Book Title: Yantrapurvak Karmadi Vichar
Author(s): Jain Mahila Mandal
Publisher: Jain Mahila Mandal

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Page 5
________________ अंतमां आ पुस्तक घणु उतावळे प्रगट करवू पडयुं छे. अने तेथी तेमां प्रेसनी के गुफो तपासवामां थयेली भूलो प्रत्ये उदार द्रष्टिए जोवा सौने विनंति साथे प्रार्थना छ के-जे कंइ दोष जेवू जणाय ते तरफ प्रकाशकनु लक्ष खेंचवू के जेथी बीजि आवृतिमां तेनो समावेश करी शकाय. - पूस्तक प्रगट करवामां जेमणे आर्थिक सहाय करी छे. तेओ सर्वनो आ स्थळे अंतःकरण पूर्वक आभार मानवामां आवे छे. तेमनां मुबारक नामा अत्रे आपवां अमारी फरज समजावाथी आ नीचे आप्यां छ. . . ५०) शेठ झवेरचंद्र गुमानचंद्र · पाटण... .. ५०) शेठ अभेचंद्र मूळचंद्र सुरत. ४०) शेठ कस्तुरचंद्र नानचंद्र रुपाल. २५) व्हेन प्रभावती अमदावाद.. २५) शेठ केसरीचंद्र गुलाबचंद्र आत. आ उपरांत रु. ५) तथा बीजि पण परचुरण सहाय अमोने मळी छे तेमनो पण आभार मानी आवां शुभ कार्यमा सहाय करवा बदल तेमनां श्रेय सार्थे प्रार्थीए छीए. अलम् अति विस्तरेणः - लि. . . श्री जैन महिला मंडळ. पायधुनी-मुंबई,

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