संबंधी महोत्सव-तुशिप्रा नदी के तट पर सभामण्डप व भूमिप्रदेश का निमांग कराना साथ में उसे मनाशपतिनगर से अलकृत कराना सधा 'उद्धताकश' और 'शालिहोत्र' नामके क्रमशः इस्तिसेना व अबसेना के प्रधान अमात्यों को बुलाना और कुमार के लिए सर्वश्रेष्ठ हाथी व सर्वर अश्व के बारे में विज्ञापन कराने का वर्णन 'उताकुश' द्वारा यशोधर महाराज के समक्ष उन महोत्सवों के योग्य उदयगिरि नामके हाथी की महत्वपूर्ण विशेषताओं का निवेदन किया जाना एवं इसी प्रेस में स्किलामः नाम के स्तुतिपाठक द्वारा गार हुए गजप्रशंसा-सूचक सुभाषित गीतों का निर्देश .... 'शालिहोत्रा द्वारा उक्त महाराज के समक्ष विजयक्षमतेत्र' नामके अमरत्र की महत्त्वपूर्ण विशेषताओं का प्रकट किया जाना सथा इसीप्रसङ्ग में शामिविनोदमकर नाम के स्मुतिपाठक द्वारा गाए हुए सुभारित गीत "" ज्योतिषी विद्वन्मण्डल द्वारा उक महाराज के लिए धोनों उत्सों का साथ होना एवं उनकी अनुकूल बम (शुद्ध मुहूर्त ) सुनाई जाना तथा अभिषेकमण्डप में पधारने की प्रेरणा की जाना

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