Book Title: Yashstilak Champoo Purva Khand
Author(s): Somdevsuri, Sundarlal Shastri
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 2
________________ i विषय मङ्गलाचरण प्रशंसा व कुकत्रि-निन्दा, यशस्विक की वियो कविता को कारणसामग्री आदि का वर्णन जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र संबंधी 'यौधेय' देश का वर्णन राजपुर नगर की शोभा का निरूपण उसके राजा मारिस का वर्णन विषयानुक्रमणिका प्रथम आश्वास ... मार्ग Mily .... 1444 'भैरव' नामक तात्रिक गुरु का मरिस राजा के की बलि पूजा का प्रबन्ध व नगररक्षको को इस अवसर पर राजपुर नगर के प्रान्तभाग में 'वाचायै' का ससंघ आगमन व उनकी विशेषताओं का सरस लिए प्रलोभन, प्रलाभ-वश राजा द्वारा चण्डमारी देवी बलि-हेतु सुन्दर मनुष्य-युगल लाने की आज्ञा वर्णन एवं प्रसङ्गवश हेमन्त (शीत), मीम व वर्षा ऋतु आदि का सरस निरूपण आचार्य द्वारा राजपुर शहर की हिंसाय प्रवृत्ति की जानकारी के साथ उनका क्रमशः 'नन्दनवन' व 'स्मरसौ मनसवर्गीचे में प्रवेश, उसकी अनुपम छटा का वर्णन तथा आचार्यश्री की वहाँपर हरने से अि प्रकार श्मशानभूमि को व वहाँपर पड़ी हुई मृत स्त्री का कलेवर देखकर आचार्यश्री का वैराग्य-चितवन सेमुनिमनारमेखछा' नामकी पहाड़ी पर संदरने का वर्णन तथा मध्याह्न-किन के अनन्तर हिंसा-दिवस के कारण स्वयं उपवास करते हुए 'सुताचार्य' को अपने संघ के साधुओं को राजपुर के समीपवर्ती ग्रामों में आहारार्थ जाने की आज्ञा तथा हिंसा निवारणार्थं क्षुल्लकयुगल को राजपुर नगर में आहार देतु जाने की आज्ञा एवं क्षुल्लक युग का वर्तमान जीवन-वृतान्त व उसका कुमार-अवस्था में दीक्षा लेने के कारण का निर्देश तथा उसका सरस निरूपण राज-किक्करों द्वारा बटि हेतु क्षुल्लक-युगल (भाई-बहिन का पकड़ा जाना, उसी प्रसङ्ग में उसकी सौम्य प्रकृति देखकर राज-किरों के मन में विशेष पश्चाताप एवं रामकिङ्करों को भयङ्कर आकृति देखकर रुकयुगल को विचारधारा तथा प्रसवध प्रस्तुत देवी के मन्दिर का वर्णन 753 •*** उक्त शुलक युगल द्वारा चण्डमारी देवी के मन्दिर की फर्श पर तार खींचे खबे हुए पारित राजा का ता चमारी देवी का देखा जाना और उन दोनों का न माखित राजा का लक युगल के मारने हेतु उपत होना परन्तु उनकी सौम्यमूर्ति देखकर विरक होना और उसके मन में क्षुल्लक युगल के अपने भानेज-भाजन होने का विचार आना, इसी प्रसङ्ग में 'अवसरविलास' वैतालिक द्वारा राजा को तलवार फेंक देने का आग्रह करना व राजा द्वारा सलवार को देवी के चरणों में अर्पित करना, इसी प्रसङ्ग में तलवार को विशेषता का वर्णन एवं राजा द्वारा झुल्लकयुगल की अम्वर्धना शुल्क युगल द्वारा राजा को प्रशंसा, राजा द्वारा उसकी अनोखी पर्वाङ्ग सुन्दरता का वर्णन एवं अपना परिचय देने के लिए निवेदन तथा क्षुल्लक युगल द्वारा अपना परिचय देने का आश्वासन पूर्व अन्त्यमङ्गल ..... 6466 १ ३ ८ ११ १५ ૧૬ * ११ ६१ 42 ८० ८६

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